45 कविताएं
[11/18/2021, 6:22 AM] डॉक्टर क्षमा:
है अंधेरी रात बिखरी चांदनी
शुभ्र आभा से दमकती कामिनी
गूंथ कर केशो में तारे मानिनी
चल पड़ीअभिसार को यामिनी।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/19/2021, 6:15 AM] डॉक्टर क्षमा:
नयन लालसा से भरे निरख रहा
मुख चंद्र
कब होवेगा मधुर मिलन टूटेंगे
सब बंध
मधुर तान पर प्रीत की नाचेगा
मन मोर
मन ही मन में सोचता बेकल
चित्त चकोर।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/20/2021, 6:43 AM] डॉक्टर क्षमा:
पाहुन आए बाग में, पिया मिलन की
चाह
पनघट को गोरी चली,नीर भरन के ब्याज
पनघट गोरी चली, पिया से मिल
सब भूली
रीति गहरी लिए हाथ लौटी
अलबेली।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/21/2021, 6:46 AM] डॉक्टर क्षमा:
प्यार हो अनुराग हो ,मन में सदा
समभाव हो
न द्वेष हो विद्वेष हो,हम एक हैं
यह भाव हो
कल्पना नित हों नई, नवसृजन का
उल्लास हो
योग हो सहयोग हो ,मिलकर बढ़े
यह भाव हो।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/22/2021, 6:51 AM] डॉक्टर क्षमा:
तम की चादर में तरु सिमटे खड़े हैं
पक्षी कोटर में दुबक कर सो रहे हैं
शांत हैं गलियां नही है कोई हलचल
स्वान नीरवता को बस चीरे हुए हैं।
शीत की सुबह दिशाएं सिहरी सी हैं
उषा भी कुछ देर से ही आ रही है।
फिर निश्चित है दिशाएं लाल होगी
सूर्य आतप से उसी चमकेगा नभ में।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/23/2021, 6:46 AM] डॉक्टर क्षमा:
बढ़ रही इस दिल में फिर सरगर्मियां
कल्पना ने फिर भरें नव रंग हैं
जिंदगी जब तक हैं हारें क्यों भला
कुछ नया करने की है तैयारियां ।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/24/2021, 6:40 AM] डॉक्टर क्षमा:
जिंदगी शतरंज है
हार भी है जीत भी
मन से जो हारा नही
सच्चा खिलाड़ी है वही।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/25/2021, 6:29 AM] डॉक्टर क्षमा:
निशा ने आ प्यार से आंचल पसारा
सो गया जग भूल कर संत्रास सारा
और उषा ने स्वप्न से आकर जगाया
नवोल्लास भरा संदेशा पिक ने गाया।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/26/2021, 7:08 AM] डॉक्टर क्षमा:
मुकुलित कालियां हुई सुमन ने
ली अंगड़ाई
पीकर मधु मकरंद भ्रमर टोली
इठलाई
तितली हो कर मगन नाचती
डाली डाली
पवन बावरा हुआ गंध पाकर
मतवाली।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/27/2021, 6:48 AM] डॉक्टर क्षमा:
पुष्प की सुगंध से
महकी हवाएं
पंछियों के गान से
गूंजी दिशाएं
रश्मिरथ पर सज गई
रवि की सवारी
लाल चंदन लगा उषा ने
आरती उतारी।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/28/2021, 6:25 AM] डॉक्टर क्षमा:
सुनहरी ओढ़ कर चूनर प्रभा धरती पे आई है
महावर से सजे पद चिन्ह नभ पर छोड़ आई है
चिड़ियों की चहक है या कि पायल की
मधुर धुन है
उसके आने से रंगत धरा की लौट
आई है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/29/2021, 6:35 AM] डॉक्टर क्षमा:
प्यार का नगमा चांद ने
गुनगुनाया
और हया ने चांदनी का
मुख सजाया
कुमुदनी विहसी तारे
खिलखिलाए
गीत मंगल गा उषा
ने द्वार खोले।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[11/30/2021, 7:11 AM] डॉक्टर क्षमा:
मधुर मुस्कान होंठों पर नजर बांकी तुम्हारी है
चुराते हो हृदय सबका यह आदत
पुरानी है
तेरे है दास तेरे ही दरस की आस
बाकी है
कराना पार भव सागर यही विनती
हमारी है।
प्रातः नमन । डा० क्षमा कौशिक
[12/1/2021, 6:51 AM] डॉक्टर क्षमा:
घंटियों की ध्वनि से सजी आरती
धुन
शंखनाद से गूंजता ओम शास्वत
स्वर
दीप के आलोक में आलोकित
हर मन
प्रभु वंदन से हो नव दिवस का
आगमन।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/2/2021, 6:34 AM] डॉक्टर क्षमा:
अभिनव चेतना के स्वर सजाए हैं
सदा तुमने
निरंतर प्रेरणा मन में जगाई है
सदा तुमने
तुम्ही ने तो मेरे विश्वास को फिर से
जगाया है
मित्रता को सही अर्थों में तुमने ही
निभाया है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/3/2021, 7:01 AM] डॉक्टर क्षमा:
प्रभु पर आस्था दृढ़ हो
कर्म पथ पर कदम दृढ़ हों
परिश्रम और लगन संग हों
मंजिल मिल ही जाती है।
प्रातः नमन । डा० क्षमा कौशिक
[12/4/2021, 7:23 AM] डॉक्टर क्षमा:
दिखाई देते है जैसे,नही होते हैं
हम वैसे
दोहरापन अगर यारों,मिटा पाएं
तो अच्छा हो।
चमक मासूमियत की अब
दिखाई ही नहीं देती
बनावट को अगर यारों हटा पाएं
तोअच्छा हो।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/4/2021, 7:45 AM] डॉक्टर क्षमा:
दिखाई देते है जैसे,नही होते हैं
हम वैसे
दोहरापन अगर यारों,मिटा पाएं
तो अच्छा हो।
चमक मासूमियत की अब
दिखाई ही नहीं देती
बनावट को अगर यारों हटा पाएं
तोअच्छा हो।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/5/2021, 7:09 AM] डॉक्टर क्षमा:
जान कर अवसान रजनी का
हुआ निस्तेज मुख प्रिय चंद्र का
और व्याकुल रजनी के अश्रु
धरा पर गिर गए बन ओस कण।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/6/2021, 6:44 AM] डॉक्टर क्षमा:
धूप और छांव सी है
जिंदगी
महज इत्तिफाक नही
जिंदगी
कुछ तो है जिसके लिए
जन्में हैं हम
बस उसी की पूर्णता है
जिंदगी।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/7/2021, 7:47 AM] डॉक्टर क्षमा:
महत्वाकांक्षा के पीछे इतना न
भागिए
दुनिया की चकाचौंध में यह न
भूलिए
धन दौलत शोहरत मिल जाएगी
मगर
अपनों के बिन खुशी नहीं यह न
भूलिए।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/8/2021, 6:58 AM] डॉक्टर क्षमा:
खामोश दिल में हलचल
हुई है
खुशबू से महकी हवा चल
रही है
गुजरी यादों की सूनी
गली में
चर्चा तुम्हारी फिर चल
पड़ी है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/9/2021, 6:53 AM] डॉक्टर क्षमा:
सो गया वह प्रखर वीर मां की गोदी में
निश्चित कुछ क्षण की विश्रांति पाने को
फिर जागेगा भर ऊर्जा नव जीवन की
मातृभूमि पर अपना स्नेह लुटाने को।
विनम्र श्रद्धांजलि । डा०क्षमा कौशिक
[12/10/2021, 6:57 AM] डॉक्टर क्षमा:
मृत्यु शाश्वत सत्य,आत्मा अजर
अमर है
धैर्य नहीं धरता, शोक संतप्त
हृदय है
आना होगा पुनः धरा पर वीरों
तुमको
मातृ भूमि का कर्ज चुकाना अभी
शेष है।
प्रातः नमन । डा० क्षमा कौशिक
[12/11/2021, 6:13 AM] डॉक्टर क्षमा:
जीवन ऐसे जिया कि मृत्यु अमर
हो गई
हृदय हुए गमगीन, नम हर आंख
हो गई
तिरंगी चादर ओढ़ चले रणवीर
प्रयाण पर
तन मन सब कुछ वार देश की
आन बान पर।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/12/2021, 6:14 AM] डॉक्टर क्षमा:
पहाड़ों से लड़ते उलझते ये बादल
अपनी ही धुन में उमगते ये बादल
हवाओं के संग संग उड़े जा रहे हैं।
बेपरवाह ये बादल चले जा रहे हैं।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/13/2021, 6:28 AM] डॉक्टर क्षमा:
चलते – चलते मुलाकात हो गई
प्यार से
मुझसे यूं कहने लगा वो बड़े
एतबार से
मैं नही हूं तो नही सार इस
संसार में
मेरे होने से ही है स्वर्ग इस
संसार में।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/14/2021, 6:53 AM] डॉक्टर क्षमा:
गागर लिए हाथ में प्रेम रस
अमंद
उड़ेलती आ रही उषा भर
उमंग
प्रेम की लालिमा से रंग गया
अंबर
झांकने सूरज लगा भर अति
आनंद।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/15/2021, 6:51 AM] डॉक्टर क्षमा:
स्वार्थमय संसार में ,सब स्वार्थ का
व्यापार
जब तक सधता स्वार्थ ,तब तलक
व्यवहार।
फिर भी माया में बंधे, अजब है
मायाजाल
शरणागत वत्सल प्रभु,शरण उन्हीं
की जाय।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/16/2021, 6:40 AM] डॉक्टर क्षमा:
तृप्त मन हो स्वस्थ तन हो
ईश पर विश्वास
वैमनस्य लालच घृणा का
हो न मन में वास
दिल दुखी न हो किसी का
रहे हर क्षण ध्यान
भूल जाए भूल सबकी हो
हृदय विशाल।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/17/2021, 6:17 AM] डॉक्टर क्षमा:
राम तेरे नाम की महिमा अकथ अपार
अधम क्रूर कामी तरे लेकर पावन नाम
डाकू रत्नाकर बन गए बाल्मीकि महान
रामबोला तुलसी हुए लेकर पावन नाम
राम नाम जप ले बन्दे जो चाहे कल्याण
भवसागर तर जायेगा लेकर पावन नाम।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/18/2021, 6:51 AM] डॉक्टर क्षमा:
जीत कर मिलता परम
आनंद है
हार जाने का मजा कुछ
और है
हर हाल जीतना, जरूरी
भी नहीं
हारना कहां,ज्ञात तुमको
अगर।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक।
[12/19/2021, 6:40 AM] डॉक्टर क्षमा:
परों में सिमटे परिंदें सो रहें हैं
स्याह चादर ओढ़ कर तरु सो रहे हैं
चांद आभा से चमकता है पटल पर
सूर्य का कोई पता अब तक नहीं है।
उषा शंकित है भोर का पहर है या
रात्रि का पहर अभी बीता नही है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/20/2021, 6:54 AM] डॉक्टर क्षमा:
देखकर सानंद खिल उठता है मन
देख पीड़ा में तुम्हें दुखता है मन
कौन सा ये बंध है ,अनुबंध है
कौन सी यह डोर रिश्तों की प्रिये?
तुम न चाहो मैं तो चाहूंगी तुम्हें
और ज़िद न भूलने दूंगी तुम्हें।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/21/2021, 6:41 AM] डॉक्टर क्षमा:
ढक गई अब बर्फ से पर्वतों की
चोटियां
कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरी सिमटती
चोटियां
नर्म श्वेत शाल में लिपटी हुई सी
चोटियां
नर्म सांसों से दिवाकर की पिघलती
चोटियां।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/22/2021, 6:12 AM] डॉक्टर क्षमा:
मौन हूं,
मगर अंतर मुखरित है
कहती हूं मैं स्वयं
सुनती भी खुद हूं
अपने से संवाद
मेरा चलता रहता है
अपने से कहना सुनना
अच्छा होता है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/23/2021, 6:28 AM] डॉक्टर क्षमा:
प्रेम रस से सींच कर
राग अभिनव छेड़ कर
संदेश ले नव प्रातः का
कोकिला है गा रही
उषा विहसती आ रही।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/24/2021, 6:23 AM] डॉक्टर क्षमा:
मौन कहता है बहुत सुनकर देखो
सूनी आंखों की भाषा पढ़कर देखो
हाथ पसारे को दिया तो क्या दिया
बिन मांगे भूखे को कुछ देकर देखो।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/25/2021, 6:16 AM] डॉक्टर क्षमा:
लाते हैं त्यौहार सभी खुशियों की
सौगात।
दीवाली हो ईद हो या हो क्रिसमस
की रात।
मिलकर सब उल्लास में डूब जाएं
आकंठ
प्रेम का उपहार दें भूल शोक सब
द्वंद।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/26/2021, 7:30 AM] डॉक्टर क्षमा:
अंधकार को भेदती रवि की किरण
आ रही जग में ,उजाले को लिए
मुस्कुराहट की किरण ही चाहिए
अवसाद के तम को हटाने के लिए।
प्रातः नमन । डा० क्षमा कौशिक
[12/27/2021, 6:55 AM] डॉक्टर क्षमा:
बाधा रोकती हों राह तुम
रुकना नहीं
निराशा हो खड़ी हर द्वार
मन बुझना नही
हो घनेरी रात कितनी भी
मगर
उषा आती है नया लेकर
प्रभात।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/28/2021, 6:12 AM] डॉक्टर क्षमा:
शबनम झरती रही रात भर
भीग गया दुकूल
सूरज की किरणों ने आकर
सोख लिया सब नीर
खिल उठी वसुंधरा
प्रिय का पा आभास
नाना पुष्प भरे आंचल में
स्वागत को साभार।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/29/2021, 6:18 AM] डॉक्टर क्षमा:
सी सी करती बीत रही सर्दी की राते
ठौर ठिकाना नहीं सड़क पर कटती रातें
साथ निभाते हैं अलाव कुछ देर तलक ही
अपनी ही ऊष्मा से जीवन को हैं साधे।
उनके प्रति हम में भी कुछ संवेदन जागे
कुछ ऊष्मा अपने संसाधन से हम बांटे।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/30/2021, 6:20 AM] डॉक्टर क्षमा:
जीवन सत्य
कभी प्रत्यक्ष कभी परोक्ष
उद्वेलित करता है
नए नए प्रश्न करता है
जीवन चक्र नहीं रुकता
चलता रहता है
अर्जुन जैसा परम भक्त
गीता सुनता गहता है।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक
[12/31/2021, 7:08 AM] डॉक्टर क्षमा:
वर्ष विदाई ले रहा है धीरे धीरे
खट्टे मीठे अनुभव की
देकर सौगात।
नया वर्ष आ रहा है धीरे धीरे
जीवन में खुशियों की
लेकर सौगात।
प्रातः नमन। डा० क्षमा कौशिक