शार्ट टर्म मैमोरी लैप्स बीमारी दे रही हैं रील्स
रील्स अच्छे हैं या नहीं, क्यों छिड़ी बहस
फेसबुक और इंस्टाग्राम मिलाकर हर दिन करीब 200 अरब रील्स। केवल इंस्टाग्राम पर ही प्रतिदिन लगभग 1.8 करोड़ घंटे। 50% से ज्यादा की एनुअल ग्रोथ। मोबाइल पर बिताने वाले वक्त में से आधा केवल इसी के नाम। ये डेटा लगातार बदल रहा है, बढ़ रहा है। रील्स की रफ्तार अब किसी भी आंकड़े में कैद होने वाली नहीं रही। जब तक कोई डेटा तैयार होकर आप तक पहुंचता है, तब तक रील्स आगे बढ़ चुकी होती हैं। और उसे यह ताकत मिल रही है हमारी-आपकी वजह से ही। इधर, मोबाइल स्क्रीन पर अंगुलियां फिसलती हैं, उधर रील्स की हैसियत बढ़ती है। स्थिति अब वहां तक पहुंच चुकी है, जहां हम रील्स के गुलाम लगने लगे हैं।
समाज से दूरी
रील्स ने हमारा जीवन ऐसा कब्जाया है कि अब हमारा अपना कोई प्राइवेट टाइम ही नहीं रहा। दिन में जो भी वक्त बचता है, वह रील्स के नाम हो जाता है। घर, ऑफिस, सफर – जहां कहीं भी दो-चार मिनट का समय मिला लोग उसे रील्स में खपा देते हैं। बस-ट्रेन में बहुत कम चेहरे मिलते हैं, जो खिड़की से बाहर देख रहे हों, जो सहयात्री को देख मुस्कुराएं, क्योंकि सभी तो रील्स की दुनिया में खोए हैं। ऐसा चक्रव्यूह है इसका कि परिवार तक में साथ होते हुए लोग साथ नहीं होते। वे होते हैं रील्स के साथ। सामाजिकता खत्म कर दी है इसने। लेकिन, संकट बस इतना नहीं है।
दिमाग पर असर
रील्स ने हमारे दिमाग के साथ खेलना शुरू कर दिया है। कुछ रिसर्च का कहना है कि रील्स की आदत दिमागी सेहत पर असर छोड़ती जाती है। हर स्वाइप के साथ मस्तिष्क हैपी हार्मोन डोपामाइन रिलीज करता है। यह हार्मोन दूसरी एक्टिविटी से भी रिलीज होता है, लेकिन रील्स के मामले में अंतर यह है कि इसकी कोई लिमिट नहीं। यहां खुश रहने की चाहत अनलिमिटेड है। रील्स से कभी मन ही नहीं भरता। आंखों को और देखना है। स्क्रीन पर खुशी पाने के लिए भागदौड़ बढ़ती जाती है। ऐसी स्थिति आ सकती है, जहां फिर खुशी के लिए रील्स जरूरी हो जाएं। इससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
कम होता concentration
एक रील होती है अधिकतम 90 सेकंड की। तमाम तो इससे भी कम। लेकिन, अब इतना भी नहीं देखा जाता। चंद सेकंड बाद ही मन करता है स्वाइप करने का। रील्स ने बेसब्र बना दिया है हमें। एक जगह देर तक दिमाग टिकता ही नहीं। Concentration कम होता जा रहा है।
यादों पर हमला
कभी गौर किया आपने कि एक बार में जो दर्जनों रील्स आप देख मारते हैं, उसमें से कितनों का कंटेंट याद रहता है? कितनों का छोड़ दीजिए, 8-10 रील के बाद से ही पिछले सारे देखे हुए की याद धूमिल पड़ने लगती है, जैसे किसी ने ब्लैकबोर्ड पर डस्टर चला दिया हो। ‘गजनी’ फिल्म के नायक की तरह रील्स हमें शॉर्ट टर्म मेमरी लैप्स का शिकार बना रही है।
कंटेंट का जाल
रील्स और शॉर्ट विडियो को आपको उलझाने के लिए डिजाइन किया गया है। कॉमिडी, डांस, स्पोर्ट्स, ब्यूटी टिप्स, इतिहास का कोई किस्सा, राजनीति की बात – एक के बाद एक नए टॉपिक पर स्लाइड आती जाती है। ऐसा लगता है जैसे एक अंतहीन सिलसिला हो और जिसे हमने शुरू किया है। हर रील इस तरह से बनी, जो आगे और देखने के लिए मजबूर कर दे, उकसाए और बाहर न निकलने दे। कुल मिलाकर swiping का यह खेल जाल है एक, जिसमें हम जानते-बूझते फंसते जा रहे हैं।
वजह तलाशिए
