बेटी कोमा में,दून की मां ने अंगदान कर दिया पुनर्जन्म
Mother Gave New Life 13 Year Teen In Coma Wakes Up After Liver Transplant Sir Ganga Ram Hospital
कोमा में थी बिटिया, सबने खो दी बचने की उम्मीद, फिर मां के ‘आशीर्वाद’ से हुआ पुनर्जन्म
दिल्ली के अस्पताल में 13 साल की मासूम को नया जीवन मिला। उसे बेहद दुर्लभ बीमारी थी। हालात इतने बिगड़े की कोमा में चली गई। डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट की बात कही। बच्ची की मां तैयार हो गईं। हालांकि,इससे बच्ची पूरी तरह ठीक होगी तय नहीं था। अब सर्जरी के दो दिन बाद चमत्कार हो गया।
मुख्य बिंदु
कोमा में थी बिटिया, लीवर ट्रांसप्लांट से बची जान
मां ने दिया लीवर और बचा ली बेटी की जान
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में चौंकाने वाला केस
‘बेटी को ठीक होते देखना उसके पुनर्जन्म जैसा’
नई दिल्ली 16 मई 2024: एक मां कभी भी अपने बच्चों को मुसीबत में नहीं देख सकती। चाहे बेटा हो या बेटी, अगर उनकी जान को कोई खतरा हो जाए तो मां आराम से नहीं बैठ सकती। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ऐसा ही चमत्कार देखने को मिला। अस्पताल में विल्सन रोग (Wilson Disease) से पीड़ित 13 वर्षीय बच्ची का इलाज चल रहा था। ये ऐसी दुर्लभ बीमारी है जिसमें लड़की के अंगों में तांबे का स्तर बढ़ता जा रहा था। इस बीमारी के इलाज में उसे हेपेटाइटिस-ए का भी पता चला। लगभग दो हफ्ते पहले, लड़की कोमा में चली गई। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के पास उसके लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
कोमा में थी किशोरी, लीवर ट्रांसप्लांट से बची जिंदगी
हालांकि, इस सर्जरी से भी मेडिकल टीम को लड़की के पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद बहुत कम थी, लेकिन पूरी प्रक्रिया के दो दिन बाद किशोरी ‘चमत्कारी’ तरीके से ठीक हो गई। देहरादून की इस लड़की को करीब आठ साल पहले विल्सन रोग का पता चला था। हाल ही में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उसका इलाज शुरू हुआ। इसी बीच हेपेटाइटिस ए की वजह से उसकी हालत और खराब हो गई। एक डॉक्टर ने दावा किया कि हेपेटाइटिस ए उसके पहले से ही डैमेज लीवर के लिए बड़ा झटका था, जिससे उसे तीव्र क्रॉनिक लीवर फेलियर हो गया।
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बेहद गंभीर बीमारी से पीड़ित थी 13 साल की बच्ची
डॉक्टर ने बताया कि पीलिया, बिलीरुबिन के स्तर में अत्यधिक बढ़ोतरी के साथ-साथ लीवर के खराब होने का स्पष्ट संकेत था। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी की वजह से बच्ची कोमा में चली गई थी। इससे उसकी हेल्थ कंडीशन और भी बदतर हो गई। इससे पहले उसे उल्टी के साथ खून भी आने लगा था, जिससे वो खतरनाक तौर पर मौत के करीब पहुंच चुकी थी। उसे तुरंत ही आईसीयू में लाइफ सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता थी।
बेटी को बचाने के लिए मां ने दिया लीवर
इस दौरान डॉक्टरों ने परिवार को लड़की की जिंदगी बचाने के लिए लीवर ट्रांसप्लांट पर विचार करने की सलाह दी। लड़की की मां ने इस प्रक्रिया के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान करने का फैसला किया। सर गंगा राम अस्पताल के लीवर ट्रांसप्लांट और हेपेटोबिलरी सर्जरी के चेयरमैन डॉ. उषास्त धीर ने कहा, ‘एक मां ने पहले अपनी बेटी को जन्म दिया और अब दूसरी बार उसने अपने लीवर का हिस्सा डोनेट करके अपनी बेटी को नया जीवनदान दिया। सर्जरी के दो दिन बाद किशोरी होश में आई तो डॉक्टर और उसके माता-पिता दोनों हैरान रह गए।
बिटिया के ठीक होने पर बोली मां- ये उसके पुनर्जन्म जैसा
बच्ची की मां ने कहा, ‘मैंने अपनी बेटी को ऐसी हालत में देखा है कि उसे ठीक होते देखना उसके पुनर्जन्म जैसा है। मेरी बहादुर बेटी ने हमें सबसे बुरे समय में भी उम्मीद बनाए रखने की ताकत दी है।’ लड़की के पिता ने बताया कि बीमारी के कारण उनकी बेटी ठीक से स्कूल नहीं जा पाई। उन्होंने कहा कि अब जब वह ठीक हो जाएगी तो हम उसे स्कूल में दाखिला दिलवाने की कोशिश करेंगे, ताकि वह भी अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सके।
बच्ची के ठीक होने पर क्या बोले डॉक्टर
डॉक्टर धीर ने कहा, ‘यह हमारे अब तक की गई सफल सर्जरी और संभाले गए सबसे कठिन मामलों में से एक था। हमें विल्सन रोग से पीड़ित सबसे कम उम्र के मरीज के लिए सफल लीवर ट्रांसप्लांट संभव बनाना था। बच्ची की हालत गंभीर थी और जीवित दाता के लीवर ट्रांसप्लांट को सही समय पर सर्जरी करना था। यह सर गंगा राम अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी टीमों के बीच कड़ी मेहनत और बेदाग समन्वय से संभव हो पाया।
Ridhima Gupta