पाकिस्तान को 12 प्रांतों में विभाजित करने से काबू होंगें सिंधी ?
प्रेशर कुकर’ फटने वाला है! कांप रहे आसिम मुनीर? पाकिस्तान के 12 टुकड़े करने का डरावना प्लान!
पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर सारी ताकत पाने के बावजूद ‘सिंधु देश’ आंदोलन से भयभीत हैं. पाकिस्तान को 12 प्रांतों में बांटने का नया प्रस्ताव असल में सिंध को तोड़ने और पीपीपी को कमजोर करने की कोशिश है. कराची को सिंधियों से अलग करने की इस कोशिश से वहां बगावत और गृहयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है.
पाकिस्तान आर्मी के चीफ, फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर (AP Photo)
पाकिस्तान में आसिम मुनीर ने सारी सैन्य ताक़त अपने हाथ में ले ली, फ़ील्ड मार्शल भी बन गए, इमरान ख़ान के समर्थकों के प्रदर्शन को भी कुचला, संविधान भी बदला कि उनके ऊपर अदालत में कोई केस भी नहीं चले, लेकिन फिर भी कितना डर है आसिम मुनीर को वो वहां से आ रही एक ख़बर से समझा जा सकता है. वहां अंदर क्या हो रहा है। भारतीय जनता न ज़्यादा जानती और न वहां की पॉलिटिक्स समझती. लेकिन समझना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि पाकिस्तान में जब भी सेना की ताक़त डांवाडोल होती है, वो ख़ुराफ़ात करने लगता हैं. इसलिए पाकिस्तान के आंतरिक मामलों से हमें क्या वाली सोच एक लेवल पर तो ठीक है, लेकिन जब बड़ी ख़ुराफ़ात होने लगे तो समझना भी चाहिए. और बड़ी ख़ुराफ़ात की आहट आ रही है. ये हाल के दिनों में सिंधु देश की मांग जो फिर से मज़बूत हुई है उसके बाद पता चल रहा है कि वो सिंध को काट कर छोटा करने का प्लैन बना कर बैठे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान से लगने वाले पश्तून इलाक़ों में तालिबान के साथ क्या चल रहा है वो भी लोग कुछ-कुछ जानते हैं, बलूचिस्तान में विद्रोह चल रहा है वो भी ख़बरें पता चल जाती हैं, लेकिन सिंध में क्या करने की कोशिश हो रही है वो भी समझने की ज़रूरत है. अलग सिंधु देश की मांग करने वाली जिये सिंध मूवमेंट के संगठन तो विरोध कर ही रहे हैं, वहां की राजनीतिक पार्टी, PPP, यानी बिलावल भुट्टो की पार्टी भी उठ खड़ी हुई है सिंध को काटने के ख़िलाफ़. तो हो क्या रहा है वो समझिए.
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पाकिस्तान के मंत्री अब्दुल अलीम ख़ान ने बोला कि पाकिस्तान को 12 प्रांतों में बांटा जाएगा. क्योंकि छोटे प्रांतों में प्रशासन बेहतर होता है. अभी वहां 4 प्रांत हैं, कह रहे हैं कि 4 के 12 कर देंगे. वो कह रहे हैं कि तुर्की में भी छोटे-छोटे प्रांत हैं, भारत में कई नए छोटे राज्य बड़े राज्यों से अलग हो कर बने हैं. तो पाकिस्तान में भी ये करना होगा. लेकिन ये इतनी मासूम-सी सोच नहीं है. क्योंकि पहले इसी पाकिस्तान की सोच ये थी कि कोई प्रांत होने ही नहीं चाहिएं. पूरा एक ही देश होना चाहिए.
यहां की पब्लिक नहीं जानती, लेकिन आपको मालूम है कि जब भारत ने आज़ादी के बाद अपने राज्यों का गठन किया 1956 में भाषा के आधार पर तो वही सब पाकिस्तान ने कैसे किया? आज़ादी के समय कई राजे-रजवाड़े थे, कई प्रांत थे जिनमें अंग्रेज़ों का सीधा राज था और कई में किसी नवाब या राजा के ज़रिये था. यही सब नए बने पाकिस्तान में भी था. तो भारत में तो सब को जोड़ कर भाषा के आधार पर नए राज्य बना दिये गए थे 1956 में.
लेकिन पाकिस्तान में क्या हुआ था कि पहले तो जिन्नाह ने सारे राजाओं और नवाबों को बोला कि पाकिस्तान में आ जाओ आपको पूरी आज़ादी देंगे, आप अपना राज चलाना, अपना झंडा रखना, अपनी करंसी रखना अपना सब कुछ रखना. ख़ैरपुर, कलात, बहावलपुर वगैरह कई रजवाड़े वहां भी थे. लेकिन जिन्नाह की तो पाकिस्तान बनने के कुछ सी समय बाद मौत हो गई थी. और पाकिस्तान था दो टुकड़ों में, एक इस तरफ़ जो अभी पाकिस्तान है वो था वेस्ट पाकिस्तान. और एक था उस तरफ़ बंगाल के पूर्व में, जो अब बांग्लादेश है. वो था पूर्वी पाकिस्तान.
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तो मोटे तौर पर जो ये पांच प्रांत अब दिखते हैं वो तो थे ही, यानी फ़्रंटियर, जिसको अब ख़ैबर पख़्तूख्वा कहते हैं. दूसरा पंजाब, तीसरा सिंध, चौथा बलूचिस्तान, और पांचवां बंगाल. लेकिन इनके साथ कई छोटी-छोटी रियासतें वहां पर और थीं. तो पाकिस्तानियों ने क्या किया कि भारत की तरह प्रांत या राज्य नहीं बनाए. उसे डर था कि कहीं अलग-अलग आवाज़ें ना उठनी शुरू हो जाएं पाकिस्तान से अलग होने की. तो उन्होंने 1955 में सारे प्रांत और रियासतें ख़त्म कर दो यूनिट बना दीं. एक वेस्ट पाकिस्तान और एक ईस्ट पाकिस्तान. यानी कोई पंजाब नहीं, कोई सिंध नहीं, कोई फ़्रंटियर नहीं, कोई बलूचिस्तान नहीं. इधर के सब एक यूनिट बना दिये.
रियासतों के राजाओं को जो आज़ादी का वादा कर पाकिस्तान में शामिल करवाया था उनको भी एक झटका दे सब ख़त्म कर दिये थे. हुकूमत पंजाबियों के हाथ. फ़ौज पर पंजाबियों का क़ब्ज़ा. बाक़ी प्रांतों के लोगों की कोई सुन ही नहीं रहा था. जो भारत से मुसलमान जा कर बसे पाकिस्तान में, यानी यूपी-बिहार, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात वगैरह सब जगहों से जो मुसलमान वहां गए, उन्हें बसा दिया सिंध के शहरों में.
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पंजाब में बसे भारत के पंजाब से गए हुए मुसलमान. लेकिन बाक़ी जगहों से गए हुए मुसलमान बसाये सिंध में. तो पहले तो सबको सिंध के शहरों में बसा दिया यहां से जो गए उर्दू बोलने वाले लोग. और सिंध में कराची और हैदराबाद जैसे बड़े-बड़े शहर थे जहां हिंदू ज़्यादा रहते थे. वहां बसा दिये उर्दू बोलने वाले यहां से गए हुए लोग. उन लोगों ने दंगे कर हिंदुओं को वहां से भागने पर मजबूर किया.
सिंधी मुसलमानों ने सिंधी हिंदुओं के ख़िलाफ़ दंगे ज़्यादा नहीं किये थे. यहां से जो गए उन्होंने किए. और उनको वो जगहें मिल गईं बसने को जो सिंधी हिंदुओं की थीं. तो पाकिस्तान के पंजाब में तो पंजाबी बोलने वाले ही रहे और यहां से जो जाकर बसे वो भी पंजाबी बोलने वाले थे. सिंध के बड़े इलाक़े में बसाये उर्दू बोलने वाले.ये सब करने के बाद कह दिया अब कोई अलग प्रांत नहीं है, सब वन यूनिट है.
सिंधियों, ख़ैबर के लोगों और बलोच लोगों में तभी से विद्रोह की चिंगारी भड़क गई थी कि वन यूनिट के नाम पर उनकी पहचान को ही मिटाने का पूरा कार्यक्रम चलाया था वहां के पंजाब के लोगों ने. वो तो फिर जब पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ विद्रोह हो गया और अलग बांग्लादेश की मांग उठी तो फिर से वहां चार प्रांत बनाए गए. जो अब वहां के नक़्शे पर दिखते हैं. NWFP यानी नॉर्थ वेस्ट फ़्रंटियर प्रॉविंस, जिसको अब ख़ैबर पख़्तूनख़्वा कहते हैं, पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान. फिर पूर्वी पाकिस्तान अलग हो कर बांग्लादेश बन गया 1971 में। तो सिर्फ़ वेस्ट पाकिस्तान ही बचा. इसमें ये चार प्रांत थे. लेकिन बलूचिस्तान में अलग विद्रोह की आग सुलग रही था.
