मदरसों की अवैध गतिविधियों की जांच को बनेगी जिलाधिकारी समितियां

उत्तराखंड में मदरसों की अवैध गतिविधियों की होगी जांच, मुख्यमंत्री धामी के निर्देश, हरिद्वार में हुआ एक्शन 

उत्तराखंड में मदरसों की अवैध गतिविधियों की जांच को मुख्यमंत्री धामी ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की.

देहरादून 19 दिसंबर 2024: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अब प्रदेश के मदरसों में अवैध गतिविधियों की जांच होने जा रही है. इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश दिए गए हैं जो एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रेषित करेगी. इसमें अवैध फंडिंग समेत मदरसे से जुड़े दस्तावेजों और यहां पढ़ रहे बच्चों की भी जांच होगी.

उत्तराखंड में मदरसों को लेकर धामी सरकार ने अपना कठोर रूख जाहिर कर दिया है. इस कड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को मदरसों की गहनता से जांच करने के निर्देश दिए हैं. महत्वपूर्ण यह है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में जिलों के जिलाधिकारियों के अध्यक्षता में कमेटी गठित करने को भी कहा है. यह कमेटी एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रेषित करेगी. जिसमें कमेटी के जरिए सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी.

मदरसों की अवैध गतिविधियों की होगी जांच
खास बात यह है कि लगातार कई मदरसों की मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायतें मिल रही थी और इसमें कई अवैध गतिविधियों की भी जानकारियां दी जा रही थी. इन्हीं बातों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को इस पर कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी एक तरफ मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की जानकारी जुटाएगी और प्रदेश से बाहर के बच्चों पर खासतौर पर जांच की जाएगी. इसी तरह मदरसे में अवैध फंडिंग से जुड़े विषय पर भी कमेटी जांच करेगी. इतना ही नहीं, मदरसे की जमीन और उससे जुड़े हुए तमाम दस्तावेजों की भी यह कमेटी जांच करेगी.

आईजी कानून व्यवस्था निलेश आनंद भरणे ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेशानुसार सत्यापन किया जाएगा और कमेटी बनाकर विभिन्न विषयों पर जांच की जाएगी.

मुख्यमंत्री धामी ने पुलिस महा निदेशक पुलिस को दिए निर्देश

मदरसों के पंजीकरण से लेकर फंडिंग तक की होगी जांच, एक माह में रिपोर्ट देने का निर्देश
 गहनता से होगी मदरसों की जांच, मुख्यमंत्री धामी ने डीजीपी को दिए निर्देश

प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के डीजीपी को निर्देशित किया है कि वो अपने स्तर से मदरसों की गहनता से जांच कराए और अवैध रूप से चल रहे मदरसों की रिपोर्ट एक माह में मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रेषित करें।

पुलिस महानिदेशक कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य में संचालित अवैध मदरसों में बाहरी राज्यों के बच्चों को पढ़ने की खबरो पर संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था डॉक्टर निलेश भरणे ने राज्य के सभी जिलों में मदरसों की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य अवैध रूप से संचालित मदरसों की पहचान, उनके फंडिंग स्रोतों का सत्यापन और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के वास्तविक विवरण की जानकारी प्राप्त करना है।

पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड ने दिये निर्देश

सभी मदरसों के पंजीकरण तथा अवैध और बिना पंजीकरण के संचालित मदरसों की पहचान की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों विशेषकर बाहरी राज्यों से लाए गए बच्चों की पहचान का सत्यापन किया जाए।
मदरसों को मिलने वाली फंडिंग के स्रोतों का सत्यापन किया जाए।
डाक्टर भरणे ने बताया  कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में राज्य में संचालित सभी मदरसों की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। यह जांच प्रक्रिया बच्चों की सुरक्षा और राज्य में कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
इस जांच अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी मदरसे कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करें।

सभी जनपदों को एक माह के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया है

हरिद्वार के 30 मदसरों पर एक्शन: हरिद्वार जिले में 30 मदरसों को लेकर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को शिकायतें मिली थी. जिसके बाद जांच की गई. जांच में सामने आया कि इनमें कई मदरसें काफी समय से बंद पड़े हुए थे. ऐसे मदरसों की भी मान्यता रद्द की जाएगी. इन मदरसों में अवैध गतिविधियों और वित्तिय अनियमितता के मामले भी सामने आए हैं.

देवभूमि में रजिस्टर्ड मदरसों से कहीं अधिक संख्या में अवैध मदरसे, बाहरी राज्यों के बच्चे पढ़ रहे इनमें
इन मदरसों में बाहरी राज्यों से मुस्लिम बच्चे लाकर तालीम दी जा रही है, सूत्र बताते हैं कि इनमें बंग्लादेशी और रोहिंग्या बच्चे भी हैं। यूपी सरकार द्वारा मदरसों के खिलाफ चलाए गए अभियान के बाद मदरसों के संचालकों ने उत्तराखंड का रुख कर लिया है।

उत्तराखंड में गैर पंजीकृत मदरसों की भरमार होती जा रही है, इस्लामिक संस्थाएं इन्हें फंडिंग कर रही हैं। खास बात ये है कि इन मदरसों में बाहरी राज्यों से मुस्लिम बच्चे लाकर तालीम दी जा रही है, सूत्र बताते हैं कि इनमें बंग्लादेशी और रोहिंग्या बच्चे भी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के मदरसों के खिलाफ चलाए गए अभियान के बाद मदरसों के संचालकों ने उत्तराखंड का रुख कर लिया है।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अपने यहां 416 मदरसों के पंजीकरण होने का जिक्र करता आया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उत्तराखंड में करीब चार सौ मदरसे गैर कानूनी रूप से चल रहे हैं, इन्हें कहां से फंडिंग मिल रही है? क्या इन्हें विदेशों से फंडिंग मिल रही है? यहां तालीम लेने वाले बच्चे क्या पढ़ रहे हैं? यहां पढ़ने वाले बच्चे कहां से लाए जाते हैं ? क्या इन मदरसों को मिलने वाले चंदे की कोई ऑडिट हो रही है? इनके बैंक खाते किसके नाम से चल रहे हैं? इन मदरसों की जमीन भवन का स्टेट्स क्या है? क्या सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करके बनाए गए है? ऐसे कई सवाल सामने आ रहे हैं।

कुछ माह पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग दोनों ने अपने अपने सर्वे रिपोर्ट में उत्तराखंड शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया था कि पंजीकृत मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जो गाइड लाइन जारी की हुई है उसके अनुसार यहां सुविधाएं नहीं हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हरिद्वार जिले में मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने और उनका आरटीई से एडमिशन कराने का मामला शासन के समक्ष रखते हुए जवाब तलब किया था।

आयोग ने सभी जिला अधिकारियों को भी दिल्ली तलब करते हुए उनसे मदरसों की स्थिति के बारे में जानकारी भी मांगी थी, जिसमें पंजीकृत मदरसों की तो जानकारी दी गई, लेकिन फर्जी मदरसों की सूचना उन्होंने नहीं दी। उस दौरान आयोग ने 749 हिंदू बच्चों के मदरसों में पढ़ाई करने पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और 576 हिंदू बच्चे वहां से निकाल कर प्रशासन ने सरकारी स्कूलों में भेजे, अभी भी 176 हिंदू बच्चों के लिए सरकारी या निजी स्कूल नहीं खोजा जा सका है।

पिछले छ: माह में जो जानकारी सामने आई है कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के पास गैर पंजीकृत मदरसों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है यदि जानकारी है तो वो देना नहीं चाहता, जिनकी अनुमानित संख्या चार सौ से अधिक बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक, जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में वन गुज्जरों के डेरे में भी देवबंद के मौलवी जाकर मदरसे खोल आए जब स्थानीय रुद्रसेना ने इसका विरोध किया तो ये मदरसे बंद हुए, इसी तरह नैनीताल जिले में भवाली में एक गैर मान्यता प्राप्त मदरसे के खिलाफ डीएम को कार्रवाई करनी पड़ी। तराई क्षेत्र के टांडा के जंगलों में वन गुज्जरों के यहां भी फर्जी मदरसे चलाने वाले मौलवी पहुंच गए और अवैध कब्जे कर लिए यहां वन विभाग को कार्रवाई करनी पड़ी।

तीन माह पूर्व देहरादून ने आज़ाद कॉलोनी का फर्जी मदरसा चलाने वाले मौलवी के खिलाफ देहरादून पुलिस ने मुकदमा लिखा था। इस मदरसे की जांच पड़ताल की गई तो जानकारी मिली कि यहां दूसरे राज्यों के बच्चे लाकर पढ़ाए जा रहे हैं और मदरसा संचालक के बैंक खातों में इस्लामिक देशों के संस्थाएं भी फंडिंग हो रही है, बावजूद इसके मदरसा बंद नहीं कराया गया। रुद्रपुर के मनसा में फर्जी मदरसे में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ अश्लील हरकते करने वाले मौलवी को उधम सिंह नगर पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा।

ऐसे कई मामले इन मदरसों में अपराधिक गतिविधियां के सामने आ रहे हैं। हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के पीछे कारण, अतिक्रमणकारियों का बनाया फर्जी मदरसा ही था जिसे बाद में मस्जिद बताते हुए प्रचारित किया गया और इस घटना को सांप्रदायिक रंग दिए जाने लगा। बड़ा सवाल आखिर ये है कि आखिरकार राज्य का अल्पसंख्यक मंत्रालय इन फर्जी मदरसों के खिलाफ कारवाई करने में क्यों संकोच कर रहा है? दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम जैसे भाजपा  शासित राज्यों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे सरकार ने बंद करवा दिए हैं, जो मान्यता प्राप्त चल रहे हैं उनका सेलेबस सरकार से मान्यता प्राप्त है।

भाजपा शासित राज्यों में मदरसों के खिलाफ कार्रवाई के बाद भी बहुत से नए मदरसे उत्तराखंड में खुल गए, ऐसी जानकारी है कि उत्तर प्रदेश से भगाए गए मौलवी अब उत्तराखंड सीमा में आकर अपने मदरसे चला रहे हैं, हरिद्वार उधम सिंह नगर और देहरादून जिलों में ही फर्जी मदरसों की बाढ़ सी आ गई है और इनमें बाहरी राज्यो के अलावा बंग्लादेशी और रोहिंग्या मूल के बच्चे भी लाकर पढ़ाए जा रहे हैं, कल यही बच्चे यहां के प्रमाणपत्रों के आधार पर स्थाई निवासी होने का दावा करेंगें और इनके आधार कार्ड बन जायेंगें। ऐसे मदरसों का सबूत देहरादून आजाद कॉलोनी का गैर पंजीकृत मदरसा है जहां बिहार झारखंड के 52 बच्चे मिले इनका कोई सत्यापन नहीं करवाया गया। ये बच्चे कल उत्तराखंड के नागरिक बन जायेंगे। सहसपुर का विशाल मदरसा पिछले दिनों, पानी की टंकी और लाउडस्पीकर की वजह से चर्चा में आया। इस मदरसे ने नदी की तरफ सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। इस पर जांच भी करवाई गई, लेकिन उसके बाद प्रशासन ने खामोशी की चादर ओढ़ ली।

देहरादून जिले में बड़े-बड़े मदरसे बिना सरकारी अनुमति से खड़े हो गए हैं। यदि ये प्राधिकरण या जिला प्रशासन से नक्शा स्वीकृति लेकर अपना निर्माण करवाते तो इनकी पोल पट्टी खुल जानी थी, क्योंकि इन मदरसा संचालकों के पास भूमि भवन संबंधी कोई दस्तावेज है हीं नहीं ज्यादातर सरकारी जमीनों पर कब्जे करके ही बनाए गए हैं। इन मदरसों में मस्जिदें भी बन गई है। खबर है कि हरिद्वार जिले में शिकोहाबाद, तिलकपुर, भगवानपुर, ज्वालापुर, देहरादून में पछुवा दून,उधम सिंह नगर जिले में उत्तर प्रदेश  से लगे बॉर्डर एरिया में अवैध मदरसों की भरमार हो गई है। बहरहाल देवभूमि उत्तराखंड में अवैध मदरसों की बाढ़ सी आ गई है, शासन प्रशासन को इस पर अंकुश लगाने की दिशा में सख्ती करनी होगी, अन्यथा ये एक न एक दिन प्रशासन के लिए ही सिरदर्द साबित हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का बयान

राज्य में मदरसों की जांच करने के आदेश पूर्व में दिए जा चुके हैं, इनकी रिपोर्ट की समीक्षा करने को कहा गया है साथ ही साथ गैर कानूनी रूप से चल रहे मदरसों की भी आख्या मांगी गई है, गैर पंजीकृत मदरसे बंद करने पर विचार किया जा रहा है। देव भूमि में इस तरह की हरकतें सहन नहीं की जाएंगी.

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डीएम करेंगे मदरसे की जांच
INVESTIGATION OF MADRASAS

 

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