120 किलो वजनी होने से फरहाना बची संभल पत्थरबाजी आरोप से,जमानत

संभल हिंसा– 87 दिन जेल में रही निर्दोष फरहाना : पड़ोसन ने अपनी बहन बचाने को फंसाया, 120 किलो वजन बना रिहाई में सहायक 

संभल 09 मार्च 2025 । उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर, 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा हुई । इसमें 4 लोग गोली लगने से मारे गए । 25 से ज्यादा पुलिस-प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी घायल हुए । पुलिस पर पत्थर फेंकने के आरोप में 45 साल की फरहाना भी जेल गई ।

87 दिन जेल में बिता फरहाना घर लौट आई है। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि फरहाना कसूरवार नहीं थी। उसके पड़ोसन जेल गई एक महिला ने अपनी बहन को बचाने को फरहाना का नाम भी जुड़वा दिया था।

संभल हिंसा के बाद यह वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद फरहाना गिरफ्तार हुई थी।
फरहाना को क्लीन चिट मिलने में सिर्फ एक ही तर्क सबसे महत्वपूर्ण था। वो था उनका 120 किलो वजन। शारीरिक अक्षमता से फरहाना इस स्थिति में नहीं कि छत पर चढ़ सके। पुलिस ने फरहाना के साथ जेल गईं महिलाओं के बयान अंकित किए। मुकदमा लिखाने वाले पुलिसकर्मियों और चश्मदीदों को दूसरे जिलों से बयान को बुलाया। कई-कई बार CCTV की फुटेज देखी। आखिर यही बात निकली कि फरहाना छत पर नहीं थी।

सबसे पहले पूरा मामला समझिए

पुलिस पर पत्थर बरसाते दिखी थी महिला

24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद करीब 10 सेकेंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें मुंह पर कपड़ा ढके एक महिला पुलिस पर पत्थर फेंकती दिख रही है। महिला के पड़ोस में एक और महिला खड़ी है, लेकिन वह पत्थर नहीं फेंक रही थी। पुलिस ने लंबी जांच-पड़ताल में पाया कि वीडियो मोहल्ला हिंदूपुरा खेड़ा का है।

26 नवंबर, 2024 को थाना नखासा पुलिस ने मोहल्ला हिंदूपुरा खेड़ा से 45 साल की फरहाना (पत्नी सुभान) को पकड जेल भेज दिया। ‌उस पर आरोप लगा कि उसने पुलिस पर पत्थर बरसा दंगा कराया।

फरहाना पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की 8 गंभीर धाराएं लगाईं। पुलिस ने फरहाना की पड़ोसन जिकरा को भी पत्थरबाजी में गिरफ्तार किया। पुलिस ने जब जिकरा के बयान लिखे तो उसने पत्थरबाजी में फरहाना के भी शामिल होने की बात कबूली।

ये तस्वीर 24 नवंबर, 2024 को हिंसा वाले दिन की है, जब एक महिला छत से पत्थर फेंकती दिख रही थी।
फरहाना के एडवोकेट जकी अनवर ने बताया- मामले में हम बरेली जोन के ADG रमित शर्मा और फिर मुरादाबाद रेंज के DIG मुनीराज जी. से मिले। उन्हें बताया कि फरहाना निर्दोष है। जिस तस्वीर के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई है, वह महिला कोई और है।

DIG के निर्देश पर केस की री-इन्वेस्टिगेशन हुई। मामले की जांच संभल के अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद को मिली। उन्होंने करीब 2 महीने लंबी जांच बाद पाया कि पत्थर फेंकने वाली महिला फरहाना नहीं, उसकी पड़ोसन जिकरा और मरियम थीं। इसके बाद 20 फरवरी, 2025 को अदालत ने फरहाना को छोडने का आदेश दे दिया।

फरहाना को क्लीन चिट कैसे मिली, सिलसिलेवार पढ़िए…

गली के दाएं तरफ फरहाना और बाएं तरफ जिकरा का मकान है।
1- बराबर में घर होने से पुलिस को हुआ कन्फ्यूजन

एडवोकेट जकी अनवर ने बताया- हिंदूपुरा खेड़ा में एक छोटी-सी गली है। गली के कोने पर एक तरफ जिकरा और दूसरी तरफ फरहाना का घर है। पत्थरबाजी जिकरा के घर से हुई। पुलिस को लगा कि ये पत्थर फरहाना के घर से फेंके गए हैं। इसलिए पुलिस ने फरहाना को भी आरोपित मानकर पकड लिया। हमने पुलिस अफसरों को बताया कि वायरल वीडियो में दिख रही महिला पतली है। जबकि फरहाना का वजन 120 किलो है। वो छत पर चढ़ नहीं सकती और इतनी फुर्ती से पत्थर भी नहीं फेंक सकती। तब पुलिस ने वायरल वीडियो में पत्थर फेंकती महिला और फरहाना का शारीरिक आकलन किया। इसमें दोनों महिलाएं अलग-अलग पाई गईं।

ये जिकरा है, जो संभल हिंसा मामले में जेल में है।
2- जिकरा बोली- मैंने अपनी बहन को बचाने के लिए फरहाना का नाम लिखवाया

इस हिंसा में फरहाना की पड़ोसन जिकरा (पत्नी सुहैब ) भी जेल गई थी। पुलिस ने मुरादाबाद जेल में जाकर जिकरा का बयान लिखा। जिकरा ने पूरा घटनाक्रम पुलिस को बताया- मैं घटना की सुबह (24 नवंबर) अपने पिता जाकिर उर्फ छोटे के घर हिंदूपुरा खेड़ा आई थी। बहन मरियम भी सुबह ही घर आ गई थी।

सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर मुझे अपने घर की तरफ पुलिस आती दिखी। तब मैंने आस-पड़ोस की कुछ महिलाओं को अपने घर की छत पर बुला लिया। उनसे कहा कि आज इन पुलिसवालों को सबक सिखाना है। हमने छत पर ढेर सारे पत्थर इकट्ठा कर लिए थे। हमने ये पत्थर पुलिसवालों पर फेंकने शुरू कर दिए।

इस बयान में सब-इंस्पेक्टर प्रवीण त्यागी ने जिकरा से पूछा- क्या फरहाना भी आपके साथ छत पर थी? इस पर जिकरा ने जवाब दिया- फरहाना को मैंने बुलाया था, लेकिन वह डर से नहीं आई थी। फरहाना न तो मेरी छत पर आई, न मैंने उसको पत्थर मारते देखा था। मेरे साथ मेरी सगी बहन मरियम (पत्नी आसिफ)  थी। जब पुलिसवालों ने मुझे पकड़ लिया और पथराव की फोटो-वीडियो दिखाने लगे, तो मैंने बहन मरियम को बचाने को उसकी जगह फरहाना का नाम लिखवा दिया था।

जिकरा के कथन के आधार पर पुलिस ने 17 फरवरी, 2025 को उसकी बहन मरियम को पत्थरबाजी का आरोपित बना फरहाना को क्लीनचिट दे दी।

ये रुकैया, फरहाना और नजराना (बाएं से दाएं) हैं। पुलिस ने इन्हें हत्या की कोशिश और दंगे भड़काने जैसी धाराओं में पकड़ा था।

3- प्रत्यक्षदर्शी  दरोगा बोले- राह चलते लोगों ने बताया था फरहाना का नाम री-इन्वेस्टिगेशन में पुलिस ने इस घटना के प्रत्यक्ष  गवाह सब-इंस्पेक्टर प्रवीण त्यागी और बसंत यादव के भी बयान दर्ज किए। दोनों दरोगा से पूछा कि फरहाना सहित 3 महिलाओं के नाम की जानकारी आपको किस सोर्स ने दी थी?

इसके जवाब में उन्होंने कहा- हम थाने के कई पुलिसकर्मियों को लेकर आरोपियों की जानकारी करने मोहल्ला हिंदूपुरा पहुंचे। वहां कोई व्यक्ति साफ रूप से किसी का नाम बताने को तैयार नहीं हुआ। नाम न बताने की शर्त पर राह चलते लोगों ने हमें पत्थर फेंकने वाली महिलाओं के नाम फरहाना, रुकैया और नजराना बताए थे। यही तीनों नाम हमने संभल SP कृष्ण बिश्नोई के पीआरओ को बता दिए।

पुलिस ने दरोगा प्रवीण त्यागी और बसंत यादव से एक और सवाल पूछा कि क्या आप साफ कह सकते हैं कि फरहाना ही अपने घर की छत से पत्थर फेंक रही थी? इस पर दोनों ने कहा- भीड़ के कारण हम यह बात साफ नहीं कह सकते। न ही ऐसा कोई CCTV फुटेज, फोटो या वीडियो मिला है।

4– PRO बोले– सिर्फ दोनों दरोगा ने बताए नाम,बाकी कोई सोर्स नहीं

री-इन्वेस्टिगेशन में पुलिस ने संभल SP कृष्ण बिश्नोई के PRO संजीव कुमार के भी बयान लिखे। उनसे पूछा गया कि फरहाना, रुकैया और नजराना का नाम आपको सब-इंस्पेक्टर प्रवीण त्यागी और बसंत यादव ने बताया था? या फिर किसी अन्य से इन नामों की जानकारी हुई थी? इस पर PRO ने कहा कि मुझे तीनों अभियुक्तों के नाम सिर्फ इन दोनों दरोगाओं ने बताए थे। बाकी किसी स्रोत से इन नामों की कोई जानकारी नहीं हो पाई थी।

510 पड़ोसियों ने भी शपथ-पत्र देकर बताई सच्चाई             री-इन्वेस्टिगेशन में पुलिस ने हिंदूपुरा खेड़ा के 10 महिला-पुरुषों के भी बयान लिए जिन्होने शपथपत्र में कहा कि वायरल वीडियो में जो महिला दिखाई दे रही है, वो फरहाना नहीं बल्कि जिकरा और मरियम हैं। इस आधार पर पुलिस ने फरहाना को क्लीनचिट देते हुए कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।

19 फरवरी, 2025 को प्रभारी CJM आदित्य सिंह की अदालत ने सबूतों के अभाव में फरहाना को निर्दोष पा एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर छोड दिया। 20 फरवरी को फरहाना जेल से  अपने घर पहुंच गई। हमने 87 दिन जेल में रही फरहाना से भी बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया।

संभल हिंसा को 3 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान संभल बहुत बदला, कारोबार प्रभावित हुआ। गांव-देहात के लोग अब पहले की तरह खरीदारी करने शहर के अंदर नहीं आते, ऐसा खुद व्यापारी मानते हैं। हां, सुरक्षा जरूर मजबूत हुई है। कई नई चौकियां और चेक पोस्ट बने हैं।

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