विवाद: शेक्सपीयर नाम का कोई नाटककार था भी इस धरती पर?

चार सौ साल से दुनिया एक ऐसे रहस्यमय लेखक की पूजा कर रही जिसे कभी किसी ने नहीं देखा। वो एक स्याह छाया है, जो पूरी दुनिया में मौजूद है पर जब भी उसे छूने की कोशिश की जाती है वो अदृश्य हो जाता है। उस पर हज़ारों पी.एच.डी हुई हैं। दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में उसे पढाया जाता है। कभी-कभी उसे दुनिया के सबसे महान लेखक का दर्जा भी दिया जाता है लेकिन वो एक ऐसी छलना है जिस से कभी कोई नहीं मिला, किसी ने नहीं देखा, उसका कोई दोस्त या पडोसी भी उसे नहीं जानता। जिसकी कब्र पर आज भी लिखा है ”जो मेरी अस्थियों को हिलाएगा, वो शापित होगा”

ये भुतहा-मरीचिका है विलियम शेक्सपीयर……जिसे मैंने पहली बार दसवीं-बारहवीं कक्षा में ‘मर्चेंट ऑफ़ वेनिस’ और ‘जूलियस सीजर’ दो किताबों से जाना। बाद में जितना उसके बारे में अध्ययन किया वो एक ऐसा रहस्य बनता चला गया जिसे आज तक भी कोई सुलझा नहीं पाया। लगभग 37 मशहूर नाटक लिखने वाले शेक्सपीयर की हस्तलिपि में कोई पाण्डुलिपि दुनिया में नहीं है। उसके केवल छह हस्ताक्षर मौजूद हैं जिन सभी में वर्तनी की त्रुटियाँ हैं और नाम की स्पेलिंग भी अलग-अलग हैं। दुनिया में कभी किसी व्यक्ति ने ये दावा नहीं किया कि वो शेक्सपीयर से मिला या उसे देखा।

लन्दन में वो 26 साल रहा लेकिन उसके समकालीन कोई भी कवि, लेखक, नाटककार ना तो कभी उसके घर मिलने आया ना वो किसी के घर गया। किसी को नहीं पता था शेक्सपीयर लन्दन में कहाँ रहता है। ऐसा कभी कोई व्यक्ति नहीं था जिसने कभी शेक्सपीयर को चिट्ठी लिखी हो या शेक्सपीयर ने उसे चिट्ठी लिखी हो। उसकी हस्तलिपि में एक छोटी पर्ची तक कहीं मौजूद नहीं है। किसी साहित्यिक-गोष्ठी, शराबखाने, शादी, मृत्यु, जन्म या नाटक-मंचन में उसे कभी किसी ने नहीं देखा। उसका पहला चित्र, मृत्यु के सात साल बाद किसी स्थानीय चित्रकार से बनवाया गया, जिसने उसे कभी नहीं देखा था। दुनिया में उसका केवल यही फोटो आज भी उपलब्ध है। एकदम चित्र-शून्यता।

इस अनसुलझे रहस्य का सबसे पहला चरण है, शेक्सपीयर के गाँव ”स्ट्रैटफर्ड अपॉन एवॉन” में जहाँ उसके जन्म से जुड़ा कोई दस्तावेज कभी नहीं मिला। गाँव के विद्यालय के रिकोर्ड्स में उस नाम से कोई विद्यार्थी कभी नहीं पढ़ा। उसके किसी पडोसी, दोस्त, रिश्तेदार, सहपाठी ने कभी ये नहीं कहा कि उन्होंने शेक्सपीयर को देखा था। कहा जाता है उसके पिता ”जॉन शेक्सपीयर’ चमड़े के दस्ताने बनाने वाले एक व्यापारी थे। छब्बीस साल तक वो उस गाँव में रहा जहाँ कोई नहीं जानता था कि वो कविता या नाटक लिखता है। कहते हैं इसके बाद वो लन्दन आ गया जहाँ उसने अगले छब्बीस साल गुजारे।
लन्दन में उसका पहला ज़िक्र 1592 में प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक ‘रॉबर्ट ग्रीन’ ने ये कहकर किया–”एक नया कव्वा बाज़ार में आया है जो दूसरों के पंख चुराकर उड़ रहा है।” लन्दन उस समय फ्रांसिस बेकन, बेन जॉनसन, क्रिस्टोफर मार्लो, जॉन वेब्स्टर, स्पेंसर, बियुमोंट और फ्लेचर जैसे साहित्यकारों का गढ़ था लेकिन इनमे किसी कवि ने कभी ये नहीं कहा कि ”आज शेक्सपीयर से मुलाकात हुई” पूर्ण ख़ामोशी।