बांग्लादेश बना तो सिंध में भी सिंधु देश की मांग उठी. और वजह यही थी कि सिंधी मुसलमानों को लगा कि पाकिस्तान बनने पर उनके साथ धोखा हुआ. सिंधी हिंदू तो भारत चले गए. और उनकी जगह उर्दू बोलने वाले आ गए. जो यहां से पलायन कर गए वो आज तक वहां पर अपनी अलग पहचान रखते हैं । उनको कहते ही हैं मोहाजिर. यानी जो पलायन कर यहां से गए. सिंधियों को लगा कि हमने मोहाजिर बसाने को थोड़े ही पाकिस्तान मांगा था. तो वहां अलग विद्रोह शुरू हो गया.
कराची को सिंध से काटने की तैयारी! पाकिस्तान में फिर गृहयुद्ध?
अब आ जाइए प्रांतों को तोड़कर 12 प्रांत बनाने की बात पर. सिंध में फिर विरोध का बिगुल फुंक गया है क्योंकि सिंध के तीन टुकड़े करने की योजना है. एक तो भुट्टो की पार्टी PPP का बेस सिंध में है. वो अकेली पार्टी है जिसमें पंजाबियों का दबदबा नहीं है. उसके प्रभाव वाले सिंध के तीन टुकड़े होने से उसके प्रभाव का इलाक़ा भी घट सकता है. यानी पंजाबी डॉमिनेशन और बढ़ जाएगा.
दूसरा, जो अलग सिंधु देश मांग रहे हैं उनको आशंका है कि एक तो पहले ही कई इलाक़ों में उर्दू भाषी और पश्तून सिंधियों से ज़्यादा हो चुके हैं. जैसे कराची शहर और आसपास का इलाक़ा और हैदराबाद और आसपास का इलाक़ा. तो एक टुकड़ा सिंध का वो होगा जिसमें कराची होगा और शायद उसी में हैदराबाद भी हो. या हैदराबाद दूसरे इलाक़े में भी हो अगर तो ये दोनों नए प्रांत इन दोनों शहरों की कमाई के सहारे ही चलेंगे. ये दो नए प्रांत हो जाएंगे उर्दू बोलने वालों के दबदबे वाले.
यानी सिंध प्रांत रह जाएगा बाक़ी बचे रेगिस्तान के ग़रीब इलाक़ों का और सिंधी वहीं पर रह जाएंगे. यानी पहले सिंधियों के यहां यूपी वालों को बसाया, फिर उनकी भाषा उनके ही प्रांत से ख़त्म करवाई, फिर एक यूनिट बना कर सारे प्रांत ख़त्म कर के उनकी अलग पहचान ख़त्म कर दी, और फिर जब दोबारा सिंध प्रांत बनाया तो अब उसको तोड़ कर उसमें से उर्दू बोलने वालों का एक अलग प्रांत बनाने का षड्यंत्र लग रहा है सिंधु देश मांगने वालों को भी और भुट्टो की पार्टी को भी. कराची से सिंधी भाषा ग़ायब कर दी गई और अब कराची को सिंध से अलग करने की प्लैनिंग है.
यानी मुनीर का शासन बहुत डरा हुआ है. बलोच विद्रोहियों और सिंधु देश की मांग से डरा हुआ है. छोटे प्रांतों में बेहतर प्रशासन होगा, ये बहाना बनाकर अपना सिंहासन बचाने की प्लैनिंग चल रही ताकि विद्रोहियों को टुकड़ों-टुकड़ों में तोड़ दिया जाए. इसलिए भारत को भी समझने की ज़रूरत है कि वहां हो क्या रहा है। उस प्रेशर कुकर में भाप बहुत ज़्यादा होती जा रही है, सीटी बज रही है, प्रेशर बढ़ा तो ये फट भी सकता है. टुकड़े ऐसे उछलेंगे कि कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा.
