सार:- क्या खोया,क्या पाया राहुल ने बिहार यात्रा में?

In-depth: विवादों से नहीं बच सकी राहुल की बिहार यात्रा, सोमवार को समापन, जानें कांग्रेस को क्या हासिल

राहुल गांधी 16 दिनों तक इस यात्रा के केंद्र में रहे. तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के दूसरे नेता भी शामिल हुए.यात्रा में जहां विपक्षी एकजुटता दिखी तो वहीं यात्रा विवादों से भी घिरी दिखी. जानिए इस यात्रा से क्या हासिल हुआ?

वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, रोहिणी आचार्या और अखिलेश यादव.
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा एक अगस्त को पटना में समाप्त होगी जहां एक लाख लोगों के शामिल होने का दावा है.यात्रा बिहार के 22 शहरों से होकर गुजरी जिसमें महागठबंधन के सभी दलों के नेता शामिल रहे. विपक्षी एकजुटता दिखी.यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री  मोदी और उनकी मां को अपशब्द कहे जाने का विवाद हुआ जिससे कई जगह झड़पें हुईं.

Voter Adhikar Yatra: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की वोटर अधिकार यात्रा एक अगस्त को पटना (Patna) में पदयात्रा के बाद समाप्त होगी. महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राहुल गांधी पटना की ऐतिहासिक गांधी मैदान (Gandhi Maidan) से निकलेंगे और वहां से डाक बंगला चौराहा होते हुए इनकम टैक्स गोलंबर तक पहुंचेंगे. पटना की इस पदयात्रा में कांग्रेस के एक लाख लोगों के शामिल होने का दावा हो रहा है. इसके बाद वे अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे. यहीं पर नेताओं का भाषण होगा और यात्रा का समापन होगा.

राहुल गांधी 16 दिनों तक इस यात्रा के केंद्र में रहे. तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav) समेत महागठबंधन के दूसरे नेता भी शामिल हुए. यात्रा में जहां विपक्षी एकजुटता दिखी तो वहीं यात्रा विवादों से भी घिरी दिखी. आखिरी दिन विवादों से बचे रहना भी यात्रा की एक चुनौती है.

बिहार के किन-किन शहरों से होकर गुजरी यात्रा
17 अगस्त से शुरू हुई महागठबंधन की इस वोटर अधिकार यात्रा 14 दिनों तक चली. जिसमें राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक के नेता और कार्यकर्ता बिहार के 22 शहरों से होकर गुजरे. ये शहर हैं-रोहतास,औरंगाबाद,गया,नवादा, नालंदा,लखीसराय,मुंगेर,भागलपुर,पूर्णिया,कटिहार,अररिया, फारबिसगंज,सुपौल,मधुबनी,दरभंगा,सीतामढ़ी,मोतिहारी, चंपारण,सीवान,छपरा,मुजफ्फरपुर और आरा.

रीगा में वोटर अधिकार यात्रा के मंच पर राहुल गांधी, तेजस्वी और दीपांकर भट्टाचार्य.
PM मोदी और उनकी मां को अपशब्द, सबसे बड़ा विवाद
सबसे बड़ा विवाद प्रधानमंत्री और उनकी मां (PM Modi Abuse Case) को गाली देने का हुआ. दरभंगा में वोटर अधिकार यात्रा को बनाए गए मंच से मौहम्मद रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया. भाजपा ने इस पर कड़ा पलटवार किया.

बिहार से दिल्ली तक प्रदर्शन हुआ. गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी से माफी मांगने तक की बात कही. भाजपा इस विषय पर यात्रा के बाद भी हमलावर रहेगी. पटना, मुजफ्फर पुर, बेगूसराय सहित कई शहरों में इस मुद्दें पर भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई।
रंजू देवी और सुबोध के नाम काटने का फर्जी दावा
राहुल गांधी इस यात्रा में उन लोगों से मिले, जिनके नाम कथित तौर पर मतदाता सूची से बाहर हुए हैं. इस दौरान रंजू देवी नाम की एक महिला ने उनसे बातचीत के दौरान यह कहा कि उनके परिवार के 6 सदस्यों का नाम लिस्ट से काट दिया गया है. हालांकि यह सभी नाम शामिल थे.

सुबोध कुमार नाम के एक BLA ने भी राहुल गांधी की गाड़ी से भाषण देते हुए यही दावा किया. जबकि सुबोध कुमार का नाम SIR से पहले ही लिस्ट से बाहर हो गया था.

