हल्द्वानी दंगे में पत्रकारों को नाम पूछ-पूछ पीटा,कैमरे तोड़े, वाहन फूंके
हल्द्वानी हिंसा: बनभूलपुरा में नाम पूछ कर हिंदू पत्रकारों पर हमला और लूट, 15 पत्रकार घायल, दो गंभीर, 20 की बाईकें जली
हल्द्वानी 11 फरवरी। आठ फरवरी को उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा को कवर कर रहे पत्रकारों को भी भीड़ ने निशाना बनाया। हिंसा में दो फोटो पत्रकार गंभीर रूप से घायल हुए हैं। करीब 15 से से अधिक पत्रकारों के शरीर में पत्थर लगने से वह चोटिल हुए। इसके अलावा दंगाईयों ने 20 पत्रकारों के दुपहिया वाहन भी चिन्हित करके जला दिए। सभी घायल मेन स्ट्रीम अखबार व चैनलों के पत्रकार व फोटोग्राफर हैं। कोई भी लोकल पोर्ट्ल या यूटयूबर चैनल वाले इस घटना को कवर करने नहीं पहुंचे।
हल्द्वानी में हुए दंगे में सबसे अधिक चोट अमृत विचार अखबार के फोटोग्राफर संजय कनेरा और दैनिक जागरण के फोटोग्राफर बबली बिष्ट को आई। इसके अलावा हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, अमृत विचार, टीवी18, न्यूज 24, न्यूज नेशन, टीवी 24 के स्थानीय पत्रकार भी पत्थरबाजी में घायल हुए हैं। किसी के सिर तो किसी के पैर या पेट पर कई पत्थर लगे हैं। इसके अलावा 20 पत्रकारों के दुपहिया वाहन भी हुडदंगियों ने जला दिए। पत्रकारों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्हें जानबूझ कर निशाना बनाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पत्रकारों को मदद का आश्वासन दिया है। पर फिल्हाल कोई राहत नहीं मिली है।
संजय का हैलमेट निकाला, फिर पत्थर से सिर कुचला
संजय कनेरा की गिनती हल्द्वानी के सबसे अनुभवी व सीनियर फोटो पत्रकार के तौर पर होती है। संजय भी उस दिन अपने अखबार के लिए इस घटना को कवर करने पहुंचे थे। संजय ने बताया कि शाम के समय जब पत्थराव बढ़ा तो उन्हें भी कुछ पत्थर लगे। वह बचने के लिए एक गली में भागे। जहां पांच दंगाईयों ने उन्हें घेरा लिया और उन्हें लात घूसों से मारने लगे। इसी बीच दो युवक उनके सिर से उनका हेलमेट उतारने लगे। हेलमेट हटाने के बाद उन्होंने उनकी टोपी भी छीनी। इसके बाद दो दंगाइयों ने उनके सिर पर पत्थर और धारदार हथियार से हमला किया।
उनके सिर लहुलुहान होता देख दंगाईयों ने उन्हें छोड़ दिया। वह इसी हालत में किसी तरह रेंगते हुए, करीब 50 मीटर आगे पहुंचे। जहां दूसरी भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया। यहां भी लड़कों ने उन्हें मारा, कैमरा और मोबाइल छीन लिया। आगे खड़ी उनकी बाईक की टंकी खोलकर दंगाईयों ने उससे पेट्रोल निकाला और बाईक को आग लगा दी। बुरी तरह से घायल संजय किसी तरह हिम्मत समेटकर अपनी जात बचाते हुए पुलिस बैरीकेट तक पहुंचे। वहां से पहले उन्हें हल्द्वानी बेस और फिर निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां वह आईसीयू में भर्ती हैं। उनके सिर पर 11 टांगे आए हैं, नाक और हाथ की हड्डी टूटी हुई है। इसके अलावा पूरे शरीर में चोट के निशान हैं। र अब संजय खतरे से बाहर हैं।
अमृत विचार के कैमरामैन से नाम पूछा गया। नाम जानने के बाद जब पता चला कि अमुक कैमरामैन हिंदू है। इसके बाद उसे मारा गया। उसके सिर पर वार किये गये। कैमरा, मोबाइल, पर्स, घड़ी की लूट कर ली गई है। इसके अलावा अन्य भी कुछ पत्रकारों के साथ भी यही हादसा हुआ। नाम पूछने पर जब पता चलता कि पत्रकार हिंदू है तो उस पर हमला किया गया।
