मोदी ने 10 साल जो जहर चुपचाप पिया, उसके पीछे था कांग्रेस-लिबरल-सैकुलर गैंग
सुप्रीम कोर्ट के गुजरात दंगों पर नये फैसले के बाद गृहमंत्री अमित शाह का एक कथन चर्चा में है कि नरेंद्र मोदी ने एनजीओ- एजेंडाधारी पत्रकारों और कांग्रेस के इको सिस्टम का पैदा किया जहर शिव की तरह चुपचाप पिया। जो निष्पक्ष हैं,वे इस तथ्य को पहले से जानते हैं।
वह तो नरेंद्र मोदी जी के ऊपर बाबा महाकाल की कृपा थी जो वह कांग्रेस की हर साजिश से बच गए वरना १० साल सत्ता में रही केंद्र की कांग्रेस सरकार ने मोदी जी को गुजरात में ही घेरने के लिए जिस तरह से संविधान का बलात्कार किया था, न्यायपालिका का बलात्कार किया था, उसका उदाहरण पूरे विश्व में आपको नजर नहीं आएगा.
किसी भी राज्य की हाई कोर्ट में जज बनने के लिए दो योग्यताएं होनी जरूरी है, पहली योग्यता कि या तो वह किसी हाईकोर्ट में 10 साल तक वकालत की प्रैक्टिस किया हो या फिर वह किसी राज्य का महाधिवक्ता या सहायक महाधिवक्ता हो.
केंद्र की कांग्रेस सरकार ने हाई कोर्ट के जज के लिए जो दूसरी योग्यता होती है यानी कि वह शख्स जो किसी राज्य का महाधिवक्ता हो उस योग्यता का इस्तेमाल, मोदी को गुजरात में घेरने के लिए किया.
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में एक नेता हुआ करते थे जिनका नाम था आफताब आलम…
कांग्रेस के इशारे पर लालू प्रसाद यादव ने सारे नियम कानून ताक पर रखकर आफताब आलम को बिहार सरकार का महाधिवक्ता बना दिया और कुछ समय के बाद आफताब आलम को केंद्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर कॉलेजियन ने जस्टिस आफताब आलम बनाकर गुजरात हाई कोर्ट का जज बना दिया.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी सगी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल प्रदेश का महाधिवक्ता बना दिया, जबकि नियम और नैतिकता यह है कि कोई भी मुख्यमंत्री अपने बेटे या बेटी को अपने ही राज्य का महाधिवक्ता नहीं बना सकता, और फिर कुछ समय के बाद उस अभिलाषा कुमारी को जस्टिस अभिलाषा कुमारी बनाकर गुजरात हाई कोर्ट में जज बना दिया गया.
उत्तर प्रदेश का एक बेहद बदनाम जज था जिसका नाम जस्टिस माथुर था ( राजस्थान के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का छोटा भाई), उस जस्टिस माथुर की कहानियां आज भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के लोग बताते हैं, उसे भी गुजरात हाई कोर्ट का जज बना कर भेज दिया गया.
उसके बाद केंद्र की कांग्रेस सरकार ने तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और शबनम हाशमी जैसे लोगों को खड़ा किया.
केंद्र की मनमोहन सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग को ८० करोड़ से ज्यादा अनुदान दिया, शबनम हाशमी के एनजीओ को भी ६० करोड़ से ज्यादा अनुदान दिए गए और इस पैसे का उपयोग कानूनी लड़ाई लड़ने और मोदी के खिलाफ माहौल खड़ा करने में किया गया.
उस दौरान दिल्ली के सारे के सारे खबरिया चैनल रात दिन बस २००२ के कथित गुजरात दंगों मे मोदी जी को दोषी ठहराने मे लगे रहते थे…
इतना ही नहीं, तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और उसका पति जावेद भारत सरकार के पैसे पर दुबई में शराब पीता था और उसका भी बिल भारत सरकार देती थी जो आरटीआई से साबित भी हो गया.