कहते हैं कि हर चीज के होने की एक वजह होती है। लेकिन, रील्स की क्या है? अगर कहेंगे कि मनोरंजन तो जवाब सही नहीं होगा, क्योंकि जो लत बन जाए, उसे मनोरंजन नहीं कह सकते। हकीकत में रील्स के होने की कोई वजह नहीं है सिवाय सोशल मीडिया कंपनियों के मुनाफे के। यह आप खुद पर भी आजमा सकते हैं। रील्स पर एक घंटा बिताइए और फिर सोचिए कि आपने इस दौरान क्या पाया, क्या सीखा, उसमें से क्या याद रहा? आप पाएंगे कि यह एक घंटा सोशल मीडिया पर बस भटकना रहा और कुछ नहीं। इसका जमा हासिल शून्य। हां, आपके खाते से कीमती एक घंटा जरूर कम हो गया।
वास्तविकता से दूर
रील्स एक पूरी पीढ़ी को सचाई से दूर कर रही है। इसने अपनी एक अलग दुनिया बना दी है, जहां लोग लाइक्स और शेयर को ही असलियत मानने लगे हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है वायरल होना और इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्हें ट्रैफिक जाम कर नाचने, लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या खुद का भी जीवन खतरे में डालने से संकोच नहीं। और देखा जाए तो यह अभी शुरुआत है। रील्स को पैदा हुए चार बरस भी नहीं हुए और इसने हजारों साल की इंसानी सभ्यता बदलनी शुरू कर दी है। इससे पहले कि यह बदलाव उस पॉइंट तक पहुंच जाए, जहां से वापसी संभव न हो, नींद से जागना होगा।
सोशल मीडिया पर आज करोड़ों लोग रील्स बना रहे हैं
किसी की रील को कभी कुछ लाइक्स मिलते हैं तो किसी का बनाया कंटेंट रातोरात वायरल हो जाता है। ऐसे में अगर आप प्रोफेशनली इस फील्ड में आगे बढ़ते और सोचते हैं कि कैसे अपनी रील ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं, तो इसके लिए आप जी तोड़ मेहनत भी करते होंगे।
माइंड होता है क्रिएटिव
यहीं से रील्स बनाने वाले व्यक्ति का टैलंट निखरता है। वह अपने कंटेंट में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना प्रारंभ कर देता है। वह नए-नए आइडिया पर काम करता है और उसे दूसरे से अलग या बेहतर तरीके से दिखाने की कोशिश में रहता है। इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है। यह क्रिएटिविटी ही रील्स बनाने वालों को नाम और प्रसिद्धि दिलाती है।
टीम वर्क सीखते हैं
रील्स बनाने वाले शुरू में खुद ही अपना कंटेंट बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन जैसे-जैसे उनकी रीच (Reach) बढ़ती है, वैसे-वैसे उनकी टीम भी बढ़ती है। रील में दिखने वाला व्यक्ति हर काम कर रहा हो ये जरूरी नहीं है। आज बहुत से बड़े क्रिएटर के पास एक बड़ी टीम होती है। ऐसे में कैमरामैन से लेकर स्क्रिप्ट राइटर तक के साथ काम करना और उनके साथ तालमेल भी बनाना होता है।
नजर आती है क्वॉलिटी
साथ मिलकर कोई कंटेंट बनाया जाता है तो उसकी क्वॉलिटी भी अलग ही दिखती है। अकेले काम करना आसान तो होता है लेकिन प्रोफेशनली काम करने को टीम के साथ की जरूरत पड़ती है और जब आप टीम के साथ काम करना सीखते हैं तो टीम वर्क का मतलब समझ आता है। ऐसे में अगर आपके काम में कोई नया व्यक्ति भी जुड़ता है तो आप उसके साथ बेहतर तरीके से तालमेल बनाकर काम कर पाते हैं।
डिजिटल मीडिया
रील्स बनाना एक काम जरूर है लेकिन इसके लिए आपको तकनीक के भरोसे रहना होता है। कैमरा, लाइट, माइक, म्यूजिक आदि कई चीजों से आपका वास्ता पड़ता है। इनका सही इस्तेमाल करना आप सीखते हैं। इसके साथ ही विडियो एडिटिंग भी जरूरी होती है। इन सब चीजों का प्रयोग करके ही एक अच्छी रील बन पाती है। जब आप ये कर रहे होते हैं, तो इसके साथ ही आपका तकनीकी ज्ञान भी बढ़ रहा होता है। उदाहरण को, कौन सा माइक अच्छा है, किस माइक की कहां जरूरत है, कैसा कैमरा चाहिए, कंटेंट के हिसाब से लाइट कैसी हो वगैरह वगैरह।
विडियो एडिटिंग
आज विडियो एडिटिंग करना खुद एक बड़ा प्रोफेशन बन चुका है। जब आप रील अपलोड करते हैं तो उसके लिए सही विवरण, टैग, हैशटैग, की-वर्ड्स आदि भी देने होते हैं। रील वायरल करने को पूरी रिसर्च करनी होती है। इस सबसे डिजिटल मीडिया की जानकारी बढ़ती है। डिजिटल मीडिया के समय में जिसे इस बारे में ज्यादा जानकारी होती है, उसका करियर भी उतना ही ब्राइट होता है।
रिश्तों में आती है मजबूती
हम ऐसी कई रील्स देखते हैं, जिसमें एक ही परिवार के कई लोग शामिल होते हैं। बहुत से लोग अपने बच्चों, पत्नी और पैरंट्स के साथ मिलकर ना सिर्फ कंटेंट बना रहे हैं बल्कि एक सफल क्रिएटर भी बन चुके हैं। जब आप परिवार के सदस्यों या फिर किसी दोस्त के साथ मिलकर रील्स बनाते हैं, तो एक-दूसरे के आइडिया पर भी काम करते हैं, एक-दूसरे के साथ नए-नए ट्रेंड शेयर करते हैं। इससे परिवार या दोस्तों के साथ बॉन्डिंग अच्छी होती है और रिश्तों में मजबूती आती है।
दुनिया को जानने का मौका
अगर आप रील्स की दुनिया में अपनी जगह बना लेते हैं, तो कई कंपनियां आपके साथ मिलकर काम करने में रुचि जताने लगती हैं। वह आपकी रील स्पॉन्सर करती हैं, कई कंपनियां देशी-विदेशी इवेंट में या अपने प्रॉडक्ट के लिए भी रील्स निर्माताओं को हायर करती हैं। ऐसे में क्रिएटर को देश-विदेश जाने, वहां का कल्चर समझने और बदलते दौर के साथ कंटेंट में कुछ नया करने का मौका मिलता है।
पैसा भी खूब है
इसमें दो राय नहीं कि आज जितने भी लोग रील्स बनाने में रुचि दिखाते हैं, उनका एक बड़ा लक्ष्य ये भी होता है कि वे ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाएं। अगर आपका कंटेंट अच्छा है, आप क्रिएटिव और ट्रेंडी रील बना रहे हैं, तो इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आपकी बनाई रील पहुंचती है। समय के साथ-साथ आपके फॉलोअर्स बढ़ने लगते हैं। जैसे ही आप सारे नियमों को पूरा कर लेते हैं, वैसे ही आप अपने अकाउंट को मॉनेटाइज कराकर अपनी इनकम शुरू कर पाते हैं। जितने ज्यादा व्यूज और फॉलोअर्स मिलते हैं, उतनी ही इनकम भी बढ़ती जाती है।
प्रॉडक्ट का प्रमोशन
इसके साथ ही अगर आप किसी खास कैटिगरी जैसे ट्रैवेल, फैशन, फूड आदि पर रील्स बनाते हैं, तो उससे संबंधित कंपनियां भी आपसे अपने प्रॉडक्ट का प्रमोशन कराती हैं, जिसके बदले क्रिएटर को अच्छा-खासा पैसा मिलता है। इसके अलावा भी रील्स बनाने वालों के पास पैसे कमाने के कई तरीके हैं, जिनका वह भरपूर प्रयोग कर रहे हैं।
रील्स के आगे दुनिया और भी है
ऐसा नहीं कि सारे क्रिएटर्स सिर्फ रील्स बनाने तक ही सीमित हैं। आज के समय लोग दो कदम आगे की सोचते हैं। स्किल डिवेलपमेंट और पैसा कमाने के बाद जब आप रील्स की दुनिया में अपने पैर जमा लेते हैं, तो कई लोग इसी क्षेत्र से जुड़े दूसरे कार्यों में भी अपना हाथ आजमाने लगते हैं। कुछ लोग पैसा लगाकर अपना प्रॉडक्शन हाउस बना लेते हैं, तो कुछ स्टूडियो सेटअप कर लेते हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया मार्केटिंग का भी बिजनेस शुरू करते हैं। ये सभी काम वे रील्स बनाने के साथ करते रहते हैं, जिससे वे इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन जाते हैं।