यूक्रेन में 54 मंदिर दे रहे जरुरतमंदों को आश्रय और भोजन

कुछ यूँ लोगों की सेवा में लगे यूक्रेन के 54 इस्कॉन मंदिर, ज़रूरतमंदों में बाँट रहे भोजन-पानी: पड़ोसी देश पहुँच रहे भारतीयों की भी मदद

यूक्रेन में ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं इस्कॉन संस्था के लोग

बुडापेस्ट/कीव 27 फरवरी। जहाँ एक तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ‘International Society for Krishna Consciousness (ISKCON)’ जैसी संस्थाएँ वहाँ ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने में लगी हुई है। यूक्रेन से अब तक 2 लाख से भी अधिक लोग पलायन कर चुके हैं, ऐसे में वहाँ फँसे नागरिकों की मदद करने के लिए हिन्दू धर्म से जुड़ी संस्था आगे आई है। पूर्वी यूरोप के इस देश में इस्कॉन के मंदिरों ने ज़रूरतमंदों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।

इस्कॉन ने कहा है कि जो भी लोग दिक्कतों में हैं, उनकी सेवा करने के लिए उसके मंदिर और श्रद्धालु लगातार तैयार हैं। इस देश में इस्कॉन के 54 मंदिर हैं, जहाँ लोगों की मदद की जा रही है। उन्हें आशियाना दिए जाने के साथ ही उनके भोजन-पानी का भी प्रबंध किया जा रहा है। संस्था ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से यूक्रेन में इस्कॉन के अधिकतर मंदिर और श्रद्धालु फ़िलहाल सुरक्षित हैं। वामशी माधव दास नाम के एक मंदिर संचालक श्रद्धालु के हाथ और छाती में गोली लगी है और युद्ध के हालात में उन्हें ज़रूरी चिकित्सा नहीं मिल पा रही लेकिन उनका कहना है कि जब तक सांस चलेगी, मंदिर में सेवा कार्य नहीं रूकेगा।

इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि माधव दास की पत्नी फ़िलहाल उनका ख्याल रख रही है, क्योंकि युद्ध की वजह से वो नजदीकी अस्पताल पहुँच पाने में असफल रहे हैं। उन्होंने लोगों से उनके स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करने का निवेदन किया। यूक्रेन में फँसे जो भी भारतीय छात्र और नागरिक हंगरी पहुँच रहे हैं, उनके लिए वहाँ के इस्कॉन मंदिर भी व्यवस्था कर रहे हैं। वहाँ से भारतीय छात्रों को एयर इंडिया के फ्लाइट से भारत लाया जा रहा है।

यूक्रेन में ज़रूरतमंदों की मदद करते इस्कॉन के श्रद्धालु
हंगरी स्थित भारतीय दूतावास ने वहाँ पहुँचे भारतीयों हेतु भोजन और पानी की व्यवस्था के लिए इस्कॉन मंदिरों से मदद भी माँगी है।

राधारमण दास ने कहा कि स्थिति विकट है। उन्होंने कहा, “एक कहावत है – अगर ज़िन्दगी तुम्हारी तरफ नीम्बू फेंके तो उसका शर्बत बना लो। लेकिन, हमारे श्रद्धालु इस मामले में एक कदम आगे हैं। उनका सिद्धांत है – अगर ज़िन्दगी तुम्हारी तरफ नीम्बू फेंके तो उसका शर्बत बना कर लोगों को पिलाओ।” उन्होंने कहा कि इस्कॉन के लोग अंतिम सांस तक जनसेवा में लगे रहेंगें।

 

 

यूक्रेन पर रूस के हमले जारी है। अब तो रूस की सेना यूक्रेन के शहरों तक पहुंच गई है। हवाई हमलों और सेना की गोलीबारी के कारण आम लोगों पर संकट आ गया है। अब तक करीब 250 आम नागरिकों के मारे जाने की बात यूक्रेन की ओर से कही गई है। इस बीच, यूक्रेन के गुरुवारे और इस्कॉन मंदिर मानवता की मिसाल बनकर उभरे हैं। इन गुरुद्वारों और मंदिरों में बिना किसी भेदभाव के जरूरतमंदों की मदद की जा रही है। भूखों को खाना खिलाया जा रहा है और बेघरों को शरण दी जा रही है। रूसी सेना की मिलाइलों और बमों से बचने के लिए लोग यहां आकर शरण ले रहे हैं।

पोलैंड के साथ यूक्रेन की सीमा की यात्रा करने वाले भूखे छात्रों की सेवा करने वाले ‘ट्रेन पर लंगर’ का एक वीडियो सामने आया है। वायरल वीडियो रविंदर सिंह (खालसा एआईडी के संस्थापक-सीईओ) द्वारा ट्विटर किया गया है, जिसमें छात्रों को चलती ट्रेन में लंगर का आनंद लेते हुए दिखाया गया है। ट्वीट में विभिन्न देशों के कई छात्रों को लंगर भोजन और मदद देने के लिए उल्लेख किया गया है। नीचे देखिए Guru Ka Langar on a train वीडियो

 

बता दें, हाल के दिनों में जहां-जहां मानव जाति पर संकट आया है, गुरुद्वारे मिसाल बनकर नजर आए हैं। चाहें कोरोना महामारी का दौर हो या अफगानिस्तान में जंग। अफगानिस्तान संकट के दौरान सिख संगठनों ने अपनी मानवीय सहायता के लिए सुर्खियां बटोरीं थी। संगठन ने अफगान नागरिकों को बचाया जो अपने देश से भाग गए थे और उन्हें शरण दी, भोजन दिया।

 

 

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