दिलबर नेगी को जिंदा जलाने में 11छूटे कोर्ट से
दिल्ली दंगे: दिलबर नेगी हत्याकांड में अदालत ने 11 लोगों को डिस्चार्ज किया,एक आरोपित के खिलाफ आरोप तय किए
नई दिल्ली 28 अक्टूबर। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को दिल्ली दंगों के एक मामले में 11 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया कि भीड़ ने तोड़फोड़ की,मिठाई की दुकान में आग लगा दी,जिसके परिणामस्वरूप 22 वर्षीय दिलबर नेगी नामक लड़के की जलने से मौत हो गई। (एफआईआर 39/2020 पीएस गोकुलपुरी)
कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि अलग-अलग समय में भीड़ में 11 आरोपितों की मौजूदगी और दंगे की अन्य घटनाओं में उनकी संलिप्तता, उन्हें उस घटना के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी बनाने का आधार नहीं हो सकती,जिसके परिणामस्वरूप नेगी की मृत्यु हुई।
हालांकि,न्यायाधीश ने एक आरोपित मोहम्मद शाहनवाज के खिलाफ हत्या,दंगा और गैरकानूनी सभा के आरोप तय किए।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि शाहनवाज दंगाई भीड़ का हिस्सा था,जो हिंदू समुदाय और उनकी संपत्तियों के खिलाफ कृत्यों में शामिल था, जिससे तोड़फोड़ की जा सके और उन्हें आग लगाई जा सके।
उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता,1860 (आईपीसी) की धारा 148,153ए,302,436,450,149 और 188 में आरोप तय किए गए।
11 आरोपितों को छोड़ते समय अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान पर ध्यान दिया और पाया कि उनमें से सभी नेगी की हत्या से सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं।
अदालत ने कहा,“यहां यह बताना जरूरी है कि अलग-अलग समय के दंगों के वीडियो में कई आरोपितों की पहचान की गई, लेकिन इन दो प्रत्यक्षदर्शियों में से किसी ने भी वीडियो के आधार पर उनकी पहचान नहीं की, जिससे यह कहा जा सके कि गोदाम में आग लगने से ठीक पहले गोदाम में प्रवेश करते समय ये आरोपित भी शानू के साथ थे। इसलिए शानू उर्फ शाहनवाज को छोड़कर अन्य आरोपित इस मामले में आरोपमुक्त होने के अधिकारी हैं।”
नेगी अनिल स्वीट कॉर्नर में वेटर था। इस मर्डर की थाना गोकलपुरी में आईपीसी की धारा 147, 148,149, 302,201,436 और 427 में एफआईआर लिखी गई।
एफआईआर लिखे जाने के बाद जांच स्थानीय पुलिस ने की। मामले की आगे की जांच क्राइम ब्रांच की एसआईटी को ट्रांसफर कर दी गई।
जांच के दौरान मामले में 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। जांच के बाद 4 जून 2020 को आरोप पत्र दाखिल किया गया।
सार्वजनिक गवाहों के बयानों के अनुसार,यह कहा गया कि दंगा हुआ,जहां दंगाइयों ने पथराव किया,हिंदू विरोधी नारे लगाए,कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और आग लगा दी। वे एक इमारत में भी घुस गए और मृतक को मार डाला, जो वहां छिपा हुआ था। दंगाइयों ने उसे बिल्डिंग सहित जला दिया।
ये रहा फैसला
ताहिर,शाहरुख,फैजल,शोएब सहित 6 आरोपितों को पिछले साल जनवरी में HC ने दे दी थी जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान गोकुलपुरी हुई दिलबर नेगी की हत्या के मामले में मंगलवार (18 जनवरी, 2022) को छह आरोपितों को जमानत दे दी थी। इन पर मिठाई की दुकान में तोड़फोड़ और उसमें आग लगा लगाने का आरोप था जहाँ आग और चोट लगने से उत्तराखंड के दिलबर नेगी की मौत हो गई थी। इनके खिलाफ गोकुलपुरी थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 201, 436 और 427 में एफआईआर लिखी गई थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले में मोहम्मद ताहिर,शाहरुख,मौहम्मद फैजल, मौहम्मद शोएब,राशिद और परवेज को जमानत दे दी। मृतक दिलबर सिंह नेगी अनिल स्वीट कार्नर में वेटर था। इन सभी आरोपितों पर मिठाई की दुकान में तोड़फोड़ और आग लगाने का मुकदमा था।
सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने आरोपितों की जमानत का कड़ा विरोध किया। महाजन ने दलील दी कि जहाँ दंगे सुबह शुरू हुए और देर रात तक जारी रहे,यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपित व्यक्ति दोपहर में दंगा करने वाली भीड़ का हिस्सा थे न कि रात में पथराव करने वाली भीड़ का।
बता दें कि 22 वर्षीय दिलबर नेगी को दिल्ली की गोकुल पुरी में दंगाइयों की भीड़ ने उसके हाथ-पैर काटकर आग में जला दिया था। नेगी घटना से छह महीने पहले ही अपने पैतृक राज्य उत्तराखंड से नौकरी करके सेना में भर्ती की तैयारी को दिल्ली आया था। दिल्ली पुलिस के अनुसार, 24 फरवरी को शिव विहार तिराहे के पास एक दंगा हुआ था जिसमें आरोपितों ने पथराव किया,तोड़फोड़ की और वहाँ कई दुकानों में आग लगा दी थी। दो दिन बाद एक मिठाई की दुकान से दिलबर नेगी का क्षत-विक्षत जला हुआ शव मिला था। बताया जाता है कि जब शव को लोगों ने देखा तब भी वह जल रहा था।
गोकुलपुरी थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की जाँच अपने हाथ में ले ली। हालाँकि, आगे की जाँच क्राइम ब्रांच की एसआईटी को ट्रांसफर कर दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जाँच के दौरान मामले में 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। वहीं छानबीन और जाँच के बाद 4 जून 2020 को चार्जशीट दाखिल की गई।
चार्जशीट के अनुसार, मुस्लिम भीड़ उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बृजपुरी पुलिया की तरफ से आई और हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाते हुए दंगा कर दिया और 24 फरवरी की देर रात तक आगजनी करती रही। पुलिस ने कहा कि भीड़ ने अनिल स्वीट्स दुकान में आग लगा दी थी, जहाँ से पुलिस ने 26 फरवरी को दिलबर नेगी का शव मिला था। हत्या के वक्त नेगी लंच और आराम करने के लिए दुकान के गोदाम में गया था, जहाँ उसे दंगाइयों ने काटकर आग में झोंक दिया था।
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिनों तक चले हिन्दू विरोधी दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि लगभग 200 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।