त्रिवेंद्र राज्य भाजपा सरकार पर आक्रामक क्यों?

अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक त्रिवेंद्र! मुख्य मंत्री धामी के फैसलों पर लगातार उठा रहे उंगली, आखिर क्यों? – TRIVENDRA SINGH RAWAT remain attacking mode
त्रिवेंद्र सिंह रावत आखिरकार क्यों ऐसे विषय उठा रहे हैं, जिससे भाजपा सरकार को असहज होना पड़ रहा है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत. (@tsrawatbjp)

देहरादून(किरनकांत शर्मा): उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में हरिद्वार  सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत दो दिनों से प्रदेश की राजनीति में चर्चित हैं.  चर्चा का कारण लोकसभा में उनके उठाए  उत्तराखंड के वो विषय हैं, जिन पर उन्हे विपक्षी दल कांग्रेस का भी समर्थन मिल रहा है. पहली बार नहीं जब त्रिवेंद्र सिंह रावत इतने मुखर दिखे, इसके पहले भी वो उत्तराखंड के कई ऐसे विषय उठा चुके, जिसने भाजपा संगठन और धामी सरकार असहज हुई.

आपदा प्रबंधन की चिंता: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा के बजट सत्र में ही प्रश्नकाल में आपदा प्रबंधन और अवैध खनन विषय उठाये. रावत का प्रश्न था कि उत्तराखंड जैसे राज्य में केंद्र और राज्य की आपदा प्रबंधन को लेकर क्या तैयारी है, जहां कुछ ही दिनों बाद चारधाम यात्रा शुरू हो रही है?

लोकसभा में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन पर सवाल किया था. (फाइल,सौजन्य संसद टीवी)
अवैध खनन पर प्रश्न: कल त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध खनन ढोते अनियंत्रित ट्रकों का विषय भी लोकसभा में रखा और बताया कि कैसे अवैध खनन उत्तराखंड के पर्यावरण व सामान्य जन की सुरक्षा को बड़ा खतरा है. रावत ने टास्क फोर्स बनाकर उन अधिकारियों पर कार्रवाई तक की मांग की, जो इस मामले में लापरवाह हैं.

कांग्रेस को भी मिला मौका: अवैध खनन विषय को तो विपक्षी कांग्रेस ने भी हाथों-हाथों लपका. मामले में उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जहां  सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रशंसा की तो वहीं धामी सरकार को आड़े हाथ लिया.

खनन विभाग को देना पड़ा जवाब: त्रिवेंद्र सिंह रावत के सवाल उठाने और कांग्रेस के हमलावर होने पर उत्तराखंड सरकार को अपना पक्ष रखना पडा . खनन विभाग के सचिव बी के संत ने बताया कि उत्तराखंड खनन विभाग ने राजस्व वृद्धि में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विभाग वित्तीय वर्ष 2024-25 में अभी तक लगभग 1025 करोड़ का राजस्व अर्जित कर चुका। ऐसा अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण पर प्रभावी नियंत्रण से ही संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि ई-निविदा, ई-नीलामी से खनन प‌ट्टों का आवंटन सुनिश्चित किया गया है।  वित्त विभाग ने खनन विभाग के लिए इस साल  875 करोड़ रुपये राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया था। खनन विभाग ने अभी तक 1025 करोड़ रुपए राजस्व पा लिया है। संत ने कहा कि इससे साफ है कि राज्य में अवैध खनन- परिवहन- भंडारण को संरक्षण का कथन पूरी तरह निराधार है। संत के अनुसार स्टोन क्रेशर्स, स्क्रीनिंग प्लांटों से तैयार माल रेता, बजरी, ग्रिट, डस्ट आदि की निकासी अधिकांशत रात में ही रॉयल्टी के साथ वाहनों से होती है। उन्होंन कहा कि बिना रॉयल्टी प्रपत्रों के उपखनिज निकासी का कथन भी निराधार है। राज्य गठन के बाद राजस्व की रिकॉर्ड वृद्धि इसकी पुष्टि करती है कि प्रदेश में खनन विभाग पूरी तरह पारदर्शिता बरत रहा है।

भाजपा ने चार साल में ही बदल दिया था प्रदेश का मुख्यमंत्री: त्रिवेंद्र सिंह रावत अपना मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे और उससे पहले ही भाजपा ने उनका त्यागपत्र ले लिया था. त्रिवेंद्र को हटाकर तत्कालीन गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन तीरथ 6 महीने भी मुख्यमंत्री नहीं रहे पाये,भाजपा ने उन्हें भी हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया.

आक्रामक त्रिवेंद्र

मुख्यमंत्री धामी ने त्रिवेंद्र के कई फैसले पलटे: पद संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के कई फैसले पलटे. तभी से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह अपने ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसलों पर सवाल खड़े करते रहे है । समय-समय इसे लेकर उनके बयान आते रहते है. तब से ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले एक दल में है, लेकिन दोनों के विचारों में काफी अंतर है.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के कुछ बयानों पर नजर –

धामी सरकार में त्रिवेंद्र का सबसे पहला बयान उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग (यूकेएसएसएससी) भंग करने का था. त्रिवेंद्र चाहते थे कि यूकेएसएसएससी भंग कर देना चाहिए. त्रिवेंद्र ने विधानसभा नियुक्तियों को लेकर भी बयान दिया. उन्होने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में भाई-भतीजावाद से लगी नौकरियों की सीबीआई जांच होनी चाहिए. उन्होंने विधानसभा भर्तियां नियमों के खिलाफ बतायी थी.
उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती के बाद त्रिवेंद्र ने पुलिस भर्ती पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि भर्तियों में गड़बड़ी बेरोजगार युवाओं से धोखा  है.
यह त्रिवेंद्र सिंह रावत ही थे, जिन्होंने यूकेएसएसएससी पेपर लीक में जांच की सबसे पहले मांग उठाई. अंकित भंडारी मामले पर भी उन्होंने सरकार को किसी भी तरह की जल्दबाजी न करने की सलाह दी थी. खानपुर विधायक और पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन मामले में त्रिवेंद्र सिंह ने कहा था कि वें मुख्यमंत्री होते तो सबसे पहले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करते.त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेमचंद अग्रवाल विवाद की भी निंदा की थी. 2024 में चारधाम यात्रा अव्यवस्था पर भी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार का उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड याद दिलाया था, जिसे धामी सरकार ने भंग कर दिया था.
इन सब विषयों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही सरकार घेरी . हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस आक्रामक अवतार से कांग्रेस को भाजपा संगठन और सरकार पर हमले का अवसर मिल जाता है.

कांग्रेस का सवाल: उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी माहरा ने कहा कि एक तरफ त्रिवेंद्र सिंह रावत लोकसभा में अवैध खनन का विषय उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सचिव खनन, भाजपा सांसद को नकार रहे है. सचिव खनन, त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान को निराधार और भ्रामक बता रहे हैं. ऐसे में क्या धामी सरकार अपने सांसद पर मुकदमा करेगी. धामी सरकार ऐसे लोगों पर लगातार कार्रवाई कर रही है, जो सरकार बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. वे प्रतीक्षा में  हैं कि कब धामी सरकार अपने सांसद पर मुकदमा कर उन पर कार्रवाई करेगी.

 

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