बनभूलपुरा क्षेत्र में कट्टरपंथी दंगाइयों ने जो उपद्रव किया वह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं थी। दंगाइयों ने इसकी बहुत पहले से तैयारी की हुई थी। टीम पांचजन्य इस समय हल्द्वानी में ही मौजूद है। पीड़ितों और स्थानीय नागरिकों से बात करके टीम पांचजन्य हल्द्वानी हिंसा से जुड़े हर सच को आपके सामने लाने का प्रयास कर रही है।
इसी क्रम में टीम पांचजन्य ने स्थानीय पत्रकार अतुल अग्रवाल से बात की जो घटना के समय प्रशासन और नगर निगम की कार्रवाई को कवरेज करने गए हुए थे। पत्रकार अतुल अग्रवाल ने बातचीत के दौरान कई हैरान कर देने वाले खुलासे किए।
हेलमेट ने बचाई जान
पत्रकार अतुल अग्रवाल ने इस पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए कहा- ये मामला पूरा का पूरा शासन प्रशासन का था। हम तो एक पत्रकार होने के नाते स्थिति का जायजा लेने गये थे। लेकिन वहां के उपद्रवियों ने ऐसा तांडव मचाया कि यदि मैं हेलमेट नहीं पहना होता तो आज मेरा सिर खुला हुआ होता और शायद मैं जिंदा भी ना होता। हेलमेट की वजह से मेरा सिर तो बच गया लेकिन लगातार ईंट, पत्थरों की बरसात में सिर को छोड़कर मेरा पूरा शरीर चोटिल हो गया। जगह जगह अंदरूनी चोट लगीं है। मेरा हाथ भी सही से काम नहीं कर रहा है।
नाम पूछकर कर हिंदू पत्रकारों को बनाया जा रहा था निशाना
पत्रकार अतुल अग्रवाल ने एक हैरान करने वाला खुलासा करते हुए बताया कि हम लोग वहां से किसी तरह से अपनी जान बचाकर कैसे भागे हैं, उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकते। दंगे भीड़ पर इस कदर हैवानियत हावी थी की वह जिन पत्रकारों को पकड़ कर उनका नाम पूछते थे और अगर पत्रकार हिंदू होता तो उसे दौड़ा-दौड़ा ईंट, पत्थरों से मार रहे थे. दंगाई जिस हिसाब से लगातार पत्थरों की बरसात कर रहे थे ऐसा लग रहा था कि उनका मकसद बन गया हो कि सभी गैर मुस्लिम को मार दो।
हिन्दू पत्रकारों को छोड़कर किसी अन्य समुदाय के लोगों को खरोंच तक नहीं आयी है। आज हल्द्वानी के सभी अस्पतालों में हिन्दू पत्रकार ही घायल अवस्था में मिलेंगे। वो लोग नाम पूछ पूछ कर एवं आईकार्ड देखकर आक्रमण कर रहे थे। जो हिन्दू पत्रकार थे उनको सीधा जान से मारने जैसा दुव्र्यवहार किया जा रहा था। हमलोगों के साथ बहुत बड़ी क्रुरता की गई। मुस्लिम युवा वहां पर लगातार पथराव कर रहे थे। हमारे हिन्दू पत्रकार काफी संख्या में घायल हुए हैं।
रेलवे की जमीन प्रकरण में उठाया था इनका मुद्दा
पत्रकार अतुल अग्रवाल ने बताया कि पिछले साल जब रेलवे की जमीन के कब्जे का प्रकरण आया था तो हम स्थानीय पत्रकारों ने उस समय यहां के मुसलमानों का साथ दिया था हम इनके साथ खड़े थे कि ये अपने बड़े बुजुर्गों के साथ यहां से कहां जाएंगे, ये बेघर हो जाएंगे…सरकार गलत कर रही है…सरकार को पहले इनको पुर्नवास करना चाहिए…तब इनको हटाना चाहिए।
जरुरत के समय दे दिया धोखा
अतुल अग्रवाल ने बताया कि जब इनको जरुरत थी तो इनको मजबूर और लाचार समझकर हम इनके साथ खड़े थे तब आज मेरे साथ ये खड़े क्यों नहीं हुए? आज हमे इसी बात की सबसे ज्यादा पीड़ा है।
वहां पर पत्थर ऐसे आ रहे थे जैसे आंधी के बाद ओलों की बरसात आती है और पता नहीं चलता कि पानी कहां से आ रहा है, ओले किधर से गिर रहे है। वो तो ईश्वर की कृपा सीधी थी हम पर या हमने अच्छे कर्म किये होंगे जिसके कारण आज जिंदा बच गये।
आज तक नहीं देखा ऐसा मंजर
मेरी उम्र 60 वर्ष की है, मैं हल्द्वानी में ही पला बढ़ा और शुरू से यहीं पर रहा। मैंने आज तक ऐसी स्थिति कभी नहीं देखा था जो इस बार देखने को मिला है कि मुस्लिम समुदाय द्वारा चौथे स्तंभ पर इतना बड़ा हमला हुआ है।
AC कमरों से नहीं हल्द्वानी आकर देखें सच्चाई
पत्रकार अतुल अग्रवाल ने दिल्ली के कुछ कथित पत्रकारों को आईना दिखाते हुए कहा कि आप सोचिए देश के चौथे स्तंभ पर इतनी बड़ा हमला होगा तो इनसे आप क्या उम्मीद रखेंगे..? उनकी लड़ाई शासन प्रशासन से थी, हमारे उपर हमला करने का तो कोई मतलब ही नहीं बनता था। जो कुछ लोग कह रहे हैं कि ये लोग मासूम है इन्हें जान बूझकर निशाना बनाया जा रहा है. वे लोग हल्द्वानी आते और आंखों से इस घटना को देखते तब पता चलता कि ये कितने क्रूर हैं। मैं कहता हूँ आज भी ये लोग जरा बिना सुरक्षा के इनके बीच पड़ताल करने का प्रयास या कवरेज करके दिखा दें.. इन्हें असलियत पता लग जाएगी।
हमने माना भाईचारा उन्होंने भाई को बना दिया चारा
घटना वाले दिन हमने यहां पर अपनी आंखों से देखा है पूरा का पूरा मंजर हमने देखी है इनकी क्रूरता। हमसे आकर पूछो कि वहां पर कौन थे मासूम… मेरे दो बेटी और एक बेटा है भगवान का आर्शीवाद है कि आज हमारे बच्चे अनाथ होने से बच गये।
अगर हम मर जाते तो हमारे बच्चे को कौन पालता..? हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी इस तरह का मंजर देखने को मिलेगा। हम तो भाईचारा मानते थे, इन्होने तो भाई को ही चारा बना दिया. अब जब जिंदगी और मौत की बात होगी तो हमें भी भाईचारा के लिए विचार करना पड़ेगा।
दंगाइयों में बच्चे महिलाएं, नौजवान और बुजुर्ग शामिल : घायल पत्रकार ने कहा- कश्मीर हो या हल्द्वानी हिंसा का एक ही पैटर्न
जिस दिन प्रशासन और नगर निगम की टीम बनभूलपुरा क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बने कथित मदरसे को हटाने पहुंची और उसके विरोध के नाम पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जो उत्पात मचाया वह पूरे देश ने देखा। इस्लामिक दंगाइयों ने इस हमले की तैयारी पहले से ही कर रखी थी उन्होंने प्रशासन, नगर निगम और पत्रकारों को चारों तरफ से घेरकर हमला किया जिसके बाद कईयों की हालत गंभीर हो गई।
बनभूलपुरा (Banbhulpura) क्षेत्र में कट्टरपंथी दंगाइयों ने जो उपद्रव किया वह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं थी। हल्द्वानी हिंसा (Haldwani violence) के लिए दंगाइयों ने इसकी बहुत पहले से तैयारी की हुई थी टीम पाञ्चजन्य भी घटना के तुरंत बाद हल्द्वानी के लिए रवाना हो गई और जब पाञ्चजन्य ने इस संबंध में घायल पत्रकार मुकेश सक्सेना से बातचीत की तो वह उस खौफनाक मंजर की बात करते करते भावुक हो गए और बोले की आज जो वो जिंदा खड़े हैं यह उनका पुनर्जन्म है।
पत्रकार मुकेश ने बताया की वह अतिक्रमण हटाने गई टीम के साथ कवरेज की दृष्टी से वहां पर मौजूद थे। प्रशासन और नगर निगम की टीम उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने पहुंची थीं।
