ज्ञान:आयुर्वेद बताता है जहर जैसा विरूद्ध भोजन
Ayurveda Food Tips: आयुर्वेद के अनुसार कब क्या किसके साथ नहीं खाना चाहिए, जानें विरूद्ध आहार क्यों है जहर समान
आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉक्टर दीक्सा भावसार ने सूजन कम करने , त्वचा विकारों और ऑटोइम्यून विकारों से बच स्वस्थ रहने को कुछ फूड आइटम्स को एकसाथ मिलाकर खाने से बचने की सलाह दी ह।आयुर्वेद के अनुसार कब क्या किसके साथ नहीं खाना चाहिए, यह जानें कि विरूद्ध आहार क्यों है जहर ।
कहते हैं ना कि आप जो खाते हैं, वैसे ही आप दिखते हैं। हालांकि स्वस्थ भोजन करते वक्त भी आपको सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि कुछ फूड कॉम्बिनेशन न केवल आपकी आंत को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हर खाद्य पदार्थ का शरीर पर अलग ऊर्जा, स्वाद और प्रभाव होता है, इसलिए कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ सेवन करते समय आपको थोड़ी सावधानी बरतना जरूरी है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉक्टर दीक्सा भावसार ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट पर विरूद्ध आहार को लेकर एक पोस्ट शेयर की है। इसमें उन्होंने कुछ फूड कॉम्बिनेशन के बारे में बताया है, जिनसे अपको बचना चाहिए।
विशेषज्ञ द्वारा बताए गए फूड कॉम्बिनेशनक्या है विरूद्ध आहार
डॉक्टर. भावसार कहती हैं कि विरूद्ध का मतलब विपरीत है। कुछ खाद्य पदार्थ स्वाभाविक रूप से हानिकारक होते हैं। जबकि कुछ ऐसे होते हैं, जो अकेले तो बहुत गुणकारी होते हैं, लेकिन जब इन्हें किसी खाद्य पदार्थ के साथ लिया जाए, तो ये फायदे की जगह उल्टा नुकसान पहुंचा देते हैं। इसे ही विरूद्धाहार कहते हैं। मछली और दूध, फल और दूध, शुद्ध शहद और घी जैसी दो गुणकारी चीजें एक साथ मिलाकर और गलत समय पर ली जाएं, तो यह हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकती हैं।
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फल और दूध का संयोजन
हममें से कई लोग फलों को दूध के साथ मिलाकर खाना पसंद करते हैं। खासतौर से केले को। विशेषज्ञ के अनुसार, केले को दूध, दही और छाछ के साथ नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इन दोनों का मेल आपके पाचन को बिगाड़ सकता है और शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन कर सकता है। केले को इन पदार्थों के साथ लेने पर सर्दी, खांसी और एलर्जी की संभावना बन सकती है।
घी और शहद की समान मात्रा लेना
घी और शहद को बराबर मात्रा में ना मिलाएं क्योंकि शरीर में इनका उल्टा रिएक्शन होता है। दरअसल, शहद में गर्म करने, सुखाने और खुरचने की क्रिया होती है। जबकि घी कूलिंग और मॉश्चुराइजिंग गुणों से भरपूर है। विशेषज्ञ ने सलाह दी है कि घी और शहद एकसाथ खाते समय दोनों को एक समान मात्रा में मिलाने के बजाय एक की मात्रा ज्यादा मिलाएं।
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गर्म शहद का सेवन
शहद को गर्म करके खाने से पाचन प्रक्रिया को सहारा देने वाले एंजाइम नष्ट हो जाते हैं। इसका सेवन करने पर शरीर में विषाक्त पदार्थ धीरे-धीरे जमा होने लगते हैं।
मछली के साथ दूध का सेवन
विशेषज्ञ ने बताया कि दूध और मछली दोनों ही सेहत के लिए बहुत अच्छी हैं। लेकिन जब इन्हें एकसाथ लिया जाए, तो शरीर के लिए हानिकारक है। कुल मिलाकर इन दोनों को एक साथ मिलाकर लेने में नुकसान है। दरअसल, दूध ठंडा होता है और मछली में गर्म करने का गुण है। इन दोनों के कॉम्बिनेशन से खून दूषित होता है और नाडियों में रूकावट पैदा होती है। डॉ.भावसार के अनुसार ऐसे ही दूध और नमक को भी एकसाथ लेने से बचना चाहिए।
रात में दही खाना
दही और पनीर दोनों ही सर्दियों में खाने के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं, लेकिन रात में इनका सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है। आयुर्वेदिक पाठ चरक (संहिता सूत्र 225 -227 ) के अनुसार, दही को आमतौर पर शरद ऋतु, गर्मी और वसंत में नहीं खाया जाता।
तो अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को पूरी तरह से स्वस्थ रखना चाहते हैं तो विशेषज्ञ द्वारा बताए गए फूड कॉम्बिनेशन को लेने से बचें। इससे कोई भी सूजन कम करने में मदद मिलती है और बीमार पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती हैं।
कुछ और मंत्र-नींद न आए तो क्या करें?
हम सभी को कभी न कभी नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। जब नींद न आए तो स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है, इस स्थिति को क्रॉनिक कहते हैं। तनाव, चिंता और जीवनशैनी की खराब आदतें जैसी कई चीज हैं , जो आपको पूरी रात करवट बदलने पर मजबूर कर सकती हैं। इसके लिए कई बार आप दवाओं का सहारा लेते हैं, जिसके साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं।
लेकिन आप चाहें, तो आयुर्वेद की मदद से आसानी से घर पर ही इसे मैनेज कर सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर और ओहरिया आयुर्वेद की संस्थापक रजनी ओहरी ने आयुर्वेद में दिए गए संस्कारों के बारे में बताया है, जिन्हें सोने से पहले करने से नींद लेने और सुबह तरोताजा महसूस करने में मदद मिल सकती है।
गहरी सांस लें
यदि आप प्राणायाम से भी आसान कुछ चाहते हैं, तो ओम के जाप के साथ गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें। इसके लिए आपको सबसे पहले ओम का जप करते हुए सांस अंदर लेनी है और नाक व मुंह दोनों से सांस बाहर निकालनी है। बता दें कि ओम शब्द का मन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है और यह आपको जल्दी सो जाने में हेल्प कर सकता है। ओम का जाप करते समय लगातार दो उच्चारणों के बीच में मौन धारण करें।
पैर धोएं
प्राचीन काल में लोग जब भी दिनभर के बाद घर लौटते थे, तो पैर धोते थे। क्योंकि पैर धोने से शरीर को आराम मिलता है, साथ ही स्ट्रेस लेवल में भी कमी आती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर्स कहते हैं कि पैर धोने से नकारात्मकता दूर होती है और आप खुद रिलेक्स महसूस करते हैं। इसलिए हर दिन आप पैर धोएं , ताकि सुकनू भरी नींद आ सके।
प्राणायाम करें
प्राणायाम से हमारा मतलब धीमी गति से सांस लेने के व्यायाम से है। इसमें आपको अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना और पूरे शरीर में ऊर्जा को प्रवाहित करना होता है। बिस्तर पर जाने से पहले प्राणायाम करने से ब्लड सकुर्लेशन में सुधार और शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं यह आपके दिमाग को शांत करने और जल्दी सो जाने में मदद करता है। ओहरी रात में अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करने का सुझाव देती हैं। यह अन्य प्रणायाम की तुलना में अधिक लाभकारी है।
गैजेट्स से बचें
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बहुत ज्यादा उपयोग से हमारा स्लीपिंग पैटर्न गड़बड़ा रहा है। सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करना या टीवी देखना आपके दिमाग को एक्टिव रखता है, जिससे आपकी नींद डिस्टर्ब होती है और रातभर करवट बदलते रहते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, रात को सोने से पहले शांत भरा माहौल बनाने की कोशिश करें। बेहतर होगा कि सुकून व मन को शांत करने वाला म्यूजिक सुनें या अच्छी नींद पाने के लिए किताब पढ़ें। ऐसा करने से आपको झट से नींद आ जाएगी।
अभ्यंग करें
अभ्यंग आयुर्वेद चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें गर्म जड़ी-बूटियों के तेल से शरीर की मालिश की जाती है। अगर आपके लिए पूरे शरीर की मालिश करना मुमकिन नहीं है, तो रात में सोने से पहले स्ट्रेस पॉइंट्स की ही मालिश करने से बहुत फायदा होगा। अपने माथे और कंधों पर थोड़ा गर्म तिल का तेल लगाएं और अपनी मांसपेशियों को आराम देने और शांति से सोने के लिए उनकी ठीक से मालिश करें।
अगर आप भी नींद की कमी से जूझ रहे हैं, तो यहां बताए गए आयुर्वेद के 5 संस्कार आपको जरूर ट्राय करने चाहिए। कुछ ही दिनों में आपका स्लीपिंग पैटर्न पहले जैसा हो जाएगा और आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे।
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