अमेरिका में 23% मुस्लिम छोड़ रहे इस्लाम लेकिन……Pew Research Center का दावा
Pew Research Center Report On Religion : ‘अमरीका के चौथाई मुस्लिम छोड़ रहे इस्लाम’, प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा,तेजी से कौन सा धर्म छोड़ रहे लोग? हिंदू और इस्लाम की स्थिति क्या है?
प्यू रिसर्च के अनुसार वैश्विक स्तर पर धर्म परिवर्तन से ईसाई और बौद्ध धर्म की जनसंख्या घटी है. जानिए किन देशों में धर्म परिवर्तन सामान्य है और इसके कारण?
दुनिया में कई पंथ के लोग रहते हैं, जिनकी जनसंख्या मिलाकर 800 करोड़ से ज्यादा है. वर्ल्डोमीटर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें सबसे ज्यादा आबादी इस्लाम और ईसाई मतावलंबी है. हालांकि, इस बीच प्यू रिसर्च रिपोर्ट में सर्वे आधारित अनावरण हुआ है कि दुनिया में 55 वर्ष से कम आयु के 10 में से 1 वयस्क ने अपने बचपन का पंथ छोड़ दिया है.
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, ईसाई पंथ को वैश्विक स्तर पर धर्म परिवर्तन से सबसे अधिक शुद्ध नुकसान हुआ है. आंकड़ों के अनुसार ईसाई धर्म में पले-बढ़े हर 100 लोगों में से 17.1 ने पंथ छोड़ दिया. केवल 5.5 लोग ऐसे थे, जिन्होंने ईसाई पंथ अपनाया. यानी कुल मिलाकर 11.6 लोगों का नेट लॉस हुआ.
बौद्ध धर्म में धर्मांतरण की ऊंची दर
बौद्ध पंथ के आंकड़े भी कम नहीं चौंकाते.100 बौद्धों में से 22.1 लोगों ने पंथ छोड़ा, जो कि सभी पंथों में सबसे अधिक है. वहीं 12.3 लोगों ने बौद्ध पंथ अपनाया, जिससे शुद्ध नुकसान 9.8 का हुआ. यानी बौद्ध पंथ में परिवर्तन दोतरफा है – पंथ छोड़ने और अपनाने दोनों में ही. अवधारण दर केवल 78% होने से यह पंथ अनुयायियों को बनाए रखने में सबसे पीछे है.
धार्मिक रूप से असंबद्ध लोगों का सबसे अधिक फायदा
इस रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि पंथ असंबद्ध लोगों (Nones) को सबसे अधिक लाभ हुआ है. 100 में से 24.2 लोगों ने पंथ संबद्धता छोड़ी और असंबद्ध बने, जबकि केवल 7.5 ने असंबद्धता छोड़ी और किसी पंथ में शामिल हुए. इस तरह, 16.7 का शुद्ध लाभ हुआ. यह दर्शाता है कि आज की पीढ़ी में आस्था से दूरी बढ़ रही है और पंथ स्वतंत्रता अपनाने का रुझान तेज हो गया है.
मुस्लिम और हिंदू धर्म में स्थिरता
मुस्लिम और हिंदूओं में आस्था परिवर्तन की दर काफी स्थिर रही है. छोड़ने और अपनाने की संख्या लगभग बराबर है. इसलिए इन आस्थाओं को शुद्ध रूप से कोई खास फायदा या नुकसान नहीं हुआ. यह संभवतः इन समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक मजबूती और धर्म से जुड़ी पारिवारिक/सामुदायिक प्रतिबद्धता से हो सकता है.
किन देशों में सबसे ज्यादा होता है धर्म परिवर्तन?
उच्च HDI वाले देशों में धर्म परिवर्तन आम बात है. संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक (HDI) से यह स्पष्ट है कि जिन देशों का HDI स्कोर 0.8 या उससे अधिक है (जैसे अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय देश) वहां 18% वयस्कों ने अपने बचपन का धर्म छोड़ा. ये देश अधिक शैक्षिक स्तर, उच्च आय और स्वतंत्रता से जुड़े होते हैं, जिससे लोग स्वतंत्र विचारधारा को अधिक अपनाते हैं. जिन देशों का HDI स्कोर 0.55 से कम है (जैसे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कुछ भाग), वहां केवल 3% लोग ही अपने बचपन के धर्म को छोड़ते हैं. इसका कारण हो सकता है, धार्मिक सामाजिक दबाव, कानूनी बंदिशें या पारंपरिक संरचना इसका कारण हो .
भारत के लिए धर्म परिवर्तन बहुत बड़े राजनीतिक विवाद का विषय रहा है, लेकिन, सच ये है कि अपना पंथ छोड़कर दूसरा पंथ अपनाने या कोई भी पंथ न मानने वालों के मामले में अमेरिका और यूरोप के देश आगे हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर दुनिया के 36 देशों में सर्वेक्षण से इस नतीजे पर पहुंचा है कि दक्षिण कोरिया की आधी आबादी अपना पंथ छोड़ चुकी है.
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सिर्फ 1% मुसलमान अपना पंथ छोड़कर दूसरे पंथ में गये हैं. भारत से ज्यादा तुर्किए में मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ा.
तुर्किए में जन्म से मुस्लिम 4% लोग अब खुद को मुस्लिम नहीं मानते और इनमें से 1% दूसरा पंथ अपना चुके हैं. सिंगापुर में यह संख्या 3% है, जो अब मुस्लिम नहीं हैं.
अमेरिका में सबसे ज्यादा मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ा. यहां अगर 100 लोग इस्लाम में पैदा हुए थे तो अब उनमें से सिर्फ 77 ही मुस्लिम हैं. यानी 23% ने इस्लाम छोड़ दिया है.
मुसलमान ही नहीं, अमेरिका निवासी सबसे ज्यादा हिंदुओं ने भी अपना धर्म छोड़ा है. आज अमेरिका में 18% लोग पैदा तो हिंदू हुए थे, लेकिन अब इस धर्म को नहीं मानते।
श्रीलंका में जिन लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ा है, उनमें से अधिकांश ईसाई बने हैं. ये आंकड़ा 11 प्रतिशत है लेकिन, अमेरिका में हिंदुत्व छोड़ने वाले अधिकतर आज नास्तिक हैं और बाकी ईसाई बन चुके हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर सर्वेक्षण के अनुसार 2022 के आंकड़ों में दुनिया में 31.6% ईसाई, 25.8% मुसलमान और 15.1% हिंदू थे तो 14.4% किसी धर्म से नहीं जुड़े थे.
लोग लगातार छोड़ रहे इस्लाम, अमरीका में फिर कैसे बढ़ रही मुस्लिम आबादी?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक आने वाले साल 2040 तक मुस्लिम पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर होगें. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्लाम अपनाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. अमेरिका में मुसलमानों की संख्या 2050 तक 8 1 लाख होगी. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में 25 प्रतिशत मुसलमान पंथ परिवर्तित हैं.
इस्लाम छोड़ने वालों की संख्या
अमेरिका में इस्लाम छोड़ने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. डब्लूएसजे की एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल अमेरिका में 1 लाख लोग इस्लाम छोड़ते हैं. वहीं गिनीज बुक के अनुसार 1990 से 2000 के बीच 125 करोड़ लोग मुस्लिम बनें. वहीं अमेरिका में हर साल 20 हजार लोग मुस्लिम बनते हैं.
देशों में तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी
पाकिस्तान में 96.5 प्रतिशत मुस्लिम है. पाकिस्तान में हिंदु 1.9 प्रतिशत और ईसाई 1.6 प्रतिशत है. साल 2050 तक पाकिस्तान में 36 प्रतिशत वृद्धि से मुस्लिमों के 2731 लाख होने का अनुमान है.
मुस्लिम आबादी की वृद्धि के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. भारत में 46 फीसदी मुस्लिम आबादी की वृद्धि के साथ साल 2050 तक 310.66 मिलियन मुस्लिम आबादी होने का अनुमान है. ऐसी स्थिति में भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा.
नाइजीरिया में 2050 तक मुस्लिम आबादी में सबसे ज़्यादा वृद्धि होगी. 120 प्रतिशत की वृद्धि के साथ साल 2050 तक नाइजीरिया में 230.7 मिलियन आबादी मुस्लिमों की होने वाली है.
इराक में साल 2020 से 2050 के बीच मुस्लिम आबादी लगभग दोगुनी होने का अनुमान है. इस देश में प्रति महिला जन्म दर 3.55 है. देश की 99 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा इस्लाम के शिया संप्रदाय से संबंधित है. इस देश में 94 प्रतिशत वृद्धि के साथ साल 2050 तक 80.19 मिलियन मुस्लिम आबादी होने का अनुमान है.
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है, जहां वर्तमान में करीब 229 मिलियन मुस्लिम हैं, जो देश की आबादी का 87.2% हैं. साल 2050 तक दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का अनुमान है. वहीं 12 प्रतिशत वृद्धि के साथ साल 2050 में इंडोनिशिया की मुस्लिम जनसंख्या 256.82 मिलियन होने का अनुमान है.

