अडाणी के एनडीटीवी कब्जे को सेबी की हरी झंडी की जरूरत
NDTV का कंट्रोल इस तरह नहीं ले पाएंगे अडानी, पहले सेबी से लेनी होगी अनुमति, जानिए क्या है पेंच
गौतम अडानी ने जिस हिसाब से एनडीटीवी में एक अनजान कंपनी के जरिए हिस्सा खरीदा है, इसे शेयर बाजार के एक्सपर्ट होस्टाइल टेकओवर मान रहे हैं. होस्टाइल टेकओवर का मतलब प्रबंधन की इच्छा के खिलाफ कंपनी पर कब्जे की कोशिश है. अडानी को पूंजी बाजार के नियामक सेबी से अनुमति लेने की जरूरत है.
नई दिल्ली 26 अगस्त: दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में से शामिल गौतम अडानी ने एनडीटीवी को खरीदने की कवायद शुरू कर दी है. एनडीटीवी ने गुरुवार को शेयर बाजार को सूचित किया है कि अडानी की कंपनियों ने एनडीटीवी के शेयर खरीदने की जो कवायद शुरू की है, उसके लिए उन्हें सेबी से अनुमति लेने की जरूरत है. एनडीटीवी के प्रमोटर्स और संस्थापकों को सिक्योरिटी मार्केट में ट्रेड करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसके बाद पर प्रमोटर व्हीकल में 99.5% हिस्सेदारी खरीदने के लिए अडानी को पूंजी बाजार के नियामक सेबी से अनुमति लेने की जरूरत है.
सेबी ने 27 नवंबर 2020 को दिए आदेश में एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणव और राधिका राय को सिक्योरिटी मार्केट में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया था
एनडीटीवी ने कहा है कि सेबी ने 27 नवंबर 2020 को दिए आदेश में एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणव और राधिका राय को सिक्योरिटी मार्केट में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया था. सेबी के आदेश के बाद एनडीटीवी के प्रमोटर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर शेयरों की खरीद-बिक्री या अन्य डीलिंग नहीं कर सकते. सेबी ने 2 साल के लिए एनडीटीवी के प्रमोटर पर प्रतिबंध लगाया था.
सेबी के इस प्रतिबंध की अवधि 26 नवंबर 2022 को खत्म हो रही है. एनडीटीवी के संस्थापक राधिका और प्रणव राय ने वीसीपीएल से 10 साल पहले ₹400 करोड़ का लोन लिया था. इसके बदले वीसीपीएल को वारंट जारी किए गए थे जिसके जरिए उसने एनडीटीवी में 29.18 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी.
गौतम अडानी ने जिस हिसाब से एनडीटीवी में एक अनजान कंपनी के जरिए हिस्सा खरीदा है, इसे शेयर बाजार के एक्सपर्ट होस्टाइल टेकओवर मान रहे हैं. होस्टाइल टेकओवर का मतलब प्रबंधन की इच्छा के खिलाफ कंपनी पर कब्जे की कोशिश है.
अडानी ने दी जानकारी
अडानी ग्रुप ने शेयर बाजार को बताया कि उसने विश्व प्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड या वीसीपीएल को खरीद लिया है. मीडिया और कंसल्टेंसी कारोबार में कामकाज करने वाली वीसीपीएल के पास एनडीटीवी की प्रमोटर ग्रुप कंपनी आरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के 29.18 फीसदी शेयर गिरवी है. एनडीटीवी ने शेयर बाजार को बताया है कि वीसीपीएल ने इस डील के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दी है.
एनडीटीवी का बयान
एनडीटीवी ने कहा, “एनडीटीवी के संस्थापक यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वीसीपीएल की हिस्सेदारी खरीदकर इक्विटी में बदलने के अधिकार का इस्तेमाल कंपनी से बातचीत और सहमति के बिना किया गया है.” एनडीटीवी का कहना है कि वह आगे की प्रक्रिया पर जानकारी जुटा रही है और उसमें कानूनी सलाह भी शामिल हो सकते हैं.
किसका कितना हिस्सा?
NDTV के प्रमोटर प्रणय राय के नाम 15.94% हिस्सा है, जबकि उनकी पत्नी राधिका राय का एनडीटीवी में 16.32% हिस्सा है. प्रणय और राधिका ही आरआरपीआर के प्रमोटर हैं. इस कंपनी के पास एनडीटीवी के 29.18% शेयर हैं. एनडीटीवी के खुदरा निवेशकों के पास कंपनी के 12.57 % शेयर हैं, कॉर्पोरेट इंस्टीट्यूट के पास एनडीटीवी का 9.61% हिस्सा है, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास एनडीटीवी के 14.7 % शेयर हैं. इसके अलावा अन्य के पास एनडीटीवी की 1.67% हिस्सेदारी है.
Ndtv Says Gautam Adani Needs Sebi Nod To Buy Its Top Shareholder
Explainer : अडानी-एनडीटीवी मामले में मुकेश अंबानी का बड़ा कनेक्शन, यहां समझिए पूरी क्रोनोलॉजी
++++पवन जायसवाल ++++
Mukesh Ambani’s connection in the Adani-NDTV case
हाइलाइट्स
1-रिलायंस ग्रुप से जुड़ी थी एनडीटीवी में हिस्सेदारी लेने वाली VCPL
2-एनडीटीवी को अप्रत्यक्ष रूप से रिलायंस की कंपनियों से मिला था पैसा
3-ओपन ऑफर लाकर एनडीटीवी में मालिकाना हक चाहते हैं अडानी
4-प्रणय और राधिका रॉय के पास है एनडीटीवी में कुल 32.26 % हिस्सेदारी
अडानी ग्रुप (Adani Group) ने एनडीटीवी (NDTV) को खरीद लिया है! तीन दिनों से खबरों और सोशल मीडिया में इसी पर ही चर्चा हो रही है। लोग मीम बना रहे हैं, तो कुछ लोग चिंतित भी हैं। वहीं, इस मामले में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के कनेक्शन पर भी लोग बात कर रहे हैं। अडानी और एनडीटीवी के बीच जो कुछ भी हुआ, उसमें अंबानी का कनेक्शन जानने से पहले एक बात जान लेना जरूरी है। एनडीटीवी पर अडानी ग्रुप का मालिकाना हक नहीं हुआ है। अडानी ग्रुप के पास एनडीटीवी में 29.30% हिस्सेदारी आई है। जब तक अडानी ग्रुप के पास एनडीटीवी में 51 % या इससे अधिक हिस्सेदारी नहीं आएगी, इस मीडिया कंपनी का मालिकाना हक गौतम अडानी (Gautam Adani) के पास नहीं आएगा। एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय और राधिका रॉय (Prannoy and Radhika Roy) के पास अभी भी कंपनी में कुल 32.26 फीसदी हिस्सेदारी है। अब आते हैं अंबानी कनेक्शन पर… तो जी हां, इस मामले का कनेक्शन मुकेश अंबानी से है। दरअसल, अडानी ग्रुप की जिस कंपनी ने एनडीटीवी में 29.30 % हिस्सेदारी ली है, वह पहले रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) से जुड़ी कंपनी थी। आइए समझते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है।
रिलायंस की कंपनियों से आया लोन का पैसा
गौतम अडानी के पास एनडीटीवी की हिस्सेदारी प्रणय और राधिका रॉय द्वारा लिए गए एक लोन के चलते आई है। यहां दिलचस्प बात यह है कि प्रणय और राधिका रॉय को यह पैसा अप्रत्यक्ष रूप से रिलायंस की कंपनियों द्वारा ही मिला। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी है, रिलायंस वेंचर्स लिमिडेट (Reliance Ventures Ltd.)। इस कंपनी से साल 2009-10 में 403.85 करोड़ का लोन शिनानो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड (Shinano Retail Private Limited) के पास आया। इस कंपनी की 100 % हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एंड होल्डिंग्स लिमिटेड के पास थी। इसके बाद शिनानो से उतना ही पैसा विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) के पास आया। इस कंपनी के डायरेक्टर अश्विन खासगीवाला और कल्पना श्रीनिवासन थे। ये दानों रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड से भी जुड़े थे। इसके बाद उसी साल विश्वप्रधान से उतना ही पैसा राधिका रॉय और प्रणव रॉय की कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड (RRPR Holdings Private Limited) के पास आया।
पैसा रिलायंस से आया हिस्सेदारी अडानी ने ली
बाद में वीसीपीएल को उसके नए मालिक से अडानी ग्रुप की कंपनी ने खरीद लिया। वीसीपीएल को कर्ज के बदले एनडीटीवी से वॉरंट मिले थे, जिसे वह 29.18 % हिस्सेदारी में भुना सकता था। इस तरह वीसीपीएल के जरिए यह हिस्सेदारी अडानी ग्रुप के पास आ गई। सरल शब्दों में कहें, तो एनडीटीवी को लोन तो अप्रत्यक्ष रूप से अंबानी की कंपनियों के जरिए मिला, लेकिन हिस्सेदारी अडानी के पास आ गई। जबकि अडानी ग्रुप ने तो एनडीटीवी को कोई लोन ही नहीं दिया था।
ओपन ऑफर क्यों है जरूरी
अडानी ग्रुप के पास इस समय एनडीटीवी में सबसे अधिक हिस्सेदारी 29.30 % है। लेकिन जब तक 51 % या इससे अधिक हिस्सेदारी अडानी के पास नहीं आएगी, मालिकाना हक नहीं मिलेगा। अडानी ग्रुप के पास 29.30 % हिस्सेदारी आने के बाद नियमों में उसके पास ओपन ऑफर लाने का अधिकार है। वह ओपन ऑफर लाकर कंपनी के अन्य शेयरधारकों से अतिरिक्त 26 % हिस्सेदारी खरीदना चाहता है। इस तरह अडानी के पास एनडीटीवी में कुल 55.3 % हिस्सेदारी आ जाएगी और मालिकाना हक मिल जाएगा। हालांकि, ओपन ऑफर का सफल होना इतना भी आसान नहीं है।
किस तरह मिली अडानी को हिस्सेदारी
एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (AMNL) अडानी ग्रुप की मीडिया कंपनी है। एएमएनएल एडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) की 100 % सब्सिडियरी कंपनी है। एएमएनएल की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लमिटेड (VCPL) है। वीसीपीएल ने एनडीटीवी की एक प्रमोटर ग्रुप कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के 99.5% इक्विटी शेयर्स का अधिग्रहण किया है। आरआरपीआर होल्डिंग्स के पास एनडीटीवी में 29.30 % हिस्सेदारी थी। इस तरह एनडीटीवी की हिस्सेदारी अडानी ग्रुप के पास आ गई।
एनडीटीवी ले डूबा एक बकाया कर्ज
अडानी ग्रुप के पास एनडीटीवी की हिस्सेदारी आने के पीछे एक बकाया कर्ज है। यह कर्ज एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय और राधिका रॉय ने 2009-10 में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) से जुड़ी कंपनी से लिया था। विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) ने एनडीटीवी की प्रवर्तक कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को 403.85 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। इस ब्याज मुक्त कर्ज के बदले आरआरपीआर ने वीसीपीएल को वॉरंट जारी किए। इस वॉरंट के अनुसार, अगर कंपनी भुगतान नहीं कर सकी, तो ऐसी स्थिति में कर्जदाता को आरआरपीआर में 99.9 % हिस्सेदारी लेने का अधिकार होगा। वीसीपीएल का स्वामित्व 2012 में बदल गया। अडाणी समूह की फर्म ने पहले वीसीपीएल का अधिग्रहण किया और फिर बकाया ऋण को मीडिया कंपनी में 29.18 % हिस्सेदारी में बदलने के विकल्प का प्रयोग किया। इसके बाद अडाणी समूह ने देश के अधिग्रहण मानदंडों के अनुरूप जनता से अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी खरीदने के लिए 493 करोड़ रुपये की खुली पेशकश (Open Offer) की।
ambani connection in adani ndtv case
पैसा रिलायंस से मिला और हिस्सेदारी ली अडानी ने
Explainer Adani Company Which Took Stake In Ndtv Has Big Connection With Mukesh Ambani
NDTV टेकओवर: ऑफर प्राइस ₹294, शेयर भाव ₹400, भला कौन बेचेगा? सौदे का यह पहलू समझिए
एनडीटीवी के टेकओवर को लेकर काफी चर्चा है। इसके कई पहलू भी हैं। इसमें एक ओपन ऑफर को लेकर भी है।
हाइलाइट्स
1-अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी के लिए 294 रुपये रखा है ओपन ऑफर प्राइस
2-एनडीटीवी का स्टॉक बाजार में करीब 400 रुपये पर कर रहा है कारोबार
3-सवाल यह कि इतनी कम कीमत तक कौन शेयधारक बेचेगा शेयर
अब अडानी ग्रुप अतिरिक्त 26 % हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश यानी ओपन ऑफर लाएगा। ओपन ऑफर के लिए कीमत 294 रुपये रखी गई है। इससे एनडीटीवी के 1,67,62,530 इक्विटी शेयर शेयरहोल्डर्स से खरीदने की तैयारी है। लेकिन, एनडीटीवी के शेयर तो अभी 400 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में लोगों में उलझन है। वो जानना चाहते हैं कि भला ये कैसी डील हुई? कोई क्यों कम कीमत पर शेयर बेचेगा? आइए, यहां इस ओपन ऑफर के साथ सौदे के तमाम पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं।
पहले वॉरंटी की गुत्थी समझें। कंपनियां पूंजी जुटाने को वॉरंट जारी करती हैं। यह सिक्योरिटी की तरह होता है। निवेशकों को यह भविष्य में तय तारीख पर एक निश्चित कीमत पर कंपनी में शेयर खरीदने का अधिकार देता है। एनडीटीवी टेकओवर में इसी का इस्तेमाल हुआ है।
इसे अडाणी समूह के एनडीटीवी में 29.18 % हिस्सेदारी खरीदने के ऐलान से समझते हैं। इसके बाद ही ग्रुप ने अतिरिक्त 26 % हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश लाने को कहा था।
दरअसल, इस अधिग्रहण के पीछे मुख्य कारण एक बकाया कर्ज है। इसे एनडीटीवी की प्रमोटर RRPR ने वीसीपीएल से लिया था। यह कर्ज 2009-10 में लिया गया था। कर्ज की यह रकम 403.85 करोड़ रुपये थी। इस कर्ज के बदले आरआरपीआर ने वॉरंट जारी किए थे। इस वॉरंट के जरिये वीसीपीएल के पास कर्ज नहीं लौटाने की स्थिति में आरआरपीआर में 99.9 % हिस्सेदारी को शेयरों में बदलने का अधिकार था। अडाणी समूह की कंपनी ने पहले वीसीपीएल का टेकओवर किया। फिर बकाया कर्ज को एनडीटीवी में 29.18% हिस्सेदारी में बदलने के विकल्प का प्रयोग किया।
ओपन ऑफर की पहेली?
अब सवाल यह है कि एनडीटीवी के शेयर अभी करीब 400 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे हैं। वहीं, ओपन ऑफर 294 रुपये का है। अब आप सोच रहे होंगे कि जब बाजार में शेयर भाव 400 रुपये के आसपास है तो भला 294 रुपये का ऑफर प्राइस क्यों रखा गया है। एक्सपर्ट्स इसका जवाब देते हैं।
फिलिप कैपिटल में एडवाइजर प्रतीक मिश्रा कहते कि इसमें कोई ताज्जुब नहीं । यह टेक्निकल मसला है। ऑफर प्राइस सेट करने से पहले काफी सोचा-विचारा जाता है। उन्होंने कहा, ‘आप देखें तो एक महीने पहले एनडीटीवी का शेयर 190 रुपये था। सौदे की सुगबुगाहट भी थी। ऑफर के लिए बीते 15 दिनों का औसत मूल्य देखना पड़ता है। यह कानूनी तौर पर जरूरी है।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह ओपन ऑफर कितना सफल होता है, यह देखने वाली बात होगी। इसके पहले वेदांता का ओपन ऑफर फेल हो चुका है। कंपनी ने दो साल पहले डिलिस्टिंग के लिए ओपन ऑफर का ऐलान किया था।
ओपन ऑफर क्या होता है?
ओपन ऑफर में निवेशक कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी लेने की कोशिश करते हैं। ऐसा तब किया जाता है जब वे दूसरे पब्लिक शेयरहोल्डर्स से अतिरिक्त शेयर खरीदना चाहते हैं। इसे अडानी-एनडीटीवी के संदर्भ में समझें। तीन चीजें हैं। टारगेट कंपनी। दूसरा, वो कंपनी जो टारगेट कर रही है। तीसरा, शेयरहोल्डर। अडानी-एनडीटीवी मामले में टारगेट पर एनडीटीवी है। टारगेट करने वाला समूह है अडानी ग्रुप। इसे ‘एक्वायरर’ भी कहते हैं। अंतिम पार्टी हैं शेयरहोल्डर जिनके पास कंपनी यानी एनडीटीवी के शेयर हैं। ओपन ऑफर में ‘एक्वायरर’ (अडानी) टारगेट कंपनी के शेयरधारकों को पेशकश करता है। पेशकश शेयरधारकों को टारगेट कंपनी में अपने शेयर किसी खास कीमत पर बेचने की होती है।
कब लाया जाता है ओपन ऑफर?
भारत में ओपन ऑफर अमूमन तब लाया जाता है जब कोई कंपनी दूसरी लिस्टेड कंपनी में 15 फीसदी तक शेयर खरीदती है। ऐसे मामलों में टारगेट कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी के 20 फीसदी अतिरिक्त शेयर खरीदने के लिए पेशकश की जाती है। अडानी ने यही पेशकश करने के लिए कहा है। मौजूदा शेयरहोल्डर्स को उस कंपनी से निकलने का एग्जिट ऑप्शन भी दिया जाता है जिसे खरीदा जा रहा है। यह नियम इसलिए है ताकि शेयरहोल्डर्स के पास मौका रहे कि वे कंपनी से निकल सकें। मैनेजमेंट और बिजनस में बदलाव की आशंका से शेयरहोल्डर पैसा निकालते हैं।