अमेरिका में पूछा राहुल का सवाल तो सीतारमण ने सुना दी खरी खरी

Nirmala Sitharaman Shows The Real Picture Of Minority Community In India

राहुल ने उठाए थे सवाल, निर्मला ने अमेरिका में सारे जवाब देकर पूरी दुनिया को दिखा दी असलियत
मेक इन इंडिया पर सीतारमण की दुनिया को खरी-खरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में अल्पसंख्यकों पर हिंसा के सवाल के जवाब में पश्चिमी मीडिया को करारा जवाब दिया। उन्होंने मेक इन इंडिया को लेकर भी दुनिया को सुना दी खरी-खरी।

हाइलाइट्स
1-निर्मला सीतारमण ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर दुनिया को सुना दी खरी-खरी
2-राहुल गांधी ने अल्पसंख्यकों और लोकतंत्र को लेकर लंदन में किए थे कई दावे
3-सोशल मीडिया पर निर्मला के बयान की हो रही है तारीफ

नई दिल्ली 12 अप्रैल: वायनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पिछले वक्त से लगातार चर्चा में रहे हैं। उनपर विदेश में देश की छवि को खराब करने का आरोप लगा था। लंदन में एक कार्यक्रम में राहुल ने आरोप लगाया था कि भारत में लोकतंत्र पर हमले हो रहा है। यही नहीं, भारत में मुस्लिम, ईसाई रहते हैं लेकिन मिस्टर नरेंद्र मोदी उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका दौरे पर हैं। उन्होंने वहां अल्पसंख्यकों और देश की छवि को लेकर दुनिया के सामने एक अलग नजरिया पेश किया।

राहुल के लंदन वाले बयान पर निर्मला का वॉशिंगटन बयान

दरअसल, राहुल ने विदेशी रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ गलत हो रहा है। लेकिन जब वॉशिंगटन में ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में एक बहस में निर्मला के सामने ये सवाल आया तो वित्त मंत्री चुन-चुनकर जवाब दिया। जहां राहुल पर विदेशी रिपोर्ट के हवाले से भारत की छवि को लेकर कई विरोधी बयान देने का आरोप लगे वहीं निर्मला ने पश्चिम मीडिया को करारा जवाब दिया।

मुस्लिमों संग अत्याचार? निर्मला ने चुन-चुनकर सुनाया

जब निर्मला से अल्पसंख्यकों से हिंसा होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने तथ्यों के साथ पश्चिम मीडिया को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जो कभी ग्राउंड पर गए ही नहीं उनकी बातों पर भरोसा मत करिए। ये लोग बिना जमीन पर गए रिपोर्ट तैयार कर देते हैं। आप भारत आकर खुद देखिए कि वास्तव स्थिति क्या है। अगर मुसलमानों पर अत्याचार होता तो यहां उनकी आबादी नहीं बढ़ती। 1947 में ही बने पाकिस्तान की स्थितियां तो अलग हैं, अल्पसंख्यकों के खिलाफ वहां हिंसा हो रही है। भारत में तो मुस्लिमों का हर वर्ग आगे बढ़ रहा है।

निर्मला का मुंहतोड़ जवाब

मोदी बयान पर अपनी संसद सदस्यता गंवा चुके राहुल गांधी ने लंदन के अपने बयान में देश में लोकतंत्र पर हमला से लेकर कई ऐसे बयान दिए थे जिस पर भाजपा ने उन्हें जमकर घेरा था। यही नहीं राहुल ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत का लोकतांत्रिक ढांचा नष्ट कर रहे हैं। उनके इन बयानों के बाद भाजपा ने उन पर चौतरफा हमला बोला था। अब निर्मला ने जिस तरह से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार पर पश्चिमी मीडिया को जवाब दिया है उसकी सोशल मीडिया पर तारीफ भी हो रही है।

भारत में मजबूत हुए अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में कितने बुरे हैं अल्पसंख्यकों के हालात… आंकड़ों से समझें

आजाद भारत की पहली जनगणना वर्ष 1951 में हुई थी, उस वक्त हिंदू आबादी 84.10 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.80 प्रतिशत थी. इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को कुल आंकड़ा 6.10 प्रतिशत था. इसी तरह अगर हम भारत की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2011 में हुई जनगणना को देखें तो उसके हिसाब से देश में हिंदू आबादी 78.35 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत है.

