वक्‍फ संशोधन कानून: पहले दिन CJI ने पढाया सिब्बल को कानून

Supreme Court Waqf Act Hearing Cji Sanjiv Khanna Said Article 26 Is Secular Applies To All Communities
आर्टिकल 26 सेक्युलर है, सभी समुदायों पर लागू होता है, वक्फ कानून पर और क्या बोले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को टोका और संवैधानिक पहलुओं की जानकारी दी। चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि भूमि कानूनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट को हमेशा संरक्षण प्राप्त है। जस्टिस खन्ना ने आर्टिकल 26 पर कहा कि यह सेक्युलर है और सब पर लागू होता है
मुख्य बिंदू
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई शुरू हुई
CJI खन्ना ने संवैधानिक पहलुओं पर दी जानकारी
CJI बोले- अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक समुदायों पर लागू
नई दिल्ली 16 अप्रैल2025 : सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान कई ऐसे मौके आए जब चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को टोका और उन्हें संवैधानिक पहलुओं की जानकारी दी। नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सिब्बल भी पैरवी कर रहे हैं। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच में हो रही है, जिसमें उनके अलावा जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं।

‘अनुच्छेद 26 पर भ्रमित नहीं किया जा सकता’
नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस खन्ना ने साफ किया है कि ‘जहां तक भूमि कानूनों का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट को हमेशा संरक्षण प्राप्त है।’ एक मौके पर सिब्बल ने कहा कि वक्फ काउंसिल और बोर्ड में पहले सिर्फ मुसलमान होते थे…अब हिंदू भी हिस्सा हो सकते हैं…यह संसदीय अधिनियम द्वारा मौलिक अधिकारों का सीधा अतिक्रमण है।’ इसपर जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा, ‘प्रशासन आदि से जुड़े अनुच्छेद 26 के शब्दों को आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता।’
सिब्बल से बोले CJI सिर्फ मुख्य बातें बताएं
इस दौरान जब सिब्बल ने लंबी-चौड़ी दलीलें रखनी शुरू कीं तो चीफ जस्टिस ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘देखिये एडमिशन स्टेज में समय की कमी है.. 1,2,3 प्रारूप में दाखिल कीजिए।’ जस्टिस खन्ना ने साफगोई से कहा, ‘हमें 2 पहलुओं का जवाब चाहिए, क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए या इसे हाई कोर्ट को भेजना चाहिए? दूसरा, आप किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं। दूसरे सवाल से पहला मुद्दा भी हल होगा।’

रजिस्ट्रेशन में क्या समस्या है- चीफ जस्टिस
इस दौरान सिब्बल संविधान के आर्टिकल 26 के ईर्द-गिर्द घूमते नजर आए। उन्होंने कहा कि ‘आप उपयोगकर्ता से (वक्फ) बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। मान लीजिए कि यह मेरी प्रॉपर्टी है और मैं इसका इस्तेमाल करना चाहता हूं, मैं रजिस्टर नहीं करना चाहता।’ चीफ जस्टिस ने उन्हें फिर टोका, ‘रजिस्ट्रेशन में क्या समस्या है?’

सिब्बल कहते रहे कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ खत्म कर दिया गया है। यह मेरे धर्म का मूल हिस्सा है।’ उन्होंने यहां तक दलील दे दी कि ‘दिक्कत ये है कि अगर वक्फ 3000 साल (तब इस्लाम भी नहीं आया था) पहले बना है,वह डीड मांगेंगे।’ प्रधान न्यायाधीश जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है।’

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सबसे बड़ी बात यह कह दी कि आर्टिकल 26 सेक्युलर है और यह सभी समुदायों पर लागू होता है।’ सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी का देश की राजनीति में दूरगामी असर हो सकता है।

आर्टिकल 26 क्या है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 26 धर्म से जुड़े मामलों की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यह स्वतंत्रता कुछ शर्तों के साथ मिलती है। ये शर्तें हैं – सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य। अनुच्छेद 26 कहता है कि हर धार्मिक समूह या उसके हिस्से को कुछ अधिकार हैं। जैसे, वे धार्मिक संस्थाएं बना सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं। वे अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन खुद कर सकते हैं। उन्हें संपत्ति खरीदने और रखने का भी अधिकार है। वे कानून के अनुसार अपनी संपत्ति का प्रबंधन कर सकते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, धर्म से जुड़े कामों को करने की आजादी है, लेकिन कुछ नियमों के साथ।

वक्फ कानून पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार:केंद्र सरकार से पूछा- क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिमों को जगह देंगे?

क्या होगा जब सरकार कहने लगे कि ये जमीनें सरकारी हैं, वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान SC ने ऐसा क्यों कहा?

Supreme Court on Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ वाली संपत्तियों का क्या होगा। कोर्ट का कहना है कि अगर ऐसी संपत्तियों को वक्फ से हटा दिया गया, तो दिक्कत हो सकती है। अदालत ने इस दौरान सवाल उठाया कि अगर सरकार ही कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा?

मुख्य बिंदू
  • वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
  • सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों के प्रावधानों पर उठाए सवाल
  • ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने से दिक्कतें पैदा होंगी- सुप्रीम कोर्ट

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसे लेकर पहले दिन बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों के प्रावधानों पर सवाल उठाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के तहत पहले से स्थापित ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने से दिक्कतें पैदा होंगी। ‘वक्फ बाय यूजर’ का मतलब है, ऐसी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही है। भले ही उसके कागजात पूरे न हों।

‘वक्फ बाय यूजर’ पर केंद्र से SC का सवाल

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाने पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से वक्फ कानून पर तीखे सवाल भी पूछे। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, वक्‍फ बाई यूजर क्‍यों हटाया गया?

 

‘ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड मांगना नामुमकिन’

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे। ऐसे में, उन्हें कैसे रजिस्टर किया जाएगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि ‘वक्फ बाय यूजर’ में कोई असली संपत्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड (Registered Deed) मांगना नामुमकिन होगा, क्योंकि ये सभी वक्फ-बाय-यूजर प्रॉपर्टीज हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे रजिस्टर करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा?

वक्फ में गैर मुस्लिम प्रावधान पर भी सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्डों और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर भी सवाल उठाया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक न्यासों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है? शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम का वह नियम लागू नहीं होगा, जिसके तहत कलेक्टर (collector) की जांच के दौरान किसी संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। मतलब, अगर कलेक्टर यह जांच कर रहा है कि कोई संपत्ति सरकारी जमीन है या नहीं, तो उस दौरान उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।

सॉलिसिटर जनरल ने पूरे मामले पर क्या कहा

केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि मान लीजिए, एक दुकान है, मंदिर है या वक्फ है। एक्ट (act) यह नहीं कहता कि उसका इस्तेमाल बंद हो जाएगा। यह कहता है कि जब तक हम फैसला नहीं कर लेते, तब तक उसे कोई फायदा नहीं मिलेगा। इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने पूछा, ‘तो फिर क्या होगा? किराया कहां जाएगा? फिर यह नियम क्यों बनाया गया है?’ तुषार मेहता ने जवाब दिया, ‘यह नहीं कहता कि वक्फ के तौर पर उसका इस्तेमाल बंद हो जाएगा।’

वक्फ कानून को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई

सुसुप्रीम कोर्ट ने ये बातें वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कही हैं। इस कानून के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में, खासकर मुर्शिदाबाद में हिंसा भी हुई है। उच्चतम न्यायालय ने हिंसा पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है, क्योंकि अदालत वक्फ अधिनियम के मामले पर सुनवाई कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट में 17 को भी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर गुरुवार को दिन में 2 बजे फिर सुनवाई करेगा। अदालत ने अभी कोई आदेश नहीं दिया है, क्योंकि सॉलिसिटर जनरल और राज्य के वकीलों ने कुछ आपत्तियां जताई हैं। वह ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों के संबंध में अंतरिम आदेश पारित करना चाहती थी। हालांकि, मामले को गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *