1971 के युद्ध ने तय कर दिए थे अमेरिका और रूस से भारत के रिश्ते

निक्सन ने इंदिरा को bitch कहा तो रूस ने अमेरिका-ब्रिटेन को औकात दिखा दी, 1971 के उस घटनाक्रम से तय कीजिए रूस-यूक्रेन युद्ध में किसके साथ रहना है

India Russia Friendship : जब बांग्लादेश को आजाद कराने की लड़ाई चल रही थी और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें मदद देने का फैसला कर लिया था तब पाकिस्तान ने अचानक भारतीय एयरफील्ड्स पर हमला कर दिया। भारत पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग की शुरुआत हुई तो अमेरिका के  गंदे इरादे जाहिर हो गए। तब रूस ने अमेरिका और इंग्लैंड दोनों को औकात बता दी।

पाकिस्तान के साथ जंग से ठीक पहले इंदिरा ने निक्सन से मुलाकात की थी

हाइलाइट्स
निक्सन – पाकिस्तान के बारे में सोचता हूं तो दिल बैठ जाता है
किसिंजर – सर, ये रूस गड़बड़ कर रहा है
निक्सन – कोई नहीं तुम जहाजों को बढ़ने दो (बंगाल की खाड़ी की तरफ)

नई दिल्ली 06 माार्च: अमेरिकी एक्सेंट में bitch कहा हो या witch पर इतना तो साफ है कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (US President Richard Nixon) ने हमारी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के लिए इन्हीं दोनों में से किसी एक शब्द का इस्तेमाल किया। ये किसी सोर्स से नहीं बल्कि व्हाइट हाउस के गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के बाद आधिकारिक रिकॉर्ड है। ये बात तीन दिसंबर 1971 की है। पाकिस्तानी एयरफोर्स ने ऑपरेशन जंगेज खान में हमारे 11 एयरफील्ड्स पर अटैक कर दिया। आगरा तक इसकी मार में आए। इंदिरा ने इसे युद्ध की  घोषणा(India Pakistan War 1971) करार और जवाबी कार्रवाई शुरू की। इसके ठीक 30 दिन पहले इंदिरा ने व्हाइट हाउस में निक्सन से मुलाकात की थी। इसके लिए निक्सन ने तय समय से 40 मिनट ज्यादा इंदिरा को इतंजार करवाया। जवाब में अगले दिन इंदिरा ने भी इतनी ही देर इंतजार करवाया। सितंबर में ही रूस के साथ फ्रेंडशिप ट्रिटी (India Soviet Union Friendship Treaty) पर दस्तखत कर अमेरिका गईं इंदिरा ने पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लाभाषियों पर जनरल याह्या खान (General Yahah Khan) के अत्याचार का जिक्र किया। पर निक्सन और उनके सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर मुद्दा भटका रहे थे। युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिकी ने खतरनाक चाल चली। रूस ने इसे विफल कर दिया। आज जब रूस – यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) चरम पर है। नाटो असहाय दिख रहा है। युद्ध के डर से जो बाइडन की हिम्मत नहीं कि यूक्रेन को नो फ्लाइ-जोन घोषित करे। अमेरिका चाहता है कि रूस के खिलाफ भारत मुखर हो जाए। हम ऐसा क्यों करें ?

1971 के युद्ध में  3 से 13 दिसंबर के बीच अमेरिकी चाल  समझना जरूरी है। नवंबर में निक्सन से मुलाकात में इंदिरा कठोरता से अपना स्टैंड क्लियर कर नई दिल्ली लौट आईं। इससे पहले ही इंदिरा ने आर्मी चीफ सैम मैनकशॉ को कह दिया था कि मुक्तिवाहिनी को समर्थन दें और पाकिस्तान दुस्साहस करे तो इसका उचित जवाब दें। पश्चिम और पूर्वी दोनों मोर्चे पर हमारी आर्मी तैयार थी। इंदिरा से मुलाकात के पहले भी निक्सन खुलेआम भारत और भारतीय महिलाओं को लेकर अनर्गल प्रलाप करते आए थे। उन्होंने इंडियन वूमन को बदसूरत और भद्दा बताते हुए बेहद घटिया कमेंट्स किए थे। अब बताते हैं ऑपरेशन जंगेज खान में पाकिस्तान के षड्यंत्र वाले दिन हेनरी किसिंजर और निक्सन में हुई बात?