स्टालिन और रेवंत रेड्डी की एंट्री को भाजपा ने बताया बिहारियों का अपमान
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन को यात्रा में बुलाने पर भी विवाद हुआ. रेवंत रेड्डी बिहारियों के DNA को कमतर बताया था.इस मुद्दे पर भी भाजपा ने यात्रा पर निशाना साधा.दूसरी ओर स्टालिन के बिहारी विरोधी पुराने बयानों और टिप्पणियों को लेकर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर दिखी.कहा गया कि जिन नेताओं ने बिहारियों का अपमान किया, कांग्रेस ने उन्हें बिहार में मेहमान बनाया.

अम्बेडकर की फोटो न लेने पर विवाद हुआ. समर्थक ने अंबेडकर की फोटो देने की कोशिश की, सुरक्षाकर्मी ने समर्थक को हटाया. इस दौरान वीडियो में सुरक्षाकर्मी समर्थक को लात मार कर हटाते हुए दिख रहे हैं. भाजपा ने इसे भी अंबेडकर के अपमान से जोड़ा. यात्रा के आखरी पड़ाव में आरा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को काले झंडे भी दिखाए.

राहुल गांधी की यात्रा से हासिल क्या हुआ?
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि कांग्रेस ने SIR विषय को राष्ट्रव्यापी बनाया और बिहार में इसे लीड किया. कांग्रेस इस यात्रा के केंद्र में दिखी. महागठबंधन और इंडिया अलायंस के दूसरे नेता भी कांग्रेस के अभियान से जुड़े. कांग्रेस की स्वीकार्यता बढ़ी है. वहीं तेजस्वी का ड्राइविंग सीट पर होना भी मैसेज है. सबसे बड़ी बात है कि महागठबंधन के सभी दल एकजुट हुए हैं.

आरा में वोटर अधिकार यात्रा के मंच पर एक साथ सभी विपक्षी दलों के बड़े नेता.
चुनाव से पहले एकजुट नजर आ रहे सभी विपक्षी दल
बिहार की राजनीति अन्य जानकार भी इस बात से इतफाक रख रहे हैं कि इस यात्रा का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि बिहार में चुनाव से पहले सभी विपक्षी दल एकजुट नजर आए. राजद, कांग्रेस, माले, वीआईपी के शीर्ष नेता लगातार 16-17 दिनों तक साथ-साथ चले. इससे कार्यकर्ताओं में भी मैसेज गया.

मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस बिहार में फिर दिखने लगी
दूसरा एक बड़ा फायदा यह हुआ कि 1989 के भागलपुर दंगे के बाद लगभग मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस फिर से जिंदा नजर आई. कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता इस यात्रा से रिचार्ज हुए. कुछ जानकारों का तो यहां तक कहना है कि इस यात्रा से बिहार में तेजस्वी से ज्यादा राहुल गांधी को फायदा हुआ है. हालांकि इस यात्रा में जुटने वाली भीड़ वोट में बदल पाएगी या नहीं, यह सबसे देखने वाली सबसे बड़ी बात होगी.

आगे की चुनौतीः क्या चुनाव तक बरकरार रहेगा SIR विषय?
मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि वोट चोरी विषय क्या सितंबर-अक्टूबर में होने वाले चुनाव तक बरकरार रहेगा और यदि मुद्दा बना रहा तो क्या वोट में बदलेगा? एक बात तो जरूर हुआ है कि लोग इस विषय पर वोट करें या नहीं, मगर बातें जरूर करने लगे हैं. अब यह महागठबंधन के दलों पर निर्भर करता है कि वो इस विषय को चुनाव तक जिंदा रख पाते हैं या नहीं.

भीड़ को वोट में बदलना
बिहार का मौजूदा राजनीतिक हालात इस बात का संकेत दे रहा है कि महागठबंधन में सब कुछ बेहतर तालमेल से चल रहा है. सीटों का बंटवारा से लेकर चुनाव लड़ने की रणनीति तक सब शांतिपूर्ण तरीके से तय हो जाएगा. लेकिन कांग्रेस के साथ सबसे बड़ी चुनौती भीड़ को वोट में बदलने की होगी. क्योंकि बिहार में राजद, सीपीआई का संगठन अपने-अपने दबदबे वाले इलाके में मजबूत है. लेकिन कांग्रेस की हालत पतली है. इसे समय रहते ठीक करना कांग्रेस की बड़ी चुनौती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *