धामी का नीति आयोग से पर्वतीय राज्यों के लिए विशिष्ट नीति की मांग

*मुख्यमंत्री धामी और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी में राज्य से जुडे विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा*

*पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीति बनाने का मुख्य मंत्री धामी ने किया अनुरोध।*

*राज्य के सामरिक महत्व को देखते हुए नीति बने-धामी।**नीति आयोग उपाध्यक्ष से आपदा, वनाग्नि,राज्य की फ्लोटिंग जनसंख्या के दृष्टिगत विशेष सहयोग की अपेक्षा ।*

*नीति आयोग उपाध्यक्ष ने एस.डी.जी रैंकिंग में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मुख्यमत्री को दी बधाई।*

*राज्य की प्रमुख चुनौतियों पर हर संभव सहयोग का दिया आश्वासन।*

देहरादून 19 अक्टूबर 2024 । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी से राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर बैठक की। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत किया।

मुख्यमंत्री धामी ने बैठक में कहा कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य जिसमें में पर्वतीय, मैदानी, भाबर और तराई क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में आपदा, वनाग्नि, पलायन और फ्लोटिंग जनसंख्या बड़ी चुनौती है। दो देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे होने से उत्तराखण्ड सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीति निर्धारण किया जाए। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों की आजीविका में वृद्धि को विशेष नीति बनाने का अनुरोध भी किया। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन जैसी बड़ी समस्या का समाधान होगा।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्य कर रही है जिसके दीर्घकालिक परिणाम गेम चेंजर साबित होंगें। “नदी-जोड़ो परियोजना“ के क्रियान्वयन को अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है जिसके लिये उन्होंने  नीति आयोग से तकनीकी सहयोग को अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की जनसंख्या मूल रूप से लगभग सवा करोड़ है, लेकिन धार्मिक और पर्यटन प्रदेश होने से राज्य में इससे 10 गुना लोगों का  आवागमन है। राज्य में फ्लोटिंग जनसंख्या ध्यान में रख आधारभूत और बुनियादी सुविधाओं के विकास की आवश्यकता होती है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि राज्य में फ्लोटिंग जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए राज्य के लिए नीति बने।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील राज्य है। प्राकृतिक आपदाओं से राज्य को प्रत्येक साल जन-धन की काफी क्षति होती है। राज्य में विकसित किया गया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राकृतिक आपदाओं से काफी प्रभावित होता है। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्य की प्राकृतिक आपदाएं ध्यान में रखते हुए नीति बनाई जाय। उन्होंने कहा कि वनाग्नि भी राज्य की बड़ी समस्या है। राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान को राज्य को पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। राज्य के सीमांत क्षेत्रों के विकास को भी विशेष नीति बनाने का अनुरोध मुख्यमंत्री धामी ने किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प पूरा करने की दिशा में ’सशक्त उत्तराखण्ड पहल“ वर्ष 2022 में आरम्भ किया, जिसमें पांच वर्षों में राज्य की आर्थिकी दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। अभी राज्य की आर्थिकी वर्ष 2022 के सापेक्ष 1.3 गुना हो चुकी है। हमने इस लक्ष्य को पूरा करने हेतु अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किये है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने नीति आयोग से जारी सतत विकास लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखण्ड को प्रथम स्थान मिलने पर मुख्यमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज बैठक में राज्य की प्रमुख चुनौतियों से संबंधित जिन विषयों पर चर्चा हुई है, उन्होंने इन सभी विषयों पर हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के आकांक्षी जनपदों और विकासखण्डों के विकास के लिए भी नीति आयोग हर संभव सहयोग देगा।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड के सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, राज्य सलाहकार नीति आयोग, भारत सरकार सोनिया पंत, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, शैलेश बगोली, एस.एन.पाण्डेय, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, सीपीपीजीजी के एसीईओ डॉक्टर मनोज पंत उपस्थित थे।

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