वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन संभावित,हो सकते हैं 40 संशोधन

Waqf Board All Details Know How Increased Its Power Why Modi Govt Bring New Amendment Bill
वक्फ एक्ट में संशोधन की तैयारी,वक्फ बोर्ड क्या है, इसके अधिकारों में कब-कैसे हुई बढ़ोतरी? मोदी सरकार क्यों ला रही नया बिल, जानिए सब कुछ
What is Waqf Board: जब कोई व्यक्ति अल्लाह या इस्लाम के नाम कोई संपत्ति या पैसा दान देता है तो उसकी देखरेख वक्फ बोर्ड करता है। देश में अभी 32 स्टेट वक्फ बोर्ड हैं। एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी है। 2013 में यूपीए सरकार ने 1995 के मूल वक्फ एक्ट में बदलाव करके बोर्ड की शक्तियों में इजाफा किया था। अब मोदी सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाने की तैयारी में है।

मुख्य बिंदु 

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद में लाने की तैयारी
मोदी 3.0 सरकार ने बनाया प्लान, होंगे महत्वपूर्ण  संशोधन
वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर लगेग सकती है रोक

नई दिल्ली 04 अगस्त 2024 : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बना रही। जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में  लाया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि 5 अगस्त को ही सरकार इसे संसद में ला रही है। इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली शक्ति पर रोक लगेगी। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट  बैठक में वक्फ कानून से जुड़े 40 संसोधन पर चर्चा के बाद इसे अनुमोदित किया गया। प्रस्तावित बिल में मौजूदा कानून से जुड़े कई क्लॉज हटाए जा सकते हैं। आइये समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है।

वक्फ बोर्ड क्या है
वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है जो तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने को बनाया गया था जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक को बनाया गया था।

कैसे काम करता है वक्फ बोर्ड
वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति घोषित कर देता है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। 1995 का वक्फ एक्ट के अनुसार अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन के प्रमाणित प्रपत्र नहीं होते है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने को कोई  प्रपत्र नहीं देने है।

नरसिम्हा राव सरकार में बढ़ी थी वक्फ बोर्ड की शक्तियां
1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ। हालांकि, 1995 के संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिलीं। पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं। वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(आर) के मुताबिक, अगर कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य को मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या (चेरिटेबल) परोपकारी मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी। वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा। बाद में वर्ष 2013 में संशोधन लाये गए, जिससे वक्फ को इससे संबंधित मामलों में असीमित और पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हुई।

वक्फ बोर्ड को मिली हैं ये शक्तियां
अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। इस ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। उसमें गैर मुस्लिम नहीं हो सकते। वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 के अनुसार ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।

देश में एक सेंट्रल और 32 स्टेट वक्फ बोर्ड
देश में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है। अब तक की सरकारों में वक्फ बोर्ड को अनुदान दिया जाता रहा है। मोदी सरकार में भी वक्फ को लेकर उदारता दिखाई गई। सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं तो पूरा खर्च सरकार का होगा। यह तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे।

वक्फ बोर्ड के पर कतरने की तैयारी!
मोदी 3.0 सरकार अब वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करने का प्लान बना चुकी है। वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर लगाम की दिशा में केंद्र सरकार ने संशोधन प्रस्तावित किए हैं। इनमें वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य वेरिफिकेशन शामिल है। इससे संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने की कोशिश होगी। देश भर में 8.7 लाख से अधिक संपत्तियां, कुल मिलाकर लगभग 9.4 लाख एकड़ भूमि ,वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में हैं। प्रस्तावित संशोधनों में, वक्फ बोर्ड के दावों का अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन किया जाएगा। ऐसा ही अनिवार्य वेरिफिकेशन उन संपत्तियों के लिए भी प्रस्तावित किया गया है, जिनके लिए वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत मालिकों ने दावे और जवाबी दावे किए हैं। संशोधन विधेयक 5 अगस्त को संसद में पेश हो सकता है।

वक्फ एक्ट में 40 संशोधन प्रस्तावित 

रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में वक्फ कानून में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी गई है.  बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है. बता दें कि 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड्स को जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार दिए थे. साथ ही तत्कालीन सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में कई बदलाव भी किए थे.

कब बना था वक्फ बोर्ड एक्ट?
वक्फ अधिनियम को पहली बार 1954 में संसद में पारित किया गया था. हालांकि, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद 1995 में नया वक्फ अधिनियम संसद में पास किया गया था. इस बार वक्फ बोर्ड को काफी अधिकार दिए गए. इसके बाद 2013 में इसमें कई संशोधन किए गए और वक्फ बोर्ड को ऑटोनॉमी मिली.

क्या होता है वक्फ बोर्ड?
वक्फ का मतलब ‘अल्लाह के नाम’ यानी वे जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है, लेकिन उनका ताल्लुक मुस्लिम समाज से है. इस तरह की जमीनों को वक्फ की जमीन कहा जाता है. इनमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह और मजार शामिल हैं. गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड दो तरह का होता है. पहला सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरा शिया वक्फ बोर्ड.

क्या काम करता है वक्फ?

सेंट्रल वक्फ काउंसिल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक वक्फ केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, राज्य वक्फ बोर्डों के कामकाज और औकाफ (विचारों) के उचित प्रशासन से संबंधित मामलों पर सलाह देता है.

इसके अलावा वक्फ बोर्ड राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है. यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पुनर्प्राप्ति और अतिक्रमण हटाने आदि पर कानूनी सलाह देता है. इतना ही नहीं ,राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम लिमिटेड से शहरी वक्फ संपत्तियों के विकास और विकास को संभावित वक्फ भूमि की पहचान को योजना  लागू  भी करता है.

वक्फ बोर्ड के कामों में कौशल विकास और गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने को शैक्षिक और महिला कल्याण योजनाएं लागू करना भी है. यह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजना, राज्य वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड के कम्प्यूटरीकरण  योजना  लागू करता है.

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के प्रावधान के अनुसार स्टेट वक्फ बोर्डों के काम प्रदर्शन पर राज्य सरकार/बोर्डों से आवश्यक जानकारी प्राप्त करना, वक्फ मामलों को केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों जैसे एएसआई, रेलवे, राजस्व और वन आदि के साथ उठाना, परिषद के हितों को बढ़ावा देने और वक्फ संस्थानों को उनकी नई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में संवेदनशील बनाने को जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना है.

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