मजार बचाने नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचे,लगी कड़ी फटकार और चेतावनी

Nainital High Court Big Comment You Make A Mausoleum By Occupying Government Land

आप सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध धार्मिक स्थल बना देते हैं… मजार ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिकाकर्ता को खंडपीठ ने लगाई फटकार

Nainital High Court decision on Mausoleum Demolition: सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा मामले में नैनीताल हाई कोर्ट का अहम फैसला आया है। अतिक्रमण के खिलाफ उत्तराखंड में बड़ा अभियान चल रहा है। मजार के ध्वस्तीकरण के मामले को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट की टिप्पणी आई है। इसके बाद सरकार की ओर से अभियान में तेजी लाने का निर्णय लिया गया है।

देहरादून 19 मई: उत्तराखंड में सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्तीकरण के खिलाफ डाली गई जनहित याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि क्यों न याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया जाए। हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस विपिन सांगी और जस्टिस राकेश थपलियाल की संयुक्त बेंच ने सरकारी जमीनों पर कब्जे कर धार्मिक स्थल बनाए जाने वालों की पैरवी करने पर याचिकाकर्ता हमजा राव और अन्य के वकील बिलाल अहमद को फटकार लगाई। खंडपीठ ने कहा है कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह जनहित याचिका लगाई गई है।

चीफ जस्टिस सांगी और जस्टिस थपलियाल की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस बारे में याचिकाकर्ता ने पहले भी याचिका दी थी। इसका उल्लेख जनहित याचिका में नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि क्यों न याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया जाए। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के जरिए कहा कि सरकार एक धर्मविशेष के निर्माण को अवैध नाम देकर ध्वस्त कर रही है। धर्म विशेष के खिलाफ की जा रही इस कार्यवाही को तत्काल रोका जाए और मजारों का दोबारा निर्माण किया जाए।

याचिकाकर्ता के वकील बिलाल अहमद की इससे पहले भी ज्वालापुर की चंदन पीर बाबा की मजार के लिए दाखिल की गई याचिका खारिज हो चुकी है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्त होने चाहिए। इसमें धर्म का कोई परहेज नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भूमाफिया बताते हुए कहा कि आप सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध रूप से धार्मिक स्थल बना देते हैं।
उत्तराखंड में वन भूमि पर अवैध रूप से मजारें बनाकर कब्जे किए जा रहे हैं। इसी तरह से जंगलात की जमीन पर मंदिर भी बनाए गए हैं। धामी सरकार ने ऐसे अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों के ध्वस्तीकरण के लिए अभियान छेड़ा हुआ है। इसी अभियान के विरुद्ध याचिकाकर्ता धर्म विशेष के धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे।
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मजारों पर हो रही कार्रवाई के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। उधर वन विभाग के अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि हाईकोर्ट के द्वारा उत्तराखंड सरकार के अभियान को सही ठहराया गया है। अब यह अभियान और तेजी से चलाया जाएगा।

 

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