विश्व बैंक ने चेताया, भारत कभी नहीं कर सकता अमेरिका की बराबरी

चीन को 10… तो भारत को लगेंगे अमेरिका की बराबरी को 75 साल, वर्ल्ड बैंक ने कहा- लक्ष्य पाने में कई चुनौतियां!
World Bank Report : विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के कई मिडिल इनकम ग्रुप वाले देश अभी भी पिछली सदी की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं और प्रमुख रूप से निवेश को बढ़ाने पर जोर दिए जाने की नीतियों पर निर्भर हैं.

वर्ल्ड बैंक ने बताया भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने फिलहाल क्या चुनौतियां?

नई दिल्ली 07 अक्टूबर 2024. भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (India Fastest Growing Economy) बना हुआ है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने का टारगेट टॉप पर रखा है और इसके लिए 2047 तक की डेडलाइन तय की है. इस बीच हाल ही में आई वर्ल्ड बैंक (World Bank) की रिपोर्ट में इस लक्ष्य प्राप्ति में चुनौतियां पहचान बताया गया है कि आखिर देश कब तक ये इसे पा सकता है.

विश्व बैंक की World Development Report 2024: The Middle Income Trap शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन (China) समेत दुनिया के 100 से ज्यादा देशों को हाई इनकम वाले देश का दर्जा (High Income Status) पाने में अभी लंबा समय लग सकता है. रिपोर्ट की मानें तो भारत को अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के महज एक-चौथाई तक पहुंचने में ही 75 साल का समय लग सकता है. फिलहाल भारत की प्रति व्यक्ति आय 2200 डॉलर के आस-पास है, जबकि अमेरिका में ये करीब 37,000 डॉलर है.

चीन 10 साल में पा सकता है मुकाम
एक ओर जहां अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के एक चौथाई हिस्से तक पहुंचने में भारत को 75 साल का समय लग सकता है, तो वहीं वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, इंडोनेशिया को भी ये टारगेट हासिल करने में सात दशक का समय लग सकता है. इस बीच अगर बात ड्रैगन की करें, तो चीन भारत और इंडोनेशिया से बहुत पहले इस आंकड़े को छूने में कामयाब हो सकता है. विश्व बैंक का कहना है कि China इस टारगेट को 10 साल में ही पा सकता है.

दुनिया में हर 3 में से 2 लोग गरीबी के जाल में
World Bank की इस ताजा रिपोर्ट में साल 2023 के अंत में दुनिया के 108 देशों को मिडिल इनकम ग्रुप के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इनकी प्रति व्यक्ति सालाना जीडीपी 1,136 US Dollar से लेकर 13,845 डॉलर के बीच थी. इन देशों में 6 अरब लोग रहते हैं, जो वैश्विक आबादी का 75 फीसदी है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, दुनिया में प्रत्येक तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

भारत के सामने क्या है चुनौतियां?
विश्न बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बीते 50 सालों के अनुभव के आधार पर पाया है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, वे आम तौर पर सालाना US की प्रति व्यक्ति जीडीपी के लगभग 10 फीसदी के ‘जाल’ में फंस जाते हैं. ये 10 फीसदी की रकम फिलहाल करीब 8,000 डॉलर के बराबर हो जाती है. भारत की चुनौतियों के बारे में बताते हुए इसमें कहा गया है कि तेजी से बूढ़ी होती आबादी, बढ़ता कर्ज, भू-राजनीतिक और व्यापारिक तनाव के अलावा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक रूप से आगे बढ़ने में पेश आ रही कठिनाई इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा है.

जाल से निकलने का बताय ये उपाय
अपनी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने इस जाल से निकलने के लिए क्या उपाय जरूरी हैं, इसके बारे में भी बताया है. इसमें कहा गया है कि कई मिडिल इनकम ग्रुप वाले देश अभी भी पिछली सदी की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं और प्रमुख रूप से निवेश को बढ़ाने पर जोर दिए जाने की नीतियों पर निर्भर हैं. जो कि बिल्कुल कार को पहले गियर में चलाने और उसे तेज चलाने की कोशिश करने जैसा ही है. World Bank ने कहा है कि इन देशों को ‘मिडिल इनकम ट्रैप’ से निकलने के लिए थ्री-आई (3i) पर फोकस करना चाहिए. ये तीन आई इन्वेस्टमेंट (Investment), इनोवेशन (Innovation) और नई तकनीक में इन्फ्यूजन (Infusion) हैं.
TOPICS:
संयुक्त राज्य अमेरिका
चीन
इंडोनेशिया

­

दोक्या पूरा हो पाएगा 2047 तक विकसित भारत का सपना?
केंद्रीय बजट 2024-25 का एक खास उद्देश्य है- 2047 तक विकसित भारत की नींव रखना। इस वर्ष देश अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में इस नींव को बनाने के लिए 9 प्राथमिकता वाले क्षेत्र गिनाए हैं।

उन्होंने इसे विकसित भारत के लिए “प्रधानमंत्री का पैकेज” बताया है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कुछ अन्य क्षेत्रों के साथ कौशल और रोजगार का सृजन, युवा विकास, कृषि, ऊर्जा सुरक्षा और शहरी विकास शामिल है। उनकी यह घोषणा देजा वू (पहले भी देखा-सुना जैसा एहसास) की याद दिला रही है।

इससे पहले मौजूदा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल (2014-19) में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर भी 2022 तक “नए भारत” का वादा किया था। इस नए भारत में 2047 तक विकसित भारत के समान प्राथमिकता वाले क्षेत्र शामिल थे। लेकिन हालिया आकलन के अनुसार, नए भारत वाले किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया है।

इस नए भारत के लिए 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना, महिलाओं के लिए रोजगार पैदा करना, किसानों की आय दोगुनी करना और गरीबी उन्मूलन (आय गरीबी और बहुआयामी गरीबी में भ्रमित नहीं होना चाहिए) जैसे लक्ष्य शामिल हैं।

2022-23 के बजट भाषण के दौरान जब नए भारत की समयसीमा पूरी हो गई, तब सीतारमण ने इस वादे या इसके विकास लक्ष्यों का उल्लेख तक नहीं किया। न ही उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने का जिक्र किया।

इसके बजाय उन्होंने कहा, “यह बजट अगले 25 वर्षों के अमृत काल में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए नींव रखने और खाका देने का प्रयास करता है। एक तरह से उस बजट ने पहली बार अगले दो दशकों में भारत के विकसित देश बनने का संकेत दिया था। उस वर्ष अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से वादा दोहराया कि भारत 2047 तक विकसित देश बन जाएगा। ऐसे में सवाल है कि क्या हम इस मील के पत्थर तक पहुंचने के लिए सही रास्ते पर हैं?

विश्व बैंक ने हाल ही में एक आकलन में 2047 तक निम्न मध्यम आय अर्थव्यवस्था से विकसित देश बनने की भारत की महत्वाकांक्षा की “प्रशंसा” की है। लेकिन साथ ही उसने इस उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए भारत की क्षमता पर चिंता व्यक्त की है।

विश्व बैंक की अहम रिपोर्ट “वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024: द मिडिल इनकम ट्रैप” पिछले 50 वर्षों के अनुभवों के आधार पर बताती है कि कैसे देश एक स्तर से दूसरे स्तर पर पहुंचते हैं। इस मामले में मध्यम आय वर्ग के स्तर से उच्च आय वर्ग यानी विकसित देश के स्तर पर पहुंचते हैं।

रिपोर्ट में “मिडिल इनकम ट्रैप” नामक एक घटना का विस्तृत विवरण दिया गया है जो ऐसे अधिकांश देशों को प्रभावित करती है और उनके विकास और उन्हें विकसित देश बनने से रोकती है।

इस ट्रैप को इस तरह समझाया जा सकता है कि जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं (मध्यम आय के स्तर को प्राप्त कर लेते हैं), वे उस स्तर पर स्थिर हो जाते हैं, जब उनका प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अमेरिका के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का 11 प्रतिशत होता है जो वर्तमान में 8,000 डॉलर के बराबर है।

विश्व बैंक के अनुसार, यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की उस सीमा के बीच में है जो किसी देश को मध्यम आय की श्रेणी में शामिल करता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, “1990 के बाद से केवल 34 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं उच्च आय की स्थिति में पहुंचने में कामयाब हुई हैं। उनमें से एक तिहाई से अधिक यूरोपीय संघ में शामिल हुए देश हैं या वे देश हैं जहां पहले तेल नहीं खोजा गया था।”

विश्व बैंक के वर्गीकरण के अनुसार, दुनिया में 108 मध्यम आय वाले देश हैं जिनमें से प्रत्येक का वार्षिक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 1,136 से 13,845 अमेरिकी डॉलर के बीच है। देशों का यह समूह आर्थिक और विकास दोनों मापदंडों पर वैश्विक विकास को परिभाषित करता है।

ये देश वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई का घर हैं और दो-तिहाई आबादी अत्यधिक गरीबी में जी रही है, भले ही वे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत समेत मध्यम आय वाले देश अपने आर्थिक मॉडल में बदलाव नहीं करते हैं तो “चीन को प्रति व्यक्ति अमेरिकी आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 10 साल से अधिक समय लगेगा, इंडोनेशिया को 70 साल और भारत को 75 साल लगेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *