एग्जिट पोल से तो दक्षिण में भी पहुंचा भगवा

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पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण… अगर एग्जिट पोल हुए सही तो कैसा दिखेगा देश का नक्शा
लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल में एक बार फिर मोदी सरकार बनती दिख रही है। कुछ एग्जिट पोल तो भाजपा के 400 पार के दावे पर भी मुहर लगा रहे हैं। वहीं INDI गठबंधन के दावे फेल होते दिख रहे हैं। देश के नक्शे पर समझिए एग्जिट पोल क्या कहता है।

नई दिल्ली1जून 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल सामने आ चुके हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा की तीसरी बार पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनती दिख रही है। कुछ एग्जिट पोल में तो एनडीए गठबंधन 400 पार तक पहुंचता दिख रहा है। वहीं विपक्षी गठबंधन INDI इस बार कुछ खास प्रदर्शन करता नहीं दिख रहा। इन एग्जिट पोल में सबसे गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा उत्तर भारत के राज्यों में तो अपनी जमीन बचाए हुए है ही, साथ ही दक्षिण के राज्यों में भी पहले से कहीं बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। जिन राज्यों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाता था, वहां भाजपा कुछ सीटें पर बढ़त बना सकती है।
नक्शे में छा जाएगा भगवा
एग्जिट पोल में भाजपा जिस तरह का प्रदर्शन करती दिख रही है, उसके अनुसार पूरे देश में भगवा छा सकता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा से लेकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में भाजपा को अच्छी सीटें मिल रही हैं। यहां भाजपा बहुमत में रहेगी। इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट के राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में भी भाजपा आगे दिख रही है। वहीं नागालैंड में टक्कर का मुकाबला हो सकता है। इसके साथ ही महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में भी भाजपा और INDI गठबंधन में टक्कर देखने को मिलेगी। हालांकि जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, सिक्किम और केरल में INDI गठबंधन को बढ़त मिल सकती है।

टीवी-9 पीपुल्स इनसाइट के सर्वे में कई राज्यों में भाजपा का क्लीन स्वीप
टीवी9-पीपुल्स इनसाइट के एग्जिट पोल में एनडीए को 342 सीट, इंडिया गठबंधन को 166 सीट और अन्य को 35 सीट मिलती हुई नजर आ रही है। इस सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में भाजपा एक बार फिर क्लीन स्वीप करती हुई नजर आ रही है। दिल्ली की सभी सात सीटों पर भाजपा को जीत मिल रही है। वहीं उत्तराखंड की सभी पांचों सीटों पर भाजपा के जीतने की उम्मीद है।
एग्जिट पोल में 400 के करीब पहुंचा एनडीए, भाजपा को भारी बढ़त
अगर ‘एबीपी न्यूज़- सी वोटर’ के एग्जिट पोल पर नजर डाली जाए, तो पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन बंपर जीत हासिल कर सकता है। इस एग्जिट पोल में एनडीए को 353 से लेकर 383 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान है। गौरतलब है कि यह भाजपा के वर्ष 2019 और 2014 के प्रदर्शन से भी बेहतर है। इस एग्जिट पोल के मुताबिक यदि 353 से लेकर 383 एनडीए का औसत भी देंखे, तो एनडीए को 368 सीटें मिलती दिख रही है।
दक्षिण में भाजपा ‘फ्लावर नहीं, फायर है’, जानिए तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में NDA की बढ़त के मायने?
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में एनडीए को 361-401 सीटें और इंडिया ब्लॉक को 131-166 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. अन्य को 8 से 20 सीटें मिल सकती हैं. राज्यों की बात करें तो इस बार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. केरल में भी भाजपा का खाता खुलने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार लोकसभा चुनाव में दक्षिण के राज्यों में खासा फोकस रखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह जब कन्याकुमारी में उगते सूर्य की पूजा की तो इसे चुटीले अंदाज में कहा गया कि उगता सूरज दरअसल डीएमके का चुनाव चिह्न है. हालांकि इस व्यंग्य ने कुछ लोगों को हंसाया होगा. लेकिन इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण भारत में भाजपा का सूरज वास्तव में चमक रहा है. इसका बढ़ता ग्राफ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह एक ऐसा इलाका रहा है, जिसे अभी तक भाजपा के लिए जीतना संभव नहीं हुआ है।

एग्जिट पोल के आंकड़े अगर 4 जून को सटीक नतीजे में बदलते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि दक्षिण भारत भी अब भाजपा के लिए निषिद्ध क्षेत्र नहीं है,जिसका लंबे समय से हिंदी-हिंदू-हिंदुत्व पार्टी के रूप में उपहास उड़ाया जाता रहा है.अब तक भाजपा सिर्फ कर्नाटक में ही शासन करने में कामयाब रही है और इसे दक्षिण के प्रवेश द्वार के रूप में माना जाता है.आंकड़े बताते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों में पार्टी दो अतिरिक्त रास्ते बना सकती है. एक तेलंगाना से होकर गुजरना और दूसरा पड़ोसी आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम की साइकिल पर पीछे की सवारी करना.इसके अलावा, नतीजे तमिलनाडु और केरल भी आश्चर्यचकित कर सकते हैं.

अगर ‘वनक्कम भाजपा’ मोमेंट करीब है तो इसका कारण क्या है?

आंकड़े भाजपा के लिए कर्नाटक में 2019 जैसी जीत की भविष्यवाणी करते हैं.अगर ऐसा हुआ तो यह 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का मीठा बदला होगा. इससे यह भी साबित होगा कि कन्नड वोटर्स राज्य और देश के चुनाव के बीच अंतर समझता है. भाजपा को 55 प्रतिशत वोट शेयर संकेत मिले हैं।
अगर कांग्रेस वास्तव में कर्नाटक में तीन-तीन सीटों तक ही सीमित रहती है तो उसका निराश होना भी लाजिमी होगा. कांग्रेस ने महिला-केंद्रित योजनाओं खासकर 2000 रुपये प्रति माह की आर्थिक मदद और मुफ्त बस यात्रा के सहारे चुनाव अभियान को मजबूती देने की पूरी कोशिश की थी. यदि मतदाताओं ने एनडीए के समर्थन में जबरदस्त वोटिंग की है तो यह साबित करेगा कि वोटर्स हर महीने जेब में पैसे या बस में मुफ्त यात्रा से कहीं ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद रखते हैं. यह साबित करेगा कि ‘खटाखट-खटाखट’ शासन के जिस ब्रांड का वादा किया गया था, उसे मीम क्रिएटर्स के अलावा खरीदार नहीं मिले हैं. यह भी दिखाएगा कि विपक्ष के जातिगत सर्वे के तमाम वादों के बीच भाजपा ने लिंगायत वोट और जेडीएस ने वोक्कालिगा वोटों को अपने पक्ष में लाकर चुनावी माहौल बदल दिया है. एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से हैं. इस तरह का प्रदर्शन उनके कार्यकाल में भी खराब दाग लगाएगा.

कमल फ्लावर नहीं, फायर है

वहीं, तेलंगाना को देखा जाए तो यह भी एक ऐसा राज्य है, जहां दिसंबर 2023 में कांग्रेस सत्ता में आई और आत्मविश्वास से भरे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अपने पहले 100 दिनों के काम को चुनाव में जनता के सामने पेश किया. एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे एग्जिट पोल का अनुमान है कि इस बार तेलंगाना में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 43% यानी 11-12 सीटों तक पहुंच जाएगा. अगर ऐसा होता है तो तेलंगाना जैसे राज्य में सुनामी से कम नहीं है. यहां तेलुगु सुपरहिट फिल्म ‘पुष्पा’ का डायलॉग भी सटीक साबित होगा कि भाजपा का ‘कमल फ्लावर नहीं, फायर है।
तेलंगाना में मजबूत ताकत बनकर उभरेगी भाजपा

यदि भाजपा को इतना बड़ा वोट शेयर मिलता है तो यह उसे तेलंगाना की राजनीति में एक मजबूत ताकत के रूप में स्थापित करेगा. तेलंगाना में 2019 में भाजपा का 19 प्रतिशत वोट शेयर था. इस बार 24 प्रतिशत वोट मिलने के संकेत हैं. इस वोट का अधिकांश हिस्सा बीआरएस से आएगा. इस चुनाव में बीआरएस को जबरदस्त नुकसान होने का अनुमान है. बीआरएस को बड़ा वोट भाजपा में शिफ्ट होने का संकेत है. यह आश्चर्य की बात भी नहीं है, क्योंकि पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान भी कई बीआरएस समर्थकों ने राष्ट्रीय चुनाव में भाजपा को वोट देने की बात कही थी. आश्चर्य की बात यह है कि इस चुनाव में बीआरएस का सफाया हो गया. एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, दिसंबर में 37 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गया.

अगर कांग्रेस 4-6 सीटों पर सिमट जाती है तो इसके लिए वो खुद ही दोषी होगी. भाजपा और कांग्रेस दोनों की उम्मीदवारों की सूची में बीआरएस से आए कई नेताओं के नाम शामिल थे. जाहिर है कि इस पोल के मुताबिक वोट उम्मीदवारों के नहीं, बल्कि मोदी के नाम पर पड़े हैं.

