आपरेशन सिंदूर पर चर्चा में दिखा मोदी सरकार के मिशन आउटरीच का असर
मोदी सरकार के मिशन आउटरीच का संसद में दिखा असर, थरूर-तिवारी डिबेट से दूर, ओवैसी-सुप्रिया ने ऑपरेशन सिंदूर को खुलकर बताया सफल
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर संसद में चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर नोकझोंक हुई, लेकिन सुप्रिया सुले से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक ऑपरेशन सिंदूर के समर्थन में खड़े दिखे. इसके अलावा कांग्रेस ने चर्चा को अपने जिन नेताओं के नाम दिए हैं, उसमें मनीष तिवारी और शशि थरूर के नाम नहीं शामिल हैं.
नई दिल्ली ,29 जुलाई 2025,ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर संसद में बहस के पहले दिन सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए. लोकसभा में चर्चा शुरु करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष के उठाए सभी सवालों का एक-एक कर जवाब दिया. वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया था और पहलगाम के आतंकी अब तक पकड़ से बाहर क्यों हैं?
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले को लेकर मैराथन बहस में सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक दिखी, लेकिन मोदी सरकार का मिशन आउटरीच का असर मॉनसून सत्र में साफ दिखा. ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस में कांग्रेस ने अपने वें नेता शामिल नहीं किये हैं, जिन्होंने बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों से केंद्र सरकार के वैश्विक अभियान में देश का प्रतिनिधित्व किया था.
कांग्रेस ने अपने वक्ताओं की सूची में दो प्रमुख सांसदों शशि थरूर और मनीष तिवारी को शामिल नहीं किया. दोनों सांसद उन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा थे, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति वैश्विक मंच पर रखने को विभिन्न देशों में भेजा गया था. विपक्ष से वैश्विक मंच पर बात रखने वाले सांसद असदुद्दीन ओवैसी और सुप्रिया सुले ने संसद में भी ऑपरेशन सिंदूर को सफल बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की.
संसद में डिबेट से थरूर-तिवारी की दूरी
ऑपरेशन सिंदूर बाद मोदी सरकार ने सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर के देशों में भेजे थे. इसमें पाकिस्तान का आतंकी चेहरा दुनियाभर के सामने बेनकाब करने की रणनीति थी. मोदी सरकार की इस स्टैटेजी ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग किया और साथ-साथ अब घरेलू राजनीति में भी उसका इमपैक्ट पड़ता दिख है. संसद के मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बहस को कांग्रेस से वे नेता शामिल नहीं किये गये, जिन्हें सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में मोदी सरकार ने मिशन आउटरीच में भेजा था.
संसद में बहस को कांग्रेस ने अपने वक्ताओं में तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर और चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी को शामिल नहीं किया. मोदी सरकार के मिशन आउटरिच में कांग्रेस के दोनों सांसद उन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा थे, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर बाद भारत की स्थिति को वैश्विक मंच पर रखने को विभिन्न देशों में भेजा गया था.
थरूर-तिवारी क्या दे रहे राजनीतिक संदेश
फतेहगढ़ साहिब के सांसद अमर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद को भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश भेजा गया था. कांग्रेस के पांच नेताओं में से सलमान और आनंद शर्मा वर्तमान में संसद के सदस्य नहीं हैं, लेकिन मनीष तिवारी, थरूर और अमर सिंह लोकसभा सांसद हैं. इसके बाद भी उन्हें डिबेट में शामिल नहीं किया. संसद में चर्चा के बहाने कांग्रेस की कोशिश मोदी सरकार को पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर घेरने की रणनीति है, जिसे पार्टी थरूर और तिवारी के बजाय अपने दूसरे नेताओं पर भरोसा जताया है.
काग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक न्यूज रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया कि उन्हें और शशि थरूर को बहस में क्यों शामिल नहीं किया गया. वें पूरब और पश्चिम (1970) के सदाबहार देशभक्ति गीत लिखकर राजनीतिक संदेश देते दिखे. तिवारी ने लिखा है, ‘है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं. जय हिंद.’
वही, सोमवार को लोकसभा में बहस शुरू होने से पहले जब शशि थरूर संसद पहुंचे तो पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा,’मौनव्रत, मौनव्रत.’
याद रहे, शशि थरूर ने हाल में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार के रुख का समर्थन किया था, जो कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से पूरी तरह से अलग था. उन्होंने इसे ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना में एक सोचा-समझा कदम बताया था. मनीष तिवारी को भी बहस में बोलने को नहीं चुना गया. तिवारी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कूटनीतिक पहल का समर्थन किया था, जिसके चलते पार्टी में उनकी स्थिति को लेकर सवाल उठ रहे थे. अब ट्वीट कर अपना दर्द प्रकट कर राजनीतिक संदेश देने में जुटे हैं, जो कांग्रेस के भीतर चल रही वैचारिक खींचतान दिखाता है.
थरूर और तिवारी की लाइन कांग्रेस से अलग
शशि थरूर और मनीष तिवारी ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार के पक्ष में अपनी राय रखी थी, जो कांग्रेस की आधिकारिक रणनीति से पूरी तरह से मेल नहीं खाती. कांग्रेस ने सरकार पर अमरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता दावों को लेकर सवाल उठाए हैं और ऑपरेशन सिंदूर की कूटनीतिक हैंडलिंग की रणनीति की आलोचना की है. कांग्रेस ने अब मॉनसून सत्र में भी पहलगाम के आंतकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बहाने मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करने का दांव चला है तो अपने उन नेताओं से दूरी बनाई है, जो मोदी सरकार के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे थे.
शशि थरूर ने अमेरिका में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जिसमें उन्होंने भारत सरकार की आतंकवादी विरोधी कार्रवाइयों रेखांकित की थी. तिवारी ने भी एक सेमिनार में ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करते हुए कहा था कि भारत का जवाब नपा-तुला और सोचा-समझा था. इस तरह थरूर और तिवारी की मोदी सरकार समर्थक टिप्पणियों ने पार्टी के भीतर असहजता पैदा की है, खासकर तब जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सरकार की नीतियों पर आक्रामक रहे हैं. ऐसे में थरूर ने ‘मौनव्रत’ का सहारा लिया हो तो तिवारी ने भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं गीत ट्वीट कर राजनीतिक संदेश दिया.
ऑपरेशन सिंदूर पर ओवैसी-सुले का समर्थन
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए पहलगाम में आतंकियों के घुसने और ट्रंप के सीजफायर की घोषणा पर जरूर सवाल खड़े किए, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को सबक सिखाने के समर्थन में खड़े दिखे. ओवैसी ने कहा कि पहलगाम में हमारे 26 लोगों की जान चली गई, लेकिन पाकिस्तान से क्रिकेट मैच खेला जा रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते. व्यापार बंद हुआ तो मैच क्यों खेल रहे हैं.
वहीं, एनसीपी (एसपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने चर्चा में कहा कि यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं बल्कि राजनीतिक एकजुटता दिखाने का है. प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ करते हुए उन्होने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया भर में देश का पक्ष रखने को उन्होंने जैसे विपक्षी सांसदों पर भरोसा जताया और उन्हें विदेश भेजा, यह उनका विपक्ष के प्रति विश्वास और बड़प्पन दोनों ही था.
सुप्रिया ने कहा कि दुनिया में हम जहां भी गए सभी हमें सम्मान की नजरों से देख रहे थे, वे कहते थे कि आप तो महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के देश से आए है. सुले ने इस दौरान भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें इस मौके पर इन आरोपों से बचना चाहिए कि किसने क्या किया या फिर उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए.
ओवैसी और सुले जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर पर मोदी सरकार के तारीफ करते नजर आए हैं, उसके पीछे मोदी सरकार के इन दोनों नेताओं को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश भेजने का भी असर माना जा रहा है. सुप्रिया सुले और ओवैसी भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को रखने के साथ-साथ भारत सरकार के ऑपरेशन सिंदूर करने की जरूरत से परिचित कराया था. सरकार की उस रणनीति का असर लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में भी दिखा.

