तिरुपति बालाजी लड्डू कांड के बाद देहरादून के घी उपभोक्ता भी चौकन्ने

Tirupati laddu Controversy: Many South Indian Ghee Companies Have Distributors In Dehradun Selling It At Very Cheap
देहरादून में हैं दक्षिण भारत की कई घी कंपनियों के वितरक, सस्ते दामों में कर रहे बिक्री

देहरादून समेत विभिन्न जिलों में परचून की दुकानों और सुपर मार्केट में घी के 40 से अधिक तरह के ब्रांड मिल रहे हैं। कई जिलों में तो ब्रांड की संख्या 50 से भी अधिक बताई जा रही है।
दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर में देने वाले प्रसाद में मिलावट के बाद अब दक्षिण के प्रदेशों से आ रहे घी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पड़ताल में पता चला कि राजधानी देहरादून में ही नहीं, बल्कि हरिद्वार से लेकर अन्य जिलों में भी दक्षिण भारत की घी आपूर्ति करने वाली कंपनियों के वितरक (डिस्ट्रीब्यूटर) हैं, जो बेहद सस्ते में घी की बिक्री कर रहे हैं।

अब लोग दुकानों पर घी खरीदने जा रहे हैं तो इस बात पर भी ध्यान दे रहे कि वह घी किस राज्य में निर्मित हो रहा है। देहरादून समेत विभिन्न जिलों में परचून की दुकानों और सुपर मार्केट में घी के 40 से अधिक तरह के ब्रांड मिल रहे हैं। कई जिलों में तो ब्रांड की संख्या 50 से भी अधिक बताई जा रही है।
इनमें बड़ी मात्रा में दक्षिण के राज्यों तमिलनाडु, केरल, आंधप्रदेश, कर्नाटक आदि में निर्मित एवं पैक होने वाले घी के ब्रांड भी शामिल हैं। देहरादून में पड़ताल की गई तो पता चला कि दक्षिण के राज्यों की घी कंपनियों की ओर से यहां पर काफी संख्या में डिस्ट्रीब्यूटरशिप दी गई है, जो नियमित रूप से राजधानी और आसपास के इलाकों में घी की आपूर्ति करते हैं।

खास बात यह है कि यह घी कई अन्य कंपनियों से सस्ता है। इसके चलते बिक्री भी खूब हो रही है। इसी तरह हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में भी इन कंपनियों के वितरक घी की आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने के बाद अब गुणवत्ता को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं।

एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बाजार में सभी तरह के घी के मुकाबले सस्ते में मिल रहे घी की बिक्री 50 प्रतिशत तक है। खाने में इस्तेमाल के साथ ही पूजा आदि के लिए अधिकांश तौर पर इसी घी का इस्तेमाल होता है।

डेनमार्क से बड़ी मात्रा में आयात हो रहा बटर ऑयल
भारत में स्वदेशी नस्लों की गाय के दूध से बनने वाले देसी घी को सबसे अधिक गुणवत्तापूर्ण माना जाता है। इसके दाम भी अधिक हैं, लेकिन ज्यादातर डेनमार्क से भारत में आयात हो रहा देसी घी, वास्तव में बटर ऑयल के नाम बेचा जाता है। इसी बटर ऑयल की आपूर्ति स्थानीय बाजारों में देसी घी के रूप में करीब 300 रुपये प्रति किलो तक में की जा रही है। इसे बाजारों में 500 रुपये प्रति किलो तक में बेचा जाता है। व्यापारी आरएम कंसल बताते हैं कि डेनमार्क का बटर ऑयल भारतीय घी की तुलना नहीं कर सकता। रही बात मिलावट की तो यह जांच के बाद ही साफ हो सकता है।

राजधानी दून में घी को लेकर उठ रहे सवाल, 40 से अधिक ब्रांड, 200 से लेकर 2000 रूपए तक दाम

राजधानी देहरादून के बाजार में 40 से अधिक घी के ब्रांड हैं। जिनके 200 से लेकर 2000 तक के दाम है। बाजार में देशी घी का चुनाव करना उपभोक्ताओं के लिए टेढ़ी खीर बना है।
तिरूपति मंदिर में भगवान के लिए तैयार होने वाले लड्डू में इस्तेमाल हो रहे घी में मिलावट का मामला सामने आने के बाद राजधानी के बाजार में बिक रहे तरह-तरह के घी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसमें भी खास बात यह है कि बाजार में 40 से अधिक ब्रांड के देशी घी के न्यूनतम और अधिकतम दामों में 1500 रुपये प्रति किलो से अधिक का अंतर है। जो उपभोक्ताओं के लिए भ्रम पैदा कर रहा है।

अगर आप बाजार में देशी घी लेने के लिए जाते हैं तो आपको कई किस्में मिलेंगी। इसमें भी खास यह है कि पूजा, हवन से लेकर खाने तक के लिए अलग-अलग ब्रांड के देशी घी है और उनके दाम भी 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये प्रति किलो तक है। 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक प्रति किलो में मिलने वाले देशी घी की पैकिंग पर खाने योग्य घी लिखा होता है।

इस घी को पूजा के लिए कहकर बेचा जाता है। इसके बाद अच्छी गुणवत्ता कहकर बेचे जा रहे देशी घी की कीमत 600 रुपये से 800 रुपये प्रति किलो के बीच है। इन्हें डेयरी प्रोडक्ट के रूप में बेचा जाता है। ऐसे में बाजार में घी खरीदते समय उपभोक्ताओं को समझ ही नहीं आ पाता कि वे किस ब्रांड और किस कीमत के घी का इस्तेमाल करे।

बाजार में ज्यादातर 600 रुपये किलो तक के घी की बिक्री
इसके बाद कुछ लोग अधिक कीमत के घी को गुणवत्ता की कसौटी मानते हुए खरीदते हैं। ऐसे लोगों के लिए बाजार में 1000 रुपये प्रति किलो से 2000 रुपये प्रति किलो तक का घी उपलब्ध है। इनमें वे घी भी शामिल हैं, जो गोशालाओं में और विभिन्न संस्थाओं की ओर से हैंड मेड के रूप में तैयार कर बेचे जाते हैं।

इसके अलावा गिर गाय, देशी गाय, साहीवाल गाय, केनक्रेव और थार पार्कर आदि गायों के घी की अलग-अलग कीमत होती है। व्यापारी राजेंद्र गोयल का कहना है कि बाजार में ज्यादातर 600 रुपये किलो तक के घी की बिक्री होती है।

सस्ते घी से मुनाफा ज्यादा

एक वर्ग की सोच होती है कि घी जितना महंगा होगा उतना ही शुद्ध होगा। लेकिन व्यापारियों की माने तो 200 से 500 रुपये तक के घी की भी भारी डिमांड रहती है। ऐसे में कई दुकानदार 200 रुपये के घी की अलग-अलग किस्में बताकर 300 से 400 रुपये तक में भी बेचते हैं। जबकि 600 रुपये से अधिक कीमत के घी पर मुनाफा सीमित होता है।

घर के 600 से 800 रुपये के दूध से निकलता है एक किलो देशी घी

जानकारों के अनुसार शुद्ध दूध से घी निकालने वाले लोग 12 किलो दूध की क्रीम निकालकर उससे एक किलो देशी घी निकालते हैं। 12 किलो दूध का दाम करीब 600-800 रुपये होता है। लेकिन बाजार में दूध से घी बनाने वाले लोग 24 किलो दूध से करीब चार प्रतिशत क्रीम निकालते हैं। इस क्रीम का घी बनाया जाता है। जबकि बाकी दूध को बेच दिया जाता है। इस हिसाब से भी करीब छह सौ से आठ सौ रुपये से एक किलो देशी घी निकाल लिया जाता है।

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