संभल उगल रहा है इतिहास: दोमंजिला रानी की बावड़ी दफ़न मिली मिट्टी में
जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी प्राचीन इमारत-सुरंग
संभल के लक्ष्मण गंज में खुदाई के दौरान मिली हिन्दू धर्म से जुडी एतिहासिक धरोहरें (चित्र साभार- आज तक)
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बंद पड़े मंदिरों के अलावा खुदाई के दौरान एक अन्य ऐतिहासिक धरोहर निकल कर सामने आई है। इसी जिले के चंदौसी क्षेत्र में राजस्व विभाग ने एक प्राचीन बावड़ी को भी खोज निकाला है। काफी बड़ी संरचना वाली इस बावड़ी को मिट्टी से दफन कर दिया गया था। फ़िलहाल प्रशसन द्वारा खुदाई का काम जारी है। माना जा रहा है कि अभी यहाँ पर सुरंग भी मिल सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खुदाई का ये काम चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके में हो रहा है। साल 1857 तक ये क्षेत्र हिन्दू बहुल हुआ करता था। यहाँ सैनी बहुतायत हुआ करते थे। वर्तमान में यह जगह मुस्लिम बहुल हो चुकी है। इस जगह की खुदाई की माँग को लेकर संभल के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र मिला था। प्रार्थना पत्र में लक्ष्मणगंज के अंदर रानी बिलारी की प्रचीन बावड़ी होने का दावा किया गया था। इसी शिकायत का संज्ञान लेकर राजस्व विभाग की टीम लक्ष्मण गंज पहुँची थी।
बस्ती के बीच में एक जगह चिन्हित कर के खुदाई शुरू हुई। कुछ ही देर बाद जमीन के नीचे प्राचीन इमारतें मिलनी शुरू हो गईं। मीडिया से बात करते हुए राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नीचे 2 मंजिला इमारत दबी हुई है। यहाँ मौजूद बावड़ी और विशाल कुआँ सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज है। बावड़ी की गहराई लगभग 250 फ़ीट बताई जा रही है। प्रशासन के पास नक्शा भी मौजूद है। आगे की खुदाई नक्शे के आधार पर की जाएगी। खुदाई का काम अभी भी जारी है। इसके विजुअल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
इस बीच भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम संभल पहुँच कर काम पर लग गई है। टीम ने यहाँ कल्कि मंदिर से अपनी जाँच पड़ताल शुरू की। इसके अलावा ASI 5 अलग-अलग जगहों पर भी सर्वे के लिए पहुँची। इन जगहों में 5 तीर्थ और 19 कुएँ शामिल हैं। इन कुओं में कल्कि मंदिर में मौजूद अति प्राचीन कृष्ण कूप भी शामिल है। शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए ASI के इस दौरे को हर संभव गुप्त ही रखने की कोशिश की गई थी।
गौरतलब है कि संभल में दंगों का पुराना इतिहास रहा है। इन्हीं दंगों के बल पर संभल नगरपालिका क्षेत्र से धीरे-धीरे हिंदुओं को मिटाया गया। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।
संभल में खुदाई में जिन रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी मिली, उनकी सबसे छोटी पोती शिप्रा ने उसकी पूरी कहानी बताई
संभल के चंदौसी में खुदाई के दौरान प्राचीन बावड़ी मिली है. बावड़ी में 2 कुंए और सीढ़ियां भी मिली हैं. बताया जा रहा है कि ये बावड़ी 250 फीट गहरी है. इसपर अतिक्रमण कर लिया गया था और इसे दबा दिया गया था. बताया जा रहा है कि ये बावड़ी रानी सुरेंद्र बाला की है. वह यहां रहा करती थीं.
दरअसल चंदौसी के जिस मुस्लिम इलाके में बावड़ी मिली है, वह 1857 में हिंदू इलाका हुआ करता था. मगर फिर से मुस्लिम बाहुल्य हो गया. अब हमने रानी सुरेंद्र बाला की पोती शिप्रा बाला से बात की है. उन्होंने इस बावड़ी को लेकर कई चौंकाने वाली बात बताई है. उनका कहना है कि ये बावड़ी उनके परिवार की संपत्ति है. अगर सरकार ये उन्हें देती है, तो ये बड़े सौभाग्य की बात है.
क्या बोलीं रानी सुरेंद्र बाला की पोती?
शिप्रा बाला रानी सुरेंद्र बाला की सबसे छोटी पोती हैं. पहले राजा का सहसपुर में उनका बंगला था. आज जो बावड़ी मिली है, वह भी गेस्ट हाउस की तरह था. मगर यहां खुद रानी रहती थीं. रानी की पोती शिप्रा के मुताबिक, पहले बावड़ी के आस-पास खेत थे. ये सभी खेत उनके परिवार के थे. रात को ठहरने के लिए बावड़ी काम आती थी. खुद रानी भी इसी कोठी में रहती थीं.
रानी की पोती शिप्रा ने कहा, उनके पिता ने ये संपत्ति बेची थी. जिस शख्स को संपत्ति बेची गई, उसने फिर ये संपत्ति अन्य लोगों को बेची. पहले यहां सारे हिंदू रहते थे. रानी की पोती ने कहा कि अगर ये संपत्ति उनके परिवार को वापस मिलती है तो हम सभी लोग इसकी देखभाल करेंगे.
2 मंजिला इमारत मिली
बता दें कि जैसे ही प्रशासन की टीम ने महोल्ला बाबरी बस्ती के बीच में बुलडोजर से खुदाई करनी शुरू कर दी तो देखते ही देखते वहां प्राचीन इमारत दिखनी शुरू हो गई. अभी तक खुदाई में 2 मंजिला इमारत दिखाई दी है. बता दें कि पुराने दस्तावेजों में कुआ और तालाब भी दर्ज है. माना जा रहा है कि ये वावड़ी 250 फीट गहरी हो सकती है. खुदाई के दौरान अभी तक बावड़ी के 8 कमरे, दो कुएं और 2 सीढ़िया मिली हैं. बता दें कि खुदाई के दौरान एक सुरंग भी मिली है.
दरअसल ऐसी किंवदंतियां हैं कि संभल में कई ऐतिहासिक सुरंग हैं, जो दिल्ली समेत भारत के कई पुराने शहरों और किलों तक जाती हैं. फिलहाल ये सुरंग कहां तक जाती है, ये पता नहीं है. खुदाई चल रही है.