वक्‍फ दंगों में भी CAA जैसा विदेशी टूलकिट

Murshidabad Violence News: पश्चिम बंगाल वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध का केंद्र बन चुका है. मुर्शिदाबाद के बाद अब साउथ 24 परगना जिले में भी हिंसा की आग फैल चुकी है. इस बीच,खुफिया एजेंसियों को चौंकाने सूचनाओं का पता चला है.

CAA वाला है वक्‍फ प्रोटेस्‍ट का पैटर्न, सामने आया मुर्शिदाबाद हिंसा का टूलकिट
मुर्शिदाबाद में वक्‍फ संशोधन कानून के खिलाफ व्‍यापक पैमाने पर हिंसा हुई. (फोटो: पीटीआई)

मुर्शिदाबाद हिंसा में खुफिया एजेंसियों को चौंकाने वाले फैक्‍ट्स मिले हैं
सीएए के दौरान हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन की तर्ज पर मुर्शिदाबाद हिंसा
पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना में भी हिंसा की आग फैल गई है
नई दिल्‍ली 16 अप्रैल 2025 . वक्‍फ संशोधन कानून अमल में आ चुका है. इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन का सिलसिला भी चल पड़ा है. पश्चिम बंगाल हिंसक विरोध प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है. मुर्शिदाबाद में हिंसा का तांडव अभी शां‍त ही हुआ था कि प्रदेश के एक और जिले में हिंसा की आग फैल चुकी है. साउथ 24 परगना के भांगर इलाके में वक्‍फ संशोधन कानून को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया. पुलिसवालों पर उन्‍मादी भीड़ ने हमला कर दिया. पुलिस वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया. वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में CAA के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है. मुर्शिदाबाद में हिंसा फैलाने को उसी टूकिट का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसका प्रयोग सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में हुआ था.

सोमवार पश्चिम बंगाल के एक अन्य जिले में तनाव बढ़ गया. वक्‍फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करती भीड़ अचानक उन्‍मादी हो गई और पुलिस पर ही हमला कर दिया. अब खुफिया सूत्रों ने पाया है कि वक्‍फ के खिलाफ जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन साल 2019 में पूरे भारत में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों जैसे ही हैं. सूत्रों की मानें तो वक्फ विरोध प्रदर्शनों में एक समान टूलकिट है. मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम, सिग्नल और व्हाट्सएप का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन आयोजित करने, जिम्‍मेदारी बांटने और रियल टाइम निर्देश शेयर करने को किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन प्लेटफ़ॉर्म पर एन्क्रिप्टेड समूहों का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में पुलिस स्टेशनों पर कोऑर्डिनेटेड अटैक्‍स के लिए किया .

साल अलग, तस्‍वीरें मिलती-जुलती
सूत्रों ने बताया कि नाकाबंदी, रेलवे के बुनियादी ढांचे पर हमले और सांप्रदायिक नारे CAA विरोध प्रदर्शनों की पहचान थे. अब वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध के दौरान भी यही स्थिति है. प्रदर्शनकारी पत्थर, पेट्रोल बम, टायर और बांस के डंडे आदि का इस्‍तेमाल करते हैं.  सीएए विरोध प्रदर्शन में हावड़ा में रेलवे पटरियों के पास पत्थरों के ढेर छिपाये गये थे. वक्‍फ विरोध में अब एक बार फिर से वैसी ही तस्‍वीर दिख रही है. प्रदर्शनकारी हिंदुओं की दुकानों, पुलिस स्टेशनों और रेलवे के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहे हैं. ये सब सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने को किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता के पुराने क्लिप से छेड़छाड़ के वीडियो मौजूदा अत्याचार के रूप में फिर से पेश किया जा रहे है, ताकि गुस्सा भड़काया जा सके. उन्होंने बताया कि 2024 के एक वीडियो क्लिप के गलत तरीके से इस्तेमाल कर दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने नमाज़ में शामिल लोगों पर गोलियां चलाईं. यह क्लिप वायरल हो गया, जिससे मालदा में दंगे भड़क गए.

विदेशी हाथ से इनकार नहीं
सूत्रों ने विदेशी हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया है और कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति करते हैं. ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति बढ़ाने को वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने को अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं. यह उसी तरह है जैसे सीएए विरोध प्रदर्शनों में एनआरसी को मुसलमानों की नागरिकता छीनने के रूप में प्रचारित किया गया था. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों को भी नायक के रूप में महिमामंडित किया जा रहा है.

Politics Is Being Done By Inciting Violence In The Name Of Waqf Law When Will Action Be Taken Against Provocative Leaders From Bengal To Tripura
वक्फ कानून पर हो रही हिंसा में खुलकर सेंकी जा रही है सियासी रोटी, भड़काऊ नेताओं पर कब होगी कार्रवाई?
नए वक्फ कानून के विरोध के नाम पर पश्चिम बंगाल में हिंसी भड़की है। इसकी आंच त्रिपुरा तक पहुंच चुकी है। हिंसा को हवा देने में बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं का भी हाथ है, जो खुलकर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। कोई इसे ऐक्शन का रिएक्शन बता रहा है तो कोई पुलिस के बड़े-बड़े अफसरों को भी धौंस दिखाने की कोशिश कर रहा है।

मुख्य बिदू
1-पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में भड़की है हिंसा
2-केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया
3-कुछ नेता हिंसा को और भड़काने वाला दे रहे हैं बयान
नए वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल का बड़ा हिस्सा जल रहा है। त्रिपुरा तक में इस आग में जानबूझकर घी डालने का काम किया गया है। बड़ी बात बात ये है कि देश की संसद से पास एक कानून के नाम पर भड़की हिंसा को रोकने के लिए जिन नेताओं से इसके लिए शांति की अपील की उम्मीद होनी चाहिए थी, वही इसे और भड़काने में लगे हुए हैं। इस काम में बड़ी पार्टियों के नेता लगे हुए हैं और वोट बैंक के चक्कर में कोई उन्हें जुबान बंद रखने तक की कहने की हिम्मत नहीं जुटा रहा। कई रिपोर्ट कहती हैं कि पिछले साल उपद्रवियों ने जो हालात बांग्लादेश में बना दिए थे, कुछ समाज विरोधी लोगों ने आज वैसी ही स्थिति मुर्शिदाबाद और आसपास के इलाकों में पैदा कर दी है। सबसे बड़ा सवाल है कि अगर कोई जिम्मेदार नेता इन दंगों को लेकर भड़काऊ बयान दे रहा है या दे चुका है तो उस पर कार्रवाई कब होगी?

केंद्र के मंत्री ममता को बता रहे जिम्मेदार
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को ही आरोप लगाया था कि बंगाल में वक्फ कानून के विरोध के नाम पर जो नंगा नाच किया गया है उसके लिए सीधे तौर पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तरदायी हैं। रिजिजू ने आरोप लगाया कि ‘मुख्यमंत्री ही विरोध करने के लिए लोगों को कहकर और ये दावा करके कि वह संसद से पारित कानून को लागू नहीं करेंगी, साफ तौर से हिंसा भड़का रही हैं।’

पुलिस और सरकार सब कुछ छिपा रही’
रिजिजू अकेले नहीं हैं। कांग्रेस के पूर्व सांसद और पार्टी के पूर्व पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी वक्फ कानून को लेकर हो रही घटनाओं के लिए सीधे-सीधे सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि ‘सांप्रदायिक घटनाओं की वजह से बहुत से लोग गोली लगने से जख्मी हैं, लेकिन पुलिस और सरकार सब कुछ छिपा रही है।’ इतना ही नहीं उन्होंने एक प्रेस काफ्रेंस में दावा किया है, ‘सूबे की सरकार और पुलिस अगर चाहती तो यह घटना नहीं होती। ये सीधा बंगाल की सरकार की नाकामी है।’

‘मुर्शिदाबाद में ऐक्शन का रिएक्शन हुआ’
एक तरफ जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऐसा कह रहे हैं, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीनियर कांग्रेस लीडर सलमान खुर्शीद जो कुछ कह रहे हैं, उसे बहुत ही भड़काऊ कहा जा सकता है। उन्होंने एएनआई को एक इंटरव्यू में कहा, ‘देखिए ऐक्शन का रिएक्शन होता है। मुर्शिदाबाद के अंदर भी एक रिएक्शन है। और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी जिम्मेदार है। आप अगर किसी के मजहब पर जबरदस्ती हमला करेंगे, तो उसके नतीजे कुछ भी निकल सकते हैं। हमने देखा है सलमान रश्दी के साथ क्या हुआ? हमने देखा है कि भारतीय जनता पार्टी की अपनी एक लेडी स्पोक्सपर्सन के साथ क्या हुआ?..हमने देखा है गोल्डन टेंपल के साथ क्या हुआ? किसी के मजहबी मामला में दखल नहीं देना चाहिए। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी एंटी-मुस्लिम, एंटी-इस्लाम है। उन्होंने वक्फ के कानून को जबरदस्ती थोपा है।’

मुर्शिदाबाद की घटना पर ओबैसी की बोलती बंद!
वहीं संसद तक में फिलिस्तीन का मामला उठाने वाले हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी से जब बंगाल के मुर्शीदाबाद हिंसा की घटनाओं के बारे में उनकी राय जानने की कोशिश की गई तो इसपर उनकी अभी तक कोई राय ही नहीं बनी है। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है जिसमें वे कह रहे हैं, ‘वह बंगाल सरकार के प्रवक्ता नहीं हैं। बंगाल सरकार के पास सक्षम लोग हैं और वे आपके सवालों का बेहतरीन जवाब दे सकते हैं।’

महिला पुलिस अफसर को धमकाने की कोशिश
वहीं त्रिपुरा में वक्फ कानून विरोध में एक रैली में शामिल लोगों के हिंसक हो जाने से जब शनिवार को दो पुलिसजन जख्मी हो गए तो पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की। तब स्थानीय कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहम्मद बदरुज्जमां की डीआईजी (उत्तरी क्षेत्र) रति रंजन देबनाथ बीच बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें कांग्रेस नेता सरेआम महिला पुलिस उच्चाधिकारी को धमकाते दिख रहे हैं।

उन दोनों के बीच की बातचीत कुछ इस तरह से हो रही है,‘इतना बड़ा क्राउड को कंट्रोल करना….(DIG- जब आप कंट्रोल नहीं कर पाते तो भीड़ इकट्ठा क्यों कर लेते हैं…आगे से ऐसा नहीं चलेगा, हम कार्रवाई करेंगे)…देखिए धमकी मत दीजिए। आप मुझे धमकी नहीं दीजिए (DIG-मैं कानून के पालन की बात कर रही हूं, धमकी नहीं दे रही। हजार लोग देख रहे हैं…)….हजार लोग नहीं, हम यहां 50 लाख लोग इकट्ठा कर सकता है। आप वॉर्निंग मत दीजिए।’ यही नहीं हिंसक भीड़ जुटाने के बावजूद वे वही दुहाई दे रहे हैं कि विरोध करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है।

और कितने मुर्शिदाबाद?
सवाल है कि क्या किसी को माहौल बिगाड़ने के लिए सिर्फ इसलिए छोड़ा जा सकता है कि उसका किसी न किसी राजनीतिक दल से कनेक्शन है? यह देखने वाली बात है कि इन बड़बोले नेताओं पर संबंधित सरकारें कब कार्रवाई करती हैं। नहीं तो बंगाल हिंसा के बीच में जो सियासी खेल चल रहा है, उसकी आग में कितने ही मुर्शिदाबाद झुलस सकते हैं।

 

tags :
Kolkata News
National News
Waqf Board
West bengal toolkit caa

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *