उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना:26 घंटे के व्यवधान बाद पांच मोर्चों पर काम शुरू

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue efforts: उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 40 श्रमिक,बचाव प्रयास जारी, 26 घंटे ब्रेक बाद दोबारा शुरू हुआ बचाव, पांच मोर्चों से अभियान जारी
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चारधाम आलवेदर परियोजना की सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में फंसे श्रमिक बाहर निकालने का बचाव अभियान दिनों-दिन चुनौतीपूर्ण बन रहा है। इन श्रमिकों के बचाव अभियान को तब बड़ा झटका लगा जब शुक्रवार दोपहर बचाव अभियान में सिलक्यारा सुरंग के अंदर उस क्षेत्र में दरारें आई जहां मशीनें और बचाव टीम मौजूद थी। फिर बचाव रोकना पड़ा

उत्तरकाशी 18 नवंबर। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चारधाम आलेवदर परियोजना की सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने का बचाव अभियान दिनों-दिन चुनौतीपूर्ण बन रहा है। 26 घंटे तक बचाव अभियान रुका रहा।

शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे अपनी टीम ले उत्तरकाशी पहुंचे और सिलक्यारा सुरंग में बचाव कमान अपने हाथ में ली। तब जाकर पांच अलग-अलग मोर्चे से खोज और बचाव अभियान शुरू हुआ जिसमें वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल बोरिंग शामिल है।

वर्टिकल बोरिंग सिलक्यारा के निकट सुरंग की ठीक ऊपर की पहाड़ी से शुरू की गई है जबकि हॉरिजॉन्टल बोरिंग  पोलगांव बडकोट की ओर इसी निर्माणाधीन सुरंग के हिस्से से की जा रही है। इसके अलावा सिलक्यारा सुरंग के पास दो स्थान भी हॉरिजॉन्टल बोरिंग को चिह्नित किए गये हैं जबकि सिलक्यारा की ओर से सुरंग में ह्यूम पाइप बिछाए गए हैं जिससे सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को ऑक्सीजन,रसद व दवा आपूर्ति हो सके।

सुरंग में फंसे आठ राज्यों के 41 मजदूर

सिलक्यारा पोलगांव सुरंग में 12 नवंबर से फंसे आठ राज्यों के 41 श्रमिक जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इन श्रमिकों के बचाव अभियान को तब बड़ा झटका लगा जब शुक्रवार दोपहर बचाव अभियान में सिलक्यारा सुरंग के अंदर उस क्षेत्र में सुरंग में दरारें आई जहां मशीनें और बचाव टीम मौजूद थी। सुरंग में चटकने की आवाज गूंजी तो आननफानन में बचाव अभियान रोकना पड़ा।

बनाई गई ह्यूम पाइप की स्केप टनल

सुरंग के 150 मीटर से लेकर 203 मीटर तक सुरंग के ढह जाने की भी आशंका है। ऐसे में सुरंग में फंसे श्रमिकों से संवाद बनाए रखने और उन तक रसद,ऑक्सीजन पहुंचाने वाले पाइप तक पहुंचने को ह्यूम पाइप की स्केप टनल बनाई गई है।

बचाव अभियान में शनिवार को तब कुछ तेजी दिखी जब प्रधानमंत्री कार्यालय से टीम पहुंची। इस टीम ने भूविज्ञानियों के साथ सिलक्यारा सुरंग के आसपास की पहाड़ी का भी निरीक्षण कर उन सभी स्थानों को देखा जहां से बोरिंग करके सुरंग में पहुंचा जा सकता है। शनिवार की शाम को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल बोरिंग की तैयारियों को लेकर काम भी शुरू किया गया।

सड़क बनाने का काम शुरू

वर्टिकल बोरिंग को सुरंग के निकट से ही एक किलोमीटर की सड़क बनाने का काम शुरू हुआ जिसमें लोनिवि के इंजीनियर के साथ वन विभाग की टीम की तैनाती भी की गई है। रविवार सुबह तक एक किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिससे बोरिंग मशीन चिह्नित स्थान पर पहुंचाई जा सके। इसके साथ ही पोलगांव बडकोट की ओर से भी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की कामना को लेकर सुरंग के गेट के पास बौखनाग देवता का मंदिर भी स्थापित किया गया है।

हॉरिजॉन्टल बोरिंग शुरू की गई है। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए पांच सौ मीटर लंबी बोरिंग करनी होगी लेकिन इसमें सप्ताहभर का समय लगना तय है।

Preparation For Top And Side Drilling In Silkyara Tunnel There Is Danger Of Vibration And Debris Falling In Tunnel
सुरंग में अटकी 41 सांसें: अब ऊपर और साइड ड्रिलिंग की तैयारी, ऑगर मशीन चलने से हो रही कंपन; मलबा गिरने का खतरा
12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा से पोल गांव जाने वाली सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था जिसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं।

सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को शनिवार को सातवें दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका। बचाव के दौरान सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई है। अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है। वहीं इंदौर से मंगवाई गई एक और बैक अप ऑगर मशीन शुक्रवार देर रात जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंची। शनिवार दोपहर तीन ट्रकों से मशीनें सिलक्यारा साइट पर पहुंचाई गई।
12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा से पोल गांव जाने वाली सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था जिसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंसे हैं। दुर्घटना को सात दिन हो गए है,लेकिन अभी तक मजदूर बाहर नहीं निकाले जा सके। जेसीबी से मलबा हटाने में असफलता मिलने पर 14 नवंबर को दिल्ली से अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई गई। दो दिन ऑगर मशीन से ड्रिलिंग हुई, लेकिन 22 मीटर ड्रिलिंग के बाद काम बंद कर दिया गया है।
1750 हॉर्स पावर की है मशीन
बताया जा रहा है कि 1750 हॉर्स पावर की यह मशीन चलने से सुरंग में कंपन बढ़ रहा है जिससे मलबा गिरने का खतरा बना हुआ है। बचाव कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा को शुक्रवार रात यहां ह्यूम पाइप बिछाए गए। तब यहां सुरंग की दीवार पर एक दरार भी दिखी जिसके चलते सावधानी को यहां अभी ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया है। अब एनएचआईडीसीएल अधिकारी सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
खाना पहुंचाने को होगी ऊपर से ड्रिलिंग
एनएनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलखो ने बताया कि ऊपर से ड्रिलिंग को वैज्ञानिक सर्वे हुआ है जिसमें 103 मीटर चौड़ाई वाले क्षेत्र में ड्रिलिंग होगी। इधर, एनएचआईडीसीएल के अधिशासी निदेशक संदीप सुगेरा ने बताया कि मजदूर बाहर निकालने को सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ साइड से भी ड्रिलिंग होगी जिसमें ऊपर से करीब 103 मीटर की चौड़ाई मिली है। वहीं साइड से ड्रिलिंग को 177 मीटर की दूरी मिली है। ऊपर से ड्रिल कर मजदूरों तक खाना व पानी पहुंचाया जाएगा जबकि साइड से ड्रिलिंग कर उन्हें बाहर निकाला जाएगा।

धीमी प्रगति से प्रधानमंत्री कार्यालय चिंतित

प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में चार से पांच दिन का समय लगेगा। एक साथ सभी पांच विकल्पों पर काम शुरू कर दिया गया है। इस समय केवल लक्ष्य 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने का है। बताया जा रहा है कि श्रमिकों के खोज बचाव में अभी तक की धीमी प्रगति से प्रधानमंत्री कार्यालय चिंतित है।

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