 

रिचर्ड निक्सन – तो पश्चिमी पाकिस्तान वहां उस एरिया में कुछ ट्रबल कर रहा है
हेनरी किसिंजर – अगर वो अपना आधा देश बिना लड़े गंवा देते हैं तो वे बर्बाद हो जाएंगे। वो वैसे भी बर्बाद होंगे लेकिन छोड़ेंगे नहीं, वो लड़ेंगे

निक्सन – पाकिस्तान के बारे में सोचो तो दिल बैठ जाता है। हमने तो सो bitch (इंदिरा गांधी के रेफरेंस में) को चेतावनी भी दी थी। उनसे कह दो कि जब भारत ये कहता है कि पश्चिमी पाकिस्तान ने उन पर हमला कर दिया है तो ये वैसा ही है जैसे रूस बोले कि फिनलैंड ने उस पर हमला कर दिया है।

 

ऑपरेशन जंगेज खान का सटीक जवाब

 

तीन दिसंबर की इस बातचीत के बाद भारतीय वायु सेना और नौसेना ने पाकिस्तान पर कहर बरपा दिया। नेवी ने  कराची पोर्ट पर दो हमले कर पोर्ट बर्बाद कर दिया। 24 घंटे ताबड़तोड़ हमले ने पाकिस्तान को डिफेंसिव मोड पर ला दिया। इसी बीच 10 दिसंबर को निक्सन और किसिंजर की फिर बात हुई।

रिचर्ड निक्सन – हम चाहते हैं कि पाकिस्तान को किसी तरह बचा लें। ये तय है।
किसिंजर – ओके, सही है। बिल्कुल सही बात है।
निक्सन – ऑल राइट। ‘उन’ जहाजों को आगे बढ़ने दो।
किसिंजर – कैरियर्स क्या, हर चीज आगे बढ़ रही है। जॉर्डन के चार प्लेन पाकिस्तान पहुंच चुके। 22 और भेजे जा रहे हैं। हम सऊदी से भी बात कर रहे हैं। तुर्की पांच फाइटर देने को तैयार है। हम उन्हें आगे बढ़ाते रहेंगे जब तक कि सेटलमेंट नहीं हो जाता।

निक्सन – क्या आप चीनियों से बोल सकते हैं कि अगर वो चेतावनी देते हुए आर्मी मूव करें तो मदद मिल जाएगी।

किसिंजर – जी, बिल्कुल
निक्सन – उन्हें डराना है बस या फिर आर्मी को आगे बढ़ाना है। तुम समझ रहे हो न मैं क्या कहना चाह रहा हूं?
किसिंजर – जी, बिल्कुल
निक्सन – फ्रेंच क्या कुछ प्लेन अभी पाकिस्तान को नहीं बेच सकते?
किसिंजर -हां, वो दे रहे हैं।

निक्सन – ये इंडियंस कायर हैं सबके सब, हैैं कि नहीं?
किसिंजर – सही कह रहे हैं। लेकिन रूस की बैकिंग है। आप देखिए न। रूस ने ईरान को नोट भेजा है। तुर्की को भी। रूसी गड़बड़ खेल कर रहे हैं।

 

भारत के लिए रूस ने अमेरिकी जहाज की ओर मिसाइल तान दिए

 

10 दिसंबर को ही हमारी खुफिया एजेंसियों ने अमेरिकी मैसेज इंटरसेप्ट कर लिया। पता लगा कि अमेरिका का सातवां बेड़ा वार जोन में घुसने की तैयारी में है। टोंकिन की खाड़ी में तैनात सेवेंथ फ्लीट 75000 टन परमाणु ऊर्जा चालित एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) की अगुआई में आगे बढ़ रहा था। दुनिया के इस सबसे बड़े जंगी जहाज पर 70 फाइटर जेट और बॉम्बर तैनात थे। सातवें बेड़े में गाइडेड मिसाइल कैरियर यूएसएस किंग, मिसाइल विध्वंसक यूएसएस डिकेटर, पानी और जमीन पर मार करने वाला यूएसएस ट्रिपोली भी था। भारतीय समुद्री तट और अमेरिकी बेड़े के बीच हमारी नौसेना की पूर्वी फ्लीट थी जिसकी अगुआई एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत कर रहा थाा। उस पर सिर्फ 20 फाइटर जेट थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक जब फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एन कृष्णन ने पूछा गया कि अमेरिकी सेवेंथ फ्लीट से मुकाबला हो पाएगा ?तो उन्होंने कहा ,-बस ऑर्डर का इंतजार है।

