यासीन मलिक का शपथपत्र: आतंकी गैंगस्टरों को शांतिदूत बनाने का कुपरिणाम कब तक भुगतेगा हिंदुस्तान?
How Long Will India Suffer The Consequences Of Making Terrorists Like Hafiz Saeed And Yasin Malik Peace Ambassador
यासीन मलिक का शपथपत्र: आतंकी गैंगस्टरों को शांतिदूत बनाने का कुपरिणाम कब तक भुगतेगा हिंदुस्तान
भारतीय लोकतंत्र का एक कलंकित कारनामा उजागर हो गया है। आतंकी गैंगस्टर यासीन मलिक ने दावा किया है कि वह सरकार के कहे पाकिस्तान में लश्कर चीफ हाफिज सईद से मिलकर लौटा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री ने न सिर्फ उसे सराहा, बल्कि उसे कश्मीर के ‘अहिंसक’ आंदोलन का जनक भी बताया।
नई दिल्ली 20 सितंबर 2025 : भारत को 1990 के दशक से ठीक पहले से लेकर इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम हमले तक आतंकवाद के दिए घाव भले ही कम हो जाएं, निशान कभी नहीं मिट पाएंगे। फिर,जब कोई ये कह दे कि इस दौरान कोई ऐसी भी सरकार आई, जिसने इन सब के लिए जिम्मेदार आतंकवादी गैंगस्टरों को न सिर्फ ‘अहिंसा का महात्मा’ माना, बल्कि दुश्मन पाकिस्तान से बातचीत को ‘शांतिदूत’ भी बना डाला तो फिर इस लोकतांत्रिक व्यवस्था पर ग्रहण लग सकता है। दरअसल, हम अपनी ओर से यह सब नहीं कह रहे हैं। यह दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक आतंकवादी गैंगस्टर के शपथ-पत्र का हिस्सा है, जो न सिर्फ अनगिनत आतंकी हमलों का आरोपित है, बल्कि आतंकवाद को बढ़ावा देने को उम्रकैद की सजा भी काट रहा है।
लोकतंत्र का सबसे कलंकित कारनामा
हम देश की राजनीति के अब तक के सबसे काले समय में से एक जिस समय की बात कर रहे हैं, वह है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार का कार्यकाल। पूर्व प्रधानमंत्री और आतंकवादी यासीन मलिक के हाथ मिलाने वाली तस्वीर वर्षों से सोशल मीडिया कलंकित करती रही है। लेकिन, 25 अगस्त, 2025 को उसने दिल्ली हाई कोर्ट में जो शपथ-पत्र दिया है, वह देश की राजनीति का अब तक का सबसे कलंकित कारनामा बन गया है। इसमें दोषसिद्ध आतंकी यासीन मलिक ने दावा किया है कि वह न सिर्फ तत्कालीन यूपीए सरकार के कहने पर पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) सरगना हाफिज सईद से मिला,बल्कि वापस आकर प्रधानमंत्री आवास में जाकर इसके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री को बताया भी और पूर्व प्रधानमंत्री ने इसके लिए उसकी शान में कसीदे पढ़ना शुरू कर दिया।
दोषसिद्ध आतंकी है यासीन मलिक
यासीन मलिक टेरर फंडिंग केस में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उस पर जनवरी 1990 में श्रीनगर में भारतीय वायुसेना के चार अफसरों की हत्या का भी आरोप है। 1989 के अंत और 1990 की शुरुआत में जम्मू और कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को जबरन भगाने के षडयंत्र का भी उसे बहुत बड़ा दोषी माना जाता है। यही नहीं,पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण में भी उसके शामिल होने का आरोप है,जिसके बदले रिहा किए गए खूंखार आतंकी भारत विरोधी कई आतंकवादी संगठन बना चुके हैं।
आतंकवाद के गैंगस्टर को बनाया शांतिदूत
शपथपत्र में यासीन मलिक ने दावा किया है कि मनमोहन सरकार ने उसे इसी बहाने 2006 में पाकिस्तान भेजा था, ताकि वह आतंकवादी गैंगस्टरों की मदद से पाकिस्तान से शांति प्रक्रिया की पहल करवा सके। इन आतंकवादियों में सबसे प्रमुख हाफिज सईद था, जिससे मनमोहन सरकार को उम्मीद थी कि वह पाकिस्तान सरकार को बातचीत की प्रक्रिया में ला सकता है। शपथपत्र में मलिक ने कहा है कि’जब मैं पाकिस्तान से नई दिल्ली लौटा,स्पेशल डायरेक्टर आईबी वीके जोशी ने मुझसे होटल में अनुरोध किया कि मैं तुरंत प्रधानमंत्री को इसके बारे में बता दूं।’ उसने आगे कहा,कि ‘मैं उसी शाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला,जहां नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एनके नारायण भी थे। मैंने उन्हें मुलाकात की जानकारी दी और संभावनाओं के बारे में बताया। वहीं मुझे उन्होंने (मनमोहन ने) मेरी कोशिशों,वक्त,धैर्य और समर्पण को मेरा आभार जताया।’
प्रधानमंत्री की नजर में आतंकी अहिंसा का जनक!
यही नहीं, आतंकी मलिक ने यहां तक कहा है कि ‘जब मैं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला, उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहचट कहा- मैं आपको कश्मीर के अहिंसक आंदोलन का जनक मानता हूं।’ यासीन मलिक को तो उसकी गुनाहों की सजा भारत में मिल रही है और बाकी मामलों में भी न्यायपालिका जरूर अनगिनत निर्दोषों को न्याय जरूर देगी। लेकिन,हाफिज सईद जैसे आतंकियों का क्या होगा,जिसे एक सरकार ने शांतिदूत बनाना चाहा तो उसने 26/11 के मुंबई हमले और 22 अप्रैल के पहलगाम हमले जैसा कभी न खत्म होने वाला दर्द दे दिया। न जाने आज भी वह भारत के खिलाफ कौन सा षडयंत्र रच रहा होगा?
JKLF आतंकवादी यासीन मलिक ने पूर्व PM मनमोहन सिंह को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दिया चौंकाने वाला हलफनामा
JKLF आतंकवादी यासीन मलिक ने पूर्व PM मनमोहन सिंह को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दिया चौंकाने वाला हलफनामायासीन मलिक पर जनवरी 1990 में कश्मीर के श्रीनगर में चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों की हत्या का आरोप है. उन पर पूर्व गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण का भी आरोप है.
JKLF आतंकवादी यासीन मलिक ने पूर्व PM मनमोहन सिंह को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दिया चौंकाने वाला हलफनामा
यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर हलफनामा दाखिल किया है.
मलिक के अनुसार 2006 में हाफिज सईद से उसकी मुलाकात गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत आयोजित की गई थी.
खुफिया ब्यूरो के तत्कालीन विशेष निदेशक ने मलिक से आतंकवादी नेताओं से बातचीत करने को कहा था.
एक सनसनीखेज खुलासे में, जेल में बंद जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादी यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में 25 अगस्त 2025 को दिए गए 85 पन्नों के हलफनामे में दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2006 में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में हुई विवादास्पद मुलाकात के बाद व्यक्तिगत रूप से उन्हें धन्यवाद दिया था और आभार व्यक्त किया था. पढ़िए आदित्य राज कौल की रिपोर्ट…
मलिक फिलहाल टेरर फंडिंग के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. मलिक ने आरोप लगाया कि 2006 में हुई बैठक उनकी खुद की पहल नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के साथ गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुरोध पर आयोजित की गई थी.
खुफिया ब्यूरो की कथित भूमिका
यासीन मलिक के शपथ पत्र के अनुसार, 2005 में कश्मीर में आए विनाशकारी भूकंप के बाद उनकी पाकिस्तान यात्रा से पहले, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के तत्कालीन विशेष निदेशक वीके जोशी ने नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी. जोशी ने कथित तौर पर मलिक से अनुरोध किया था कि वे इस अवसर का उपयोग न केवल पाकिस्तानी राजनीतिक नेतृत्व के साथ, बल्कि हाफ़िज सईद सहित आतंकवादी प्रमुखों के साथ बातचीत करके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शांति प्रयासों का समर्थन करें.
मलिक ने दावा किया कि उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि आतंकवादी नेताओं को भी बातचीत में शामिल न किया जाए. उन्होंने कहा कि इस अनुरोध पर अमल करते हुए, वह पाकिस्तान में एक समारोह के दौरान सईद और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के अन्य नेताओं से मिलने के लिए सहमत हुए.
हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात
अपने हलफनामे में, मलिक ने बताया कि कैसे सईद ने उसके कहने पर जिहादी समूहों का एक सम्मेलन आयोजित किया, जहां मलिक ने एक भाषण में आतंकवादियों से शांति अपनाने का आग्रह किया. इस्लामी शिक्षाओं का हवाला देते हुए, उन्होंने हिंसा के बजाय सुलह पर ज़ोर दिया और इस बात पर ज़ोर दिया कि “अगर कोई तुम्हें शांति की पेशकश करता है, तो उससे शांति खरीद लो.”
हालांकि, यह मुलाकात वर्षों बाद विवाद का विषय बन गई, जब इसे मलिक की पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों से निकटता के सबूत के रूप में देखा गया. मलिक ने अपने हलफनामे में इसे “एकदम विश्वासघात” बताया और ज़ोर देकर कहा कि यह एक आधिकारिक तौर पर स्वीकृत पहल थी, जिसे बाद में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.
प्रधानमंत्री की कथित प्रतिक्रिया
मलिक के बयान का सबसे विस्फोटक हिस्सा भारत लौटने के बाद की घटनाओं का उनका विवरण है. उन्होंने दावा किया कि आईबी के साथ डीब्रीफिंग के बाद, उन्हें सीधे प्रधानमंत्री को जानकारी देने के लिए कहा गया था.
मलिक ने बताया कि उसी शाम उन्होंने नई दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन की मौजूदगी में डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की. उनका दावा है कि इस मुलाकात के दौरान, मनमोहन सिंह ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें पाकिस्तान के सबसे कट्टरपंथी तत्वों से निपटने में उनके द्वारा दिखाए गए प्रयास, धैर्य और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया.
मलिक ने हलफनामे में लिखा है, “जब मैं पाकिस्तान से नई दिल्ली लौटा, तो विशेष निदेशक आईबी वी के जोशी ने डीब्रीफिंग अभ्यास के तहत मुझसे होटल में मुलाकात की और मुझसे प्रधानमंत्री को तुरंत जानकारी देने का अनुरोध किया.”
मलिक ने कहा, “मैंने उसी शाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायण भी मौजूद थे. मैंने उन्हें अपनी बैठकों के बारे में जानकारी दी और संभावनाओं से अवगत कराया. उन्होंने मेरे प्रयासों, समय, धैर्य और समर्पण के लिए आभार व्यक्त किया.”
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हाथ मिलाते हुए अपनी तस्वीर पर जेल में बंद आतंकवादी ने हलफनामे में दावा किया है, “जब मैं प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह से मिला था, तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा था, मैं आपको कश्मीर में अहिंसक आंदोलन का जनक मानता हूं.”
मलिक ने इस विस्तृत हलफनामे में अटल बिहारी वाजपेयी, सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम, आई.के. गुजराल और राजेश पायलट सहित कई शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ अपनी मुलाकातों के बारे में विस्तार से लिखा है.
इन पूर्व प्रधानमंत्रियों पर क्या कहा
यासीन मलिक ने बताया, “1990 में मेरी गिरफ्तारी के बाद, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, पी.वी. नरसिम्हा राव, एच.डी. देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लगातार छह सरकारों ने मुझे सक्रिय रूप से सहयोग दिया. इन सरकारों के दौरान न केवल मुझे कश्मीर मुद्दे पर बोलने के लिए घरेलू मंच प्रदान किया गया, बल्कि सत्ता में रही उक्त सरकारों ने मुझे बार-बार सक्रिय रूप से शामिल किया और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बोलने के लिए प्रेरित किया.”
यदि मलिक के दावे सही हैं, तो वे पाकिस्तान के साथ भारत की शांति वार्ता के गुप्त तरीकों और सरकारी संस्थाओं द्वारा उनके जैसे संदिग्ध अलगाववादी नेताओं और आतंकवादियों पर भरोसा करने के फैसलों पर गंभीर सवाल उठाते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका यह दावा कि भारत के एक तात्कालीन प्रधानमंत्री ने दुनिया के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक के साथ उनकी बैठक के बाद आभार व्यक्त किया, एक राजनीतिक तूफान पैदा कर सकता है.
यासीन मलिक पर जनवरी 1990 में कश्मीर के श्रीनगर में चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों की हत्या का आरोप है. उन पर पूर्व गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण का भी आरोप है. निर्वासित कश्मीरी पंडित समुदाय वर्षों से यासीन मलिक को 1990 के बाद से अपने समुदाय के क्रूर जातीय सफाए और मातृभूमि कश्मीर से उनके समुदाय के पलायन के लिए ज़िम्मेदार ठहराता रहा है. फिलहाल, यह हलफनामा शांति कूटनीति, खुफिया रणनीति और आतंकवाद की काली छाया का एक चौंकाने वाला संगम है – जिसमें यासीन मलिक ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर हाफिज सईद के साथ उनकी विवादास्पद मुठभेड़ के संदर्भ में रखा है.