प्रणब मुखर्जी स्मारक से क्या संदेश देना चाहती है भाजपा सरकार??

मनमोहन सिंह के स्मारक की डिमांड के बीच प्रणब मुखर्जी का स्मारक घोषित, BJP का मैसेज क्या है? ।
मनमोहन सिंह के स्मारक स्थली की डिमांड हो रही थी और मोदी सरकार ने प्रणब मुखर्जी का स्मारक बनाए जाने का ऐलान कर दिया. जाहिर है कि सरकार के फैसले से हर कोई अचंभित है. आइये देखते हैं कि सरकार क्या मेसेज देना चाहती है?

शर्मिष्ठा मुखर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली,
08 जनवरी 2025,पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक की डिमांड के बीच केंद्र की मोदी सरकार दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का स्मारक बनाने की मंजूरी दे दी है. मुखर्जी का स्मारक राष्ट्रीय स्मृति स्थल में बनेगा. प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. बुधवार को उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर इसके लिए उनको धन्यवाद भी दिया. जाहिर है कि मुखर्जी के इस सम्मान पर बवाल तो होना ही था. कांग्रेस नेता दानिश अली ने केंद्र सरकार पर मौत की घिनौनी राजनीति करने का आरोप लगाया है. दानिश ने यहां तक कहा कि प्रणब मुखर्जी को यह सम्‍मान उनके RSS-प्रेम की वजह से मिल रहा है. कांग्रेस इसके पहले प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने पर भी बहुत खुश नहीं हुई थी. पर सवाल यह उठता है कि ऐसे मौके पर जब दिल्ली विधानसभा का चुनाव सामने है और सिख वोटर्स की नाराजगी का खतरा बना हुआ है, मोदी सरकार ने यह फैसला क्यों और कैसे ले लिया? क्योंकि भारतीय जनता पार्टी अगर एक कदम भी चलती है तो उसके फायदे और नुकसान का आंकलन पहले से ही कर लेती है. आखिर भारतीय जनता पार्टी देश की जनता को क्या मेसेज देना चाहती है?

 

 

क्या कांग्रेस की पोल खोलने की है मंशा?

भारतीय जनता पार्टी जानती थी कि प्रणब मुखर्जी के स्मारक को फाइनल करते ही कांग्रेस के लोग हमलावर हो जाएंगे. जैसा कांग्रेस के पूर्व सांसद दानिश अली ने एक्स पर लिखा कि मनमोहन सिंह के लिए राजघाट स्मारक स्थली पर जगह की समूचे देश की मांग ठुकराते हुए प्रणब मुखर्जी के स्मारक के लिए उसी स्थान पर जमीन दे दी है. यह एक निम्न स्तर की राजनीति है और देश में आर्थिक क्रांति लाने वाले प्रधानमंत्री का घोर अपमान है.

सरकार का यह फैसला प्रणब मुखर्जी को उनके संघ प्रेम के लिए उपहार भी है. प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय में शीश नवा कर संघ संस्थापक हेडगेवार को धरतीपुत्र की उपाधि से नवाज़ा था. मुखर्जी ने संसद भवन में सावरकर का चित्र लगवाने में भी अहम भूमिका निभायी थी.

इसके पहले भी प्रणब मुखर्जी की संघ मुख्यालय की यात्रा और भारत रत्न मिलने पर कांग्रेस के लोगों ने उन्हें बहुत भला बुरा कहा था. बीजेपी चाहती है कि इस तरह का विरोध और बढ़े ताकि पार्टी यह साबित कर सके जिन लोगों ने कांग्रेस की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया उनका भी पार्टी कितना सम्मान करती है?

ये संदेश है कि बीजेपी वोट की राजनीति को ध्यान में रखकर पुरस्कार या सम्मान नहीं करती

भारतीय जनता पार्टी बार-बार कह रही है कि मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए काम हो रहा है. पूर्व पीएम का परिवार उनके संपर्क में है. उचित जगह तलाशी जा रही है. पूर्व पीएम के नाम से ट्रस्ट बनते ही जगह की घोषणा कर दी जाएगी. इसके बावजूद यह सवाल उठता है कि प्रणब मुखर्जी के स्मारक की घोषणा अभी करने की क्या जरूरत थी. जब मनमोहन सिंह के स्मारक की जगह तय हो जाती तो इकट्टे ही सरकार दोनों ही जगहों का ऐलान कर सकती थी. पर सरकार को न सिखों का किसान आंदोलन दिखा और न ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिख वोट दिखे. मतलब साफ संदेश है कि बीजेपी अब यह संदेश देना चाहती है कि मोदी सरकार पुरस्कार देने या कोई और सम्मान करने में वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में नहीं रखती है. उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत जल्दी ही सरकार मनमोहन सिंह के लिए स्मारक स्थल की घोषणा भी कर देगी.

यह कांग्रेस और विपक्ष के तमाम पुराने नेताओं को संदेश भी हो सकता है

मोदी सरकार प्रणब मुखर्जी के स्मारक स्थल की घोषणा करके यह संदेश भी देना चाहती होगी कि विपक्ष के तमाम नेता यह समझ लें कि जो मुखर्जी की तरह बीजेपी के लिए सहृदयता रखेंगे उनका ध्यान उसी तरह सरकार रखेगी. भारतीय जनता पार्टी ने इससे पहले पूर्वी पीएम नरसिम्हा राव को भारत रत्न देकर पहले ही इसका सबूत दे दिया है. यानी कांग्रेस नेता होना भाजपा के लिए कोई बाधा नहीं है. वैसे भी कांग्रेस से बीजेपी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण आदि को एक तरह से छीन लिया गया है. मनमोहन सिंह के लिए मोदी सरकार बस मौके की तलाश में है. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहते हुए भी हर साल अटल बिहारी के जन्मदिन के मौके पर उनके घर जरूर जाते थे. ये तब की बात है जब वाजपेयी सब कुछ भूल चुके थे और किसी को पहचानते भी नहीं थे.

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