जब ब्रेझनेव ने अमेरिका को किया खबरदार

इस बीच सोवियत खुफिया एजेंसियों ने भारत को बताया कि इंग्लैंड का एयरक्राफ्ट कैरियर ईगल भी भारत की तरफ बढ़ रहा है। अब वक्त आ गया था। इंदिरा गांधी ने फ्रेंडशिप ट्रिटी में रूस को चुपके से बताया कि भारत पर हमला हो चुका है। ऐसी स्थिति में रूस को एक्शन लेना था। भारत के खिलाफ षड्यंत्र में अमेरिका और इंग्लैंड साथ थे। तय था कि इंग्लिश जहाज अरब सागर में भारत को टारगेट करेगा और अमेरिकी फ्लीट बंगाल की खाड़ी में घुसेगा जहां एक लाख पाकिस्तानी फौज को भारतीय सेना ने घेर लिया था। रूसी राष्ट्रपति लियोनिड ब्रेझनेव व्लाडिवोस्टोक से परमाणु हथियारों से लैस जहाजों को रवाना करने का आदेश देते हैं। तारीख थी 13 दिसंबर। इसकी अगुआई प्रशांत महासागर में रूस के दसवें बैटल ग्रुप के कमांडर व्लादिमीर क्रुगल्योकोव कर रहे थे। बेड़े में न्यूक्लियर पनडुब्बी भी थी लेकिन टॉरपीडो और मिसाइलों की रेंज 300 किलोमीटर थी। इसलिए रूसी बेड़े को चक्कर लगाकर उनके आगे निकलना था। इसमें वो कामयाब हो गए। रूसी बेड़े ने यूएसएस एंटरप्राइज की तरफ मिसाइलें घुमा दीं।

भारत को एटम बम के सारे सीक्रेट दे दो

इस समय रूसियों ने ब्रिटिश नेवी का एक मैसेज इंटरसेप्ट किया। एडमिरल डिमॉन गॉर्डन की आवाज आती है- सर, हम बहुत लेट हो गए। यहां तो रूस की एटमी पनडुब्बियां आ गई हैं और उनके बेड़े में बहुत सारे जहाज हैं। फिर क्या था, ब्रिटिश बेड़ा मेडागास्कर की तरफ भाग खड़ा हुआ। अमेरिका के सातवें बेड़े को रुकने का ऑर्डर मिल गया। 14 दिसंबर को जनरल एके नियाजी ने ढाका स्थित अमेरिकन काउंसल जनरल को बता दिया कि वो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। संदेश वॉशिंगटन भेजा गया और अमेरिका ने इसे दिल्ली रिले कर दिया। हेनरी किसिंजर और निक्सन ने लियोनिड ब्रेझनेव को फोन मिला भारत को समझाने की गुजारिश की। ब्रेझनेव गुस्से से लाल हो गए। प्रोफेसर व्लाडिस्लाव जुबॉक ने अपनी किताब A Failed Empire में लिखा है कि ब्रेझनेव अमेरिकी हरकत से इतने गुस्से में थे कि उन्होंने तुरंत भारत को परमाणु हथियार बनाने का सारा सीक्रेट देने का मन बना लिया।

कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जंग के बाद का एक और केबल पढ़ कर आपको पता चलेगा कि अमेरिका और रूस में क्या फर्क है। बातचीत की शुरुआत किसिंजर ने की है।

किसिंजर – हमें इंडियंस को दबाते रहना होगा।
निक्सन – हमें पहले तो पाकिस्तान को मदद करनी होगी। कराची और बाकी जगह भीषण बर्बादी हुई है। जीसस क्राइस्ट, इंडियंस ने इतने बम गिराए हैं। मैं उन्हें खुश नहीं देखना चाहता। श्वेत पत्र बनाओ। जल्दी करो। समझे कि नहीं
किसिंजर – यस, जी मैं करता हूं।
निक्सन – इन भारतीयों को ऐसे नहीं छोड़ूंगा। इन्हें जिम्मेदारी लेनी होगी। इन लोगों ने वियतनाम पर हमें पांच साल तक कोसा था।

98 साल के हेनरी किसिंजर अभी जीवित हैं। जर्मनी में रहते हैं। 2005 में जब राष्ट्रपति निक्सन से उनकी बातचीत के दस्तावेज सामने आए तब एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने इसके लिए दुख जताया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *