भाजपा को आतंकवाद के नाम पर घेरने का आइडिया अच्छा, लेकिन कांग्रेस के लिए जोखिम है
BJP को आतंकवाद के नाम पर घेरने का कांग्रेस का आइडिया अच्छा, लेकिन जोखिमभरा है
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के सॉफ्ट हिंदुत्व के प्रयोगों के फेल हो जाने के बाद जयराम रमेश (Jairam Ramesh) नयी तैयारी में जुट गये हैं – लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बीजेपी को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कांग्रेस के लिए काफी टेढ़ी खीर है.
2014 से ही मोदी-शाह को घेरने के लिए कांग्रेस तमाम उपाय करती आयी है, फिर भी अभी तक उसे कोई भी कारगर नुस्खा नहीं मिल सका है, लेकिन नुपुर शर्मा केस में बीजेपी के बैकफुट पर आ जाने से पार्टी का हौसला थोड़ा बढ़ा हुआ लगता है.
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को लेकर विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही जयराम रमेश (Jairam Ramesh) को कांग्रेस का मीडिया प्रभारी बनाया गया था – और अब वो एक्शन मोड में आ चुके हैं. जयराम रमेश ने संसद के मॉनसून सत्र में सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. संसद का नया सत्र 18 जुलाई से शुरू होने जा रहा है.
बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति को काउंटर करने के लिए ही राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की तरफ से सॉफ्ट हिंदुत्व के काफी सारे उपाय आजमाये जा चुके हैं. ऐसा करने के लिए कांग्रेस राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू और शिव भक्त के तौर पर भी पेश करने की कोशिश की थी, लेकिन चुनावी राजनीति में कोई उपाय नहीं चल पाया.
हिंदुत्व की राजनीति के अलावा बीजेपी के राष्ट्रवाद का एजेंडा भी कांग्रेस पर हमेशा ही भारी पड़ा है. राम मंदिर के मुद्दे से लेकर पुलवामा आतंकी हमले तक, बीजेपी ने हमेशा ही कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया है – और कांग्रेस की राजनीति को बीजेपी ने हिंदू विरोधी और पाकिस्तान समर्थक के रूप में पेश किया है. खास बात ये है कि कांग्रेस को लेकर बीजेपी अपनी बात समझाने में अब तक सफल भी रही है.
हिंदुत्व की राजनीति के मद्देनजर राहुल गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले अपनी तरफ से ठीक ठाक कैंपेन भी चलाया था. पहले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब के जरिये हिंदुत्व को जिहादी इस्लामिक संगठनों से तुलना की – और फिर राहुल गांधी ने हिंदुत्व और हिंदूवादी के फर्क के जरिये बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन चुनाव नतीजों से साफ हो गया कि कांग्रेस के ऐसे सारे प्रयोग धरे के धरे रह गये.
संसद सत्र और आने वाले चुनावों से पहले बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस नये सिरे से कमर कस कर मैदान में कूद पड़ी है. देश के करीब दो दर्जन शहरों से बीजेपी के एक साथ टारगेट करते हुए कांग्रेस नेताओं ने पूछा है – “BJP का आतंकवादियों से नाता है, ये रिश्ता क्या कहलाता है?”
अब सवाल ये उठता है कि अगर अरविंद केजरीवाल पर बार बार आतंकवादियों रिश्ता होने का आरोप बेदम साबित हो रहा है तो बीजेपी पर कितना असरदार हो सकता है भला?
और ये काम कांग्रेस ने अकेले नहीं, बल्कि बीजेपी के साथ सुर में सुर मिलाते हुए किया है. पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान कवि कुमार विश्वास के गंभीर आरोपों के बाद तो जैसे अरविंद केजरीवाल को घेरने के मामले में राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी में होड़ ही मची हुई थी, फिर भी आम आदमी पार्टी नेता का कुछ भी नहीं बिगड़ा. ऊपर चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीते और सरकार भी बना ली. अरविंद केजरीवाल के साथ ऐसा ही दिल्ली चुनाव के दौरान भी हुआ था, लेकिन तब भी वो सफल रहे.
जब बीजेपी और कांग्रेस मिल कर अरविंद केजरीवाल को चुनाव जीतने से नहीं रोक पा रहे हैं तो कैसे समझा जाये कि बीजेपी को कांग्रेस कितनी देर के लिए कठघरे में खड़ा कर पाएगी? वैसे राजनीति अस्तित्व बचाये रखने के लिए कुछ न कुछ करना तो होगा ही – जोखिमभरा जरूर है, लेकिन आइडिया बुरा भी नहीं है.
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की तैयारियां
9 जुलाई, 2022 की शाम को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर देश भर में जगह जगह प्रेस कांफ्रेंस करने वाले कांग्रेस नेताओं की तस्वीरों के साथ लिखा, ‘भाजपा का आतंकवादियों से नाता है, यह रिश्ता क्या कहलाता है? आज हमारे 23 नेताओं और प्रवक्ताओं ने देश के विभिन्न शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा के आतंकवादियों के साथ रिश्तों का पर्दाफाश किया.’ जयराम रमेश ने साथ में एक हैशटैग का भी इस्तेमाल किया – #TerroristBJPBhaiBhai
बीजेपी पर आंतकवादियों से रिश्ते का आरोप क्यों: कांग्रेस भी बीजेपी पर अब वैसे ही आरोप लगा रही है, जिसे लेकर खुद को कठघरे में खड़ा किये जाने पर अभी तक सफाई देती रही है. बीजेपी पर कांग्रेस का ताजा आरोप है कि उदयपुर में कन्हैयालाल के हत्या के दो आरोपियों में से एक बीजेपी का सदस्य है – और जम्मू-कश्मीर में हाल में गिरफ्तार एक आतंकवादी का संबंध भी बीजेपी से.
आंतकवाद के नाम पर बीजेपी को घेरना कांग्रेस के लिए लोहे के चने चबाने जैसा ही है
कांग्रेस के शासन वाले राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार कन्हैयालाल के हत्यारों को दबोच लेने को लेकर अपनी पीठ थपथपाती रही है. हालांकि, मामला आतंकवाद से जुड़ा होने की वजह से ये NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पास चला गया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का दावा है, ‘एक के बाद एक कई आतंकवादियों के तार भाजपा से जुड़ने के सबूत मिले हैं… भाजपा का आतंकवादियों से नाता है.’
1. कांग्रेस का दावा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या में शामिल एक आरोपी रियाज अख्तरी बीजेपी का सदस्य है. कांग्रेस ने अपने दावे को लेकर राजस्थान में बीजेपी नेताओं के साथ रियाज अख्तरी की तस्वीर के साथ बीजेपी पर ये गंभीर आरोप लगाया है.
बीजेपी की तरफ से ऐसे आरोपों को खारिज कर दिया गया, लेकिन ये भी कहा गया है कि कुछ लोगों ने पार्टी में घुसपैठ करने के बाद नेताओं के साथ तस्वीर खिंचवाई है.
2. कांग्रेस की तरफ से ये भी दावा किया जा रहा है कि श्रीनगर के रियासी शहर में पकड़े गये लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी तालिब हुसैन शाह बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का पदाधिकारी था – हालांकि, जम्मू कश्मीर के बीजेपी नेताओं ने ये आरोप भी सिरे से नकार दिया है.
निश्चित तौर पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से ऐसे आरोप लगाये जाते रहे हैं – और सवाल तो ये भी उठा था कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा कन्हैयालाल की हत्या के बाद उदयपुर क्यों नहीं गये? ये सवाल इसलिए भी वाजिब लगा क्योंकि हाथरस और लखीमपुर में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को पीड़ितों को गले लगाने की तस्वीरें सबने देखी थी. राहुल गांधी को गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद दौरा करते देखा गया, लेकिन वैसी ही घटना कोटा में हुई तो न राहुल गांधी पहुंचे, न ही प्रियंका गांधी – और सचिन पायलट का कोटा अस्पताल के दौरे के बाद क्या हाल किया गया सबने देखा ही है.
आतंकवाद पर बीजेपी का पलटवार
जिन मुद्दों को लेकर बीजेपी कांग्रेस को घेरती है, करीब करीब वैसे ही मुद्दों को लेकर कांग्रेस पलटवार भी करती रही है, लेकिन नाकामी ही हाथ लगती है. 2014 में बीजेपी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ शोर मचा कर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया, 2019 में राहुल गांधी ने ठीक वैसा ही करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ के नारे के साथ चुनाव मैदान में प्रधानमंत्री मोदी को ललकारने लगे थे – और तभी मोदी ने अपने नाम से पहले चौकीदार लिख कर समझा दिया कि हां, ‘मैं ही चौकीदार हूं’. अपनी लोकप्रियता के बल पर मोदी ने राहुल गांधी के प्रयासों पर पानी फेर दिया था.
लेकिन अभी का माहौल थोड़ा अलग जरूर है. मोहम्मद साहब को लेकर नुपुर शर्मा के बयान के बाद बीजेपी थोड़ी नर्वस महसूस कर रही है. अरुण यादव को हरियाणा बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख के पद से हटाया जाना इस बात का सबूत है कि बीजेपी अभी नुपुर शर्मा के जरिये मिले झटकों से उबर नहीं पायी है – कांग्रेस के मीडिया सेल के नये प्रभारी जयराम रमेश को अगर लग रहा है कि बीजेपी को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर घेरने के लिए ये अच्छा मौका है तो वो गलत भी नहीं हैं.
बीजेपी का बचाव और कांग्रेस पर हमला: बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा अब कांग्रेस के आरोपों को न्यूट्रलाइज करने के लिए पुराने मामलों पर कांग्रेस नेतृत्व के रिएक्शन के साथ साथ सोनिया गांधी को भी लपेट लिया है. कांग्रेस को भी मालूम तो होगा ही कि क्रिया की प्रतिक्रिया भी तो वैसी ही होगी. अब जरूरी ये है कि वो अपने स्टैंड पर कायम रहते हुए बीजेपी के खिलाफ अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिश करे.
1. संबित पात्रा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के एक बयान का हवाला देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश को याद दिलाने का प्रयास किया है कि कैसे दिल्ली के बाटला हाउस में हुई मुठभेड़ की तस्वीरों को देख कर सोनिया गांधी के आंखों में आंसू आ गये थे.
2. बीजेपी प्रवक्ता का दावा है कि यासीन मलिक को यूपीए सरकार के दौरान सम्मानित किया गया था. JKLF के आतंकवादी यासीन मलिक को अब आतंकवाद की फंडिंग के मामले में अदालत से दोषी ठहराया जा चुका है.
3. संबित पात्रा ये भी कह रहे हैं कि सोनिया गांधी की तस्वीर जाकिर नाइक के साथ है, जो भारत छोड़कर भाग चुका है – और जिसने राजीव गांधी फाउंडेशन को दान भी दिया था.
4. संबित पात्रा का कहना है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने माना था कि इशरत जहां उससे जुड़ी हुई थी, लेकिन कांग्रेस उसे बेकसूर बताती रही – और गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार को तरह तरह से परेशान करने की कोशिश की.
5. बीजेपी प्रवक्ता का ये भी सवाल है कि आखिर क्यों लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद कांग्रेस को अच्छी पार्टी बताकर तारीफ करता है?
कांग्रेस की मुश्किल ये है कि उसके घर भी शीशे के ही बने हैं – और जब भी वो बीजेपी की तरफ कोई ऐसा वैसा पत्थर उछालने की कोशिश करती है – बड़ी आसानी से वो लौट कर उसी के माथे पर गिर पड़ता है.
2020 के दिल्ली दंगों को लेकर सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया था. अमित शाह से लिख कर कई सवाल पूछे थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म की याद दिलाने की सलाह दी थी. साथ ही, अमित शाह को बर्खास्त करने की भी मांग की गयी थी.
लेकिन जैसे ही बीजेपी नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस बुला कर कांग्रेस नेतृत्व पर हमला बोला हर तरफ खामोशी छा गयी थी. बीजेपी नेता कांग्रेस नेतृत्व को 1984 के दिल्ली के सिख दंगों की याद दिला कर सवाल पूछने लगे. जब भी कभी कांग्रेस गुजरात दंगों की बात करती है, बीजेपी दिल्ली के सिख दंगों का नाम लेकर टूट पड़ती है.
अब तो तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी को सोनिया गांधी पर हमले का नये सिरे से मौका मिल गया है – तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई है, लिहाजा कांग्रेस के सामने ये इल्जाम लगाने का भी बहाना नहीं बचा है कि बीजेपी पुलिस और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.
संसद सत्र शुरू होने से पहले जयराम रमेश अपनी तरफ से ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सदन में बीजेपी को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा जा सके, लेकिन ये भी ध्यान रहे कि अभी सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ खत्म नहीं हुई है – और अगर उसके बाद ईडी के अफसर राहुल गांधी को गिरफ्तार कर लें तो बीजेपी तो और भी ज्यादा आक्रामक हो जाएगी.
लेखक
मृगांक शेखर @mstalkieshindi