मत:ज्ञान ही नही, विलक्षण निर्माता देश बनना होगा भारत को
Indias Relevance In Global Geopolitics At Risk Need To Move Beyond Manufacturing And Become A Product Nation Amid Tension With America
India-US Tension: जिसे देखो तरेर रहा आंख…क्या भारत खो रहा अपनी साख, क्यों अब मैन्यूफैक्चरिंग के आगे सोचना होगा?
दुनिया में आर्थिक बदलाव हो रहे हैं, जिससे भारत पर असर पड़ रहा है। अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं। अब भारत को सिर्फ सर्विस देने वाली अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर प्रोडक्ट बनाने वाला देश बनना होगा। शिक्षा और रिसर्च पर ध्यान देना होगा। मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा। विदेश नीति को मजबूत करना होगा।
नई दिल्ली: दुनिया में तेज आर्थिक बदलाव हो रहे हैं। अब दो देशों के सौदे ब्लैकमेलिंग पर होने लगे हैं। अमेरिका ने इसकी बानगी पेश की है। इस सौदेबाजी में न कोई अपना है न बेगाना। सिर्फ ताकत मायने रखती है। अमेरिका ने अपने बेहद करीबी भारत पर टैरिफ बढ़ा दिए। रूसी तेल खरीद के कारण ऐसा किया गया। वहीं, उस चीन के मामले में चुप बैठ गया जो रूस से भारत से कहीं ज्यादा तेल खरीदता है। इसकी एक ही वजह है। भारत ऐसा कुछ भी नहीं बनाता है जो दुनिया की सांसें थाम दे। जिसका वह हथियार की तरह इस्तेमाल कर पाए। यही कारण है कि भारत को अब सिर्फ सेवाओं पर निर्भर रहने के बजाय प्रोडक्टों की मैन्यूफैक्चरिंग वाला देश बनना होगा। भारत को कुछ ऐसी चीजें बनानी होंगी जो वह दूसरों से बेहतर कर सके। ऐसा करके ही वह दुनिया में अपनी अहमियत बना पाएगा। शिक्षा जगत से लेकर उद्योग जगत तक सब इस बात पर सहमत हैं।
Indias Relevance in World
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में एआईसीटीई के चेयरमैन टीजी सीतारामन और नीति आयोग जैसे संस्थानों ने भी इस बात पर जोर दिया है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने भी कहा है कि भारत को ‘प्रोडक्ट नेशन’ बनने का टारगेट रखना होगा। अमेरिका के टैरिफ एक्शन के बाद यह और भी जरूरी हो गया है। एक तरफ जहां भारत को प्रोडक्ट नेशन बनने की बात हो रही है। वहीं दूसरी तरफ रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका के टैरिफ ने भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
नए और बेहतर प्रोडक्ट बनाने होंगे
टी जी सीतारामन के अनुसार, ‘अब यह बात सब मान रहे हैं कि भारत को सिर्फ सर्विस देने वाली अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर प्रोडक्ट बनाने वाला देश बनना होगा। हमें सिर्फ इनोवेशन ही नहीं करना है, बल्कि आईपी-ड्रिवन सॉल्यूशन बनाकर उन्हें अलग-अलग सेक्टर में एक्सपोर्ट भी करना होगा। इसके लिए भारत के हायर एजुकेशन सिस्टम को बदला जा रहा है।’ यानी भारत को अब शिक्षा और रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देना होगा ताकि वह नए और बेहतर प्रोडक्ट बना सके।
अजय कुमार सूद ने कहा कि पॉलिसी बनाने वाले लोग अब डीप टेक स्टार्टअप को तेजी से आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। उनके अनुसार, ‘भारत डिजाइनिंग में बहुत अच्छा है। दुनिया के लगभग पांच में से एक सेमीकंडक्टर डिजाइन इंजीनियर भारत में हैं। लेकिन, ग्लोबल चिप डिजाइन फैसिलिटीज में भारत का योगदान 10% से भी कम है। ज्यादातर डिजाइनिंग ग्लोबल कंपनियों की ओर से दी गई स्पेसिफिकेशन्स के आधार पर होती है।’
सूद ने आगे कहा, ‘हमें अपनी स्पेसिफिकेशन्स के आधार पर डिजाइनिंग करने की क्षमता विकसित करनी होगी। इसका मतलब है कि हमें खुद सोचना होगा और नए आइडियाज लाने होंगे। तभी हमारा देश एक लीडिंग प्रोडक्ट नेशन बन पाएगा।’ वह प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर में नेशनल साइंस चेयर प्रोफेसर भी हैं।
सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग काफी नहीं