लेकिन जैसे ही सरकारी भूमि पर बने कथित मदरसे को हटाना शुरू किया वहां पर सबसे पहले मुस्लिम महिलाओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। अचानक से विरोध करते करते महिलाएं प्रशासनिक अधिकारीयों और अन्य लोगों से बत्तमीजी करने लगीं, इस दौरान इन्होने अपने साथ ढाल के रूप में बच्चे भी खड़े कर रखे थे। वहीं नगर निगम की टीम ने लगभग 4:30 बजे अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया गया और इधर 4:45 तक मौके पर करीब 1500-1600 लोगों की मुस्लिम भीड़ जुट गईं जिनमे महिलाएं बच्चे आगे थे उनके पीछे नौजवान और उनके पीछे बुजुर्ग लोग मौजूद थे।
जिस हिसाब से पहले विरोध कराना फिर बत्तमीजी करना और उसके बाद हमला करना ये सब ऐसा लग रहा था की सब पहले से ही प्लान किया गया हो या ऐसा कह सकते हैं कि वह कई दिनों से इसकी तैयारी कर चुके थे।
मुकेश ने आगे बताया कि मुस्लिम भीड़ ने प्रशासन, नगर निगम और पत्रकारों को चारो तरफ से घेर लिया और पथराव करना शुरू कर दिया। ये पथराव का पैटर्न ठीक वैसा था जैसा कश्मीर में जवानों के ऊपर किया जाता था। हमने उसे केवल टीवी पर देखा लेकिन उस दिन जब खुद सामने से इस प्रकार के पथराव का शिकार हुए तो महसूस किया कि ये पैटर्न सभी जगह एक जैसा बिलकुल एक ही तरह से होता है।
मुस्लिम भीड़ ने पथराव के बाद पैट्रोल बम भी फैंके हम बचने के लिए जिधर जाते उधर से ही हमला होता, हमारा कैमरा मोबाइल सब टूट गया किसी प्रकार की कोई फुटेज न रहे इसलिए उसे कट्टरपंथी भीड़ ने नष्ट कर दिया। उन लोगों के पर धारधार हथियार और अवैध तमंचे कट्टे भी धे वे अंधाधुंध फायर कर रहे थे।
हमारे साथ महिला पुलिसकर्मी भी थीं जो बचने के लिए एक घर में छिप गईं थीं लेकिन उत्पाती भीड़ ने उन्हें देख लिया और उन्हें जिंदा जलाने का प्रयास किया। जैसे तैसे उन सब ने वहां सभी भागकर अपनी जान बचाई। इधर मैं भी मौका देखकर वहां से बाहर निकल सका।
पत्रकार मुकेश ने कहा शायद ही मेरे कोई पूर्वजन्म के अच्छे कार्य या इस जन्म के पूण्य रहे होंगे जो ईश्वर ने मुझे दूसरा जीवन वरदान के रूप में दिया है।
चूँकि मुकेश कई वर्षों से स्थानीय पत्रकारिता कर रहें हैं तो हमने उनसे बनभूलपुरा के उन लोगों के बारे में जानना चाहा कि यहां इतनी घनी बसावट कैसे हो गई। ये लोग कहाँ से आएं है। तो उन्होंने बताया कि ये कहां से आएं है ये तो केवल यहीं लोग जानते हैं लेकिन अगर जांच हो तो इसमें अधिक संख्या वैध बंगलादेशी और रोहिंग्याओं की निकलेगी। इनमे से कईयों के पास कोई सत्यापन या आईडी नहीं मिलेगी। धीरे-धीरे ये लोग आते गए और बसावट बसती चली गई। ये जिस जमीन पर रह रहे हैं वह जमीन भी पंजीकृत नहीं है, इनके पास केवल मात्र 50 रुपए का पट्टा है जो इन्हें उन्ही लोगों ने उपलब्ध कराया है जिन्होंने इन्हें यहाँ लाकर बसाया हैं, वही लोग इन्हें एक कोई आईडी जैसे आधार पैन राशन या अन्य आसानी से उपलब्ध कर देते हैं। फिलहाल तो ये जमीन ही नगर निगम की है।
‘जिंदा आग में झोंक दिया, हिन्दुओं को पहचान – पहचान कर हत्या की कोशिश’: जिन पत्रकारों ने चलाई इनके दुख-दर्द की खबरें, हल्द्वानी में उन्हीं पर हमला
पत्रकार राजेंद्र सिंह बिष्ट (बाएँ) को आग में झोंकने की कोशिश, पंकज अग्रवाल (दाएँ) भी हुए जख्मी
