राहुल गांधी जी का इतिहास बोध..
कैप्टिव ऑडियोलॉग : यह उन दिनों की बात हैं
राहुल गांधी जी का इतिहास बोध बेहद कमजोर हैं। लंदन के प्रतिष्ठत लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में जो उन्होंने ब्लैबरिंग की हैं उसने फिर एक बार सिद्ध कर दिया हैं।
1) दिल्ली में सिख नरसंहार में कांग्रेस का हाथ नकारना क्या इतिहास बोध हैं, फिर पार्टी ने सिख संगत से माफी क्यों मांगी ? टाइटलर-सज्जन-भगत को क्यों शंट कर दिया ?
2) 1966 के हिन्दू संगठनों के प्रदर्शन के बाद जिसका नेतृत्व करपात्री जी महाराज एवं चारो शंकराचार्य कर रहे थे उसके बाद उमड़े प्रो- हिंदुत्व माहौल को काउंटर करने के लिए इंदिरा जी ने नुरुल हसन के साथ मिलकर राज्य के खर्चे पर नरेटिव बिल्डिंग के लिए इंडियन काउंसिल फॉर हिस्टोरिकल रिसर्च और इंडियन काउंसिल फार सोसियल साइंस रिसर्च किसने खोले और किनकी भर्तियां मुख्य रूप से हुई। उनके पिता राजीव जी ने आईजीएनसीए से सांस्कृतिक दुनियां में हस्तक्षेप शुरू करवाया।
3) नेहरू मेमोरियल लायब्रेरी एवं संग्रहालय में कैसे लाखों रुपये की स्कालरशिप एंटी हिंदुत्व आर्टिकल लिखने के लिए ढ़ी गयी थी यह विस्तार से मैने 2014 में अपनी पोस्ट में लिखा था।ऐसे हजारों संस्थान हैं जिसको उनके परिवार ने चापलूसों और उनकी फर्जी आइडियोलॉजी को बढाने के लिए आगे किया हैं फिर किस आधार पर राहुल जी ने संस्थाओं को डायल्यूट करने का इल्जाम लगाया हैं ?
4) सत्ता के केंद्रीकरण उन्हें चुभता हैं तो बताये 2007 में 200 से ज्यादा कांग्रेसी सांसद कद्दावर परिवारों से ही क्यों थे ? इसके बाद वे किस डीसेंट्रेलिजेशन की बात करते हैं ?
संस्थाओं को डायल्यूट करने की पूरी कहानी बयान करता टेलीग्राफ के उन दिनों के आर्टिकल को नीचे चिपका रहा हूँ जब वो सच छापने का माद्दा रखते थे, आर्टिकल मेरा नही रामचन्द्र गुहा का हैं। गुहा ने नाम भी शानदार दिया हैं ‘गुलाम वैचारिक’
