50 लाख से बनाये 2000 करोड़,सोनिया-राहुल पर आरोप पत्र,दामाद को भी Ed नोटिस

₹50 लाख से कैसे बनाया ₹2000 करोड़? ‘नेशनल हेराल्ड’ केस में सोनिया-राहुल गाँधी के खिलाफ चार्जशीट, ED ने लैंड स्कैम में दामाद से भी की पूछताछ: जानिए सबकुछ

सोनिया गाँधी, राहुल, नेशनल हेराल्ड
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ ED ने दायर की चार्जशीट

नई दिल्ली 15 अप्रैल 2025 । कॉन्ग्रेस  मुखपत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के विरुद्ध ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने चार्जशीट दायर की है। कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे बदले की राजनीति बताया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार (25 अप्रैल, 2025) को होगी। YIL (यंग इंडिया लिमिटेड) नामक कंपनी ‘नेशनल हेराल्ड’ को संचालित करती है। इस कंपनी में 76% शेयर सोनिया व राहुल गाँधी के हैं। दोनों के इसमें 38-38% शेयर हैं।

क्या है ‘नेशनल हेराल्ड’ का मामला, जिसमें सोनिया-राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ चार्जशीट
इससे पहले ‘नेशनल हेराल्ड’ का स्वामित्व AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) के पास था, लेकिन YIL ने इसका अधिग्रहण कर लिया। 11 फरवरी को ED ने इस मामले से जुड़ी 661 करोड़ रुपए की संपत्तियों की ज़ब्ती की कार्रवाई शुरू की थी। ये संपत्तियाँ दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में था। इसमें दिल्ली में बहादुरशाह ज़फर मार्ग स्थित ‘हेराल्ड हाउस’ भी शामिल है। YIL के बचे हुए 24% शेयर कॉन्ग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम था।

अब ये दोनों ही नेता इस दुनिया में नहीं हैं। उनके निधन के बाद उनके शेयरों पर किसी ने दावा नहीं ठोका। ED का कहना है कि ये शेयर भी सोनिया और राहुल के पास ही चले गए, यानी दोनों माँ-बेटे 100% शेयरों के मालिक बन गए। YIL का गठन 23 नवंबर, 2010 को हुआ था। कॉन्ग्रेस ने AJL को 90 करोड़ रुपए का ऋण दे रखा था, जिसे मात्र 50 लाख रुपए में सेटल करते हुए YIL ने संस्था के 2000 करोड़ रुपए की संपत्तियों पर नियंत्रण  कर लिया।

जाँच एजेंसी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग को फर्जी डोनेशन और फर्जी रेंट अग्रीमेंट्स का जुगाड़ किया गया। करोड़ों रुपयों की हेराफेरी हुई। 2012 में सुब्रमण्यन स्वामी की शिकायत के आधार पर इस मामले की जाँच शुरू की गई थी। 2022 में राहुल गाँधी इस मामले में पूछताछ को 5 बार ED के समक्ष उपस्थित हुए थे। CBI भी इस मामले की जाँच कर रही है, इसका मनी लॉन्ड्रिंग वाला हिस्सा ED के पास है। पूरा मामला आपराधिक षड्यंत्र का भी बताया गया है।

 

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Hindi NewsindiaWhat Is National Herald Case In Hindi National Herald Case Kya Hai
क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसमें ईडी ने राहुल-सोनिया गांधी के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले को लेकर 25 अप्रैल को सुनवाई है। आखिर ये नेशनल हेराल्ड केस क्या है जिसमें गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं .

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नेशनल हेराल्ड केस क्या है जिसमें राहुल सोनिया के खिलाफ हुई चार्जशीट

प्रवर्तन निदेशालय टीम ने नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। जैसे ही ये मुद्दा सामने आया राजनीतिक पारा चढ़ने लगा। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बदले की भावना से ऐसा करने का आरोप लगाया है। यही नहीं बुधवार को देशभर के ईडी दफ्तरों पर प्रदर्शन का भी ऐलान किया है। जिस तरह से पूरे मामले पर घमासान तेज हो रहा, हर किसी के मन में सवाल उठ रहा कि आखिर नेशनल हेराल्ड केस क्या है, जानिए पूरा मामला।

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। साल 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो दो और अखबार छापती थी। ये अखबार थे हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इसी बीच साल 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई थी.

AJL के बाद बनाई गई नई कंपनी
साल 2010 में यंग इंडियन नाम से एक और कंपनी बनाई गई। जिसका 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी (38-38 फीसदी) के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। इसी को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।

कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
साल 2012 नवंबर महीने में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो ‘नियमों के खिलाफ’ है। केस दर्ज होने के दो साल बाद जून 2014 में अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया गया। इसी साल अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया मुद्दा
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी। इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस फैसले के दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

अब ईडी ने दाखिल की चार्जशीट
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी। अब इसी नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है।

चार्जशीट में कांग्रेस के इन नेताओं के भी नाम
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर ईडी के आरोपपत्र में कांग्रेस ओवरसीज चीफ सैम पित्रोदा के अलावा सुमन दुबे और अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं। अदालत ने मामले में संज्ञान पर बहस के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की है। इससे पहले ईडी ने इस मामले से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

भोपाल से भी जुड़ा है YIL और AJL का झोल
बता दें कि भोपाल के प्रेस कॉम्प्लेक्स में AJL को 1981 में 1.14 एकड़ जमीन मात्र 1 लाख रुपए में 30 साल के लिए लीज पर आवंटित की गई थी। AJL ने उस समय अंग्रेजी दैनिक ‘नेशनल हेराल्ड’, हिंदी दैनिक ‘नवजीवन’ और उर्दू दैनिक ‘कौमी आवाज़’ प्रकाशित की थी। 2011 में लीज समाप्त होने के बाद ‘भोपाल विकास प्राधिकरण’ (BDA) यहाँ मालिकाना हक लेने पहुँचा तो पाया कि इसका इस्तेमाल समाचार पत्रों के प्रकाशन के बजाय व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था।

समाचार पत्रों का प्रकाशन तो 1992 में ही बंद हो चुका था और उसके बाद से इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल हो रहा था। प्रेस को दिए गए प्लॉट पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बनने का पता चलने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण ने इसे अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की लेकिन इसी बीच कई खरीददार सामने आ गए और मामला अदालत पहुँच गया। इस वजह से कार्रवाई बीच में ही अटक गई। हालाँकि, 2012 में भोपाल विकास प्राधिकरण ने इस प्लॉट की लीज को रद्द कर दिया था लेकिन तब से लेकर अब तक इस प्लॉट के अलग-अलग खरीददार और भोपाल विकास प्राधिकरण के बीच मालिकाना हक को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

जीजा जी’ रॉबर्ट वाड्रा से भी ED ने की है पूछताछ
हरियाणा के गुरुग्राम के एक जमीन घोटाले के मामले में सोनिया गाँधी के दामाद और राहुल गाँधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से भी प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की है। रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी केरल के वायनाड से सांसद हैं, ये सीट उनके भाई राहुल गाँधी ने उनके लिए छोड़ दी थी। उनसे 6 घंटे पूछताछ हुई है। इससे पहले 8 अप्रैल को उन्हें समन भेजा गया था लेकिन वो पेश नहीं हुए थे। दूसरे समन के बाद वो पेश हुए। उन्हें बुधवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

रॉबर्ट वाड्रा ने केंद्र सरकार पर बदले की राजनीति व जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि वो हमेशा से सारे सवालों के जवाब देते रहे हैं और आगे भी देंगे। 2008 में गुरुग्राम के शिकोहपुर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ‘स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी’ ने जमीन ख़रीदी थी। 7.5 करोड़ में क़रीब 3 एकड़ की जमीन ली गई। हरियाणा की तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने कॉलोनी बनाने की अनुमति दी। इसके बाद ये जमीन रॉबर्ड वाड्रा की कंपनी ने DLF को 58 करोड़ रुपए में बेच दी।

 

Topics:CongressED  Rahul Gandhi Sonia Gandhi कॉन्ग्रेस प्रवर्तन निदेशालय राहुल गांधी रॉबर्ट वाड्रा

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