वकील को कोर्ट में गोली मारने का खेद नहीं,दुखी था 24 मुकदमों से
वकील भूपेंद्र हत्याकांडः साथी वकील पर कर दिए थे 24 केस, परेशान होकर उसी ने मार दी गोली
शाहजहांपुर 18 अक्तूबर । वकील भूपेंद्र सिंह ने सुरेश नामक वकील पर कई गंभीर मामलों में केस कर रखा था, इसी से परेशान होकर सुरेश ने उसे गोली मार दी. बाद में सुरेश ने मीडिया के सामने भी हत्या कबूल ली.
कोर्ट परिसर में खुलेआम वकील की गोली मारकर हत्या मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. वकील भूपेंद्र सिंह ( 57 वर्ष ) की हत्या उसी के साथी वकील सुरेश गुप्ता ने की थी. जानकारी के अनुसार भूपेंद्र ने सुरेश पर 24 अलग अलग केस कर दिए थे. इसमें चोरी और डकैती जैसे गंभीर आरोप भी थे. इससे सुरेश लगातार परेशान था और आखिरकार उसने भूपेंद्र को गोली मार दी. पुलिस ने आरोपित सुरेश गुप्ता को हिरासत में पूछताछ की . सुरेश ने हत्या करने की बात मीडियाकर्मियों के सामने भी कबूली और कहा कि हत्या करने का उसे कोई अफसोस नहीं .वहीं हत्या के बाद लापरवाही में कोर्ट में तैनात उपनिरीक्षक और तीन अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया . एसपी एस आनंद ने बताया कि हत्या के बाद अब पुलिस सभी सबूत जमा कर रही है और आरोपित से भी मामले की जानकारी ली जा रही है.
वहीं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने मामले में कहा कि ये दोनों के बीच पुरानी रंजिश का मामला था. इसी के चलते हत्या की गई. पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है और आरोपित को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. भूपेंद्र के शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के पैनल ने किया ।
आरोपित ने कुबूला जुर्म, कमीज पर मिले हैं खून के धब्बे
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भूपेंद्र सिंह की हत्या का आरोपित सुरेश गुप्ता
सोमवार करीब साढ़े 11 बजे कचहरी की दूसरी मंजिल पर स्थित एसीजेएम ऑफिस में अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह की सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भूपेंद्र सिंह ने एसीजेएम ऑफिस में मौजूद कर्मचारी से एक केस की फाइल मांगी थी। कर्मचारी फाइल निकालने चला गया, तभी भूपेंद्र को गोली मार दी गई। भूपेंद्र के पैरों के पास फाइल और तमंचा पड़ा हुआ था।
वारदात के बाद पुलिस को भाई योगेंद्र सिंह ने सुरेश गुप्ता और उनके दो बेटों अंकित और गौरव को नामजद करते हुए लिखित शिकायत दी। सुरेश गुप्ता का नाम सामने आते ही पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी। कचहरी परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे पुलिस ने चेक कराए तो पता चला कि सुरेश गुप्ता सुबह 10:08 बजे कचहरी में घुसा। इसके बाद 11:36 बजे वह एसीजेएम कार्यालय की सीढ़ियां चढ़ते हुए सीसीटीवी कैमरे में नजर आया। उसकी कमीज पर खून के धब्बे भी मिले और गोली चलाने से बने ब्लैकनिंग के निशान भी थे। वारदात की सूचना पाकर आईजी बरेली रेंज रमित शर्मा पुलिस लाइन पहुंंचे। आईजी, एसपी एस. आनंद के सामने सुरेश गुप्ता ने अपना जुर्म मान लिया।
आरोपित सुरेश गुप्ता ने बताया कि पिछले 20 साल से भूपेंद्र सिंह ने उसे परेशान कर रखा था। चोरी डकैती हत्या के प्रयास समेत 24 मुकदमे दर्ज करा दिए थे। केस खारिज हो जाने पर बार-बार रिवीजन डाल देते थे। 153 शिकायतें अब तक विभिन्न स्तर पर भूपेंद्र सिंह ने कर रखीं थीं। इन सब वजहों से उनकी हत्या कर दी। तमंचा वह अपनी जेब में ले गया था। कचहरी में वकीलों की चेकिंग कम होती है, इसलिए उसे किसी ने टोका नहीं।
भूपेंद्र सिंह के रोज कचहरी में आने से उसे हत्या को यही जगह अनुकूल लगी। भूपेंद्र सिंह को उसने एसीजेएम दफ्तर की ओर जाते देखा तो पीछे-पीछे वह भी चला गया। वहां पर घुसते ही भूपेंद्र सिंह खड़े दिखाई दिए। बगैर कोई बात किए उसने तमंचे से भूपेंद्र की कनपटी पर गोली मार दी। भूपेंद्र सीधा उनके ऊपर गिरे। इसके बाद वह वहां से बगैर किसी को नजर आए निकल गया।
भाई का था तमंचा, एक ही था कारतूस
मुकदमेबाजी के जाल में फंसे सुरेश गुप्ता काफी पहले से भूपेंद्र सिंह को रास्ते से हटाने की सोची हुुई थी। उनके एक भाई की मृत्यु हो गई थी। सुरेश गुप्ता ने बताया कि उसके भाई का 32 बोर का तमंचा घर पर रखा हुआ था। इसी को लेकर वह हत्या करने पहुंच गया। उसके पास एक ही कारतूस था।
किरायेदारी के विवाद से शुरू हुई रंजिश
भूपेंद्र सिंह वकालत करने से पहले ट्यूशन पढ़ाते थे। इस दौरान भूपेंद्र सिंह 1998 में सुरेश गुप्ता के मकान में रहने लगे थे। सुरेश गुप्ता पहले स्टेट बैंक आफ इंडिया में क्लर्क था। भूपेंद्र सिंह सुरेश गुप्ता के बच्चों को भी ट्यूशन पढ़ाते थे। इसी मकान में भूपेंद्र सिंह कोचिंग चलाने लगे । इसके बाद सुरेश गुप्ता और भूपेंद्र सिंह में किरायेदारी को लेकर विवाद हो गया।सुरेश गुप्ता ने पुलिस की मदद से भूपेंद्र सिंह को मकान से निकाल दिया था। यहीं से सुरेश गुप्ता और भूपेंद्र सिंह में रंजिश हो गई। एक-दूसरे पर दोनों ने कई मुकदमे दर्ज कराए। भाई योगेंद्र ने बताया कि पांच साल पहले ईदगाह रोड पर सुरेश गुप्ता ने भूपेंद्र पर हमला कराया । बाइक सवार हमलावरों ने भूपेंद्र पर क्रिकेट बैट से हमला किया लेकिन वह बच गए ।
पहले भी हो चुके कचहरी परिसर में हमले
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनंत कुमार सिंह ने बताया कि कचहरी परिसर में हमला गंभीर बात है। परिसर में पहले भी कई हमले हो चुकेे।22 साल पहले कोर्ट में गवाह को गोली मारी गई । हत्यारोपित को वही पकड़ लिया गया था। कुछ साल बाद शातिर अपराधी पीचू खां की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद वकील संजय सक्सेना पर जानलेवा हमला हुुुुुुुुआ।इसमें आरोपित चाचा को सजा हुुई थी। कचहरी परिसर में एक वकील के तख्त पर एक पक्षकार को गोली मारी गई थी। कचहरी में एक महिला ने दूसरी महिला को चाकू मारा था जिसमें उसकी मौत हो गई थी। अनंत कुमार सिंह के अनुसार कचहरी में जज, वकीलों और वादकारियों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम पुलिस को करना चाहिए।
वकीलों ने किया प्रदर्शन
कचहरी परिसर में ही वकील की हत्या बाद वकील गुस्सा गए. पुलिस की लापरवाही और उदासीनता को लेकर वकीलों ने सड़क को जाम कर दिया और पुलिस व प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी की. आरोपित को सख्त सजा और मामले में जल्द कार्रवाई की मांग की गई. प्रशासन और पुलिस के उच्चाधिकारियों ने वकीलों को समझा प्रदर्शन खत्म करवाया.