उसके बाद आप आश्चर्य यह देखिए कि जैसे ही तीस्ता सीतलवाड़ और शबनम हाशमी, मोदी के खिलाफ कोई भी याचिका करती थी वह याचिका या तो जस्टिस आफताब आलम के बेंच में जाती थी या जस्टिस अभिलाषा कुमारी के बेंच में जाती थी या जस्टिस माथुर के बेंच में जाती थी.
जबकि गुजरात हाई कोर्ट में तमाम दूसरे जस्टिस के बेंच भी थे पर वहां वो याचिकाएं नहीं जाती थी, उसके बाद जब गुजरात सरकार, गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने लगी तब मनमोहन सरकार के इशारे पर जस्टिस आफताब आलम को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया, फिर वहां भी यही होता था कि शबनम हाशमी और तीस्ता जावेद की हर याचिका सिर्फ जस्टिस आफताब आलम के ही बेंच में जाती थी.
उसके बाद गुजरात हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस एमबी सोनी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर यह कहा कोई भी याचिका सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जाती है, उसके बाद वह एक कंप्यूटराइज्ड तरीके से किसी भी जज की बेंच को जाती है, लेकिन यह कैसे संभव हो रहा है कि गुजरात सरकार और मोदी के खिलाफ जितनी भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में की जा रही है वह सारी की सारी याचिका जस्टिस आफताब आलम के ही बेंच में क्यों जा रही है…?
इतना ही नहीं, जस्टिस एमबी सोनी ने इन कांग्रेसी जजों के तमाम फैसलों की विस्तृत विवेचना करके भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के जज को भेजा और उनसे ही सवाल किया “क्या आपको लगता है कि इन्होंने सही फैसला दिया है…?”
जस्टिस आफताब आलम की सगी बेटी अरुषा आलम तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ में काम करती थी और तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका उनके बेंच में जाती थी.
जबकि नियमानुसार जस्टिस आफताब आलम को तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका नॉट बिफोर मी कर देना चाहिए था क्योंकि इसमें उनका सीधे-सीधे हितों का टकराव था.
लेकिन उल्टे जस्टिस आफताब आलम ने सुप्रीम कोर्ट में रजिस्ट्री में ऐसी व्यवस्था बना दी थी कि तीस्ता सीतलवाड़ की हर याचिका गैरकानूनी तरीके से उनके ही बेंच में जाती थी.
“कपिल सिब्बल से जब इस बारे में पत्रकार ने पूछा था तो कपिल सिब्बल जो उस वक्त केंद्र में कानून मंत्री था, माइक पर झटका देकर चला गया था”
इनके अलावा, मीडिया में बैठे, कांग्रेस के इशारों पर नाचने वाले, और सोनिया-मनमोहन राज में पद्म अवार्ड पाने वाले, राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त, रविश कुमार, शेखर गुप्ता जैसे लोगों ने मोदी को फंसाने के लिए पूरा माहौल बनाया
सुप्रीम कोर्ट ने भी कल इस बात को ज़ोर देकर कहा कि नेता, एनजीओ, मीडिया ने 20 साल तक मोदी को बर्बाद, बदनाम और खत्म करने की कोशिश की, अब ये सब बन्द होना चाहिए
अब अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता जावेद सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और पूर्व DGP आर बी श्रीकुमार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश के तहत गलत प्रोसिडिंग शुरू करवाने का मामला दर्ज किया है.
संजीव भट्ट तो पहले से ही आजीवन कारावास की सजा पा रहा है, आरबी श्रीकुमार और तीस्ता जावेद सीतलवाड़ भी संजीव भट्ट के पड़ोसी बनने जा रहे हैं.
बहुत जल्द ही, इस देश को अपने बाप का माल समझने वाले कांग्रेसियों को भी हिसाब देना शुरू करना होगा।
*मधुसूदन कुमार सिंह