उत्तराखंड के नैनीताल के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में एक अवैध मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने पहुँची प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया गया। न सिर्फ थाना और पेट्रोल पंप फूँक दिया गया, बल्कि पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने की भी कोशिश की गई। महिला पुलिसकर्मियों को बदहवास अवस्था में भागते देखा गया, उनके कपड़े तक फाड़ डाले गए। पत्थरबाजी, गोलीबारी हुई। आम लोगों या पुलिस तो छोड़ दीजिए, पत्रकारों तक पर जानलेवा हमले हुए।
इन्हीं पीड़ित पत्रकारों में से एक हैं ‘अमर उजाला’ समाचार-पत्र के राजेंद्र सिंह बिष्ट। हमने घायल पत्रकार से मिल कर जाना कि गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को क्या हुआ था। राजेंद्र सिंह बिष्ट को आग में ज़िंदा झोंकने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि वो उस दिन उनका ऑफ था, लेकिन साढ़े 3 बजे के करीब दफ्तर से कॉल आया कि वो जल्द मलिक के बगीचे में पहुँच जाएँ। वहाँ उन्होंने देखा कि अवैध मदरसा और मस्जिद को पुलिस ने सील कर रखा था और प्रशासन उसे तोड़ने वाला था।
उन्होंने बताया कि वहाँ नगर निगम की टीम पहुँची और विरोध शुरू हो गया, जिसे मीडिया वाले कवर कर रहे थे। राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि उसी समय चारों तरफ से आगजनी शुरू हो गई, पत्रकार लोग भीतर घिरे हुए थे। तभी पत्थरबाजी शुरू हो गए, आँसू गैस के गोले भी चले। उन्होंने बताया कि वापसी के समय उन्हें और उनके साथियों को लौटते समय घेर लिया गया। पत्थर से हमला किया गया और लाठी-डंडों से पीटा जाने लगा। राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि उन्हें नाली में फेंक दिया गया।
उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसके बाद जलती हुई आग में उन्हें झोंक दिया गया। बकौल राजेंद्र सिंह बिष्ट, उनके सिर से काफी खून बह रहा था और वो होश में नहीं थे, ऐसे में वो हमलावरों को पहचान नहीं पाए। वो उनका कैमरा भी छीन कर ले गए। उन्होंने बताया कि भयंकर धुआँधार गोलियों की आवाज़ें आ रही थीं। उन्होंने संपादक को फोन कर के इसकी सूचना दी, फिर उनके परिचितों के फोन आने लगे। एक भाजपा नेता की मदद से वो गलियों से किसी तरह बाहर निकले।
राजेंद्र सिंह बिष्ट की एक उँगली फ्रैक्चर हो गई है। उन्होंने बताया कि ईंट-पत्थर फेंके जा रहे थे। उन्होंने बताया कि सिर पर नजदीक से ईंट-पत्थर चलाए जा रहे थे, कई छोटे-छोटे बच्चे भी हमलावरों में शामिल थे। राजेंद्र सिंह बिष्ट के परिवार में उनकी पत्नी और 2 बेटे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वो इस स्थिति से बाहर निकल पाएँगे, वो भगवान का नाम लेने लगे थे। उन्होंने कहा कि पहले यहाँ ऐसा नहीं हुआ था, अब पत्रकारों को भी पीटा जा रहा है।
राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया, “कोई भी कार्यक्रम होता था तो हम अच्छे से कवर करते थे। पहले हम रात-रात तक रुक कर कवर करते थे। सबकी पीड़ा दिखाते थे, अख़बारों की फाइलें देख लीजिए। जो भी हुआ वो उम्मीद से परे था, इसकी कल्पना हमने नहीं की थी। जितने भी पत्रकार थे, लगभग सभी को पीटा गया।” वहीं एक अन्य पत्रकार ने बताया कि पिछले साल जब कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का फैसला दिया था तब वो लोग बनभूलपुरा के मुस्लिम समाज के साथ खड़े थे।
उक्त पत्रकार ने बताया कि पत्रकार, नगर निगम और पुलिस में से खोज-खोज कर हिन्दू छाँटे गए, फिर उनकी हत्या की तैयारी बनी। उन्होंने कहा कि अगर गाँधीनगर के हिंदुओं ने हमें न बचाया होता तो कोई भी जिंदा न बचता। ये सब कहना है ‘DNN न्यूज़’ के पत्रकार पंकज अग्रवाल का। उन्होंने बताया कि JCB पहुँचते ही पथराव चालू हो गया और पेट्रोल बम फेंक कर गाड़ियाँ जलाई गईं। उनके पाँव में चोटें आईं, उन्हें इलाज कराना पड़ा। उन्होंने बताया कि अगर हेलमेट न पहना होता तो और भी स्थिति ख़राब होती।
उन्होंने बताया कि ये वही लोग हैं जिनके समर्थन में अच्छी-अच्छी खबरें उन्होंने चलाई थीं, ताकि सरकार इनका कोई नुकसान न करे। पंकज अग्रवाल ने कहा कि केवल हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की साजिश थी। उन्होंने बताया कि हिन्दू पत्रकारों और सफाई कर्मचारियों की पहचान कर के उन्हें मारा गया। पंकज का कहना है कि पुलिस वालों और पत्रकारों को गिन-गिन कर मारा जा रहा था। दोनों पत्रकारों का कहना था कि जिनके लिए उन्होंने सकारात्मक खबरें पिछले साल चलाई थीं, उन्होंने ही उन्हें पीटा।
इससे पहले अस्पताल में इलाज कराने आए ‘HNN न्यूज़’ के घायल पत्रकार पंकज सक्सेना से हमने बातचीत की, जिन्होंने बताया था कि भीड़ नाम पूछ-पूछ कर मार रही थी, मुस्लिम होने पर छोड़ दिया जा रहा था। उनके हाथ और पाँव में फ्रैक्चर है। पाँव में प्लास्टर है,हाथ में भी बैंडेज है। उन्होंने बताया कि वहाँ पहले से साजिश रच कर 8-10 हजार लोग खड़े थे, जिन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पेट्रोल बम फेंकने लगे।
‘नाम पूछ-पूछ कर मार रहे थे हल्द्वानी के दंगाई, मुस्लिम छोड़ दिये’: पत्रकार के हाथ और पाँव में फ्रैक्चर, खुलासा – हत्या करना चाहते थे
जिहादी भीड़ का दंश कई महीनों तक लोगों को झेलना पड़ेगा। नैनीताल के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में अवैध कब्जा हटाने प्रशासन क्या पहुँचा, भीड़ ने थाना और पेट्रोल पंप ही फूँक डाला। पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने की कोशिश की गई। लोगों को मारा-पीटा गया। पत्थरबाजी और गोलीबारी हुई। महिला पुलिसकर्मियों तक को नहीं छोड़ा, उनके कपड़े तक फाड़े गए।
एक स्थानीय पत्रकार ने बताया है कि कैसे मुस्लिम नाम वाले छोड़ दिये । उनसे मारपीट नहीं हुई। अस्पताल में इलाज कराने आए ‘HNN न्यूज़’ के घायल पत्रकार पंकज सक्सेना ने बताया कि भीड़ नाम पूछ-पूछ कर मार रही थी, मुस्लिम होने पर छोड़ रहे थे। उनके हाथ और पाँव में फ्रैक्चर हुआ है। उनके पाँव में प्लास्टर है, हाथ में बैंडेज है। पंकज सक्सेना गुरुवार (8 फरवरी, 2024) वाली घटना में ही घायल हुए।
उन्होंने बताया कि वो मीडिया के अन्य साथियों के साथ अवैध मदरसा-मस्जिद को तोड़ने आई प्रशासन की टीम कवर करने पहुँचे थे। वहाँ पहले से खडे 8-10 हजार लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पेट्रोल बम फेंकने लगे। फिर शाम को बिजली काट कर पत्थरबाजी हुई। पेट्रोल बमों से हत्याकांड का षड्यंत्र था। गलियों से भाग रहे थे तब घायल हुए।
उन्होंने बताया कि दोनों तरफ से आग लगा पीड़ितों को घेर लिया गया था। घेरने के बाद भीड़ ने ऊपर से पत्थरबाजी शुरू की। उन्होंने इसकी पुष्टि की कि महिला पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की गई। पंकज सक्सेना इस दौरान बेहोश हो गए थे। उन्होंने अपनी जान बचाने को गाँधीनगर वालों को धन्यवाद दिया। उन्ही ने बचा कर उन्हें अस्पताल पहुँचाया। गाँधीनगर वालों ने कई पुलिस वालों और मीडिया वालों को बचाया, महिला पुलिसकर्मियों को कपड़े दिए।
घायल पत्रकार पंकज सेना ने बताया कि सरकारी खर्च से उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि दंगाई नाम पूछ रहे थे, कई पत्रकारों को छोड़ दिया गया क्योंकि वो उनकी बिरादरी से थे। उनका 8 साल का बेटा भी है, अगर उन्हें बचाया नहीं जाता तो उनकी लाश ही आती। पंकज सक्सेना को चलने में तकलीफ है। किसी का सहारा लेकर चलना पड़ रहा है। वो हमले में बुरी तरह जख्मी हैं।
पत्रकारों को जिंदा जलाने की कोशिश, SDM से मारपीट… हल्द्वानी हिंसा पर CM धामी बोले- उपद्रवियों से करेंगे नुकसान की भरपाई
मुख्यमंत्री धामी ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड देवभूमि है. यहां पर ऐसे हालात कभी नहीं हुए. आरोपियों ने देवभूमि की फिजा और माहौल को खराब करने का प्रयास किया है. मैंने आज सवेरे कुछ पत्रकार साथियों से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि उनको जिंदा आग में झोंकने का भी प्रयास किया गया.
उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार को भड़ी हिंसा के आरोपियों के खिलाफ धामी सरकार सख्त एक्शन लेने के मूड में है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को उपद्रवियों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद जिलाधिकारी ने शूट एट साइट का ऑर्डर गुरुवार देर रात जारी कर दिया था. इस बीच अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि पथराव और आगजनी से हुए नुकसान की भरपाई आरोपियों से की जाएगी.
धामी ने हिंसा के बारे में कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है. यहां पर ऐसे हालात कभी नहीं हुए. आरोपियों ने देवभूमि की फिजा और माहौल को खराब करने का प्रयास किया है. मैंने आज सवेरे कुछ पत्रकार साथियों से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि उनको जिंदा आग में झोंकने का भी प्रयास किया गया. एसडीएम रेखा कोहली से भी मैंने बात की. उन्होंने मुझे बताया कि किस तरह से उनके साथ वहां पर मारपीट हुई है, किस तरह से आगजनी हुई है, किस तरह से हत्या का प्रयास हुआ है.
उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देशानुसार अतिक्रमण विरोधी अभियान चल रहा है. प्रशासन ने लोगों को पहले ही सूचित कर दिया था. प्रशासन पर पेट्रोल बम, पत्थरों से हमला किया गया था, आगजनी भी की गई. कुछ लोगों ने उत्तराखंड में तनाव पैदा करने की कोशिश की. कानून इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा. पूरी घटना का वीडियो फुटेज निकाला जा रहा है और जिन लोगों ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उनसे इसकी भरपाई की जाएगी. हम उन लोगों के साथ हैं जो घायल हुए हैं.
उत्तराखंड मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा. इसमें जिन लोगों ने भी सरकार संपत्ति जलाई है या लोगों की संपत्तियां जलाई हैं, वाहन जलाए हैं उसके सारे विडियो फुटेज, फुट प्रिंट सभी उपलब्ध हैं. उसको चेक किया जाएगा, उस विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ-साथ यह भी है जांच का विषय है कि इतना सारे हथियार यहां पर कहां से आए. कानून अपना काम करेगा.