भारत में मजबूत हुए अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में कितने बुरे हैं अल्पसंख्यकों के हालात… आंकड़ों से समझें

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने लंदन दौरे पर अलग-अलग मंचों से भारत की सरकार, लोकतंत्र और यहां के हालात को लेकर बहुत सारी बातें कही थीं. राहुल गांधी ने विदेशी मंच से यहां तक कह दिया था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में आ गया है. उनके दौरे को विदेशी मीडिया ने खूब तवज्जो दी. हालांकि, भारत ने इस धारणा को गलत बताया. वर्ल्ड बैंक के साथ बैठक के लिए अमेरिका पहुंचीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भारत में अल्पसंख्यकों के हालात पर सवाल पूछा गया.

वित्त मंत्री से कहा गया कि विदेशी मीडिया, भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की बात करता है. इसको लेकर निर्मला सीतारमण ने विदेशी मीडिया के प्रोपेगेंडा की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने भारत और पड़ोसी पाकिस्तान की अल्पसंख्यक आबादी को लेकर बहुत कुछ ऐसा कहा, जिसकी काट, वहां मौजूद किसी के पास नहीं थी. लेकिन सवाल है कि क्या वाकई में भारत में अल्पसंख्यकों को परेशान किया गया है. आइए आंकड़ों से इसे समझते हैं…

आमतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय का जिक्र होते ही, लोग इसे मुस्लिम समुदाय से जोड़ने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. भारत के अल्पसंख्यकों में सिख, ईसाई, जैन, बौध जैसे अन्य समुदाय भी आते हैं. भारत की जनगणना से जुड़ा आंकड़े में भारत में मौजूद हर अल्पसंख्यक से जुड़ा डेटा मौजूद है

भारत में हिंदू आबादी हुई कम, मुस्लिमों की बढ़ी संख्या

आजाद भारत की पहली जनगणना वर्ष 1951 में हुई थी, उस वक्त हिंदू आबादी 84.10 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.80 प्रतिशत थी. इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को कुल आंकड़ा 6.10 प्रतिशत था. इसी तरह अगर हम भारत की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2011 में हुई जनगणना को देखें तो उसके हिसाब से देश में हिंदू आबादी 78.35 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत है.

ऐसे में देखा जाए तो हिंदू आबादी 1951 की जनगणना के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत कम हुई है, जबकि मुस्लिम आबादी करीब 5 प्रतिशत बढ़ी है. तो ऐसे लोग जो मुस्लिम समुदाय को ही एकमात्र अल्पसंख्यक मानते हैं, और ये धारणा बनाकर बैठे हैं, कि उनके खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं.

गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक भी बढ़े

मुस्लिम आबादी ही नहीं, देश में अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की कुल आबादी 7.45 प्रतिशत हो गई है, यानी 1951 की पहली जनगणना मुकाबले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आबादी भी करीब 1.3 प्रतिशत बढ़ी है. PEW रिसर्च के मुताबिक वर्ष 2050 तक भारत में मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 18.4 प्रतिशत हो जाएगी. यानी इसमें करीब 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.

आर्थिक रूप से भी देश के अल्पसंख्यक मजबूत

भारत में अल्पसंख्यकों की केवल आबादी ही नहीं बढ़ी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी देश के अल्पसंख्यक मजबूत हुए हैं. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे 2016 के मुताबिक हिंदुओं की कुल आबादी में केवल 19.3 प्रतिशत परिवार समृद्ध हैं, जबकि मुस्लिमों की कुल आबादी में करीब 18.2 प्रतिशत समृद्ध परिवार हैं. इसी तरह से कुल ईसाई आबादी में 29.10 प्रतिशत, सिखों की कुल आबादी में 59.60 प्रतिशत, जैन समुदाय की कुल आबादी में 70.6 प्रतिशत परिवार समृद्ध बताए गए हैं.

इस तरह से देखा जाए तो भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक , कई अन्य देशों के अल्पसंख्यकों के मुकाबले कहीं ज्यादा समृद्ध और सुखी हैं. निर्मला सीतारमण ने यही बात पड़ोसी देश पाकिस्तान का उदाहरण देकर समझाया. अक्सर ये देखा गया है कि भारत के खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के पीछे पाकिस्तान होता है. कई मौकों पर भारत के अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर, पाकिस्तान ही दुनियाभर में भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाता है.

पाकिस्तान में मुस्लिमों के हालात खराब

पाकिस्तान के लिए अल्पसंख्यक मतलब मुस्लिम आबादी ही है. इसमें भी पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिम, हजारा, इस्लाइली और बंटवारे के समय भारत से मुस्लिमों को,पाकिस्तानी मुस्लिमों जैसा दर्जा नहीं दिया जाता है. इन लोगों के हालात तो पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों से भी बुरे हैं.

पाकिस्तान में वर्ष 1951 में हुई जनगणना के हिसाब से हिंदू आबादी थी 12.9 प्रतिशत. इसके बाद वर्ष 1961 में हुई जनगणना में हिंदू आबादी घटकर 10.7 प्रतिशत हो गई. पाकिस्तान की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2017 की जनगणना में हिंदू आबादी 1.60 प्रतिशत थी. यानी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में विशेषतौर पर हिंदुओं की आबादी लगातार कम हुई है. वर्ष 1951 के मुकाबले आज वहां हिंदुओं की आबादी में 11.3 प्रतिशत घट चुकी है.

लेकिन वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के अंदर वर्ष 1951 में मुस्लिम आबादी 85.80 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 96.57 प्रतिशत हो गई है. इस आंकड़े में भी ज्यादा संख्या सुन्नी और शिया मुस्लिमों की है.

पाकिस्तान में मुस्लिम खुद को मुस्लिम बता दें तो जाना पड़ता है जेल

पाकिस्तान में मौजूद अहमदिया, बोहरा, हजारा और ईस्माइली मुस्लिमों की आबादी, कुल मुस्लिम जनसंख्या में से मात्र 4 प्रतिशत से भी कम रह गई है. पाकिस्तान में इन मुस्लिम समुदायों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे इनकी आबादी कम हुई है. जबकि ये लोग मुस्लिम समुदाय का ही हिस्सा हैं.

पाकिस्तान में स्थिति ये है कि अगर अहमदिया मुस्लिम, खुद को मुसलमान कह दें तो उन्हें जेल हो सकती है. आप समझ सकते हैं कि जब पाकिस्तान में कुछ मुस्लिम समुदाय ही खतरे में हैं, तो अल्पसंख्यकों खासकर गैर मुस्लिमों के हालात क्या होंगे.

ये आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के क्या हालात है. खासतौर से हिंदुओं की स्थिति कितनी बुरी है. दुनियाभर के देश जानते हैं कि भारत, अगले कुछ दशकों में एक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है. ये देखते हुए कई दुश्मन देशों की परेशानी बढ़ गई है.

Muslims In India Who Made Negative Western Perceptions Violence Nirmala Sitharaman
निर्मला ने अमेरिका में मुंहतोड़ जवाब तो दे दिया, पर मुसलमानों को लेकर देश की छवि बिगाड़ने वाले कौन लोग हैं?

भारत में मुसलमानों की आबादी 15-20 प्रतिशत के करीब है। हिंदुओं के बाद दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला धार्मिक समूह है। लेकिन पश्चिम में यह एजेंडा चलाया जा रहा है कि देश में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए भारत विरोधी नफरत फैलाने वाले को मुंहतोड़ जवाब दिया।

विदेशों में ऐसी धारणा बना दी गई है कि भारत में मुसलमानों के साथ अत्याचार होता है। पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंदन गए तो विदेशी रिपोर्टों का हवाला देते हुए कह आए कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ गलत हो रहा है। उन्होंने कहा था कि यह दुनिया के अखबार कह रहे हैं। अमेरिका में जब यही सवाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने उठा तो उन्होंने आंकड़े देते हुए भारत विरोधी एजेंडा चलाने वालों की बोलती बंद कर दी। निर्मला ने साफ कहा कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। उन्होंने पश्चिम की मीडिया को जवाब दिया कि भारत में मुसलमानों की आबादी में लगातार बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि जो लोग अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भारत सरकार को दोष देते फिरते हैं, उन्हें जमीनी हकीकत के बारे में पता ही नहीं है। दरअसल, वॉशिंगटन डीसी में ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में एक डिबेट के दौरान उनसे अर्थव्यवस्था और निवेश को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे तभी एक प्रश्न भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर आ गया। अब सवाल उठ रहे हैं कि वे कौन लोग हैं जो दुनिया में भारत की छवि को बिगाड़ रहे हैं। क्या भारत के ही कुछ नेता अपने बयानों से यह मौका दे रहे हैं या फिर दुनिया के कुछ मीडिया समूह भारत विरोधी एजेंडा चला रहे है।