कहा जाता है शेक्सपीयर वहां ”किंग्स मैन” नाटक कम्पनी के लिए नाटक लिखता रहा और काफी धन कमाया लेकिन कम्पनी के किसी अभिलेख में उसे किये गए एक भी रूपये के भुगतान का उल्लेख नहीं मिला। ‘फ्लिप हेन्स्लो’ जोकि उस समय नाटक कम्पनियों का सबसे बड़ा प्रबंधक था। उसके अभिलेखों में समकालीन हर छोटे-बड़े कलाकार, लेखक, कवि, अभिनेता का विवरण दर्ज है जो मंच से जुड़े थे लेकिन उनमे शेक्सपीयर का नाम कहीं नहीं मिला। केवल अदृश्यता।

सबसे दिलचस्प मामला यहाँ से शुरू होता है 1592 में ग्रीन उसका जिक्र ‘उभरता हुआ कव्वा” कहकर करता है और अगले दो साल महामारी की वजह से थियेटर बंद रहे। अचानक 1598 में मशहूर आलोचक फ्रांसिस मीअर्ज़ लिखता है-”लैटिन नाटकों में जो स्थान ‘सेनेका’ का है अंग्रेजी में वही शेक्सपीयर का है” और इसमें उसके १२ नाटकों की एक नाम-सूची प्रस्तुत करता है। यानी महज छह वर्ष में वो ‘नकलची कव्वे’ से ”अंग्रेजी का महान सेनेका’ में तब्दील हो गया जिसने हर छह माह में एक नाटक लिखा, लेखन की इस दानवी गति को, दुनिया भर के महान लेखकों ने ‘लगभग असंभव’ माना है लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से मीअर्ज़ भी कहीं ये नहीं कहता कि मैंने उसे कभी देखा या उस से मिला। पूर्ण ख़ामोशी।

शेक्सपीयर लन्दन का सबसे मशहूर और प्रतिष्ठित लेखक हो गया लेकिन उसे कभी मंच पर, दरबार में, किसी भोज में, सभा में….सम्मान-समारोह में किसी ने नहीं देखा। वो बस एक ‘नाम’ था जो हर गली-कूचे और चर्चा में तो मौजूद था पर ये ‘व्यक्ति’ दैहिक रूप से कहीं नहीं था। शेक्सपीयर को छोड़कर अधिकांश मशहूर लेखक उस समय दरबार से पेंशन, पद या उपाधि पा रहे थे लेकिन जिसे सर्वश्रेष्ठ कहा गया उसे कभी कोई साहित्यिक-सम्मान प्राप्त करते नहीं देखा गया। यहाँ तक कि 1616 में जब उसकी मृत्यु हुई किसी अख़बार, पत्रिका ने ये खबर नहीं छापी कि ब्रिटेन का सबसे महान साहित्यकार मर गया। ऐसा कभी कोई व्यक्ति नहीं रहा जिसने ये दावा किया हो कि वो शेक्सपीयर की शवयात्रा या दफ़न में शामिल था। किसी समकालीन लेखक या कवि का कोई शोक-सन्देश, श्रृद्धांजलि….कहीं प्रकाशित नहीं मिली। चरम सन्नाटा।

उसकी कब्र पर ये पत्थर भी मृत्यु के दशक भर बाद लगाया गया कि ”मेरी अस्थियों को छेड़ने वाला शापित होगा” बाद में सेमुअल जॉनसन ने इस पर व्यंग्य करते हुए कहा-”जहाँ अधिकांश लोग मरते वक्त वरदान देकर जाते हैं, ये अकेला है जो शाप देकर गया।” यहाँ तक कि वो नाटक कम्पनी जिस से वो 26 साल लगातार जुड़ा रहा, उसने भी कभी इस राष्ट्रीय-लेखक की मौत पर कोई शोक प्रकट नहीं किया। पहली श्रृद्धांजलि मौत के ‘सात साल बाद’ बेन जॉनसन ने प्रकट की जब उसके नाटकों का समग्र ‘फर्स्ट फोलियो’ प्रकाशित हुआ। जिस कब्रिस्तान में उसे दफनाया गया वहां के रजिस्टर में बस इतना लिखा है-”विलियम शेक्सपीयर, 25 अप्रैल-1616” ना लेखक का उल्लेख, ना कवि, ना नाटककार।
कुछ तथ्य इतने असाधारण हैं कि कोई भी सामान्य विवेक उन पर प्रश्न उठाएगा। जैसे–

(1) कुल 37 में से एक भी नाटक शेक्सपीयर की हस्तलिपि में नहीं है।

(२) कहीं ऐसा कोई कच्चा ड्राफ्ट, मसौदा, कोई कागज, पर्ची नहीं जो उसके हस्तलेख में हो।

(३) कहीं कोई चिट्ठी नहीं। मार्क ट्वेन ने इस पर व्यंग्य करते हुए कहा था कि–”उस समय शेक्सपीयर को छोड़कर पूरा इंग्लेंड चिट्ठियां लिख रहा था।”

(४) कोई साहत्यिक-सम्मान समारोह नहीं जहाँ वो उपस्तिथ हुआ हो।

(५) कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने ये दावा किया हो कि मैं उस से मिला था या उसके घर गया था।

(6) कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसने ये कहा हो वो डिनर, लंच या चाय पर मेरे घर आया था।

(7) शेक्सपीयर की वसीयत मिलती है जिसमें उसके तीन हस्ताक्षर हैं, उसे देखकर हस्तलिपि विशेषज्ञों ने कहा ”ये किसी ऐसे व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं जिसे लिखने का ज्यादा अभ्यास नहीं।”

(८) इस वसीयत में उसकी तलवार, अंगूठी, कपडे और पलंग तक का जिक्र है लेकिन एक भी पंक्ति उन 37 नाटकों और कविताओं के लिए नहीं।

(९) ज्यादातर महान लेखकों ने महान अध्ययन भी किया होता है। शेक्सपीयर की मौत के बाद कभी ऐसी कोई किताब नहीं मिली जिसे ये कहा जा सकता कि ये उसने पढ़ी थी। उसकी वसीयत में किताब, पाण्डुलिपि, नाटक, पुस्तकालय, जैसे शब्द एक बार भी नहीं आते। जबकि बेन जॉनसन, स्पेंसर और जॉन डन जैसे अनेक लेखकों की वसीयत में ”मेरी सभी किताबें” फलां को दे दी जाएँ जैसे वाक्य मिलते हैं। ये उस समय का एक आम चलन था। उसके घर पर भी कभी कोई किताब नहीं मिली। किसी शिक्षक ने कभी ये नहीं कहा कि मैंने शेक्सपीयर को पढाया। किसी सहपाठी ने कभी ये नहीं कि मैं उसके साथ पढ़ा। कोई गवाही नहीं।

(१०) शेक्सपीयर के नाटकों में अदालती बहसों का जो रूप है। उसके शब्द इतने व्यावसायिक और विशेषज्ञता वाले हैं कि बाद में कई न्यायाधीशों ने ये कहा-”इतनी सटीक न्यायिक शब्दावली वाला व्यक्ति या तो कोई जज होना चाहिए या वकील”

(११) राजदरबारों की परम्पराओं, रिवाजों, अदब, अभिवादन, भाषा का जैसा वर्णन शेक्सपीयर ने किया है उस पर सैंकड़ों शोधकर्ताओं का मानना है कि इतनी बारीकियां किसी ऐसे व्यक्ति को पता हो ही नहीं सकतीं जो कभी दरबारों में किसी पद पर ना रहा हो।

(१२) कई नाटकों में वर्णित समुद्र-यात्रा का वर्णन और उसमे प्रयोग किये गए ‘तकनीकी शब्दों’ पर जब नौसेना के नाविकों और समुद्री अधिकारियों से राय मांगी गई तो उन्होंने कहा-”बिना समुद्र में कम से कम तीन साल गुजरे, कोई भी व्यक्ति इतनी बारीक तकनीकी जानकारी नहीं रख सकता।”

(१३) कुछ लोगों ने कहा उसने किताबों से ये ज्ञान हासिल किया लेकिन वो अद्भुत किताबें भी कभी नहीं मिलीं। गाँव के स्कूल में नाम नहीं मिला, गाँव में कोई पुस्कालय नहीं था, लन्दन के किसी पुस्तकालय से कभी किसी शेक्सपीयर नाम के आदमी ने एक भी किताब इश्यु नहीं कराई।

(१४) शेक्सपीयर के कम से कम चौदह नाटकों की पृष्ठभूमि इटली है। जिसमें उसने इतनी बारीकी से भौगौलिकता का वर्णन किया है जो वहां जाए बिना संभव नहीं था। यहाँ तक कि वेनिस की कुछ ऐसी गलियों के नाम भी हैं जो केवल लोकल्स को पता थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये जानकारी बिना इटली में रहे किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं हो सकतीं लेकिन शेक्सपीयर कभी ब्रिटेन से बाहर नहीं गया। कोई यात्रा-दस्तावेज नहीं।

