उत्तराखंड के 91 सीमांत ग्राम बनेंगें मॉडल विलेज:ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी

वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखंड के 91 सीमांत ग्राम चयनित, बनेंगें मॉडल विलेज – ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी*

देहरादून, 19 नवम्बर। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने आयुक्त, ग्राम्य विकास से वाइब्रेंट विलेज योजना (वीवीपी) की प्रगति रिपोर्ट विस्तृत रूप से प्राप्त की। मंत्री जोशी ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, व्यापक प्रचार-प्रसार और समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश देते हुए सीमांत ग्रामों के समग्र विकास पर जोर दिया।

ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि सीमांत क्षेत्रों में मौलिक तंत्र के सुदृढ़ीकरण, आजीविका सृजन और जनसंख्या का पलायन रोकने को भारत सरकार से संचालित वाइब्रेंट विलेज योजना (वीवीपी) में उत्तराखण्ड राज्य में भारत-चीन एवं भारत-नेपाल सीमा से सटे 91 ग्रामों का चयन किया गया है। योजना का उद्देश्य इन दुर्गम सीमांत ग्रामों को मॉडल विलेज के रूप में विकसित कर वहां के नागरिकों को बेहतर जीवन-स्तर, सुविधा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।

*वीवीपी-1 : भारत-चीन सीमा क्षेत्र में 51 ग्राम चयनित*
भारत-चीन सीमा से लगे जनपदों में –उत्तरकाशी (भटवाड़ी ब्लॉक) – 10 ग्राम, चमोली (जोशीमठ ब्लॉक) – 14 ग्राम, पिथौरागढ़ (मुनस्यारी – 08, धारचूला – 17, कनालीछीना – 02 ग्राम) इस प्रकार कुल 51 ग्रामों को वीवीपी-1 में चयनित किया गया है। इन ग्रामों में आर्थिक गतिविधियां मजबूत करने, संपर्क मार्गों के निर्माण, स्थानीय संस्कृति एवं पर्यटन के प्रसार तथा आधुनिक सुविधाओं के विकास को राज्य सरकार ने 520.13 करोड़ रुपए का योजना प्रारुप गृह मंत्रालय को भेजा गया था, जिनमें से 110 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि राज्य को मिल गई है।

*वीवीपी-2 : भारत-नेपाल सीमा के 40 ग्राम शामिल*
वीवीपी-2 के अंतर्गत—चम्पावत – 11 ग्राम, पिथौरागढ़ – 24 ग्राम, ऊधम सिंह नगर – 05 ग्राम। इस तरह इन 40 ग्रामों का चयन किया गया है। इन चयनित ग्रामों का डेटा संकलन और सत्यापन कार्य प्रगति पर है। वीवीपी के रोड कंपोनेंट में पिथौरागढ़ जनपद में पीएमजीएसवाई की 5 सड़कों के निर्माण को 119.44 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इससे सीमा क्षेत्रों में आवाजाही, व्यापार और रणनीतिक दृष्टि से सड़क संपर्क और अधिक सुदृढ़ होगा।

ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सीमांत ग्रामों के प्रति विशेष लगाव प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि “माणा को देश का अंतिम नहीं, प्रथम ग्राम बनाने का संदेश प्रधानमंत्री मोदी की उत्तराखंड के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है। मंत्री जोशी ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना राज्य के दूरस्थ ग्रामों में आधुनिक सुविधाएं, स्थायी आजीविका, कृषि-बागवानी, सुरक्षित वातावरण और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी। योजना के पूर्ण क्रियान्वयन से पलायन पर नियंत्रण और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह योजना उत्तराखंड के सीमांत ग्रामों को आत्मनिर्भर, सुरक्षित और उन्नत मॉडल विलेज में बदलने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

उत्तराखंड का मॉडल विलेज पहल 

उत्तराखंड सरकार ने सीमावर्ती और दूरस्थ क्षेत्रों के गाँवों को आत्मनिर्भर, समृद्ध और आदर्श बनाने के लिए मॉडल विलेज योजना शुरू की है। हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्री श्री गणेश जोशी ने घोषणा की कि राज्य के 91 सीमांत गाँवों को मॉडल विलेज बनाया जाएगा। यह योजना केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) का हिस्सा है और उत्तराखंड में इसे बहुत तेजी से लागू किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु : कुल गाँव: पहले चरण में 91 सीमांत गाँव (चीन और नेपाल सीमा से सटे)
मुख्य जिले: पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा
लक्ष्य वर्ष: अधिकांश कार्य 2026 तक पूरे करने का लक्ष्य
मुख्य फोकस: प्रवास रोकना, रोजगार बढ़ाना, बुनियादी सुविधाएँ पहुँचाना और सीमा क्षेत्र को जीवंत बनाना

क्या-क्या होगा इन ग्रामों में?

 

कार्य क्षेत्र                     प्रमुख कार्य 

 

सड़क और कनेक्टिविटी -सभी मौसम में चलने वाली सड़कें, पुल, हेलीपैड
बिजली और इंटरनेट-100% सौर ऊर्जा/विद्युतीकरण, हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड (भारतनेट)
आवास-पक्के मकान, होम-स्टे (पर्यटन के लिए), शौचालय
आजीविका-लाखपति दीदी योजना, SHG के माध्यम से हर्बल, डेयरी, ऊनी उत्पाद, होमस्टे, एडवेंचर टूरिज्म
स्वास्थ्य-टेलीमेडिसिन, मोबाइल हेल्थ यूनिट, ड्रोन से दवा पहुँचाना
शिक्षा-स्मार्ट क्लास, आंगनबाड़ी अपग्रेड, स्किल सेंटर
पर्यटन और संस्कृति-ट्रेकिंग रूट, कल्चरल सेंटर, होम-स्टे नेटवर्क

अब तक की प्रगति (नवंबर 2025 तक)

मंत्री गणेश जोशी नियमित रूप से समीक्षा कर रहे हैं
“लाखपति दीदी” मॉडल में उत्तराखंड पूरे देश में नंबर-1 चल रहा है (1 लाख रुपये वार्षिक से ज्यादा कमाने वाली महिलाएँ)
कई गाँवों में होम-स्टे शुरू हो चुके हैं, पर्यटक बढ़ रहे हैं
PMGSY में 168 से ज्यादा सीमांत गाँवों को सड़क से जोड़ा जा रहा है

विशिष्ट बिंदू 

ये गाँव ऊँचाई पर (10,000 फीट से ज्यादा) हैं, जहाँ सर्दियों में 8 महीने बर्फ रहती है
यहाँ से युवा पलायन बहुत करते थे; अब योजना से उल्टा पलायन (रिवर्स माइग्रेशन) शुरू हो रहा है
सेना और ITBP भी सहयोग कर रही है

 

91 सीमांत गाँवों की सूची (वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में)

उत्तराखंड के 91 सीमांत गाँवों को मॉडल विलेज बनाने की घोषणा ग्रामीण विकास मंत्री गणेश जोशी ने हाल ही में की है (19 नवंबर 2025 को)। यह वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) का हिस्सा है, जो दो फेज में बंटा है:VVP-1 (भारत-चीन सीमा): 51 गाँव (नाम उपलब्ध हैं)।
VVP-2 (भारत-नेपाल सीमा): 40 गाँव (नाम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन जिलेवार संख्या है: चंपावत में 11, पिथौरागढ़ में 24, ऊधम सिंह नगर में 5)।

नीचे VVP-1 के 51 गाँवों की पूरी सूची है (जिलेवार)।

VVP-2 के गाँवों के नाम अभी आधिकारिक स्रोतों में विस्तार से सूचीबद्ध नहीं हैं, क्योंकि योजना हाल की है। भारत-नेपाल सीमा के 40 गाँवये गाँव चंपावत (11), पिथौरागढ़ (24), और ऊधम सिंह नगर (5) जिलों में हैं। ये विकास खंडों में बंटे हैं, लेकिन विशिष्ट नाम अभी आधिकारिक रूप से ऑनलाइन सूचीबद्ध नहीं हैं। ये गाँव सीमा से सटे दूरस्थ क्षेत्रों में हैं, और योजना में इन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, और पर्यटन से जोड़ा जाएगा।

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