धराली आपदा: 5वें दिन पहुंचाई बिजली, अब तक 1273 निकाले सुरक्षित
Dharali disaster Bad weather again became a hindrance in rescue 1273 people rescued so far
धराली आपदा : खराब मौसम फिर बना बचाव में बाधा, अब तक 1273 लोगों का रेस्क्यू; इस बार झील ने बढ़ाई चिंता
पांच अगस्त का आई आपदा में तेलगाड से मलबा आने के कारण भागीरथी नदी में एक कृत्रिम झील बन गई है। यह झील चिंता का विषय बनी हुई है। पोकलेन के माध्यम से मलबा हटाकर झील के पानी की निकासी की योजना बनाई गई थी, इसके लिए अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था।
धराली में खीर गंगा के पास स्थाई पुलिया बनाते आर्मी और आईटीबीपी के जवान
आपदाग्रस्त धराली में पुलिस ने खोज और बचाव अभियान का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। इसके लिए आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी को इंसीडेंट कमांडर और कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी को डिप्टी कमांडर बनाया गया है। धराली में फंसे 1273 लोगों को अब तक सुरक्षित निकाल लिया गया है। अब लापता लोगों की तलाश की जाएगी।
जहां कभी होटल था, वहां अब सिर्फ मलबा… धराली में खुदाई के दौरान मिली 3 मंजिला इमारत, तस्वीरों में देखें तबाही के मंजर
धराली क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा में करीब 45 फीट गहरे मलबे के नीचे कई इमारतें दब गईं हैं. स्थानीय लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया. राहत और बचाव दल पूरी क्षमता के साथ फंसे लोगों को निकालने में जुटे हैं. मलबा हटाने का काम जारी है ताकि जल्द से जल्द जीवित लोगों तक पहुंचा जा सके.
धराली में 45 फीट मलबे में दबी इमारतें (Photo: ITG)
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आए विनाशकारी आपदा के छह दिनों बाद भी राहत बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन 24 घंटे लगातार चल रहा है. जो स्थानीय लोग बाढ़ की चपेट से बचाए गए, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. इंडियन आर्मी का एक अतिरिक्त कॉलम नॉर्थ से भेजा जा रहा है, जिसमें एक अफसर, एक जेसीओ और 30 जवान हैं. ये 150 जवानों की मौजूदा टीम में शामिल होकर काम करेंगे. अतिरिक्त ट्रैकर डॉग्स और ड्रोन भी भेजे जा रहे हैं ताकि सर्च और रेस्क्यू में तेजी लाई जा सके.
धराली के नॉर्थ और साउथ की दोनों सड़कें लैंडस्लाइड से बंद हैं, जिससे भारी उपकरण पहुंचाने में मुश्किल हो रही है. फिर भी सेना की कोशिश है कि उपकरण समय पर पहुंचें और फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान बड़े-बड़े पत्थरों और मलबे को पार करते हुए फंसे लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
दूसरी ओर राहत बचाव के दौरान की तस्वीरें और वीडियो जो सामने आ रही हैं वो साफ बता रही हैं कि ये आपदा कितना विनाशकारी था.
मलबे में दबी निकली तीन मंजिला इमारत
धराली क्षेत्र में लगभग 45 फीट गहरे मलबे के नीचे कई इमारतें समा गई हैं. इस त्रासदी से इलाके के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और राहत और बचाव दल तेजी से जिंदगी बचाने के लिए कठिन प्रयास कर रहे हैं. राहत दल के सदस्य कुल्हाड़ी, जेक हैमर, और भारी मशीनरी का प्रयोग कर मलबा हटाने में जुटे हुए हैं ताकि फंसे हुए लोगों तक जल्दी पहुंचा जा सके.
आसपास के गावों से भी राहत कार्य में सहायता पहुंचाई जा रही है. रेस्क्यू टीमों में जवान, पुलिस, अग्निशमन विभाग और मेडिकल सहायता कार्यरत हैं. राहत दल की प्राथमिकता है कि फंसे हुए लोगों को जीवित निकालकर उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए.
तबाही का मंजर
धराली में बादल फटने के बाद आई बाढ़ और मलबे ने पूरे इलाके को वीरान कर दिया. जहां पहले घर, बाजार और पर्यटक मौजूद थे, वहां अब सिर्फ मलबा है. 5 अगस्त को दोपहर 1:40 बजे तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन महज 35 सेकंड में सैलाब ने सब तबाह कर दिया। कई घर बह गए और कुछ बचे हुए घर अब दलदल से घिरे हैं.
भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें लगातार राहत कार्य कर रही हैं. 9 अगस्त को सेना के हेलिकॉप्टर ने 33 उड़ानें भरीं. 195 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. 200 पर्यटकों को हर्षिल पहुंचाने में मदद की गई.100 से ज्यादा पर्यटकों तक भोजन पहुंचाया गया.
सर्च ऑपरेशन की चुनौतियां, मौसम और रेस्क्यू में रुकावट
उत्तरकाशी और आसपास के कई जिलों में बारिश का अलर्ट है. कई जगहों पर भूस्खलन से सड़कें बंद हैं. हवाई रेस्क्यू भी मौसम के कारण रुक गया है. देहरादून, सरसावा और चंडीगढ़ में एमआई-17 और चिनूक हेलिकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं. खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे, इसलिए जवान ट्रैक कर राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं. दलदल और मलबे में फंसे संभावित शवों की तलाश जारी है. इसके लिए डॉग स्क्वाड, ड्रोन, हाइटेक कैमरे और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल हो रहा है. मलबा हटाने के लिए भारी मशीनें भी लगाई गई हैं.
सबसे बड़ी मुश्किल मौसम है—सुबह कुछ समय के लिए मौसम खुलता है, लेकिन दोपहर के बाद रोज बारिश शुरू हो जाती है, जिससे काम रुक जाता है.
प्रशासन और सरकार की तैयारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि जिन लोगों के मकान तबाह हुए हैं, उन्हें 5 लाख रुपये की तत्काल मदद दी जाएगी, मृतकों के परिजनों को भी 5 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी. प्रशासन को भरोसा है कि एक-दो दिन में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा.
