स्वतंत्रता में क्रांतिकारियों को उचित महत्वपूर्ण स्थान नहीं
स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के नेतृत्व में अहिंसक आंदोलन का बड़ा योगदान लेकिन किसी और का हाथ नहीं ये कहना गलत: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि आजादी की लड़ाई कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ी गई। उसका बड़ा योगदान है लेकिन यह कहना गलत होगा कि औरों का कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इतिहास के किताबों में सशस्त्र क्रांति के इन योगदानों का उचित जगह नहीं मिली।
हाइलाइट्स
1-गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- सशस्त्र क्रांति ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता आंदोलन का किया सफल
2-इतिहास की किताबों में सशस्त्र क्रांति को नहीं दी गई उचित जगह : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
3-अहिंसक आंदोलन का भारत की आजादी में बड़ा रोल लेकिन ये कहना ठीक नहीं कि औरों का योगदान नहीं: शाहरेवोल्यूशनरीज: द अदर स्टोरी ऑफ हाऊ इंडिया विन इट्स फ्रीडम’ किताब का विमोचन करते गृह मंत्री अमित शाह
नई दिल्ली 11 जनवरी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र क्रांति से पैदा हुई देशभक्ति की ज्वाला ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाने में मदद की, लेकिन दुर्भाग्य से इन प्रयासों को इतिहास की पुस्तकों में उचित महत्व नहीं दिया गया। शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल की पुस्तक ‘रेवोल्यूशनरीज: द अदर स्टोरी ऑफ हाऊ इंडिया विन इट्स फ्रीडम’ के विमोचन के अवसर पर यह बात कही।
गृह मंत्री ने कहा, ‘मेरे जैसे लोग हैं जो मानते हैं कि सशस्त्र क्रांति से पैदा हुई देशभक्ति की ज्वाला के कारण ही कांग्रेस के नेतृत्व वाला स्वतंत्रता आंदोलन सफल हुआ। मैं इस बात को मानता हूं और मैं इसे साबित भी कर सकता हूं कि अगर सशस्त्र आंदोलन की समानांतर धारा न होती तो आजादी हासिल करने में कुछ दशक और लग जाते।’ उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन प्रयासों, सशस्त्र क्रांति के इन योगदानों को इतिहासकारों द्वारा उचित श्रेय नहीं दिया गया है।’पुस्तक में सामूहिक रूप से भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विनायक दामोदर सावरकर, अरबिंदो घोष, रासबिहारी बोस, बाघा जतिन, सचिंद्र नाथ सान्याल और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां वर्णित हैं। स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते हुए, शाह ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता बड़ी संख्या में व्यक्तियों और संगठनों के किए गए प्रयासों का परिणाम थी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता शाह ने कहा, ‘अगर हम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का विश्लेषण करते हैं, तो हम देखते हैं कि बड़ी संख्या में लोग, बड़ी संख्या में विचारधाराएं और संगठन एक ही लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रहे थे। यह उनके सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहता कि अहिंसक आंदोलन का भारत की स्वतंत्रता में कोई योगदान नहीं था, या यह इतिहास का हिस्सा नहीं है। अहिंसक आंदोलन ने एक महान भूमिका निभाई, स्वतंत्रता में इसका बड़ा योगदान था। लेकिन यह कहना सही नहीं है कि किसी और का कोई योगदान नहीं था।’ उन्होंने इन कथित गलतियों के लिए उन लोगों दोषी ठहराया जो ‘भारत के दृष्टिकोण से इतिहास बताने के लिए जिम्मेदार थे।’शाह ने कहा, ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी को भारतीय दृष्टिकोण से बताना जिन लोगों की जिम्मेदारी थी, मेरा मानना है कि उन्होंने कुछ गलतियां कीं। अंग्रेज चले गए लेकिन ‘अंग्रेजियत’ को पीछे छोड़ गए। और इतिहास ‘अंग्रेजियत’ के उस चश्मे से लिखा गया, जिसने आखिरकार यह सारा भ्रम पैदा किया।” उन्होंने युवा पीढ़ी, शिक्षाविदों और इतिहासकारों से ‘इतिहास को और करीब से पढ़ने तथा इसके सही संदेश को अगली पीढ़ियों तक ले जाने’ का आह्वान भी किया।