बदनाम एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया कोर्ट में तलब, मानवाधिकार के नाम पर राजनीति ही नहीं, पैसे की भी हेराफेरी

61 करोड़ जुर्माना… एमनेस्टी इंडिया ने कितना गड़बड़झाला किया? कोर्ट ने पूर्व CEO (मौहम्मद) आकार पटेल को किया तलब

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बारे में काफी लोग जानते होंगे। यह अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है, जो मानवाधिकारों के लिए काम करती है। इसकी स्थापना ब्रिटेन में 60 साल पहले की गई थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में यह संस्था बदनाम हो गई। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे और अब कोर्ट ने अधिकारियों को तलब भी किया है।

हाइलाइट्स
1-ईडी की शिकायत पर एमनेस्टी के कई अधिकारियों को कोर्ट का समन
2-पूर्व सीईओ आकार पटेल को भी किया गया तलब, ईडी ने भेजा है जुर्माने का नोटिस
3-एमनेस्टी का जवाब, आलोचकों पर शिकंजा इस सरकार में आम बात हो गई है

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नई दिल्ली 09 जुलाई : प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत पर बेंगलुरु की एक अदालत ने एमनेस्टी इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है, जिसमें इसके पूर्व सीईओ (मौहम्मद) आकार पटेल भी शामिल हैं। दरअसल, ईडी ने एमनेस्टी इंडिया और आकार पटेल के खिलाफ फेमा में 61.72 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस जारी किया है। इसके एक दिन बाद एजेंसी ने कहा कि उसने संगठन और कुछ अन्य संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप पत्र दाखिल किया है। ईडी ने एक बयान में बताया कि अदालत ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं में दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है और आरोपितों को समन जारी किया है।

‘आलोचकों पर शिकंजा केंद्र सरकार में आम बात’

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सिलसिलेवार ट्वीट में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा कि दमनकारी कानूनों में अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट और अन्य के खिलाफ बेंगलुरु की एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई गई है।
ईडी ने आरोपितों के खिलाफ सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इसके बाद एजेंसी ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA), 2010 के कथित उल्लंघन और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) में मामला दर्ज किया।

ईडी ने कहा, ‘2011-12 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट को एमनेस्टी इंटरनेशनल, ब्रिटेन से विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए एफसीआरए, 2010 में अनुमति दी गई थी।’ जांच एजेंसी ने आगे कहा, ‘प्रतिकूल इनपुट के आधार पर इस अनुमति को बाद में रद्द कर दिया गया।’

पूरा मामला समझिए

ईडी ने कहा कि इसके बाद एफसीआरए वाले रूट से बचने के लिए 2013-14 और 2012-13 में दो नई संस्थाओं- AIIPL और IAIT का गठन किया गया और इन संस्थाओं को सेवा निर्यात और एफडीआई की आड़ में विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सफाई देते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय में वित्तीय जांच एजेंसी ईडी का यह आरोप पूरी तरह गलत है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल था।’

एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है, ‘ईडी की दुर्भावनापूर्ण मंशा इस तथ्य से स्पष्ट है कि कानूनी नोटिस एमनेस्टी और आकार पटेल तक पहुंचने से पहले ही उसने कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की हैं। यह न्याय के स्वाभाविक सिद्धांतों के विपरीत है।’
मानवाधिकार समूह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘सितंबर 2020 से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खाते पर रोक रहने से पूर्व कर्मचारियों और कई अदालती मामलों में वकीलों को उनकी सेवाओं के लिए बकाये के भुगतान करने का भी कोई साधन नहीं हैं।’

एमनेस्टी ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के सदस्य के रूप में भारत को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण में उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जरूरत है। इसके विपरीत, दमनकारी कानूनों के तहत झूठे आरोपों के माध्यम से अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा सरकार में आम बात हो गई है।

Amnesty India News Bengaluru Court Summons Senior Official And Former Ceo Aakar Patel

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