बाबाजी ट्रांसपोर्ट नाम से चल रही थी ऑनलाइन ठगी
Cyber Fraudsters who cheated people by promising jobs in reputed companies were caught
कंपनियों में नौकरी का झांसा देकर ठगने वाले पकड़े, चला रहे थे कॉल सेंटर, चालाकी से बनाते थे शिकार
आरोपित एक युवा को फोन करते हैं। उन्हें एक कंपनी में नौकरी का झांसा दिया जाता है। सबसे पहले उनका एक ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता है। टेस्ट को उनसे 250 रुपये लिए जाते हैं। बेहद मामूली प्रश्न पूछे जाते हैं।
आरोपित पकड़े
देहरादून 14 दिसंबर 2024 । नामी कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवाओं से करोड़ों की ठगी करने वाले दो साइबर ठगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपित सहारनपुर रोड पर एक ट्रांसपोर्ट कंपनी की आड़ में कॉल सेंटर चला रहे थे। इनमें एक साइबर ठग देहरादून और एक पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाैन का रहने वाला है।
इनके पास से दो लैपटॉप, प्रीएक्टिवेटेड सिम, मोबाइल और पासबुक आदि बरामद हुए हैं। आरोपितों के खिलाफ महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि जगहों पर कई शिकायतें दर्ज हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशेष कार्य बल (एसएसपी एसटीएफ) नवनीत भुल्लर ने बताया कि विभाग को सूचना मिली थी कि कुछ लोग भारत और विदेश की नामी कंपनियों में नौकरी के नाम पर युवाओं को ठग रहे हैं। फर्जी ऑफर लेटर भी दिए हैं।
पुष्टि की गई तो पता चला कि इनमें से कुछ नंबर पटेलनगर थाना क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। एसटीएफ की टीम ने इस सूचना के आधार पर मोबाइल फोन और अकाउंट नंबरों की जांच की। पता चला कि पांच बैंक खातों में पिछले दो माह में लाखों रुपये जमा हुए हैं। यह रकम देशभर के कई राज्यों के युवाओं से ठगी गई है।
सूचना पुष्ट होने पर एसटीएफ टीम ने सहारनपुर रोड स्थित बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी ऑफिस में छापा मारा। वहां देखा कि दो युवक कॉल सेंटर चला रहे थे। एक ने अपना नाम ईश्विंदर शेरगिल (निवासी गांधी ग्राम देहरादून) और दूसरे ने विवेक रावत (निवासी लैंसडाैन पौड़ी गढ़वाल) बताया।
विवेक रावत का हाल पता जैदपुर, बदरपुर, नई दिल्ली का है। सेंटर ईश्विंदर शेरगिल संचालित करता है। उसने विवेक रावत को वेतन पर रखा हुआ था। वह 2019 में थाना वसंत कुंज नई दिल्ली से भी जेल जा चुका है। उसने एसटीएफ को बताया, वह बाबा ट्रांसपोर्ट कंपनी और सन्नी फाउंडेशन एनजीओ चलाता है।
उसने तीन-चार लड़के अपने साथ लगाये हुए हैं। विवेक रावत को युवाओं से पैसे ठगने को रखा हुआ था। वह युवाओं को फोन कर उनसे कहता था कि उन्हें इस कंपनी में नौकरी पर रखा जा रहा है। इसके लिए उनसे प्रोसेसिंग फीस आदि के नाम पर 20 से 30 हजार रुपये तक जमा कराए जाते थे।
एक हजार रुपये देकर प्रति युवा डाटा खरीदते हैं ठग
शेरगिल ने पूछताछ में बताया, वह कुछ एजेंसियों से युवाओं का डाटा खरीदता हैं। इसके लिए प्रति युवा डाटा एक हजार रुपये भुगतान करता हैं। इस डाटा में उनकी सारी जानकारी होती है। जैसे , उनकी क्या पढ़ाई है, वे कैसी नौकरी खोज रहे हैं, किस क्षेत्र में उनकी रुचि है आदि। इस हिसाब से ही उन्हें जॉब ऑफर दिया जाता है। वे कॉल करने को 800 रुपये में एक प्रीएक्टिवेटेड सिम खरीदते हैं।
इस तरह होती है ठगी
आरोपित एक युवा को फोन करते हैं। उन्हें एक कंपनी में नौकरी का झांसा दिया जाता है। सबसे पहले उनका एक ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता है। टेस्ट को उनसे 250 रुपये लिए जाते हैं। बेहद मामूली प्रश्न पूछते हैं। पास दर्शाकर उनसे नौकरी प्रक्रिया पूरी करने को कहा जाता है। इसके लिए उनसे कुछ हजार रुपये लिए जाते हैं। इंटरव्यू भी ऑनलाइन होता है। इसके बाद 20 से 30 हजार रुपये तक लेकर उन्हें एक जॉब ऑफर लेटर फर्जी तरीके से ऑनलाइन भेजा जाता है। एक खाते में वह चार से पांच लाख रुपये ही जमा कराते हैं। इसके बाद दूसरे खाते का इस्तेमाल होता है।
दो महीने पहले दून पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का किया भंडाफोड़:विदेशी नागरिकों से इंटरनेशनल फ्लाइट बुकिंग के नाम पर ठगी;तीन दबोचे
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन ऑनलाइन ठगी करने वाले
देहरादून पुलिस का फर्जी कॉल सेंटर के खिलाफ लगातार अभियान जारी है। शुक्रवार को ऑनलाइन इंटरनेशनल फ्लाइट बुकिंग करने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का दून पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस ने मौके से कॉल सेंटर संचालित कर रहे तीन मास्टरमाइंड मुख्य आरोपितों को गिरफ्तार किया है। कॉल सेंटर में 47 कर्मचारी भी कार्यरत थे, जिन्हें नोटिस देखकर पुलिस पूछताछ कर रही है। पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लेकर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
देहरादून एसपी सिटी प्रमोद कुमार ने जानकारी दी
पहचान छुपाने के लिए नाम और आईपी एड्रेस भी बदले
छानबीन में पुलिस को पता चला कि यह लोग फर्जीवाड़े को अपना नाम बदलकर विदेशी नागरिकों से ठगी कर रहे थे। अपनी पहचान छिपाने और पुलिस से बचने को आरोपितों ने अपना आईपी एड्रेस भी बदल दिया था। इतना ही नहीं आरोपित अपना नाम और आईपी बदलकर खुद को पीसीएम वर्ल्ड वाइड फ्लाइट लिमिटेड का वरिष्ठ अधिकारी बता ठगी करते थे। आरोपित अधिकांश यूएसए और कनाडा के नागरिकों को टारगेट करते थे।मौके से पुलिस को तीन मोबाइल फोन, 48 मॉनिटर, 42 माउस, 49 कीबोर्ड, 50 सीपीयू, 44 हेडफोन, दो वाई-फाई राउटर और अन्य उपकरण मिले हैं।
अपुल मित्तल दिल्ली में बैठकर विदेशी नागरिकों से संपर्क करता था
पूछताछ में पता चला कि आरोपित विकास उर्फ फिलिप कॉल सेंटर का मैनेजर है। कॉल सेंटर का मालिक अपुल मित्तल दिल्ली में बैठता है। वह विदेश में लोगों से संपर्क कर स्वयं को पीसीएम वर्ल्ड वाइड फ्लाइट लिमिटेड एजेंसी का अधिकारी बताता था। कस्टमर से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग करने के नाम से उनके क्रेडिट, डेबिट व वीजा कार्ड की जानकारी प्राप्त कर ली जाती। जानकारी लेने के बाद वह इससे विदेशियों से ठगी करते थे। आरोपित अपना नाम बदलकर अंग्रेजी नाम रखे था, ताकि विदेशी कस्टमर संदेह ना करें। इस तरह आरोपित विदेशियों से फ्लाइट बुकिंग के नाम पर लाखों रुपए ठगते थे।
37 लाख की साइबर ठगी का मामला, उत्तराखंड एसटीएफ ने उप्र से पकड़े तीन ठग
उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को बड़ी कामयाबी मिली है. उत्तराखंड एसटीएफ ने 37 लाख रुपए की ठगी के मामले का अनावरण करते तीन साइबर ठग गिरफ्तार किये है. उन्होंने देहरादून के व्यक्ति से पॉलिसी के नाम पर साइबर ठगी की थी।
उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने पॉलिसी के नाम पर 37 लाख रुपयों की ठगी करने वाले तीन लोगों को उत्तर प्रदेश के बागपत और नोएडा से गिरफ्तार किया है. आरोपितों से चार मोबाइल, 6 आधार कार्ड और 118 सिम मिले है. उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस के संयुक्त अभियान में छह और ठग भी पकड़े , जिनके खिलाफ नई दिल्ली के बुरारी थाने में मुकदमा लिखा गया है.उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून के पास शिकायत आई थी, जिसमें पीड़ित व्यक्ति ने बताया था कि उसके पास अज्ञात व्यक्ति का फोन आया था. फोन करने वाले ने खुद को SBI Smart Wealth Builder Policy का अधिकारी बताया. आरोपितों ने पॉलिसी खुलवाने और खुलवाकर उसको गलत बताकर ठीक कराने के नाम पर उसे अपने झांसे में लिया.
आरोपियों के कब्जे से बरामद हुए सिम.
आरोपियों ने पीड़ित को लालच दिया था कि वो पॉलिसी की यूनिट वैल्यू से उसे अच्छा खासा लाभ दिलवाएंगे. पीड़ित भी आरोपितों की बातों में आ गया और इसी तरह आरोपितों ने पीड़ित से अलग-अलग तरीकों से करीब 37 लाख रुपए ठगे . इसके बाद पीड़ित ने अज्ञात आरोपितों पर मुकदमा कराया.उत्तराखंड एसटीएफ ने मामले की जांच शुरू की तो दो आरोपित अंकित और मिन्टू कुमार को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से और तीसरे गौतम कुमार को नोएडा से पकड़ा. गौतम इस तरह के मामलों में पहले भी जेल जा चुका है. पूछताछ में गौतम कुमार ने नई दिल्ली के बुरारी थाना क्षेत्र में स्थित साइबर अपराध और धोखाधडी में शामिल कॉल सेंटर की जानकारी दी. तब उत्तराखंड साइबर पुलिस और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मार 6 आरोपित पकड़े।
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