वक्फ संशोधन पर अगली सुनवाई पांच मई,तब तक नियुक्तियां और डिनोटिफिकेशन नही
Waqf Law: वक्फ कानून पर नहीं लगेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट में पास हो जाएगी परीक्षा? सॉलिसिटर जनरल ने निकाला पक्का समाधान
कोर्ट में 73 याचिकाएं सुनवाई पर लगीं थीं जिसमें कुछ याचिकाएं ऐसी भी थीं जिनमें मूल कानून यानी वक्फ कानून 1995 और 2013 तथा नये वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती दी गई है। उन याचिकाओं में वक्फ कानून को गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला बताते हुए चुनौती दी गई है। कोर्ट ने उन याचिकाओं पर भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई
केंद्र के भरोसा देने पर वक्फ संशोधन कानून पर रोक नहीं
पांच याचिकाओं को मुख्य केस मानकर सुनवाई की जाएगी
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में 73 याचिकाएं दाखिल
नई दिल्ली 18 अप्रैल2025 । नये वक्फ संशोधन कानून 2025 पर फिलहाल कोई रोक नहीं है। गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित या पंजीकृत वक्फ को गैर अधिसूचित न किये जाने और वक्फ काउंसिल व वक्फ बोर्डों में नियुक्ति न करने का भरोसा दिलाए जाने के बाद कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगाई।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं का सात दिनों में जवाब दाखिल करने का वक्त देते हुए मामले को पांच मई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने वक्फ संशोधन कानून 2025 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिये।
अंतरिम रोक न लगाने का आग्रह
गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कानून पर अंतरिम रोक न लगाने का आग्रह करते हुए जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था। लेकिन कोर्ट ने समय देने के लिए केंद्र से भरोसा मांगा था और केंद्र सरकार की ओर से दिए गए बयान और आश्वासन को आदेश में दर्ज किया।
गैर मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं होगी
कोर्ट ने आदेश में लिखाया कि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भरोसा दिलाया है कि फिलहाल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी भरोसा दिलाया कि वक्फ, और वक्फ बाय यूजर (उपयोग के आधार पर वक्फ) अधिसूचना द्वारा घोषित या पंजीकृत वक्फ को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा उसका चरित्र नहीं बदलेगा।
सिर्फ पांच याचिकाओं पर
मेहता का बयान दर्ज करते हुए कोर्ट ने केंद्र को जवाब के लिए सात दिन का समय दिया और याचिकाकर्ताओं को प्रत्युत्तर दाखिल करने को पांच दिन देते हुए अगली तारीख पांच मई तय कर दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 110 और 120 याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकता सिर्फ पांच याचिकाओं को मुख्य केस मानकर सुनवाई की जाएगी बाकी सभी याचिकाएं या तो अर्जियां मानी जाएंगी या निपटाई समझी जाएं।
कोर्ट के समक्ष प्रपत्रों को मांगे सात दिन
कोर्ट ने सुनवाई में सुविधा को नोडल वकील नियुक्त करने और याचिकाओं व उनके जवाबों का कंपाइलेशन तैयार करने को कहा है। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि कोर्ट अगर विधायी कानून के किसी हिस्से या पूरे हिस्से पर रोक लगाने का विचार कर रहा है तो उससे पहले केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कम से कम सात दिन का समय दिया जाए। ताकि केंद्र सरकार कोर्ट के समक्ष जरूरी दस्तावेज और सामग्री पेश कर सके।
सॉलिसिटर जनरल ने दिये ये तर्क
उन्होंने कहा कि ये संसद से पारित एक विधायी कानून है और सिर्फ थोड़ा सा पढ़ कर उस पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। ऐसा कोई भी आदेश देने से पहले कोर्ट को केंद्र सरकार के जवाब और प्रपत्र देखने चाहिए। वे पूरी जिम्मेदारी से सॉलिसिटर जनरल की हैसियत से कह रहे हैं कि कोर्ट को आदेश पारित करने से पहले कानून का पूरा इतिहास और पृष्ठभूमि देखनी चाहिए। कोर्ट को 1923, 1954, 1995 और 2013 के वक्फ कानून भी देखने चाहिए।
मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है और केंद्र सरकार को लाखों प्रतिवेदन मिले हैं जिनमें से कुछ ने संशोधनों में योगदान दिया है। पूरे – पूरे गांव वक्फ संपत्ति घोषित कर दिये गए । इससे बड़ी संख्या में निर्दोष लोग प्रभावित होते हैं। उन्हें जवाब देने को एक सप्ताह का समय दिया जाए।
मेहता की इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि ये सही है कि सामान्य तौर पर अदालत संसद से पारित कानून पर रोक नहीं लगाती लेकिन हमने कुछ कमियों का उल्लेख किया था। हमने यह भी कहा था कि कुछ सकारात्मक चीजें हैं। लेकिन हम नहीं चाहते कि आज की चीजों में इतना बदलाव हो जाए कि पक्षकारों के अधिकारों को प्रभावित करें।
सीजेआई खन्ना के सवालों पर सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा?
जस्टिस खन्ना ने कहा कि समय दिया जा सकता है लेकिन इस बीच वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए और पंजीकृत वक्फ में बदलाव न हो।
मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस बीच कोई नियुक्तियां नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि आप केंद्र की ओर से बयान दे रहे हैं लेकिन राज्यों की ओर से कोई नहीं है।
मेहता ने कहा कि कोर्ट आदेश दे सकता है कि अगर कोई राज्य इस बीच नियुक्ति करता है तो वह नियुक्ति शून्य होगी। इसके बाद कोर्ट ने मेहता का बयान लिखते हुए उन्हें जवाब को समय दे दिया।