प्रशासन ने बलपूर्वक खाली कराया 400 करोड़ का काबुल हाउस

ADMINISTRATION EVICTED 16 PEOPLE FROM KABUL HOUSE IN DEHRADUN
देहरादून काबुल हाउस पर चला प्रशासन का डंडा,16 परिवारों से खाली करवाया कब्जा
लंबे समय से विवादों में रही देहरादून की काबुल हाउस प्रॉपर्टी आखिरकार प्रशासन ने खाली करवा ली है. गुरुवार सुबह ही पुलिस और प्रशासन की टीम काबुल हाउस परिसर खाली कराने पहुंच गई. यहां टीम ने कई घरों से सामान बाहर निकाला और सीलिंग की कार्रवाई की.

देहरादून 02 नवंबर । ईसी रोड पर स्थित चर्चित काबुल हाउस में आज कस्टोडियन संपत्ति (शत्रु संपत्ति) प्रशासन ने खाली कराने की कार्रवाई की . प्रशासन की टीम ने 16 परिवारों पर कार्रवाई करते हुए उनके ठिकानों से सामान बाहर निकाला. इस पर प्रभावित लोग खासे नाराज दिखे. उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.
आज सुबह अपर जिलाधिकारी की उपस्थिति में भारी पुलिस बल के साथ टीम मजदूरों को लेकर काबुल हाउस पहुंची. वहां पर 16 अवैध कब्जों पर कार्रवाई करते हुए उनका घरेलू सामान घरों से बाहर निकाला . इस दौरान काबुल हाउस में करीब 100 सालों से रह रही पूजा के परिवार से भी घर प्रशासन ने खाली करवाया और सील कर दिया. पूजा का परिवार इस इलाके में पिछले 100 सालों से रह रहा है.

कब्जेधारियों का सामान
पूजा की होनी है शादी, घर ही नहीं बचा
पूजा ने बताया कि दिसंबर में उसकी शादी है,जिसकी तैयारियां परिवार जोरों से कर रहा था,लेकिन अब घर न होने से कहां शादी होगी? यह समस्या खड़ी हो गई है. वहीं, अन्य लोगों का आरोप है कि उनको घर खाली करने के आदेश कुछ दिन पहले ही 25 अक्टूबर को मिले.उसके बाद जिलाधिकारी के पास प्रार्थना को भागदौड़ की तो पता चला कि वे छुट्टी पर हैं। ऐसे में अब उनके पास किसी भी प्रकार की छत नहीं है, वो लोग कहां जाएं?
अफगानिस्तान के राजा मोहम्मद याकूब खान ने बनाया था काबुल हाउस
बता दें कि काबुल हाउस साल 1879 में अफगानिस्तान के राजा मोहम्मद याकूब खान ने बनाया था. उनके वंशज भारत पाक के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे. उसके बाद से ही काबुल हाउस के कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने स्वामित्व का दावा किया था. लंबे समय से काबुल हाउस में ऐसे 16 परिवार रह रहे थे.

पिछले 40 सालों से लंबित था काबुल हाउस का मामला

जिलाधिकारी कोर्ट में लंबित है.नैनीताल उच्च न्यायालय और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कठोर निर्देशों के बाद इस पर फैसला सुनाते हुए देहरादून जिलाधिकारी सोनिका सिंह ने काबुल हाउस को शत्रु संपत्ति घोषित कर उसमें रहने वाले लोगों को संपत्ति खाली करने का नोटिस जारी किया और आज सीलिंग की कार्रवाई शुरू हुई.
प्रशासन ने कहा -नोटिस के बाद भी खाली नहीं किया, इसलिए
वहीं, प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो उनकी ओर से पहले ही इन लोगों को नोटिस दे दिया गया था. ताकि, उन लोगों को समय मिल जाए और वो लोग अपने सामान को खुद ही बाहर निकाल दें, लेकिन इन लोगों ने ऐसा नहीं किया. इसलिए, जब सामान घरों से बाहर नहीं निकाला गया तो कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई व्यवहार में लाई गई.

प्रशासन ने खाली कराए कब्जे
कहां जाएं सर्दियों में लोग?
उधर, काबुल हाउस से शत्रु संपत्ति को खाली करवाने के लिए प्रशासन की टीम जुटी है, लेकिन अब यहां रहने वाले लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया कि आखिर में वो जाएं तो जाएं कहां? उनका कहना है कि अब उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है. अब वो क्या करें?

देहरादून में 400 करोड़ के काबुल हाउस खाली कराने पर बवाल,कभी अफगानी शासक की थी संपत्ति

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 400 करोड़ का काबुल हाउस खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यहां से 17 परिवारों को निकालने को जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है.
सरकार इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर चुकी है और इसके बाद करीब 40 सालों से यहां रह रहे परिवारों के साथ अदालती विवाद चल रहा था.देहरादून जिलाधिकारी कोर्ट ने दो हफ्ते पहले अपने आदेश में इसे 15 दिन में खाली कराने के निर्देश दिए थे.हालांकि परिवार इसका तीखा विरोध कर रहे है.
कहा जाता है कि अफगानिस्तान के शासक मोहम्मद याकूब खान का 19वीं और 20वीं में इस काबुल हाउस पर स्वामित्व था. पॉश इलाके ईसी रोड पर स्थित काबुल हाउस के अफगानी शाही परिवार के लोग विभाजन बाद देश छोड़कर पाकिस्तान जा बसे थे. 19 बीघा में फैले इस इलाके में तब से कुछ परिवार रह रहे थे.

देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका मीना ने लंबी सुनवाई के बाद वहां रह रहे 16 परिवारों को परिसर खाली करने का आदेश दिया था. मीना ने आदेश में कहा था कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा किया गया. यहां रह रहे लोगों ने सरकार को किराया देने या मालिकाना हक संबंधी कोई दस्तावेज अभी तक नहीं सौंपा है.

जिलाधिकारी सोनिका ने इतने लंबे समय से यहां कब्जे को लेकर कब्जेदारों पर बकाया राशि का आकलन करने और मालिकाना हक के फर्जी दस्तावेज पेश करने को लेकर कार्रवाई का आदेश भी दिया है. हालांकि पीड़ित पक्ष के वकील का कहना है कि विवादित भूमि के दो हिस्से हैं. इसके खुले हिस्से को पहले ही निजी भूमि घोषित किया जा चुका है.इसका मामला हाईकोर्ट में लंबित है.लेकिन जिलाधिकारी इसे शत्रु संपत्ति बताकर खाली कराने का आदेश कैसे दे सकती हैं? जिला प्रशासन के पास बेदखली का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है.

शत्रु संपत्ति क्या होती है?
दरअसल, जब 1947 में देश का बंटवारा हुआ या फिर 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के साथ हुऐ युद्धों के समय या उसके बाद कई लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए. ऐसे नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है.सरकार ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए एक कस्टोडियन को नियुक्त करती है. भारत सरकार ने साल 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था. इसमें शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा दी गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार दिया गया है.

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