श्रावक धर्म के अनमोल मोती प्राप्त कर सकता है प्रतिदिन प्रवचन से: आचार्य सौरभ सागर महामुनिराज
देहरादून 21 जुलाई 2025। परम पूज्य संस्कार प्रणेता, ज्ञानयोगी, उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सान्निध्य में गांधी रोड स्थित दिगंबर जैन पंचायती मंदिर, जैन भवन में संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन हो रहा है। आज भी विधान में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों ने भजनों एवं नृत्य के माध्यम से भगवान की आराधना करते हुए श्रद्धा भाव से पूजा- अर्चना की। इस विधान के अंतर्गत प्रतिदिन 23वें तीर्थंकर चिंतामणि भगवान श्री पार्श्वनाथ की भक्ति और आराधना की जा रही है। आज के विधान के पुण्यार्जक ‘जैन मिलन माजरा’ रहे।
विधान के दौरान बाहर से पधारे गुरुभक्तों का स्वागत पुष्प वर्षा योग समिति ने हर्षोल्लास से किया ।
दसवें दिन की आराधना में पूज्य आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि “भगवान पार्श्वनाथ का तीर्थकाल 100 वर्षों का था। वे जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे और लगभग 872–772 ईसा पूर्व के काल में हुए। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने दीक्षा ली और 70 वर्षों तक धर्म का उपदेश दिया। 100 वर्ष की आयु में सम्मेद शिखर पर उनका निर्वाण हुआ।”
आचार्य श्री ने आगे कहा कि “जैसे बूंद-बूंद से सागर भरता है, वैसे ही व्यक्ति-व्यक्ति से समाज का निर्माण होता है। प्रतिदिन प्रवचन रूपी अमृतपान से श्रावक धर्म के अनमोल मोती प्राप्त कर सकता है।”
इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं की भावनात्मक सहभागिता एवं भक्ति भाव विशेष रूप से देखने को मिला।