देश की बात आती है तो भाजपा पर भरोसा करता है साउथ?
कांग्रेस का अधिकांश इलेक्शन कैंपेन जातिगत जनगणना और गारंटियों के इर्द-गिर्द देखा गया है. आंकड़े बताते हैं कि जब केंद्र की बात आती है तो दक्षिण के लोग मिशन 2047 के नारे से आकर्षित होकर भाजपा की ओर देखते हैं. इतने वर्षों तक कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का समर्थन करने के बाद अब क्या दक्षिण भारतीय भाजपा का समर्थन कर रहे हैं, यह 2024 के नतीजों में देखने को मिलेगा. स्थानीय स्तर पर यह आंकड़े तेलंगाना कांग्रेस के भीतर रेवंत रेड्डी विरोधी नेताओं के चेहरे भी खिला रहे हैं. ऐसा नहीं है कि रेड्डी आंकड़ों से सहमत हैं. उन्हें विश्वास है कि कांग्रेस तेलंगाना और देश में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन करेगी.

आंध्र प्रदेश में YSRCP की खिसक गई जमीन?

एग्जिट पोल के सबसे अलग आंकड़े आंध्र प्रदेश से आए हैं. वहां चुनाव विशेषज्ञों की पूरी जमात इस बात पर बंटी हुई दिखती है कि राज्य में कौन जीतेगा? एक्सिस माई इंडिया उन एग्जिट पोल में से है, जो लोकसभा चुनाव में एनडीए की जबरदस्त जीत का संकेत दे रहा है. 2019 में अकेले चुनाव लड़ने वाली भाजपा को 1 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे, लेकिन इस बार उसने छह सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 से 6 सीटें जीतने का अनुमान है. यदि भाजपा वाकई में इतनी सीटें जीतती है तो वाईएसआरसीपी के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा. कहा जा सकता है कि YSRCP के लिए यह एक राजनीतिक भूकंप से कम नहीं होगा. यह तभी संभव होगा, जब टीडीपी और जन सेना अपना वोट बैंक को भाजपा को ट्रांसफर करवाने में कामयाब रहते हैं. यदि ऐसा हुआ तो यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं होगी. चूंकि पिछले कुछ समय में टीडीपी और भाजपा के बीच समीकरण ठीक नहीं रहे हैं. इसका मतलब यह भी होगा कि आंध्र प्रदेश के लोगों को भाजपा ने राज्य को ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ देने से इनकार करने से कोई परेशानी नहीं है।
दोनों द्रविड़ पार्टियों की मुश्किलें बढ़ाएगी भाजपा

एक्सिस माई इंडिया ने अनुमान लगाया है कि तमिलनाडु में तेनकासी, रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटें एनडीए जीत सकती हैं. इसमें रामनाथपुरम सीट से एनडीए के समर्थन से और निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम का नाम भी शामिल है. ओ पन्नीरसेल्वम के बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने जबरदस्त प्रचार अभियान चलाया, जिसमें उनके थेवर समुदाय के वोटों के अलावा अल्पसंख्यक और यादव समाज का समर्थन मिलने से महत्वपूर्ण बढ़त हासिल हुई है. यदि एनडीए सीटें जीतता है और अन्नाद्रमुक की कीमत पर अपने वोट शेयर में 20 प्रतिशत से ज्यादा का सुधार करता है तो यह दोनों द्रविड़ पार्टियों को 2026 तक सुधार करने के लिए मजबूर करेगा. उम्मीद है कि भाजपा भी विधानसभा चुनावों से पहले और भी तेज अभियान चलाएगी.

तमिलनाडु की तरह जहां के अन्नामलाई के नेतृत्व में भाजपा खुद को दो क्षेत्रीय दलों के विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहती है, उसी तरह केरल में भी वो चाहती है कि लोग यूडीएफ और एलडीएफ गठबंधन से परे जाकर देखें. सर्वे में त्रिशूर, अट्टिंगल और तिरुवनंतपुरम में भाजपा को बढ़त बता रहे हैं. इन तीनों सीट पर भाजपा के तीन बड़े दिग्गज मैदान में हैं. त्रिशूर में अभिनेता सुरेश गोपी मैदान में हैं, उनके लिए सबसे अच्छा मौका होने की उम्मीद है।
विपक्ष के आरोपों की हवा निकाल देगा यह चुनाव

कई महीनों से इंडिया गुट के नेता यह अभियान चला रहे हैं कि दक्षिण को राष्ट्रीय खजाने में योगदान की तुलना में बहुत कम राशि मिलती है.कर्नाटक,तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने भी धन आवंटन में भेदभाव का आरोप लगाया है. यदि भाजपा को वास्तव में दक्षिण में पर्याप्त वोट और सीटें मिलती हैं तो यह इस तर्क की हवा निकाल देगा और स्पष्ट रूप से यह संदेश देगा कि लोग ऐसे तर्क स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
पिछले चुनावों से पता चला है कि दक्षिण में वोट हिंदी पट्टी से अलग हैं. 2024 कई अर्थों में उस सिद्धांत का परीक्षण भी है और यदि ये आंकड़े सही हैं तो वास्तव में यह चुनाव एक सिस्मिक क्रॉसओवर होने वाला साबित होगा.

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