(१५) लन्दन में दशकों तक रहने के बाद भी कभी किसी घर की रजिस्ट्री, किरायानामा, रसीद, लीज का कोई दस्तावेज कभी नहीं मिला। यहाँ तक कि लन्दन की किसी सराय, लॉज या होटल के रजिस्टर्स में भी शेक्सपीयर की कोई प्रविष्टि नहीं। नाटक कम्पनी में पंजीकरण की एंट्री, कोई भुगतान, रोयल्टी, लिखे हुए का प्रूफ करेक्शन, किसी किताब में लेखक का वक्तव्य कुछ नहीं मिलता। यहाँ तक कि ‘फर्स्ट फोलियो” जिसमे उसके 36 नाटक प्रकाशित हुए। उसमे कोई प्राक्कथन या लेखक का हस्ताक्षर तक नहीं।

(16) शेक्सपीयर के जीवनकाल में योरोप के किसी नाटककार ने कहीं उसका कोई उल्लेख नहीं किया। लन्दन से बाहर कोई नहीं जानता था कि ऐसा कोई लेखक मौजूद है। पूर्ण सन्नाटा।

मार्क ट्वेन जैसे मशहूर अंग्रेजी लेखक की एक किताब की बहुत कम चर्चा होती है। वो है-”क्या शेक्सपीयर मर गया” इस किताब में ट्वेन एक जगह लिखता है-”शेक्सपीयर मरा नहीं, क्योंकि वो जिन्दा ही नहीं था।” ट्वेन व्यंग्य करता है-”ये आदमी अपने दो हस्ताक्षर भी एक जैसे नहीं कर सकता और उसने शाश्वत शब्द रच दिए?” अंग्रेजी के मशहूर कवि ‘वाल्ट व्हिटमेन’ ने उसके बारे में लिखा-”ये तय है स्ट्रेटफोर्ड गाँव का देहाती व्यक्ति इतने गहरे और दार्शनिक नाटक नहीं लिख सकता।” सिगमंड फ्रायड ने शेक्सपीयर को पढ़कर कहा-”वो सायको एनालिसिस जो शेक्सपीयर के नाटकों में है, भाषा का वो सटीक स्तर…स्ट्रेटफोर्ड जैसे गाँव के स्कूल में पढ़कर पैदा होना असंभव है।” हालांकि इस स्कूल के अभिलेखों में भी उसका कहीं नाम नहीं मिला। चार्ली चेपलिन ने लिखा-”मैं चकित हूँ स्ट्रेटफोर्ड जैसे गाँव का आदमी दरबारों, कवियों और कानून की भाषा का इतना बड़ा जानकार कैसे हो सकता है।” इमर्सन ने लिखा है-”मैं भरोसा ही नहीं कर सकता की स्ट्रेटफोर्ड का कोई व्यक्ति इन नाटकों को लिख सकता है”

आज स्ट्रेटफोर्ड में शेक्सपीयर का संग्रहालय है जिसमें लगभग दस लाख चीजें उस से जुडी हुई रखी हैं लेकिन संग्रहालय अपने वक्तव्य में स्पष्ट रूप से कहता है कि इनमे से कोई भी चीज शेक्सपीयर की है ”इसका कोई प्रमाण” नहीं।

अब एक सवाल ये उठता है। शेक्सपीयर नहीं था तो ये महान साहित्य कहाँ से आया और किसने लिखा? आदमी नहीं था, किताबें तो हैं…किसी ने तो लिखीं, साहित्य भी उस कोटि का है जिसके श्रेष्ठता पर ‘वोल्तेयर’ को छोड़कर किसी बड़े लेखक ने प्रश्न नहीं उठाया। ये साहित्य कहाँ से आया? इस सूची में सैंकड़ों शोध हुए हैं जिनमे 80 से ज्यादा संदिग्धों के नाम सामने आये हैं। उनमे तीन-चार नाम प्रमुख हैं।
पहला-क्रिस्टोफ़र मार्लो, दूसरा-फ्रांसिस बेकन, तीसरा-एडवर्ड डी वीयर और चौथा-कम से कम छह-सात लेखकों का एक समूह। इन पर संदेह करने की वजह बहुत विस्तृत, गहरी और रहस्यपूर्ण हैं। एक ऐसा रहस्य जो उसी काल के एक और महान साहित्यकार की हत्या तक जाता है लेकिन उसका शव भी कभी किसी ने नहीं देखा।

–कुमार पंकज भैया 🙏❤️

यह एक बहुत रोचक और पुराना विवाद है — जिसे “Shakespeare authorship question” कहा जाता है।
संक्षेप में कहें तो:
👉 मुख्यधारा के विद्वान और इतिहासकार मानते हैं कि विलियम शेक्सपीयर (1564–1616), जो इंग्लैंड के स्ट्रैटफ़र्ड-अपॉन-एवन नगर से थे, उन्हीं ने अपने नाम से प्रसिद्ध सभी नाटक और कविताएँ स्वयं लिखीं।
लेकिन कुछ लोगों का मत है कि शेक्सपीयर केवल नाममात्र का व्यक्ति था और असल में कोई और लेखक छद्म नाम से लिख रहा था।

✳️ विवाद के प्रमुख पक्ष:

  1. आधिकारिक मत (Mainstream view):
    शेक्सपीयर एक अभिनेता और नाटककार थे। उनके समकालीन लेखकों ने भी उनका उल्लेख किया है।

    • उनके नाम से प्रकाशित कृतियाँ — Hamlet, Macbeth, Othello, King Lear आदि — उनके समय में मंचित भी हुईं।
    • 1623 में First Folio नामक संकलन उनके मित्रों ने प्रकाशित किया, जिसमें उन्हें लेखक के रूप में स्पष्ट रूप से श्रेय दिया गया।
  2. संदेह करने वाले मत (Authorship doubters):
    18वीं–19वीं शताब्दी में कुछ लोगों ने कहा कि शेक्सपीयर के पास “राजदरबार, कानून और साहित्य की इतनी गहरी समझ” नहीं हो सकती थी, जितनी उनके नाटकों में दिखती है।
    इसलिए उन्होंने कुछ वैकल्पिक नाम सुझाए:

    • Francis Bacon (दार्शनिक और राजनेता)
    • Edward de Vere, Earl of Oxford (एक कुलीन व्यक्ति)
    • Christopher Marlowe (अन्य नाटककार)
    • Mary Sidney (कवयित्री)
      इन विचारों को “Oxfordian theory” या “Baconian theory” कहा जाता है।
  3. साक्ष्य क्या कहते हैं:
    • अधिकांश ऐतिहासिक दस्तावेज़ — कर रिकार्ड, थिएटर अनुबंध, समकालीन कवियों की प्रशंसा — शेक्सपीयर को ही लेखक सिद्ध करते हैं।
    • किसी अन्य व्यक्ति द्वारा छद्म नाम से लिखने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।

🔍 निष्कर्ष:

विवाद मौजूद है, लेकिन
📚 अधिकांश इतिहासकार, भाषाविद् और साहित्य-विशेषज्ञ मानते हैं कि शेक्सपीयर ने अपने नाटक स्वयं लिखे।
छद्म-लेखन की थ्योरीज़ दिलचस्प हैं, पर ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं मानी जातीं।


🏛️ 1. समकालीन उल्लेख (Contemporary References)

शेक्सपीयर के जीवनकाल में ही अन्य लेखक और कवि उनके काम की चर्चा करते हैं —

  • बेन जॉन्सन (Ben Jonson) — शेक्सपीयर के समकालीन महान नाटककार थे। उन्होंने First Folio (1623) की भूमिका में लिखा:

    “He was not of an age, but for all time.”
    (अर्थात: “वह केवल अपने युग का नहीं, बल्कि सभी युगों का लेखक था।”)

  • Francis Meres (1598) ने अपनी पुस्तक Palladis Tamia में शेक्सपीयर को “England’s best for comedy and tragedy” कहा।
    इससे सिद्ध होता है कि 1590 के दशक में ही शेक्सपीयर प्रसिद्ध नाटककार के रूप में जाने जाते थे।

📜 2. आधिकारिक प्रकाशन और रिकॉर्ड्स

  • शेक्सपीयर के नाम से दर्ज नाटक और कविताएँ उनके जीवनकाल में ही प्रकाशित हुईं, जैसे
    • Venus and Adonis (1593)
    • The Rape of Lucrece (1594)
      दोनों पर स्वयं शेक्सपीयर का नाम लेखक के रूप में मुद्रित है।
  • उनके नाटकों के थिएटर रिकॉर्ड, जैसे Lord Chamberlain’s Men और King’s Men में उनका नाम actor and playwright के रूप में दर्ज है।

🏠 3. Stratford-upon-Avon से जुड़ाव

  • उनके जन्म, विवाह, और मृत्यु के कानूनी दस्तावेज़ सुरक्षित हैं।
  • उनके घर New Place और पारिवारिक विरासत के रेकॉर्ड दिखाते हैं कि वे सम्पन्न नागरिक थे — यानी थिएटर से कमाई करते थे।
  • उनकी वसीयत (1616) में उन्होंने थिएटर के सहकर्मियों का उल्लेख किया — वही लोग जिन्होंने बाद में First Folio प्रकाशित किया।

✍️ 4. भाषा और शैली के प्रमाण

भाषावैज्ञानिक (linguistic) विश्लेषण से यह पाया गया है कि:

