मुस्लिम लीग के साथ सरकार में नही थे डॉ. मुखर्जी,नेहरु थे

आआपा राज्यसभा सांसद संजय सिंह…  ने पोस्ट शेयर की है कि “डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1941 में मुस्लिम लीग की अगुआई वाली संयुक्त सरकार में शामिल हो गये… मुस्लिम लीग के नेता फजलुल हक प्रधानमंत्री थे और डॉक्टर मुखर्जी इस सरकार में वित्त मंत्री थे”… ये सरासर झूठ है…

अब विस्तार से पूरा सच सुनिये… दरअसल फज़लुल हक कृषक प्रजा पार्टी के नेता थे… जो किसानों और मजदूरों की पार्टी थी… और 1937 में उन्होंने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल में सरकार बनाई थी जिसमें नलिनी रंजन सरकार वित्त मंत्री थे… ये वही नलिनी रंजन सरकार है जो बाद में 1948 में कांग्रेस की सरकार में दोबारा बंगाल के वित्त मंत्री बने… इन्ही नलिनी रंजन सरकार को आजकल के नेहरूवादी देश में आईआईटी की स्थापना का श्रेय देते हैं।

अब आते हैं डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर… 1941 में फजलुल हक और मुस्लिम लीग का गठबंधन टूट गया… जिन्ना और हक के बीच राजनैतिक दुश्मनी उफान पर थी… ऐसे राजनैतिक वातावरण में 12 दिसंबर 1941 को डॉक्टर मुखर्जी के सहयोग से कृषक प्रजा पार्टी के फजलुल हक दोबारा बंगाल के मुख्यमंत्री बने और डॉक्टर मुखर्जी उनके मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बने…

यानी एक तरह से कहा जा सकता है कि डॉक्टर मुखर्जी की सूझबूझ से जिन्ना की मुस्लिम लीग सत्ता से बाहर हो गई और वहां के हिंदुओं को इससे राहत मिली… इतना ही नहीं… अब पूरा सच और सुनिये… नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्थापित फॉरवर्ड ब्लॉक भी इस सरकार में शामिल थी… नेताजी के दो करीबी सहयोगी संतोष बोस और प्रमथ बनर्जी भी इस सरकार में मंत्री बने।

 

विगत में किसने किसके साथ सरकार बनाई थी… आजकल इतिहास के इस विषय पर बहुत चर्चा हो रही है… तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी तरफ से कुछ जानकारी दे दूं…

 

14 अगस्त 1946 को कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे में जिन्ना की मुस्लिम लीग ने हज़ारों-हज़ार हिंदुओं का नर-संहार किया। इस घटना के ठीक ढाई महीने बाद 29 अक्टूबर 1946 को नेहरू की केंद्रीय अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग को शामिल कर लिया गया। इस सरकार ने 14 अगस्त 1947 तक पूरे देश पर शासन किया… तो 1946 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग की मिलीजुली अंतरिम सरकार (Viceroy’s Executive Council) का मंत्रिमंडल कुछ इस तरह से था –

1. पंडित जवाहरलाल नेहरू (कांग्रेस) – प्रधानमंत्री (उपाध्यक्ष, वायसराय एग्जीक्यूटिव काउंसिल)

2. सरदार पटेल (कांग्रेस) – गृहमंत्री

3. लियाकत अली खान (मुस्लिम लीग) – वित्त मंत्री (नोट– लियाकत बाद में पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री बने)

4. इब्राहिम इस्माइल चुंद्रीगर (मुस्लिम लीग) – वाणिज्य मंत्री (नोट– चुंद्रीगर बाद में पाकिस्तान के छठवें प्रधानमंत्री बने)

5. अब्दुर राव निश्तर (मुस्लिम लीग) – रेल मंत्री (नोट– निश्तर बाद में पाकिस्तान की जिन्ना सरकार में कैबिनेट मंत्री बने)

6. गज़नफर अली खान (मुस्लिम लीग) – स्वास्थ्य मंत्री (नोट– गज़नफर अली बाद में पाकिस्तान की जिन्ना सरकार में कृषि मंत्री बने)

7. जोगेंद्र नाथ मंडल (मुस्लिम लीग) – कानून मंत्री (नोट – मंडल बाद में पाकिस्तान के भी कानून एवं श्रम मंत्री बने)

8. सरदार बलदेव सिंह (कांग्रेस) – रक्षा मंत्री

9. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (कांग्रेस) – कृषि मंत्री

10. बाबू जगजीवन राम (कांग्रेस) – श्रम मंत्री

11. सी. राजागोपालाचारी (कांग्रेस) – शिक्षा मंत्री

12. सी.एच. भाभा (कांग्रेस) – पीडब्लूडी मंत्री

13. जॉन मथाई (कांग्रेस) – उद्योग मंत्री

(नीचे तस्वीर में देख सकते हैं कांग्रेस-मुस्लिम लीग गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल की तस्वीर। नेहरू और पटेल के बीच में खड़े हुए हैं वित्त मंत्री लियाकत अली खान)

 

 

370 हटने के जश्न के बीच हमें नहीं भूलना चाहिए इस मां की 70 साल पुरानी करुण पुकार… जोगमाया देवी ने अपने बेटे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में हुई रहस्यमयी मौत के बाद नेहरू को जो पत्र लिखा था उसे आज विशेष तौर पर पढ़ा जाना चाहिए… क्योंकि इस पत्र में एक मां का करुण क्रंदन है… एक प्रतिज्ञा है… और एक “श्राप” भी है…

पंडित नेहरू जी,
मैंने अपने बेटे की रहस्यमयी मृत्यु पर एक निष्पक्ष जांच की मांग की थी ना कि आपका कोई निष्कर्ष मांगा था। आखिर आपको एक खुली और निष्पक्ष जांच से दिक्कत क्या है? मेरे पास पक्के सबूत हैं जिनसे काफी कुछ साबित हो सकता है। लेकिन आपने उन्हें जानने या समझने की कोई कोशिश नहीं की। आप सबूतों का सामना करने से डरते हैं। मैं जम्मू कश्मीर की सरकार को अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार मानती हूं और ये आरोप भी लगाती हूं कि आपकी सरकार भी इसमें शामिल थी।

मैं चाहती हूं कि भारत के लोगों को पता चले कि इस दुखद घटना के असली कारण क्या हैं, जिसे एक “स्वतंत्र देश” में अंजाम दिया गया और जिसमें आपकी सरकार ने भी एक भूमिका अदा की। लेकिन एक दिन सच सामने आएगा, एक दिन आपको भारत के लोगों को और स्वर्ग में भगवान को भी जवाब देना होगा।

जोगमाया देवी
(डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मां)
दिनांक – 9 जुलाई 1953

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