बाइबल में बलि और मारकाट
अभिजीत सिंह जी ने बाइबल और ईसा मसीह पर जो तथ्य रखे हैं उन्ही के रास्ते पर आगे चलते हुये अन्य लेखक शैलेन्द्र सिंह ने वर्णभेद और रंगभेद जैसी प्रथाओं का उद्गम इसी पवित्र पुस्तक को सिद्ध किया है, आगे देखिये पवित्र पुस्तक में आए पशु पक्षियों की बलि के क्रूरतम तरीके-
ध्यान रहे अगला समय बौद्धिक युग का है और ये लेख (पूरी सीरीज) सनातन धर्मी मित्रों के लिये आयुध से कम नहीं
#बाइबल_भाग_३;
लिखना बहुत अधिक था परंतु आप लोगों की प्रतिक्रिया और प्रश्न की वजह से अभी तक मैं जेनेसिस से ही बाहर नहीं निकल पाया हूँ क़ायदे से ख़ैर इस भाग में कुछ अन्य चीज़ों को लिखे की कोशिश करता हूँ और पिछले प्रश्नों का भी सम्भावित उत्तर देने की कोशिश करता हूँ
#ईश्वर ख़ुद नहीं चाहता कि शांति रहे और लोग मिलजुलकर रहे। जी हाँ उनका ईश्वर ख़ुद ऐसा नहीं चाहता है कि लोग मिलजुल कर रहे अब यह बात विरोधाभास उत्पन्न करेगी कि ईश्वर ऐसा क्यूँ चाहेगा भला ???
जबकि पहले भाग में जेनेसिस को उद्धृत करके मैंने लिखा था कि धरती पर पाप बढ़ जाने के कारण यहोवा ने महाप्रलय किया और नूह को आदेशित कर पुनर्निर्माण किया, वह बता चुका हूँ । वही जब आप आगे बढ़ेंगें तो देखेंगें कि जब नूह के वंशज फलने फूलने लगे और एक दिन इब्राहिम के नेतृत्व में एक शहर का निर्माण आरम्भ हुआ।
#इब्राहिम ने अपने लोगों को मिलाकर एक शहर और एक स्तम्भ बनाने का कार्य शुरु किया उस समय तक जेनेसिस के अनुसार धरती पर सभी लोग एक ही भाषा बोलते थे ऐसा एक झूठा भ्रम फैलाया गया है (जबकि यह सिर्फ़ उस विशेष इलाक़े के बारे में है ) तो उस समय यहोवा धरती पर आए और उन्होंने लोगों को बाँट दिया । अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग एरीआ में और पूरी दुनिया में फैला दिया (यह कोरी गप्प है ) इस पर बाद में लिखूँगा।
तो बाँटे गए लोग आपस में लड़ना शुरू हो गए । जैसा कि यहोवा चाहते थे और शहर के साथ- साथ स्तम्भ का भी निर्माण रूक गया, यह बताना भूल गया था कि स्तम्भ सीधा ईश्वर तक बनाया जाना था, बहुत ऊँचा !
तो जब भी कोई शांति का लेक्चर सुनाए तो उससे पूछिए कि जब सब कुछ ठीक चल रहा था तो यह करने की क्या ज़रूरत थी कि लोग आपस में लड़ जाए।
#बलि ओल्ड टेस्टामेंट में एक किताब है नाम है लैव्यवस्था इसमें सिर्फ़ और सिर्फ़ बलि मार काट का ही वर्णन है। पशु बलि से लेकर पक्षियों तक नर बलि के विभिन्न आयाम को समेटे हुए है यह पुस्तक तो शांति के इस मज़हब में क़त्ल और क्रूरता के लिए अलग से पूरी किताब है आप चाहें तो पढ़ सकते हैं जिसको ज़रूरत हो उसको भेज सकता हूँ
तो जैसे ही आपको कोई अहिंसा और जीवहत्या पर प्रवचन देना सुरु करे उसको इस पुस्तक का नाम बताइए और उसका मुँह बंद कर दीजिए
#ख़तना ख़तना का ज़िक्र सर्वप्रथम जेनेसिस में इब्राहिम की संतति के विषय में आया है । यह एक लम्बा क़िस्सा है इब्राहिम कि कोई औलाद न थी तो उसकी पत्नी सारा ने उसको अपनी मिस्री लौंडी सौंप दी जो कि सोलह वर्ष की थी उससे एक संतान उत्पन्न हुई जिसका नाम इस्माइल था
लेकिन फिर यहोवा ने दर्शन दिया और इब्राहिम को कहा कि तू सारा के पुत्र का बाप बनेगा तो इब्राहिम ने पूछा कि मेरी और सारा की उम्र लगभग १०० वर्ष है। यह कैसे सम्भव है परंतु यहोवा के काहे अनुसार एक पुत्र इशहाक पैदा हुआ और उसी समय ख़तना का पहली बार ज़िक्र मिलता है
यहोवा ने निर्देश दिया की जब पुत्र उत्पन्न हो जाए तो तू अपनी खलड़ी का ख़तना करवा लेना। यह मेरे तुम्हारे बीच में बंधी हुई वाछा का चिन्ह होगा । सनद रहे जब इब्राहिम की खलड़ी का ख़तना हुआ तो उस समय उसकी उम्र ९९ वर्ष थी उस समय सिर्फ़ उसका ही ख़तना नहीं हुआ।
परम पिता यहोवा का निर्देश था कि ख़तना सिर्फ़ तुम्हारा नहीं तुम्हारे परिवार के सभी सदस्य और विदेशियों से मोल ख़रीदे गए ग़ुलामों का भी होगा या जब भी इनसे कोई संतान उत्पन्न होगी तो आठ दिन की होने के पश्चात उसका ख़तना हो जाना चाहिए।
इस तरह यह पहचान रहेगी और मैं तेरे लोगों को ख़ूब फलने फ़ोल्लने का आशीर्वाद देता हूँ इसके उलट अन्य लोगों को कार्श माने शापित किया जाएगा और वो ग़ुलामी करेंगे या दंड के भागी होंगे (इसका विस्तार और उपयोग अगले भाग में )
#प्रकाशित_वाक्य
अध्याय २२ वर्शेश १९ में स्पष्ट लिखा है कि जो कोई भी इन उपदेशों या कही गई बातों में कुछ जोड़ेगा या घटाएगा उसको परमेश्वर अपने शहर (स्वर्ग ) और उस पेड़ (मोक्ष )जिसका वर्णन जेनेसिस में है उसमें से निकाल देगा
मोटा मोटा समझा जाए तो उसको दंड का भागीदार बनाया जाएगा वह कभी भी स्वर्ग और मोक्ष को प्राप्त नहीं होगा
जो बात पुस्तकों के विषय में कही गई थी पिछले लेख में उसको अगर ध्यान दिया जाए तो ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट को मिलकर कुल पुस्तकों की संख्या प्रॉटेस्टंट ईसाई (ओल्ड ३९ओल्ड +२७ न्यू =६६ ) किताबें होती है और कैथोलिक या ईस्टर्न ईसाई (४६ओल्ड+२७न्यू= ७३) किताबें होती हैं
अभी तक यह विवाद चल ही रहा तो प्रकाशित वाक्य के हिसाब से अगर एक पक्ष सही है तो दूसरा शापित है क्यूँ कि उसने ७ किताब जोड़ दिया है और अगर दूसरे वाले ठीक हैं तो पहले ग़लत क्यूँ की उन्होंने उतना कम कर दिया तो जब भी कोई आपको मुक्ति दिलवाने आता है
चाहे फ़ादर हो सिस्टर तो उससे पूछिए कि आप तो ऑल्रेडी बाहर है गेट पर ताला लगा हुआ है आपके लिए हमको क्या मुक्ति दिलाओगे पहले अपना झगड़ा निपटाओ कौन सही है और कुछ तो जवाब से बचने के लिए ओल्ड टेस्टामेंट को नकार ही देते हैं तो इनको तो नर्क में मुक्ति नहीं मिलेगी।
हैम के बेटे / वंशज अलग से शापित हैं ही ग़ुलामी करने के लिए ऊपर से यह लफड़ा तो भैय्ये झोल निपटाओ फिर कन्वर्ट कर लेना
बाक़ी का आगे जारी है …..,, तब तक
जय भवानी
शैलेंद्र सिंह
#बाइबल_और_पशु_बलि_क्रूरता
सेमेटिक मज़हबों में ख़ास बात है कि पूरा का पूरा ग्रंथ मार काट हत्या और घिनौनेपन से भरा होने के बावजूद उसके अनुयायी और प्रचारक उसको शांति का मज़हब साबित करने को दिन रात तत्पर रहते हैं और बहुत हद तक कामयाब भी !
जैसे अगर हम ईसाई समुदाय की ही बात करें तो आज जनमानस की दृष्टि में यह एक बेहद शांति प्रिय समुदाय है जबकि हक़ीक़त इसके बिलकुल उलट है दुनिया में सबसे अधिक क़त्लआम इस समुदाय के नान ही रेजिस्टर हैं
ख़ैर बात करेंगे ओल्डटेस्टामेंट में एक पुस्तक #लैव्यवस्था की !
#लैव्यवस्था एक पुस्तक है ओल्ड टेस्टामेंट में जिसमें पशु बलि के क्रूरतम आयाम बताए गए हैं और सबसे मज़ेदार बात यह है की आप किसी भी तरह का पाप कर सकते है। उसकी खुली छूट आपको दी जाती है बस उसके बाद आपको कबूतर से लेकर भेड़ बकरी भैंस गाय कुछ भी काटकर क्रूर तरीक़े से उनके ईश्वर यहोवा को चढ़ा देना है उसमें से कुछ वर्सेस आपके सामने उद्धृत करता हूँ
यहाँ मूसा ( पैग़म्बर ) और यहोवा के बीच संवाद है जिसमें बलि के तरीक़े बताए गए हैं
#अध्याय १ #वर्सेज़ 2 ; इस्त्राएलियों से कह, कि तुम में से यदि कोई मनुष्य यहोवा के लिये पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बलिपशु गाय-बैलों वा भेड़-बकरियों में से एक का हो।
#वर्सेज़ 3 यदि वह गाय बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए, कि यहोवा उसे ग्रहण करे।
#वर्सेज़ 4 और वह अपना हाथ होमबलिपशु के सिर पर रखे, और वह उनके लिये प्रायश्चित्त करने को ग्रहण किया जाएगा।
#वर्सेज़ 5 तब वह उस बछड़े को यहोवा के साम्हने बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे लोहू को समीप ले जा कर उस वेदी की चारों अलंगों पर छिड़के जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है।
#वर्सेज़ 6 फिर वह होमबलिपशु की खाल निकाल कर उस पशु को टुकड़े टुकड़े करे;
#वर्सेज़ 7 तब हारून याजक के पुत्र वेदी पर आग रखें, और आग पर लकड़ी सजाकर धरें;
#वर्सेज़ 8 और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे सिर और चरबी समेत पशु के टुकड़ों को उस लकड़ी पर जो वेदी की आग पर होगी सजाकर धरें;
#वर्सेज़ 9 और वह उसकी अंतडिय़ों और पैरों को जल से धोए। तब याजक सब को वेदी पर जलाए, कि वह होमबलि यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
#वर्सेज़ 10 और यदि वह भेड़ों वा बकरों का होमबलि चढ़ाए, तो निर्दोष नर को चढ़ाए।
#वर्सेज़ 11 और वह उसको यहोवा के आगे वेदी की उत्तरवाली अलंग पर बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे उसके लोहू को वेदी की चारों अलंगों पर छिड़कें।
#वर्सेज़ 12 और वह उसको टुकड़े टुकड़े करे, और सिर और चरबी को अलग करे, और याजक इन सब को उस लकड़ी पर सजाकर धरे जो वेदी की आग पर होगी;
#पक्षियों_क_बलि
#वर्सेज़ 14 और यदि वह यहोवा के लिये पक्षियों का होमबलि चढ़ाए, तो पंडुकों वा कबूतरों को चढ़ावा चढ़ाए।
#वर्सेज़ 15 याजक उसको वेदी के समीप ले जा कर उसका गला मरोड़ के सिर को धड़ से अलग करे, और वेदी पर जलाए; और उसका सारा लोहू उस वेदी की अलंग पर गिराया जाए;
#वर्सेज़ 16 और वह उसका ओझर मल सहित निकाल कर वेदी की पूरब की ओर से राख डालने के स्थान पर फेंक दे;
#वर्सेज़ 17 और वह उसको पंखों के बीच से फाड़े, पर अलग अलग न करे। तब याजक उसको वेदी पर उस लकड़ी के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए, कि वह होमबलि और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
इस तरह की तमाम क्रूरतम विधियाँ आपको इस पुस्तक में पढ़ने को मिल जाएँगी अगर मैं पूरी लिखने बैठूँ तो महीने भर इस पर ही लिखा जा सकता है
और सबसे बुरी बात क्या है वह यह है की यदि मनुष्य पाप करे तो बलि पशु की चढ़ाई जाए वह इस प्रकार है
#अध्याय_४ में मूसा से यहोवा कहते हैं की यदि कोई मनुष्य उन कामों को करे जो की प्रतिबंधित है माने की पाप है तो वह इससे बचने के लिए वह बछड़े की बलि चढ़ाए वह विधि इस प्रकार है की बलि चढ़ने के बाद उसके लहू में ऊँगली डुबाकर सात बात पवित्र स्थान पर छिड़के , बछड़े की गुर्दे के ऊपर की झिल्ली और चरबी को नोचकर हटाए , इसी प्रकार उसके कलेजे के ऊपर से भी हटाए उसका सर पैर अटडिया सब कुछ नोचकर बताए गए पवित्र स्थान पर चढ़ाए
इतना क्रूर कृत्य और पवित्र स्थान का ज़िक्र दोनो ऐसे मज़हबों में ही सम्भव है आप लोग पूरा पुस्तक से पढ़ सकते हैं इसको यही रोकता हूँ अब तो लिखने में भी घिन आने लगी है
इससे भी अधिक क्रूरतम तरीके इस पवित्र ग्रंथ में बताए गए हैं जिससे आप किसी भी तरहके पाप जैसे की चोरी , लूट , व्यभिचार , इत्यादि से आप निजात पा सकते हैं
इस तरह यह सिद्ध किया जाता है की यह शांति का मज़हब है और विश्व शांति और कल्याण के लिए तत्पर है
अब कुछ ज्ञानी पुरुष आजकल कहते पाए जाते हैं की पुराना नियम अब मान्य नहीं है तो भाई साहब कल भी लिखा था प्रकाशित वाक्य के हिसाब से यह शराप है माने कार्श है माने आप यदि ऐसा कहेंगे तो शापित माने जाएँगे
और दूसरी बात यदि पुराने नियम नहीं माने जाएँगे तो इशु के अस्तित्व को किस आधार पर माना जाएगा क्यूँ की उनके जन्म की भविष्यवाणी और इब्राहिम से इशु तक लगभग १४ पीढ़ियों का हिसाब पुराने नियम के तहत ही वैध हैं क्यूँ की यह ओल्ड टेस्टामेंट का हिस्सा हैं
अभी तो नया नियम ही वैध अवैध के बीच लटका हुआ है उसकी वैधता ही प्रामाणिक नहीं है इशु का अस्तित्व भी प्रामाणिक नहीं है अब आप स्वयं निर्धारित कर बता दीजिए क्या माना जाए क्या न माना जाए या हमारी ही मान लो की पापाचार से भरा हुआ गंधता हुआ इतिहास है आपका !
बाक़ी का ईश्वर बहुत दयालु है ऐसा फादर ने बोला सो.
जय भवानी
✍🏻
शैलेंद्र सिंह