मंहगी टिकट,पानी,चाय-काफी से मल्टीप्लेक्स खाली भले हो जायें लेकिन मालिक होश में आने कौ तैयार नही

100 का पानी, 700 की कॉफी… मुकुल रोहतगी देते रहे दलील, 200 रुपये की फिल्म टिकट पर टस से मस नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court on Film Ticket: सुप्रीम कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स में सिनेमा टिकट और खाने की ऊंची कीमतों पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट की शर्तों पर रोक लगाई. अदालत ने कहा कि अगर कीमतें कम नहीं की गईं, तो सिनेमाघर खाली रहेंगे. अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

देशभर के मल्टीप्लेक्सों में फिल्म टिकट की कीमतों और खाने-पीने की महंगी चीज़ों पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त रुख अपनाया. अदालत ने साफ कहा कि अगर मल्टीप्लेक्स संचालक टिकट और दूसरी चीज़ों की कीमत कम नहीं करते, तो ‘भविष्य में सिनेमाघर खाली चलेंगे.’

मुकुल रोहतगी देते रहे दलील, 200 रुपये की फिल्म टिकट पर टस से मस नहीं हुआ SC
सुप्रीम कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स में सिनेमा टिकट और खाने-पीने की चीज़ों की ऊंची कीमतों पर सख्त रुख अपनाया.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की दो जजों की बेंच ने इसके साथ ही कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गई कुछ शर्तों पर फिलहाल रोक लगा दी. यह आदेश मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MAI) और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

क्या है मामला?
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में फिल्म टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय करने का निर्णय लिया था. कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) नियम–2025 के तहत लिए गए इस फैसले को मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स ने अदालत में चुनौती दी थी.

23 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने राज्य सरकार के इस आदेश पर फौरी तौर पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ दायर अपील पर 30 सितंबर को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने आदेश को बरकरार रखा, लेकिन कुछ कड़े शर्तें जोड़ दीं.

हाईकोर्ट की शर्तें क्या थीं?
हाईकोर्ट ने मल्टीप्लेक्स संचालकों को निर्देश दिया था कि हर टिकट की बिक्री का ऑडिट योग्य रिकॉर्ड रखा जाए, जिसमें बुकिंग और भुगतान का तरीका भी शामिल हो. इसके साथ ही डिजिटल रसीदें जारी की जाएं और डेली कैश रजिस्टर पर मैनेजर के हस्ताक्षर हों.

साथ ही अदालत ने कहा था कि अगर राज्य सरकार का टिकट कैप (200 रुपये की सीमा) आदेश बाद में सही पाया गया, तो मुकदमे की अवधि में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लिए गए अतिरिक्त शुल्क उपभोक्ताओं को लौटाने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि सरकार को कीमत तय करने का अधिकार नहीं है. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने सिनेमा हॉल्स में बिकने वाली चीज़ों की ऊंची कीमतों पर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘आप लोग पानी की बोतल 100 रुपये में बेचते हैं, कॉफी 700 रुपये में… अगर ऐसे ही चलता रहा तो हॉल खाली रह जाएंगे.’

रोहतगी ने इसका जवाब देते हुए कहा, ‘ताज होटल भी कॉफी के 1000 रुपये लेता है, क्या आप वहां भी कीमत तय करेंगे?’ इस पर जस्टिस नाथ ने तुरंत कहा, ‘वहां भी तय करनी चाहिए.’

जब रोहतगी ने कहा कि ‘यह उपभोक्ता की पसंद का मामला है’, तो जस्टिस नाथ ने दो टूक कहा, ‘सिनेमा पहले ही गिरावट में है, इसे लोगों के लिए किफायती बनाइए, नहीं तो दर्शक ही नहीं आएंगे.’ इस पर रोहतगी ने जवाब दिया, ‘खाली रहने दीजिए, जो सामान्य सिनेमा देखना चाहते हैं, वे वहां जाएं… ये तो सिर्फ मल्टीप्लेक्स के लिए है.’ लेकिन जस्टिस नाथ ने कहा, ‘अब तो सामान्य सिनेमा हॉल बचे ही नहीं हैं… हम तो डिविजन बेंच के साथ हैं कि 200 रुपये की सीमा ठीक है.’

राज्य का अधिकार या अतिक्रमण?
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दिवान ने तर्क दिया कि संबंधित कानून राज्य सरकार को टिकट दर तय करने की शक्ति नहीं देता. उन्होंने कहा कि यह फैसला ‘कानूनी दायरे से बाहर’ है. वहीं, मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट की लगाई गई शर्तों को ‘अव्यावहारिक और पालन करने के लायक नहीं’ बताया.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश का ‘प्रभाव और संचालन स्थगित’ रहेगा. अब यह मामला 25 नवंबर को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

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