राज्यसभा में भी जुमे की नमाज की छुट्टी समाप्त
जुम्मे की नमाज के लिए राज्य सभा से खत्म हुआ 30 मिनट का समय, चल रहा था 60-70 साल से: पूरे संसद में एक जैसा नियम
राज्यसभा के सभापति जयदीप धनखड़ (फोटो साभार : Youtube_SansadTV)
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के सांसदों ने 8 दिसंबर 2023 को राज्यसभा में मुस्लिम सांसदों के लिए जुम्मे की नमाज के ब्रेक का मुद्दा उठाया। इस पर उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बताया कि 60-70 साल से चले आ रहे नियम में बदलाव हो चुका है। लोकसभा की तरह अब राज्यसभा में ये ब्रेक नहीं दिया जाएगा।
ये पूरा मामला 8 दिसंबर 2023 का है। जब राज्यसभा में जीरो ऑवर चल रहा था और सांसद अपने सवालों के जवाब पूछ रहे थे। तभी डीएमके के सांसद तिरुची शिवा ने हस्तक्षेप किया। उप राष्ट्रपति जयदीप धनखड़, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं, वो सदन में पीठाधीन थे। तिरुची शिवा को सभापति ने बोलने का अवसर दिया, तो उन्होंने शुक्रवार के दिन राज्यसभा के कामकाज की समयसीमा को लेकर सवाल पूछा।
डीएमके सांसद तिरुची शिवा ने कहा, “सामान्य तौर पर शुक्रवार के दिन सभा का कामकाज लंच ब्रेक के बाद 2.30 बजे शुरू होता है, लेकिन आज के संशोधित कार्यक्रम के अनुसार ये 2 बजे से ही है। इस बारे में निर्णय कब लिया गया? इस बारे में सदन के सदस्य नहीं जानते, ये बदलाव क्यों हुआ?”
इस सवाल के जवाब में सभापति ने कहा, “सम्माननीय सदस्यगण, ये बदलाव आज से नहीं है। ये बदलाव पहले ही मैं कर चुका हूं, इसका कारण भी बताया जा चुका। लोकसभा में कार्यवाही 2 बजे से होती है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही संसद का हिस्सा हैं। दोनों के ही काम के समय में समानता हो,इसलिए मैंने पहले ही इस बारे में नियम बना दिए थे। ये कोई पहली बार नहीं है।”
इसके बाद सभापति ने आप सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी को अपना मुद्दा सदन के पटल पर रखने को कहा, जैसे ही वो बोलने के लिए खड़े हुए, तभी डीएमके के मुस्लिम राज्यसभा सांसद एम. मोहम्मद अब्दुल्ला ने हंगामा मचाने की कोशिश की। हालाँकि उप राष्ट्रपति ने सभी सदस्यों को शांत कर दिया और मोहम्मद अब्दुल्ला को बोलने के लिए कहा।
मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये पिछले 60-70 सालों का रिवाज (शुक्रवार को 2.30 बजे से सदन की कार्यवाही) है’। इसके बाद हंगामे की स्थिति बनती है, लेकिन उपराष्ट्रपति सबको शांत करा देते हैं और फिर अब्दुल्ला को बोलने के लिए कहते हैं,जिसके बाद अब्दुल्ला कहते हैं, “सर, 2.30 बजे का समय पहले से निर्धारित है, मुस्लिम सदस्यों के लिए उनके जुम्मा (शुक्रवार) के लिए। यही परंपरा है।” इसके बाद सभापति ने उन्हें रोका और कहा कि वो समझ गए हैं।
सभापति ने कहा, “मैं आपका मतलब समझ गया। आप सभी लोग शांत रहें। माननीय सदस्यगण,लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदन के सदस्य समाज के सभी वर्गों से आते हैं। लोकसभा 2.00 बजे दोपहर में बैठती है,जिसमें सभी वर्गों के सदस्य हैं। मैंने उसी तरह पिछले साल ही इस बारे में नियम बना दिए थे,जिसमें लंच ब्रेक के बाद सदन की कार्यवाही 2 बजे से शुरू करनी थी। ठीक लोकसभा की तरह।” इसके बाद उन्होंने विक्रमजीत सिंह साहनी को बोलने को समय दे दिया और डीएमके-इंडी अलायंस के प्रोपेगेंडा की हवा निकालते हुए सदन की कार्यवाही सुचारू रुप से जारी रखी।
देखें सदन की कार्यवाही का वीडियो, जिसमें शुरुआती 20 सेकंड के बाद ही ये मुद्दा उठा है।
उपराष्ट्रपति ने कम ही शब्दों में सभी को समझा दिया कि ये संसद का सदन है। दोनों सदनों की कार्यवाही का समय एक बराबर है। किसी को लोकसभा में समस्या नहीं है,तो यहाँ अब कैसे होनी चाहिए? नया नियम भी आज नहीं, बल्कि पिछले साल बन चुका है। अभी तक किसी को कोई समस्या नहीं हुई।
खास बात ये है कि राज्यसभा में ये मुद्दा उठा कौन रहा है? डीएमके के ही दोनों सांसद, जिनकी पार्टी खुलेआम सनातन का विरोध करती है और वो इंडी अलायंस का प्रमुख सहयोगी दल भी है। ऐसे में उपराष्ट्रपति ने एक ऐसे मामले की हवा तुरंत ही निकाल दी, जिसे इंडी अलायंस बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही थी।
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