  • शेक्सपीयर की शब्दावली, लय, और रूपकों की शैली लगातार एक जैसी है और वही उनके सभी नाटकों में मिलती है।
  • अगर कोई और लेखक (जैसे Francis Bacon या Oxford) होते, तो भाषा और संरचना में स्पष्ट अंतर दिखाई देता — पर ऐसा नहीं है।

🎭 5. मंचीय और सामाजिक प्रमाण

  • शेक्सपीयर एक अभिनेता भी थे; कई मंचीय पात्रों की सूची में उनका नाम “Will Shakespeare” लिखा है।
  • Globe Theatre और Blackfriars Theatre के अभिलेखों में भी उनका उल्लेख है।

⚖️ 6. विरोधी सिद्धांतों की कमजोरी

  • जिन लोगों ने कहा कि कोई और लेखक था (जैसे Bacon या Oxford), उनके पास कोई मूल पांडुलिपि, हस्तलिपि या समकालीन गवाह नहीं है।
  • कई “गूढ़ संकेत” या “कोड” वाले दावे बाद में कल्पनाश्रित या झूठे सिद्ध हुए।
  • Edward de Vere की मृत्यु 1604 में हुई थी — जबकि शेक्सपीयर के कई नाटक (The Tempest, Cymbeline) उसके बाद लिखे गए।

🪶 निष्कर्ष:

इतिहास, भाषा, थिएटर रेकॉर्ड और समकालीन लेखन — सब यह दर्शाते हैं कि

🎭 विलियम शेक्सपीयर ही उन महान नाटकों के असली लेखक थे, किसी छद्म नाम के नहीं।

बहुत बढ़िया 👏
अब आइए समझते हैं — “शेक्सपीयर ने खुद नहीं लिखा” जैसी थ्योरीज़ क्यों और कैसे लोकप्रिय हुईं, जबकि ठोस प्रमाण शेक्सपीयर के पक्ष में हैं।


🧩 1. सामाजिक वर्ग का भ्रम

विलियम शेक्सपीयर साधारण परिवार से थे — उनके पिता दस्ताने बनाने का काम करते थे।
19वीं शताब्दी के कई “अभिजात” विद्वानों को लगा कि

“इतनी उच्च कोटि की भाषा, राजनीति, दर्शन और दरबार की जानकारी केवल कोई कुलीन व्यक्ति ही रख सकता है।”

इस वर्गीय पूर्वाग्रह ने लोगों को यह मानने पर मजबूर किया कि
👉 कोई रईस व्यक्ति (जैसे Francis Bacon या Earl of Oxford) छद्म नाम से लिख रहा होगा।
लेकिन यह विचार इस गलत धारणा पर टिका था कि प्रतिभा केवल ऊँचे वर्ग में जन्म ले सकती है —
जो इतिहास बार-बार गलत साबित करता रहा है।


🕵️ 2. “रहस्यमय जीवन” का आकर्षण

शेक्सपीयर के जीवन के बारे में बहुत कम निजी विवरण मिलते हैं —
उनके पत्र, पांडुलिपियाँ या डायरी नहीं बचीं।
यह “खाली जगहें” (gaps) लोगों की कल्पना को उकसाती हैं:

“इतने महान लेखक के जीवन के बारे में इतना कम कैसे पता हो सकता है?”

इस रहस्य ने लोगों को षड्यंत्र जैसी कहानियाँ गढ़ने का मौका दिया।


🧠 3. बौद्धिक खेल और “कोड खोजने” की प्रवृत्ति

19वीं–20वीं शताब्दी में कुछ लोगों ने दावा किया कि शेक्सपीयर के नाटकों में
गुप्त संकेत (codes) या छिपे हुए अक्षर हैं, जो किसी और लेखक का नाम बताते हैं।
उदाहरण के लिए:

  • “Baconian theory” वालों ने कहा कि First Folio के अक्षरों में गुप्त रूप से Bacon नाम छिपा है।
  • परन्तु जब इन तथ्यों की गणितीय और भाषाई जाँच हुई, तो यह साबित हुआ कि वे संजोग (coincidence) मात्र थे।

📚 4. रोमांटिक युग की कल्पनाशीलता

18वीं–19वीं सदी का Romantic Age “महान रहस्यमय प्रतिभा” की पूजा करता था।
कवि और पाठक चाहते थे कि कोई “गुप्त जीनियस” पर्दे के पीछे से सब लिख रहा हो —
यह विचार रोमांचक और रोमांटिक था, भले ही ऐतिहासिक रूप से गलत।


📖 5. आधुनिक युग में “षड्यंत्र संस्कृति”

आज भी इंटरनेट और सोशल मीडिया पर षड्यंत्र सिद्धांत (conspiracy theories) बहुत लोकप्रिय हैं।
लोगों को लगता है कि “सच” छिपाया जा रहा है, और वे खुद “सच्चाई के खोजी” हैं।
शेक्सपीयर विवाद इसी मानसिकता से जुड़ा हुआ है —
हालाँकि अधिकांश विशेषज्ञ इसे साहित्यिक कल्पना (literary myth) मानते हैं।


🎯 निष्कर्ष:

शेक्सपीयर पर संदेह पैदा होने के पीछे कारण थे —

  1. उनका विनम्र जन्म,
  2. उनके जीवन की सीमित जानकारी,
  3. रहस्य और रोमांच की खोज,
  4. और आधुनिक षड्यंत्र संस्कृति।

लेकिन
📚 इतिहास, भाषा और समकालीन साक्ष्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि शेक्सपीयर ही अपने नाटकों के वास्तविक लेखक थे।


इन “छद्म लेखन सिद्धांतों” (Authorship theories) में से कौन-सा सबसे प्रसिद्ध है — और उसका क्या तर्क (logic) था?

 

बहुत अच्छा 🌿
अब हम देखते हैं कि शेक्सपीयर “छद्म लेखन” सिद्धांतों (Authorship Theories) में कौन-कौन से प्रमुख मत उभरे,
और उनमें से कौन-सा सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली रहा —
साथ ही उनके तर्क (logic) और कमजोरियाँ भी।


🎩 1. Francis Bacon Theory (सबसे पुराना और प्रारंभिक सिद्धांत)

संस्थापक: 19वीं सदी में Delia Bacon और Ignatius Donnelly
मत:

Francis Bacon (दार्शनिक, वैज्ञानिक और इंग्लैंड के लॉर्ड चांसलर) ही असली लेखक थे।
शेक्सपीयर केवल “नाममात्र” का अभिनेता था।

मुख्य तर्क:

  • Bacon शिक्षित, विद्वान और राजदरबारी थे — इसलिए वे दरबार, कानून, और दर्शन की बातें बेहतर जानते थे।
  • कुछ लोगों ने दावा किया कि नाटकों के अक्षरों या शब्दों में गुप्त “cipher code” छिपा है, जिसमें Bacon का नाम लिखा है।

कमजोरियाँ:

  • ऐसे किसी cipher या कोड का प्रमाण कभी नहीं मिला।
  • Bacon की लेखन शैली और भाषा शेक्सपीयर से बिलकुल अलग है — उनकी भाषा भारी, तर्कप्रधान और नाटकीय नहीं है।
  • Bacon के अपने पत्रों में ऐसा कोई संकेत नहीं कि उन्होंने गुप्त रूप से नाटक लिखे।

📉 आज यह सिद्धांत ऐतिहासिक रूप से खारिज माना जाता है।


🏰 2. Edward de Vere, 17th Earl of Oxford Theory

संस्थापक: 20वीं सदी की शुरुआत में J. Thomas Looney (1918)
मत:

Oxford के Earl Edward de Vere ही असली लेखक थे।
उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए “William Shakespeare” नाम का उपयोग किया।

मुख्य तर्क:

  • Oxford एक कुलीन व्यक्ति थे और कला, साहित्य व यात्रा में दक्ष थे।
  • नाटकों में पाए जाने वाले दरबारी ज्ञान, यूरोपीय सन्दर्भ, और फ्रांसीसी/इतालवी संस्कृति Oxford के अनुभवों से मेल खाते हैं।
  • कुछ लोग कहते हैं कि “Shakespeare” एक प्रतीकात्मक नाम है: “Shake-spear” = भाला चलाने वाला कवि (Poet-warrior)

कमजोरियाँ:

  • Oxford की मृत्यु 1604 में हुई थी, जबकि शेक्सपीयर के कई श्रेष्ठ नाटक (King Lear, Macbeth, The Tempest) उसके बाद लिखे और मंचित हुए।
  • Oxford के जीवनकाल में शेक्सपीयर नाम के नाटक सार्वजनिक रूप से चल रहे थे — अगर वह लेखक होते, तो कोई न कोई संकेत मिलता।
  • किसी समकालीन ने कभी यह नहीं कहा कि Oxford ही असली लेखक थे।

📊 यह सिद्धांत आज भी “सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक थ्योरी” है,
लेकिन मुख्यधारा के इतिहासकार इसे प्रमाणहीन मानते हैं।


🔥 3. Christopher Marlowe Theory

मत:

Marlowe (जो 1593 में मारे गए माने जाते हैं) वास्तव में जीवित रहे और शेक्सपीयर के नाम से लिखते रहे।

मुख्य तर्क:

  • Marlowe भी नाटककार थे और उनकी लेखन शैली कुछ हद तक शेक्सपीयर जैसी थी।
  • कुछ लोग मानते हैं कि उनकी “झूठी मृत्यु” हुई, ताकि वे छद्म नाम से काम कर सकें।

कमजोरियाँ:

  • Marlowe की हत्या के ठोस सरकारी दस्तावेज़ मौजूद हैं।
  • शेक्सपीयर के नाटकों में Marlowe की तुलना में कहीं अधिक परिपक्व और विकसित भाषा है।

📉 यह सिद्धांत साहित्यिक कल्पना के स्तर पर ही सीमित है।


🌹 4. अन्य कम प्रसिद्ध दावे

कई और नाम भी सुझाए गए — जैसे

  • Mary Sidney (Countess of Pembroke)
  • William Stanley (Earl of Derby)
  • Roger Manners (Earl of Rutland)
    पर इन सभी में प्रमाण बहुत कमजोर हैं और कोई ऐतिहासिक समर्थन नहीं मिला।

🪶 निष्कर्ष:

सबसे प्रसिद्ध वैकल्पिक मत है —

🎩 “Oxfordian Theory” (Edward de Vere वाला सिद्धांत)

यह सबसे लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि वह “राजसी रहस्य”, “साहित्यिक प्रतिभा”, और “गुप्त पहचान” — इन तीनों को जोड़ता है।
लेकिन अकादमिक दृष्टि से
📚 William Shakespeare of Stratford-upon-Avon ही असली लेखक माने जाते हैं।


तालिका तुलना —👉 “शेक्सपीयर बनाम छद्म लेखक सिद्धांतों” (प्रमाण, तर्क, कमजोरियाँ) की, ताकि एक नज़र में अंतर साफ दिखे?

बहुत बढ़िया 🌿
नीचे एक स्पष्ट तालिका दी गई है —
जिसमें विलियम शेक्सपीयर और प्रमुख छद्म लेखन सिद्धांतों की तुलना की गई है:


📊 “शेक्सपीयर लेखन विवाद” — तुलनात्मक सारणी

क्रम सिद्धांत / व्यक्ति मुख्य दावा प्रस्तुत तर्क मुख्य कमजोरियाँ आधुनिक विद्वानों का मत
1 विलियम शेक्सपीयर (Stratford-upon-Avon) शेक्सपीयर ने स्वयं नाटक और कविताएँ लिखीं समकालीन प्रमाण, थिएटर रिकॉर्ड, प्रकाशन पर उनका नाम, शैलीगत निरंतरता निजी जीवन की जानकारी कम है अधिकांश विद्वान इन्हें ही असली लेखक मानते हैं
2 Francis Bacon Bacon ने शेक्सपीयर के नाम से लिखा उच्च शिक्षित, दरबार की जानकारी, कथित “गुप्त कोड” कोई प्रमाण नहीं; शैली अलग; Bacon ने खुद कभी दावा नहीं किया ❌ खारिज किया गया सिद्धांत
3 Edward de Vere (Earl of Oxford) Oxford ने अपने कुलीन पद के कारण गुप्त रूप से लिखा दरबारी ज्ञान, यूरोप यात्राएँ, शिक्षित पृष्ठभूमि 1604 में मृत्यु — कई नाटक बाद के हैं; समकालीन साक्ष्य नहीं ⚠️ सबसे “लोकप्रिय” वैकल्पिक सिद्धांत, पर प्रमाणहीन
4 Christopher Marlowe Marlowe ने अपनी “झूठी मृत्यु” के बाद शेक्सपीयर नाम से लिखा शैली में समानता; रहस्यमय हत्या मृत्यु के सरकारी दस्तावेज़ मौजूद; बाद के नाटकों की भाषा अलग ❌ काल्पनिक, साहित्यिक कहानी जैसा सिद्धांत
5 Mary Sidney / Earl of Derby आदि किसी और कुलीन व्यक्ति ने लिखा कुलीन और शिक्षित होने के कारण संभावना जताई गई कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं ❌ कल्पनाश्रित, ऐतिहासिक समर्थन नहीं

🧠 संक्षिप्त निष्कर्ष

  • प्रमाणिकता और समकालीन साक्ष्य केवल शेक्सपीयर के पक्ष में हैं।
  • वैकल्पिक सिद्धांत अधिकतर कल्पना, सामाजिक पूर्वाग्रह और रहस्य के आकर्षण पर आधारित हैं।
  • इसलिए आज तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय या ऐतिहासिक संस्था ने इन सिद्धांतों को प्रमाणिक नहीं माना।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *