नगीना मस्जिद उपद्रव:सरदार पटेल को बचाने में बलिदान हुए जाधव भाई मोदी की प्रतिमा तक नहीं
आज़ादी का अमृत महोत्सव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
जी -20
गुमनाम नायकों का विवरण
बच्चूभाई विरजीभाई पटेल
भावनगर, गुजरात
5 नवंबर 1907 को जन्मे बच्चूबाई विरजीभाई पटेल भावनगर में रहते थे और भावनगर राज्य प्रजा परिषद के सदस्य थे। वे विभिन्न आंदोलनों में शामिल थे और समाज के अन्य सदस्यों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेते थे। भावनगर राज्य प्रजा परिषद बैठकें आयोजित करती थी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करती थी। 14 मई 1939 को सरदार पटेल पहली बार भावनगर आए। वे विमान से भावनगर पहुंचे और उन्हें रेलवे स्टेशन ले जाया गया। वहां नागरिकों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया जाना था। सरदार पटेल के स्वागत में वे खुशी से अभिभूत थे। नागरिकों से माला और स्वागत स्वीकार करते हुए सरदार पटेल का जुलूस दानपीठ पहुंचा। वहां नगीना मस्जिद से लगभग 30 से 40 हथियारबंद गुंडे आगे बढ़े बच्चूभाई विरजीभाई स्वयंसेवकों के नेता थे, उन्होंने आते हमलावरों को तुरंत देखा और सरदार पटेल को गले लगा लिया, जबकि हमलावरों ने उन पर तलवारों, कुल्हाड़ियों, चाकुओं और लाठियों से हमला किया। जब तक हमलावर चले नहीं गए, बच्चूभाई और जादवजीभाई वहाँ से नहीं हटे। गहरे घाव और अत्यधिक रक्तस्त्राव के कारण बच्चूभाई की मौके पर ही जान चली गई। वे भारत माता के समर्पित सपूत थे और उन्होंने अपनी जान देकर सरदार पटेल की जान बचाई।
सोशल मीडिया से –
कांग्रेस ने किस तरह से इतिहास की तमाम घटनाओं को हमसे छुपा लिया सोचिये
यह तो किताबों में पढ़ाया गया कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने किया था
लेकिन यह कभी किताबों में नहीं पढ़ाया गया की 14 मई 1939 को भावनगर में सरदार पटेल के ऊपर जानलेवा हमला और उनकी हत्या की कोशिश किसने किया था और कितने अपराधियों को फांसी और आजीवन कारावास की सजा अदालत ने सुनाई
14 मई और 15 मई 1939 को भावनगर में सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में भावनगर राज्य प्रजा परिषद का पांचवा अधिवेशन होने वाला था
14 मई 1939 को सरदार वल्लभभाई पटेल भावनगर आए और रेलवे स्टेशन से खुली जीप में उनकी भव्य शोभा यात्रा निकली
सरदार पटेल खुली जीप में बैठकर सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे
और जब यह यात्रा खार गेट चौक पहुंची तब वहां नगीना मस्जिद में छुपे हुए 57 मुस्लिम लोगों ने तलवार छुरी और भाला लेकर जीप के तरफ दौड़कर आए
तुरन्त दो नवयुवक बच्चू भाई पटेल और जाधव भाई मोदी की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने सरदार पटेल को चारों तरफ से पकड़ कर खड़े हो गए और एक ढाल की तरह पूरा जानलेवा हमला खुद पर झेल लिया
वह सरदार पटेल का सुरक्षा कवच बन गए हमलावरों ने तलवार का कई वार इन दोनों युवाओं पर किया जिसमें बच्चू भाई पटेल तो घटनास्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हो गए जबकि जाधव भाई मोदी अस्पताल में वीरगति को प्राप्त हुए
जहां पर यह दोनों वीर नवयुवक वीरगति को प्राप्त हुए आज वहां पर उनकी मूर्ति भी लगी है
इस घटना में तब की अंग्रेजी सरकार ने बहुत अच्छे तरीके से जांच किया और एक विशेष कोर्ट बनाई कल 57 आरोपी पकड़े गए इसमें से आजाद अली रुस्तम अली सिपाही को सजा ए मौत यानी फांसी दिया गया
और कासम डोसा घांची, लतीफ मियां काजी, मोहम्मद करीम सिपाई, सय्यद हुसैन, चांद गुलाब सिपाई, हाशम सुमरा संधि, लोहार मूसा अब्दुल्ला, अली मियां अहमद मियां सैयद, अली मामद सुलेमान, मोहम्मद सुलेमान कुंभार अबू बकर अब्दुल्ला लोहार अहमदिया मोहम्मद मियां काजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई
इन्होंने अदालत में यह कहा की सरदार वल्लभभाई पटेल जो कोलकाता में मुस्लिम लीग के खिलाफ भाषण दिए थे उसी से उनके हत्या की साजिश रची गई थी
लेकिन अफसोस यह इतिहास की यह घटना कांग्रेस ने किताबों से हटा लिया ताकि यह कोई जान नहीं सके कि सरदार पटेल के जानलेवा हमला और उनकी हत्या की साजिश मुसलमानों ने रची थी
तीन साल पहले जूनागढ़ के इतिहासकार डॉक्टर प्रद्युम्न खाचर ने इस विषय पर एक वीडियो बनाया तो लोगों को जानकारी मिली।