भारत को सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग से आगे सोचना होगा। सूद ने कहा, ‘एक ‘प्रोडक्ट नेशन’ बनने के लिए आपको क्या चाहिए? सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग ही काफी नहीं है। मैन्यूफैक्चरिंग जरूरी है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है। अगर आप सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग पर ध्यान देंगे तो आप मिडिल इनकम ट्रैप में फंस जाएंगे। कारण है कि मुनाफा कहीं और चला जाएगा।’ सेल फोन असेंबली और चिप मैन्यूफैक्चरिंग जैसे सेक्टर में वैल्यू चेन का ज्यादातर मुनाफा मैन्यूफैक्चरिंग से पहले और बाद के चरणों में होता है।
इस स्थिति ने दुनिया में भारत की जगह पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अमेरिका के साथ ट्रेड नेगोशिएशन पर नजर रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ दशक पहले भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी नहीं थी। लेकिन, हमारी डिप्लोमेटिक साख थी क्योंकि हम कुछ आदर्शों के लिए खड़े थे। अब हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ गई है। लेकिन, हम अपनी डिप्लोमेटिक साख खो रहे हैं। इस पर विचार करना जरूरी है।’
चीन पर अमेरिका नहीं जमा पाया धौंस
बैंक ऑफ अमेरिका के मार्केट एनालिस्ट डेविड वू का कहना है कि भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए जो टैरिफ लगाया गया है, वह रूस को यूक्रेन पर बातचीत करने के लिए मजबूर करने की कोशिश का हिस्सा है। ट्रंप यूक्रेन में युद्ध खत्म करना चाहते थे। लेकिन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साथ नहीं दिया। वू ने सीएनबीसी को बताया कि तेल से होने वाली कमाई को कम करना रूस को कमजोर करने का सबसे आसान तरीका है। चीन पर दबाव डालना मुश्किल है। इसलिए भारत रूस पर दबाव डालने का एक आसान जरिया बन गया है। ट्रंप यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का क्रेडिट लेना चाहते हैं। इस चक्कर में भारत फंस सकता है।
इसका मतलब है कि भारत को अपनी विदेश नीति और आर्थिक नीति को ध्यान से तय करना होगा ताकि वह किसी और देश के खेल में न फंसे। भारत को अपनी ताकत बढ़ानी होगी ताकि दुनिया में उसकी बात सुनी जाए।
किन चीजों पर बढ़ाना होगा फोकस?
भारत को एक मजबूत प्रोडक्ट नेशन बनने के लिए कई कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, शिक्षा और रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देना होगा ताकि नए आइडियाज आएं और बेहतर प्रोडक्ट बन सकें। दूसरा, मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा। लेकिन, सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग पर निर्भर नहीं रहना होगा। वैल्यू चेन के दूसरे हिस्सों पर भी ध्यान देना होगा ताकि ज्यादा मुनाफा हो। तीसरा, अपनी विदेश नीति को मजबूत करना होगा ताकि दुनिया में भारत की बात सुनी जाए।
अगर भारत इन कदमों को उठाता है तो वह एक मजबूत प्रोडक्ट नेशन बन सकता है और दुनिया में अपनी अहमियत बढ़ा सकता है। यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। लेकिन, इसके लिए कड़ी मेहनत और सही रणनीति की जरूरत है।
भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि उसे सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी प्रोडक्ट बनाने हैं। दुनिया में कई समस्याएं हैं। मसलन, जलवायु परिवर्तन, गरीबी और बीमारी। भारत इन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है अगर वह ऐसे प्रोडक्ट बनाए जो टिकाऊ, सस्ते और प्रभावी हों।
भारत के पास एक बड़ी आबादी है, जिसमें युवा लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। इन युवाओं में बहुत क्षमता है। अगर भारत इन युवाओं को सही शिक्षा और अवसर दे तो वे देश को आगे बढ़ाने में बहुत मदद कर सकते हैं। भारत को एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें इनोवेशन को बढ़ावा मिले। लोगों को नए आइडियाज लाने और उन्हें आजमाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। सरकार को स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों को मदद करनी होगी ताकि वे बढ़ सकें और नए प्रोडक्ट बना सकें।
