मथुरा के शाही ईदगाह के पुरातात्विक सर्वे को हाईकोर्ट की ‘हां’

वाराणसी की ज्ञानवापी के बाद अब मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के ASI सर्वे मंजूरी, जानिए क्या हैं फैसले के मायने?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा, शाही ईदगाह मस्जिद में हिंदू मंदिर के बहुत सारे चिन्ह और प्रतीक हैं, और वास्तविक स्थिति जानने के लिए ASI सर्वे जरूरी है. उन्होंने कहा, इससे साफ हो जाएगा कि मस्जिद के अंदर हिंदू चिन्ह हैं या नहीं.

मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के ASI सर्वे को मंजूरी

प्रयागराज,14 दिसंबर 2023,इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के ASI सर्वे को मंजूरी दे दी है. हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अदालत की निगरानी में एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग की थी. इसे हाईकोर्ट ने मान लिया है. हालांकि, ASI की तारीख और एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा, इस पर फैसला 18 दिसंबर को किया जाएगा. हिंदू पक्ष इस फैसले को अपनी बड़ी जीत मान रहा है. आईए जानते हैं कि इस फैसले के मायने क्या हैं?

– यह पहला मौका नहीं है, जब किसी धार्मिक विवाद वाली जगह के ASI सर्वे को मंजूरी दी गई हो. इससे पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ASI सर्वे कराया गया था. हाल ही में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे को भी मंजूरी दी गई थी.

हिंदू पक्ष का क्या है दावा?

हिंदू पक्ष का कहना है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था. इसके अलावा मस्जिद के नीचे एक कमल के आकार का स्तंभ और ‘शेषनाग’ की एक छवि भी मौजूद है, जो हिंदू देवताओं में से एक हैं. इतना ही नहीं हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद के स्तंभों के निचले भाग पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी है.

मस्जिद के नीचे क्या है? ASI सर्वे से साफ होगी तस्वीर

मस्जिद खाली स्थान पर बनी है, या इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया है, ASI सर्वे से ऐसे तमाम सवालों के जवाब आसानी से मिल सकते हैं. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा, शाही ईदगाह मस्जिद में हिंदू मंदिर के बहुत सारे चिन्ह और प्रतीक हैं, और वास्तविक स्थिति जानने के लिए ASI सर्वे जरूरी है. उन्होंने कहा, इससे साफ हो जाएगा कि मस्जिद के अंदर हिंदू चिन्ह हैं या नहीं. इतना ही नहीं ASI सर्वे से इस पूरे विवाद पर फैसला सुनाते वक्त भी कोर्ट को काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, अगर सर्वे होता है, वास्तविक स्थिति का पता चल जाएगा.

अयोध्या पर फैसले के दौरान ASI का लिया था सहारा

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर 2019 को फैसला सुनाया था. इस फैसले में ASI की 2003 में दी गई रिपोर्ट का भी सहारा लिया था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की कोई सटीक जानकारी नहीं है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मस्जिद को खाली जगह पर नहीं बनाया गया था.

दरअसल, ASI ने 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में विवादित जमीन की खुदाई की थी. ASI ने विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के अवशेष होने का दावा किया था.

ज्ञानवापी का भी किया गया ASI सर्वे

वाराणसी के जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूखाने वाले हिस्से को छोड़कर ASI के सर्वे का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है. जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. ASI सर्वे में सजावटी ईंटें, दरवाजे के टुकड़े, चौखट के अवशेष समेत कुल 250 से ज्यादा सामग्रियां मिली हैं. इन्हें जिला प्रशासन को सौंपा जा गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मामले में इससे उन्हें काफी मदद मिलेगी.

क्या है ASI?

– ASI भारत के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है. यह देश में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है. ASI पुरातात्विक सर्वे, यानी पुरानी चीजों का गहन अध्ययन करती है. ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव, मेंटेनेंस और अन्य जरूरी काम ASI की ही जिम्मेदारी है.

– ASI सर्वे को कई वैज्ञानिक तरीकों का सहारा लिया जाता है.इसमें कार्बन डेटिंग,स्ट्रैटिग्राफी,आर्कियोमेट्री,डेंड्रोक्रोनोलॉजी, एथनो क्रोनोलॉजी,आर्कियोलॉजिकल एक्सकैवेशन और अंडरवाटर आर्कियोलॉजी शामिल है.

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