राहुल ने क्या कहा था

लंदन में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा था, ‘भारत में मुस्लिम, ईसाई रहते हैं लेकिन मिस्टर नरेंद्र मोदी उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं।’ जब राहुल ने ऐसी बात कही तो भाजपा ने करारा जवाब दिया था। काफी बवाल हुआ था। संसद तक इसका असर दिखा। राहुल से माफी मांगने की मांग उठने लगी। भगवा दल ने कहा कि विदेश की धरती पर जाकर राहुल गांधी देश को बदनाम कर रहे हैं।
अमेरिका में बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

निर्मला से मुसलमानों पर सवाल

आज सोशल मीडिया पर निर्मला सीतारमण का बयान वायरल हो रहा है। पिछले दिनों रामनवमी के समय देश के कई शहरों में दो गुटों में झड़प हुई तो वैश्विक मीडिया ने इसे बहुसंख्यक vs अल्पसंख्यक के बीच का टकराव दिखाया। इसमें मुसलमानों को पीड़ित के तौर पर बताया गया। इसके जरिए दुनिया में यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत में मुसलमानों को खतरा है। इस संदर्भ में जब कार्यक्रम में निर्मला से पूछा गया कि राजनीति को लेकर पश्चिम में पर्सेप्शन अलग है। पश्चिमी मीडिया में व्यापक रिपोर्टिंग हो रही है कि विपक्षी सांसद (राहुल गांधी) का स्टेटस खत्म किया गया है, भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा हो रही है। कार्यक्रम में उनसे पूछा गया कि क्या इस तरह की धारणा बनने से भारत में निवेश प्रभावित होता है?

सीतारमण ने यूं ही नहीं धोया

निर्मला ने कहा कि इस सवाल का जवाब उन निवेशकों के पास है जो भारत आते हैं और वे लगातार आ रहे हैं। मैं इतना जरूर कहूंगी कि आप भारत आइए, खुद देखिए कि देश में क्या हो रहा है। उनकी मत सुनिए जो ग्राउंड पर कभी गए ही नहीं और रिपोर्ट तैयार कर दी। वित्त मंत्री ने आगे यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह उस धारणा को सही मान रही हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि जैसा कि ज्यादातर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुसलमानों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया गया है, अगर इसमें थोड़ी भी सच्चाई होती तो क्या 1947 के बाद मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी होती। उन्होंने कहा कि मैं उस देश का नाम लेना चाहूंगी, जिससे अंतर साफ समझ में आएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि उसी समय अस्तित्व में आए पाकिस्तान में स्थितियां बिल्कुल उलट हैं। पाकिस्तान में मुहाजिर (शरणार्थियों), शियाओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा हुई है जबकि भारत में मुस्लिमों का हर वर्ग तरक्की कर रहा है और आराम से

सीतारमण ने कहा, ‘पाकिस्तान ने खुद को इस्लामी देश घोषित किया। कहा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी जबकि पाक में हर अल्पसंख्यक समूह की आबादी घटती जा रही है। कुछ मुस्लिम समूहों की भी संख्या कम हुई है।’ वित्त मंत्री का इशारा शिया, अहमदिया और हजारा समुदाय की तरफ था।

मंत्री ने कहा कि भारत में कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है। हर प्रांत की अपनी निर्वाचित सरकार है, जो कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखती है। यह धारणा केवल एक भ्रम है कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा हो रही है। वित्त मंत्री ने आगे कहा, ‘अगर कुछ लोग भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराएंगे तो क्या 2014 से आज तक आबादी घटी है?’ सीतारमण ने कहा, ‘जो लोग इस तरह की खबरें लिखते हैं, मैं उन्हें भारत आने का न्योता देती हूं… वे भारत आएं और अपनी बात साबित करें।’ दुनिया की मुस्लिम आबादी का करीब 62% हिस्सा तुर्किये से इंडोनेशिया क्षेत्र में रहता है जिसकी आबादी एक अरब है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी (12.7%) इंडोनेशिया में है।

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